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भारत में आरक्षण की समस्या पर निबंध | Problem of Reservation System in India Essay in Hindi

भारत में आरक्षण की समस्या पर निबंध ( Problem of Reservation System in India Essay in Hindi)

भारत में आरक्षण की समस्या पर निबंध

आरक्षण एक ऐसा शब्द है, जिसका नाम हर दूसरे व्यक्ति के मुह पर है, अर्थात् आरक्षण भारत मे, बहुत चर्चा मे है . वैसे तो हम, इक्कीसवी सदी मे जी रहे है और अब तक आरक्षण कि ही, लड़ाई लड़ रहे है . युवाओ और देश के नेताओ के लिये, आज की तारीख मे सबसे अहम सवाल यह है कि,

  • आरक्षण किस क्षेत्र मे, और क्यों चाहिये ?
  • क्या सही मायने मे, इसकी हमे जरुरत है ? या नही .
  • यदि आरक्षण देना भी है तो, उसकी नीति क्या होनी चाहिये ? 

आरक्षण, उस व्यक्ति को मिलना चाहिये, जो सही मायने मे उसका हकदार है उसका . जबकि, उस व्यक्ति को, कोई फायदा ही नही मिल रहा है . क्योंकि, भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है . यहा हर जाति समुदाय के, या वर्ग के लोग निवास करते है . भारत मे, बहुत प्राचीन प्रथा थी जो, अंग्रेजो के समय से थी जिसमे, उच्च-नीच का भेद-भाव बहुत होता था. धीरे-धीरे इस छोटी सी समस्या ने, एक विशाल रूप ले लिया. जिसके चलते जाति के आधार पर, व्यक्ति की पहचान होने लगी, और उसी जाति के आधार पर उसका शोषण होने लगा.

उच्च वर्ग के लोग निम्न जाति के लोगो को अपने से दूर रखते थे यह ही नही शिक्षा, नौकरी, व्यापार-व्यवसाय, यहा तक की घर , मंदिरों, बाजार मे तक, निम्न जाति के लोगो को हीन भावना से देखा जाता था. उनके साथ अच्छा व्यवहार नही होता था, पुरानी प्रथाओ के अनुसार, निम्न जाति के लोगो के हाथ का पानी तक नही चलता था, उच्च कुल के लोगो को . इसी उच्च-नीच की खाई को दूर करने के लिये, सुरक्षा के तौर पर कानून बनाये गये. जिससे निम्न जाति के लोगो को भी हर क्षेत्र मे समान अधिकार मिले और, किसी भी प्रकार से उनका शोषण न होने पाये .

  1. आरक्षण का इतिहास
  2. आरक्षण क्या है ?
  3. आरक्षण उद्देश्य
  4. आरक्षण के प्रकार
  5. आरक्षण का प्रभाव
  6. निष्कर्ष

आरक्षण का इतिहास (Reservation History )

भारत मे, आरक्षण की प्रथा सदियों पुरानी थी . कभी किसी रूप मे तो, कभी किसी रूप मे, दलितों का शोषण होता है. दलित वर्ग के लोगो को, कभी सम्मान नही देना उनका अपमान करना . उन्हें आजादी से, उठने बैठने तक की स्वतंत्रता नही थी . इसके लिये डॉ भीमराव अम्बेडकर ने, सबसे पहले दलितों के लिये आवाज उठाई और उनके हक़ की लड़ाई लड़ी, तथा उनके लिये कानून बनाने की मांग की, व उनके लिये कानून बनाये गये. ऐतिहासिक तथ्यों और पुरातात्विक स्त्रोतों के माध्यम से, पता चलता है भारत से, आरक्षण का सम्बन्ध बहुत ही पुराना है . बस फर्क सिर्फ इतना है कि, समय के साथ इसके रूप बदलते गये. आखिर ये आरक्षण था क्या, और कहा से इसकी उपज हुई इसके मुख्य आधार क्या थे . क्या यह सिर्फ जाति के आधार पर था ? ऐसे बहुत सारे प्रश्न है जिसे हर कोई जानना चाहता है.

पहले के समय मे धर्म, मूलवंश,जाति, व लिंग यह सभी मूल आधार थे आरक्षण के. हमने बहुत सी बाते , कहानी के रूप मे सुनी है कुछ तो देखी भी है, जैसे – प्राचीन प्रथाओ के अनुसार, पंडित का बेटा पंडित ही बनेगा , डॉक्टर का बेटा डॉक्टर ही बनेगा, और साहूकार का साहूकार ऐसी, प्रथा चली आ रही थी. यह निर्धारण जाति का, उस व्यक्ति के कुल के आधार पर था. ठीक उसी प्रकार, एक महिला वर्ग जिसे, सिर्फ पर्दा प्रथा का पालन करना पड़ता था वो, अपनी जिन्दगी खुल कर नही जी सकती थी , एक महिला हर चीज़ के लिये, किसी न किसी पर निर्भर हुआ करती थी. शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र मे, भी उच्च वर्ग का वर्चस्व फैलने लगा . इसका बहुत ही सामान्य उदहारण, हमारे घरों मे, कई बार देखने को मिलता है यदि कोई, कामवाली या नौकर भी रखा जाता है तो, रखने के पहले सबसे पहले उसकी जाति पुछी जाती है ,ऐसा क्यों ? क्या वह मनुष्य नही है ? क्या उन्हें , समानता व स्वतंत्रता का अधिकार नही है ? यह सभी आरक्षण का मूल आधार बने .

आरक्षण क्या है ? (What is Reservation System)

आरक्षण अपने अधिकारों कि, ऐसी लड़ाई थी जिसके लिये, आवाज उठानी जरुरी हो गई थी . पुराने समय से , विभाजित चार वर्गो मे से एक शुद्र वर्ग, तथा महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए, और भी ऐसे कई मुख्य आधार थे जिससे, कुछ लोग जो बहुत पिछड़ते जा रहा थे उन लोगो के लिये, आरक्षण एक सुरक्षाकवज था. आरक्षण एक तरीके से, विशेष अधिकार है उन लोगो के लिये, जिन पर शोषण हो रहा था . सभी को समानता व स्वतंत्रता से, जीवन जीने के लिये, आरक्षण की आवश्यकता पड़ी .

आरक्षण के उद्देश्य (Aim/ Objective of Reservation )

जब व्यक्ति को, अपने सामान्य अधिकार भी ना मिले तब, वह अपने विशेष अधिकारों का उपयोग करता है . आरक्षण का मुख्य उद्देश्य ही, सभी को सभी क्षेत्र मे, समानता का अधिकार दिलाना है . किसी भी रूप से, किसी के अधिकारों का हनन ना होने पाये . और कोई अपने अधिकारों का दुरुपयोग भी ना करे, यह आरक्षण का मुख्य आधार है.


आरक्षण के प्रकार (Type of Reservation)

प्राचीन समय से, आज तक आरक्षण के कई रूप देखने को मिले है पर उनमे से, मुख्य इस प्रकार है –

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  1. जाति के आधार पर आरक्षण
  2. माहिलाओ के लिये आरक्षण
  3. शिक्षा के क्षेत्र मे आरक्षण
  4. धर्म के आधार पर आरक्षण
  5. आरक्षण के अन्य आधार

जाति के आधार पर आरक्षण (Cast Reservation)–

हर व्यक्ति अपने जन्म के साथ, वंशानुसार जाति मे विभक्त होता है . जाति के आधार पर आरक्षण की जरुरत, दलित वर्गों की वजह से पड़ी थी. दलितों को सुरक्षित रखने और उन्हें, पर्याप्त आधिकार दिलाने के लिये, आरक्षण बहुत आवश्यक था .

  • पूर्व की स्थति
  • वर्तमान की स्थति
  • कानून
  • केस

पूर्व की स्थति – प्राचीन समय मे, एक व्यवहार निभाने के मामले मे , एक पद्धति चलती थी . जिसका उल्लेख वेदों मे भी हुआ है जिसके अनुसार, चतुर्वर्ण प्रणाली हुआ करती थी जिसमे, वेदों के अनुसार चार श्रेणियों मे, जातियों को विभक्त किया गया था जो, क्रमशः ब्राह्मण (पादरी/पंडित), क्षत्रिय (राजा), वैश्य (व्यापारी/जमीन मालिक) व शुद्र (सभी काम करने वाले) होते थे . प्रथम तीन जातिया तो, पूरे सम्मान और अधिकार के साथ अपना जीवन व्यतीत करते थे परन्तु, शुद्र जाति के लोग, बंधुआ मजदूरो की तरह अपना जीवन व्यतीत करते थे. किसी तरह के कोई अधिकार नही थे, नौकरी के नाम पर सिर्फ मैला साफ करना, पशुओ को साफ करना, खेत की सफाई जैसे काम हुआ करते थे . इन्ही कामो के साथ व्यक्ति को , अपना जीवन व्यतीत करना पड़ता था और यही काम वंशानुगत चलता था. शुद्र जाति के लोगो को जमीन खरीदने , उच्च शिक्षा प्राप्त करने, व्यापार-व्यवसाय करने के कोई अधिकार प्राप्त नही थे . बहुत ही दयनीय स्थति थी निम्न जाति के लोगो की .

वर्तमान की स्थति – सभी परिस्थियों को देखते हुए, दलितों के लिये कानून बनाये गये, और धीरे-धीरे करके उन्हें भी, सामान्य लोगो जैसे अधिकार प्रदान किये गये . और उच्च-नीच की भावनाओं को , लोगो के मन से दूर किया गया . इसलिये हर वर्ग को उसकी आबादी के अनुसार आरक्षण दिया और समय-समय पर उसमे बदलाव किये . जिनमे अलग-अलग जाति के, उनकी जनसंख्या और समय की मांग के अनुसार, प्रतिशत निर्धारित किये गये.

aarakshan

कानून – भारतीय संविधान मे, अनुछेद चौदह,पंद्रह, लागू होते है .

प्रमुख वाद –

वाद क्रप्रमुख वाद (भारतीय संविधान के अनुसार)
1.इ.पी. रोयप्पा बनाम तमिलनाडु राज्य
2.वलसम्मा पाल बनाम कोचीन विश्वविद्यालय
3.आरती बनाम जम्मू एंड कश्मीर

 माहिलाओ के लिये आरक्षण (female Reservation)–

माहिलाओ के लिये आरक्षण की जरुरत इसलिये पड़ी क्योंकि , महिला चाहे वह किसी भी वर्ग की क्यों ना हो, उसे पुराने रित-रिवाजो के अनुसार, पर्दा प्रथा मे ही रहना पड़ता था . माहिलाओ को खुल कर, जीवन जीने की आजादी नही थी . हर जगह एक बंधन हुआ करता था, जिसके चलते माहिलाओ का बहुत शोषण हुआ .

  • पूर्व की स्थति
  • वर्तमान की स्थति
  • कानून
  • केस

पूर्व की स्थति – पुराने समय मे , सती प्रथा , पर्दा प्रथा, बाल विवाह, स्त्रियों को मरना, बुरा व्यवहार करना, दहेज प्रथा के चलते स्त्रियों को जला देते थे . इन्ही अत्याचारों के चलते , सुरक्षा की द्रष्टि से आरक्षण की मांग बड़ी और बहुत लंबी लड़ाई, आरक्षण के लिये माहिलाओ को लड़नी पड़ी .

वर्तमान की स्थति – माहिलाओ के समबन्ध मे, संविधान के 108 वाँ संशोधन 2014 को , पारित हुआ . जिसमे माहिलाओ को, तेतीस प्रतिशत तक आरक्षण दिया जायेगा . उसके बाद से माहिलाओ के हित मे, कई नये कानून बने ख़ासतौर पर वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बेटी बचाओ,बेटी पढाओ” जैसे अभियान शुरू कर माहिलाओ को, प्रोत्साहित किया है . हाल ही मे 5 मार्च 2016 को, एक विधेयक को मंजूरी दी जिसमे, विधानसभाओ व संसद मे एक तिहाई सीट माहिलाओ के लिये आरक्षित की गई .

कानून – भारतीय संविधान मे, अनुछेद चौदह,पंद्रह, लागू होते है .

प्रमुख वाद –

वाद क्रप्रमुख वाद (भारतीय संविधान के अनुसार)
1.प्रगति वर्गीज बनाम सिरीज जार्ज वर्गीज
2.मेनका गाँधी बनाम भारत संघ
3.एयर इंडिया बनाम नरगिस मिर्जा

शिक्षा के क्षेत्र मे आरक्षण – शिक्षा आज का और आने वाले भविष्य का सबसे महत्वपूर्ण विषय है . जिस प्रकार का भेद-भाव प्राचीन समय मे चलता था उसको देखते हुए शिक्षा मे आरक्षण की व्यवस्था की गई है .

  • पूर्व की स्थति
  • वर्तमान की स्थति
  • कानून
  • केस

पूर्व की स्थति पहले के समय मे सभी को शिक्षा के पर्याप्त अधिकार प्राप्त नही थे और जाति, लिंग, जन्मस्थान, धर्म के आधार पर शिक्षा के क्षेत्र मे भी भेद भाव होता था .

वर्तमान की स्थति देश की उन्नति के लिये शिक्षा को बढावा देने की बहुत ज्यादा आवश्यकता थी . जिसके लिये सभी को समान शिक्षा के अधिकार देने की जरुरत थी . इसलिये संविधान मे अलग से प्रावधान किया गया .

कानून – भारतीय संविधान मे, अनुछेद चौदह,पंद्रह व मुख्य रूप से 21(क) लागू होते है .

प्रमुख वाद –

वाद क्र               प्रमुख वाद (भारतीय संविधान के अनुसार)
1.बिहार राज्य बनाम बिहार राज्य प्रवक्ता संघ
2.दी हिन्दुस्तान टाइम्स का वाद
3.मधु किश्वर बनाम बिहार राज्य

धर्म के आधार पर आरक्षण – भारत मे अनेक धर्मो को मानने वाले लोग निवास करते है . और हर दिन कोई ना कोई अपने धर्म को बढावा देने के लिये आरक्षण की मांग करता है जबकि ऐसा संभव नही है . परन्तु फिर भी बढती मांग के अनुसार आरक्षण देना जरुरी हो जाता है .

  • पूर्व की स्थति
  • वर्तमान की स्थति
  • कानून
  • केस

पूर्व की स्थति एक समय था जब धर्म भी उच्च कुल के व्यक्ति ने खरीद सा लिया था . शुद्र जाति के लोगो को बहुत पाबन्दी थी, वह धार्मिक स्थलों पर नही जा सकते थे . इसके अलावा अन्य धर्म के लोग जैसे – ईसाई, मुस्लिम, जैन , व अन्य धर्म जिसकी जनसंख्या भी नही के बराबर होने पर भी, धर्म को मानने वाले नही होते थे, उस धर्म की सुरक्षा के लिये भी आरक्षण बहुत जरुरी था .

वर्तमान की स्थति – सभी स्थितियों को देखते हुए, जरुरत के अनुसार, अपने – अपने धर्म के लोगो ने मांग की, और उनके अधिकारों के लिये, संविधान मे अलग से कानून भी बना.

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यह तीन ऐसे राज्य है जहा, जहा कुछ समय पूर्व ही . मुस्लिम वर्गों के लिये, निश्चित प्रतिशत मे आरक्षण घोषित किया है .

कानून – भारतीय संविधान मे, अनुछेद चौदह,पंद्रह व सोलह लागू होते है .

प्रमुख वाद –

वाद क्र               प्रमुख वाद (भारतीय संविधान के अनुसार)
1.नैनसुख बनाम स्टेट ऑफ़ यू.पी.
2.डी.पी. जोशी बनाम मध्यप्रदेश राज्य

आरक्षण के अन्य आधार –

अनेको ऐसे आधार जिनके लिये आरक्षण बहुत जरुरी है .

  • पूर्व की स्थति
  • वर्तमान की स्थति
  • कानून
  • केस

पूर्व की स्थति आरक्षण के बारे मे तो, कभी पहले सोचा भी नही जाता था. अर्थ समझने मे, कई वर्ष लग गये लोगो को, और जिनको समझ थी उनकी सुनी नही गई . कई क्षेत्र मे, आज तक लोगो का शोषण हो रहा परन्तु, अकेली आवाज दबा दी जाती है. जैसे –

  • नौकरी मे आरक्षण, जाति के अनुसार नही बल्कि जरुरत के अनुसार दे .
  • विकलांगता को महत्व दे कर, आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाना .
  • सरकारी सेवाओ के, सेवानिवृत्त या कर्मचारी की मृत्यु के बाद, परिवार वालो को आरक्षण.

वर्तमान की स्थति बदलाव तो हो रहे है पर, उसके लिये एकजुट होकर आवाज उठाई तो ठीक, अन्यथा वह दबा दी जाती है . फिर भी कुछ क्षेत्र मे परिवर्तन हुए है .

कानून – भारतीय संविधान मे, अनुछेद चौदह,पंद्रह व सोलह, उन्नीस व तीन सौ पैतीस लागू होते है .

आरक्षण का प्रभाव

आरक्षण के लाभ (Reservation System Benefits)–

  • सभी को समान अधिकार मिले .
  • किसी के साथ भी उच्च-नीच का भेद-भाव ना होने पाये .
  • स्वतंत्रता से जीने के पर्याप्त अधिकार प्राप्त हुये .

आरक्षण की हानि नुकसान (Reservation System Drawbacks)–

  • आरक्षण जातिवाद में भेदभाव उत्पन्न करता है।
  • यह अंतर जाति विवाह को बाधा का रूप प्रदान करता है।
  • यह योग्य मनुष्य के योगिता को प्रभावित करता है।
  • इसकी वजह से नामांकित छात्र और श्रमिकों की गुणवत्ता पर भारी असर देखा जाता है।
  • यह समाज में जाति आधारित धारणा को खत्म करने के बजाए इसे प्रचारित करने का कार्य करता है।
  • अगड़ी जाति के गरीब लोगों को पिछड़ी जाति के अमीर होने का भी इस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता हैं।
  • आरक्षण खास करके पिछड़ी जातियों को लाभान्वित करता है।
  • आरक्षण की वजह से नौकरी प्राप्त करने में भी योग्य व्यक्ति को समस्याएं होती हैं।
  • आज के समय में आरक्षण हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या में से एक है।

निष्कर्ष

आरक्षण वर्तमान की वह जरूरत है जिसे जाति, धर्म और, लिंग तक ही सीमित नही किया जा सकता . आज आर्थिक वृद्धि भी, बहुत बड़ा आधार है, आरक्षण का . एक समय था जब पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को इसकी बहुत जरुरत थी पर , आज हर जगह इनका वर्चस्व फैल गया है जिससे, सामान्य जाति के ऐसे लोग जो कि, आर्थिक रूप से पिछड़ गये उनको बहुत आवश्यकता है आरक्षण की . तो समय के साथ जाति, लिंग, धर्म के अलावा आर्थिक परिस्थिति व योग्यता को भी ध्यान मे रख कर, आरक्षण का निर्धारण करे . जिससे सभी की समस्या का समान रूप से, हल निकले और आरक्षण का सही मायने मे, सभी को लाभ मिल सके .

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Priyanka
प्रियंका खंडेलवाल मध्यप्रदेश के एक छोटे शहर की रहने वाली हैं . यह एक एडवोकेट हैं और जीएसटी में प्रेक्टिस कर रही हैं . इन्हें बैंकिंग, टेक्स्सेशन एवं फाइनेंस जैसे विषयों पर लिखना पसंद हैं ताकि उनका ज्ञान और अधिक बढ़ सके. उन्होंने दीपावली के लिए लिखना शुरू किया और इस तरह अपने ज्ञान को पाठकों तक पहुँचाने की कोशिश की.

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