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बैसाखी कब है 2024,महत्त्व त्यौहार पर निबंध | Baisakhi or Vaisakhi Festival History and Importance in Hindi

बैसाखी क्यों और कब मनाई जाती है, 2024 का महत्त्व व इतिहास, निबंध, किसका त्यौहार है, पर्व, किसे कहते हैं, कब होता है, पूर्णिमा (Baisakhi or Vaisakhi Festival Meaning, Essay, History, Importance and Significance in Hindi)

भारत त्योहारो का देश है, यहा कई धर्मो को मानने वाले लोग रहते है और सभी धर्मो के अपने अपने त्योहार है. इस प्रकार यहा साल भर मे हर दिन किसी न किसी धर्म को मानने वाले लोगो के लिए खास होता है. ठीक इसी प्रकार 13 अप्रैल का दिन सिख लोगो के लिए खास होता है. यह समय ही कुछ अलग ही होता है, खेतो मे रबी की फसल पक कर लहलहाती है, किसानो के मन मे फसलों को देखकर खुशी रहती है, तो वे अपनी इसी खुशी का इजहार इस त्योहार को मनाकर करते है.  वैसे इस त्योहार के मनाये जाने के कारण को लेकर कई अलग अलग मान्यताए है, इस दिन सूर्य मेष राशि मे प्रवेश करता है, यह भी त्योहार मनाये जाने का एक कारण है.

baisakhi

कहा जाता है कि सन 1699 मे इसी दिन सिक्खो के अंतिम गुरु, गुरु गोबिन्द सिह जी ने सिक्खो को खालसा के रूप मे संगठित किया था, तो यह भी इस दिन को खास बनाने का एक कारण है. इस त्योहार की तैयारी भी सबसे बड़े त्यौहार दीपावली की ही तरह कई दिनो पहले से शुरू हो जाती है, लोग घरो की सफाई करते है, आगन को रंगोली और लाइटिंग से सजाते है, घरो मे पकवान बनाते है. इस दिन पवित्र नदियो मे स्नान का अपना अलग महत्व है. सुबह के समय से ही स्नान आदि के बाद सिक्ख लोग गुरुद्वारे जाते है. इस दिन गुरुद्वारे मे गुरु ग्रंथ का पाठ किया जाता है, कीर्तन आदि करवाए जाते है. नदियो किनारे मेलो का आयोजन किया जाता है और इन मेलो मे काफी भीड़ भी उमड़ती है. पंजाबी लोग इस दिन अपनी खुशी को अपने विशेष नृत्य भांगड़ा के द्वारा भी व्यक्त करते है. बच्चे बुड़े महिलाए सभी डोल की आवाज मे मदमस्त हो जाते है और हर्षो उल्लास से नाचते गाते है .

बैसाखी कब है 2024, महत्त्व त्यौहार पर निबंध

इस त्योहार की कुछ खास बाते नीचे तालिका मे दर्शायी जा रही है:

त्योहार का नामवैसाखी
वैसाखी मनाने का समय13 अप्रैल
वैसाखी मनाने का प्रमुख स्थानपंजाब हरियाणा
वैसाखी का महत्वकिसानो का प्रमुख त्योहार, वे अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते है.
वैसाखी के दिन बनने वाले प्रमुख पकवानहलवा, पूड़ी, खीर और मक्के की रोटी सारसो का साग

बैसाखी क्यों मनाई जाती है व बैसाखी त्यौहार का इतिहास (Baisakhi or Vaisakhi festival History)

इस त्योहार को लेकर कई कथाये भी प्रचलित है हम यहा आपसे प्रमुख दो कथाये साझा कर रहे है :

  • सन 1699 की बात है, सिक्खो के गुरु, गुरु गोबिन्द सिह जी ने सभी सिक्खो को आमंत्रित किया. गुरु का आदेश पाते ही सभी धर्म को मानने वाले लोग आनंद पुर साहेब मैदान मे एकत्रित होने लगे. यहा गुरु के मन मे अपने शिष्यो की परीक्षा लेने की इच्छा उत्पन्न हुई . गुरु ने अपनी तलवार को कमान से निकालते हुये कहा कि मुझे सिर चाहिए, गुरु के ऐसे वचन सुनते ही सारे भक्त आश्चर्य मे पढ़ गए, परंतु इसी बीच लाहौर के रहने वाले दयाराम ने अपना सिर गुरु की शरण मे हाजिर किया. गुरु गोबिन्द सिह जी उसे अपने साथ अंदर ले गए और उसी समय अंदर से रक्त की धारा प्रवाहित होती दिखाई दी. वहा मौजूद सभी लोगो को लगा की दयाराम का सिर कलम कर दिया गया है. गुरु गोबिन्द सिह जी फिर पुनः बाहर आये और अपनी तलवार दिखाते हुये कहने लगे मुझे सिर चाहिए. इस बार सहारनपुर के रहने वाले धर्मदास आगे आये, उन्हे भी गुरु द्वारा अंदर की ओर ले जाया गया और फिर खून की धारा बहती हुई दिखाई दी. इसी प्रकार और तीन लोगो को जगन्नाथ निवासी हिम्मत राय, द्वारका निवासी मोहक चंद, तथा बिदर निवासी साहिब चंद ने अपना सिर गुरु के शरण मे अर्पित किया. तीनों को भी क्रमश अंदर ले जाने के बाद खून की धारा बहती हुई दिखाई दी. सभी को लगा की इन पाचो लोगो की बली दी जा चुकी है, परंतु इतने मे ही गुरु इन पाचो लोगो के साथ बाहर आते हुये दिखाई दिये.  गुरु ने वहा उपस्थित लोगो को बताया कि इन पाचो की जगह अंदर पशु की बली दी गयी है, मै इन लोगो की परीक्षा ले रहा था और ये लोग इनकी इस परीक्षा मे सफल हुये है . गुरु ने इस प्रकार इन पाच लोगो को अपने पाच प्यादो के रूप मे परिचित कराया . तथा इन्हे अमृत का रसपान कराया और कहा कि आज से तुम लोग सिह कहलाओगे और उन्हे बाल और दाढ़ी बढ़े रखने के निर्देश दिये, और कहा कि वे लोग अपने बालो को सवारने के लिए कंघा अपने साथ रखे, आत्म रक्षा के लिए कृपाण रखे, कच्छा धारण करे, तथा हाथो मे कडा पहने. गुरु ने अपने शिष्यो को निर्बलों हाथ न उठाने के निर्देश दिये.  इसी घटना के बाद से ही गुरु गोबिन्द राय, गुरु गोबिन्द सिह कहलाये और सिख्को के नाम के साथ भी सिह शब्द जुड़ गया और यह दिन भी खास हो गया. 
  • इस त्योहार से जुड़ी दूसरी कथा महाभारत के पांडवो के समय की है. बताया जाता है कि जब अपने वनवास के समय पांडव पंजाब के कटराज ताल पहुचे, तो उन्हे बड़ी जोरों की प्यास लगी. अपनी प्यास को बुझाने युधिष्ठिर को छोड़कर चारो भाई जिस सरोवर के पास पहुचे, वहा के जल का पान उन्होने यक्ष के मना करने के बाद भी किया, परिणाम स्वरूप उन चारो की मृत्यु हो गयी. जब बहुत देर तक अपने भाइयो को वापस आता ना देख युधिष्ठिर को अपने भाइयो की चिंता हुई और वे उनकी तलाश मे निकल पड़े . जब युधिष्ठिर भी उस तालाब के पास पहुचकर पानी पीने के लिए आगे हुये तब यक्ष पुनः आए और युधिष्ठिर से कहने लगे की पहले मेरे प्रश्नो का उत्तर करे, फिर ही आप पानी पी सकते है. यक्ष प्रश्न करते गए और युधिष्टिर उत्तर देते गए यक्ष ने उनसे प्रसन्न हुये. उन्हे अपने भाइयो के मृत होने की बात बताई और कहा कि आपके भाइयो मे आप किसी एक को जीवित करवा सकते है. तब यीधिष्ठिर ने अपने भाई सहदेव को पुनर्जीवित करने की प्रर्थना की यक्ष ने आश्चर्य से पूछा, कि अपने सगे भाइयो को छोड़कर अपने सौतेले भाई को जीवित करवाने की मांग आपने क्यू की. तब युधिष्ठिर ने उत्तर मे कहा की, माता कुंती के 2 पुत्र जीवित रहे, इससे अच्छा होगा की माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित रहे, युधिष्ठिर की बात से यक्ष प्रसन्न हुये और उन्होने उनके चारो भाइयो को जीवन दान दिया. तब से ही इस दिन पवित्र नदी के किनारे विशाल मेला लगता है और जुलूस भी निकलता है और जुलूस मे पाच प्यादे नंगे पाव सबसे आगे चलते है और बैसाखी का त्योहार उत्साह से मनाया जाता है .

बैसाखी पर्व महत्त्व (Baisakhi or Vaisakhi Festival Importance)

बैसाखी का पर्व किसानो का प्रमुख त्योहार होता है, किसान इस दिन अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते है.

बैसाखी पर्व कब मनाया जाता है (Baisakhi Festival 2024 Date)

वैसे तो यह त्योहार पूरे भारत वर्ष मे मनाया जाता है, परंतु पंजाब और हरियाणा मे इस त्योहार की धूम कुछ और ही रहती है. यह पर्व हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है. हर साल मनाये जाने वाले इस त्योहार बैसाखी का सिक्खों मे विशेष महत्त्व है. आशा करते है कि आपकी बैसाखी शुभ और मंगलमय हो . पर्यावरण की इस मार के बाद भी आपकी फसले उन्नत हो. 

बैसाखी पर्व कैसे मनाते हैं (How to Celebrate Baisakhi)

दोस्तों बैसाखी पर्व को हर्षोल्लास से मनाने के लिए लगभग हर एक मोहल्ले शहर में मेले का आयोजन किया जाता है। वैशाखी का मेला का स्तर पर इसका जहां पर विशेष रूप से महत्व है, वहां पर लगाया जाता है। वैशाखी पर्व का मेला नदी, नहर, तालाब या फिर मंदिरों के किनारे लगाया जाता है। बैसाखी पर्व के 1 दिन पहले ही इसके लिए एक मुख्य रूप से बाजार लगाई जाती है और इस बाजार में लोगों की आवश्यकता के सभी चीजें बिकती है। बैसाखी पर्व के मेले में तरह-तरह की दुकानें सहित एवं बड़े-बड़े झूले भी लोगों के मनोरंजन के लिए लगाए जाते है। कुल मिलाकर इस पावन पर्व को लोग बहुत ही हंसी खुशी से मनाते हैं और एक दूसरे को गले लगाकर सारे पुराने गिले-शिकवे भूल जाते हैं।

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FAQ

Q : बैसाखी कब है 2024

Ans : 13 अप्रैल

Q : बैसाखी का त्यौहार कहां मनाया जाता है ?

Ans : पंजाब एवं हरियाणा में

Q : बैसाखी के दिन क्या पकवान बनते हैं ?

Ans : हलवा, पुड़ी, मक्के की रोटी एवं सरसों का साग

Q : बैसाखी का त्यौहार कौन से धर्म के लोग मनाते हैं ?

Ans : ज्यादातर सिख धर्म के लोग

Q : बैसाखी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है ?

Ans : मेले लगाये जाते हैं, जिसमें कई दुकानें, झूले एवं अन्य बहुत सारी चीजें होती है.

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Sneha
स्नेहा ने पुणे से एमबीए किया हुआ है. दैनिक भास्कर में कुछ समय काम करने के बाद इन्होने दीपावली के लिए फाइनेंस से जुड़े अलग-अलग विषय में लिखना शुरू किया. इसके अलावा इन्हें देश दुनिया के बारे नयी-नयी जानकारी लिखना पसंद है.

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