Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

कहानी – क्यूँ दिया युधिष्ठिर ने माता कुंती को श्राप

क्यूँ दिया युधिष्ठिर ने माता कुंती को श्राप ऐसे ही कई प्रश्न महाभारत की कथाओं में छिपे हुए हैं | महाभारत ग्रन्थ में ऐसे कई तथ्य हैं जो वर्तमान की मान्यताओं को चरितार्थ करते हैं | महाभारत कहानी  का एक संकलन आप पाठको के लिए तैयार किया जा रहा हैं जो आपकी जिज्ञासुओं को शांत करता हैं |

Kyun Diya Yudhishthir Ne Mata Kunti Ko Shrap

आपने सुना ही होगा कि महिलाओं के पेट में बात नहीं पचती | यह क्यूँ और कैसे हुआ ? आपको आश्चर्य होगा इसका संबंध महाभारत काल से जुड़ी एक घटना से हैं | यह एक श्राप हैं जो धर्मराज युधिष्ठिर ने समस्त औरत जाति को दिया | क्यूँ दिया युधिष्ठिर ने माता कुंती को श्राप जाने पूरी घटना ………

क्यूँ दिया युधिष्ठिर ने माता कुंती को श्राप

सभी जानते हैं कि माता कुंती के पाँच पुत्र थे जिनमे युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल एवम सहदेव | नकुल और सहदेव कुंती की सौतन माद्री के पुत्र थे |लेकिन कुंती का एक और पुत्र था वो था महापराक्रमी कर्ण जिसे कुंती ने जन्म के समय ही त्याग दिया था | क्यूँ हुआ था ऐसा जाने विस्तार से

कुंती धरमपरायण नारी थी जो सदैव सेवा और पुण्य के कार्य करती थी | एक बार उन्होंने सच्चे दिल से ऋषि दुर्वासा की सेवा की जिससे प्रसन्न होकर ऋषि दुर्वासा ने उन्हें एक मंत्र दिया जिसके प्रभाव से कुंती जिस भी देवता से संतान प्राप्ति की इच्छा रखेंगी | उसे प्राप्त होगा और इससे कुंती के कोमार्य पर कोई हानि ना होगी | यह आशीर्वाद प्राप्त कर कुंती जब अपने राज महल आई | उसके मन में विचार आया कि क्यूँ न इस मंत्र का प्रयोग करके देखे और उसने सूर्य देवता का आव्हान किया जिसके फलस्वरूप उन्हें कर्ण की प्राप्ति हुई जिसे देख कुंती भयभीत हो गई कि अब वे इस बालक को कैसे अपने साथ रख पाएंगी | बिना विवाह के इस पुत्र को साथ रखने से कुंती एवम पुत्र दोनों के चरित्र पर सवाल उठेंगे | इस तरह से बालक का जीवनव्यापन दूभर हो जायेगा | अतः वे कठोर मन से कर्ण को त्यागने का निर्णय लेती हैं |

कई वर्षो बाद, कर्ण जब युवा होता हैं | दुर्भाग्यवश उसकी मित्रता दुर्योधन से हो जाती हैं और वे महाभारत के इस प्रचंड युद्ध में अपने ही सगे भाईयों के विरुद्ध लड़ता हैं लेकिन फिर भी कुंती यह सच अपने अन्य पाँच पुत्रो से कह नहीं पाती जिसके फलस्वरूप कर्ण अर्जुन के हाथों वीरगति को प्राप्त होता हैं | जिसकी खबर मिलने पर कुंती दौड़ती हुई रणक्षेत्र में आती हैं और युधिष्ठिर से कर्ण का अंतिमसंस्कार करने कहती हैं जिस पर कर्ण कुंती से इसका कारण पूछते हैं | तब कुंती सभी को पूरा सच बताती हैं | जिससे दुखी होकर युधिष्ठिर अपनी माता कुंती को श्राप देते हैं कि जिस सत्य को छिपाने से भाई के हाथो भाई की मृत्यु हुई | ऐसे सत्य कभी कोई नारी जाति अपने भीतर छिपा नहीं पायेगी | तब ही से यह कहा जाता हैं कि कभी किसी नारी के पेट में कोई रहस्य नहीं रह सकता |

लोक लज्जा के कारण कुंती ने ऐसा त्याग किया बेटे के सामने होते हुए भी वो उसे अपना ना सकी | और भाई के हाथों का भाई का वध हुआ |

ऐसी ही रोचक कथाओं से सजा हुआ हैं महाभारत का इतिहास | इस पौराणिक कथाओं से ही हमें कई प्रचलित परम्पराओं के कारण पता चलते हैं |

अन्य महाभारत से जोड़ी रोचक कहानिया

अन्य हिंदी कहानियाँ एवम प्रेरणादायक प्रसंग के लिए चेक करे हमारा मास्टर पेज

हिंदी कहानी

Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles