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कांटेक्टलेस पेमेंट सिस्टम | Contactless Payment system in hindi

कांटेक्टलेस पेमेंट सिस्टम Contactless payment system in hindi 

कांटेक्टलेस पेमेंट एक तरह से क्रेडिट और डेबिट कार्ड की तरह काम करता है, जिसमे रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आर एफ आई डी) का इस्तेमाल होता है. यह तकनीक विद्युत चुम्बक की सहायता से काम करती है, जिसमे कार्ड के ऊपर दिये गये टैग ख़ुद में ग्राहकों की कई तरह की आवश्यक जानकारियां जब्त करके रखते हैं. ये कई हद तक मोबाइल पेमेंट से भिन्न है. ये तकनीक फिलहाल बहुत कम क्षेत्र में आ पाई है. ईवीएम नामक एक कांटेक्टलेस पेमेंट कार्ड है, जो एटीएम में भी काम करता है. ग्राहकों के सभी आवश्यक विवरण इस कार्ड में दिए गये मैग्नेटिक स्ट्रिप में दिये हुए रहते हैं.

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कांटेक्टलेस पेमेंट सिस्टम

Contactless payment system in hindi

कांटेक्टलेस पेमेंट का इतिहास (Contactless payment history)

मोबिल इस तकनीक को इस्तेमाल करने वाली सबसे पहली कंपनी थी. इस तकनीक के इस्तेमाल से उन्होंने स्पीडपास कांटेक्टलेस पेमेंट सिस्टम इजाद किया, जिसका प्रयोग शहर के विभिन्न मोबिल गैस स्टेशन पर होता था. उस समय मोबिल कंपनी एक्सान नामक एक कंपनी के साथ काम कर रही थी. इस वजह से इस तकनीक का इस्तेमाल एक्सानमोबिल के स्टेशन पर भी हुआ. फ्रीडम पे भी इस रेस में शामिल था और बहुत कम समय में इस कंपनी ने भी कांटेक्टलेस पेमेंट का इस्तेमाल किया. इसके बाद बैंक ऑफ़ अमेरिका और मैक डोनल्ड ने भी इस तक्नीक का प्रयोग अपने ग्राहकों के लिए किया.

इसके बाद केऍफ़सी, बर्गर किंग, बूट्स, इट, हेरॉन फ़ूड, प्रेट ए मांगेर, स्टेज कोच ग्रुप, सबवे, एटीएम कॉफ़ी आदि ने भी अपने ग्राहकों की सेवा में इस तकनीक का प्रयोग किया. मार्च 2008 में इट वो पहला रेस्टोरेंट हुआ, जिसने अपने ग्राहकों के लिए ये सेवा उपलब्ध कराई.

इस समय कई बड़ी आर्थिक संस्थाएं इस सुविधा को अपने ग्राहकों के लिए लागू कर रही है. इन संस्थाओं में मास्टर कार्ड, सिटी बैंक, जेपी मॉर्गन चेस, अमेरिकन एक्सप्रेस, की बैंक, बार्कलेज, बर्कले कार्ड, एचएसबीसी बैंक, लोयड्स बैंकिंग ग्रुप, फ्रीडम पे, द को- ऑपरेटिव बैंक, आदि बड़े अंतर्राष्ट्रीय बैंक इस सुविधा को देते है.

कांटेक्टलेस डेबिट कार्ड अवलोकन (Contactless debit card)

एक सर्वे के तहत ये पता चला है कि भारत में कम से कम 60 प्रतिशत लेन देन 2000 रूपए के नीचे का है. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार 2000 रूपए के नीचे की लेन देन के लिए पिन की खास ज़रुरत नहीं है. इस तथ्य को समझते हुए भारत के कई बैंकों ने कांटेक्टलेस पेमेंट की सुविधा को अपनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए ये बैंक कांटेक्टलेस डेबिट कार्ड की सुविधा देते हैं.

कांटेक्टलेस डेबिट कार्ड कैसे काम करता है (How to contactless cards work)

कांटेक्टलेस डेबिट कार्ड ‘नजदीकी फील्ड संचार’ की तकनीक के अनुसार काम करता है. ये टेक्नोलॉजी एक विशेष तरंग दैर्ध्य प्रसारण के अधीन काम करती है, जिसमे कार्ड को पीओएस टर्मिनल के पास रख कर काम किया जाता है, तो इसे इस्तेमाल करने वाले ग्राहक कार्ड को स्वैप करने के बजाये सिर्फ कार्ड को पीओएस टर्मिनल के पास रख कर भुगतान राशी जमा कर सकते हैं. इस तरह उन्हें इसमें पिन का भी इस्तेमाल नहीं करना होता है.

कांटेक्टलेस डेबिट कार्ड की फ्लोर लिमिट (Contactless debit card Floor limit)

क्योंकि इसके इस्तेमाल में ग्राहक को अपने कार्ड का पिन नहीं देना पड़ता है, इस वजह से इस कार्ड का इस्तेमाल एक निश्चित राशि तक के लेन देन के लिये किया जा सकता है. इस निश्चित सीमा को फ्लोर लिमिट कहते है. विभिन्न देशों में विभिन्न सीमायें तय की गयी हैं. जैसे ऑस्ट्रेलिया में सौ डॉलर के ऊपर के लिए पिन का इस्तेमाल करना पड़ता है, चीन, ऑस्ट्रिया, कनाडा आदि देशों में कोई ख़ास लिमिट तय नहीं है. मलेसिया में पचास डॉलर से ऊपर पिन की ज़रुरत होती है.

कांटेक्टलेस पेमेंट से सुरक्षा (Contactless payment security)                    

पेमेंट के अन्य तरीक़ों की तरह कांटेक्टलेस पेमेंट में भी कई सुरक्षा वैशिष्ट्य हैं. आर्थिर स्तर के मद्देनज़र कुछ कांटेक्टलेस कार्ड ऐसे होते हैं जिसमे राशि भुगतान की सीमा निश्चित होती है, वहीँ कुछ कार्ड ऐसे होते है जिका इस्तेमाल एक निश्चित संख्या तक ही किया जा सकता है. इसके बाद पिन संख्या देने की ज़रूरत पड़ जाती है. कांटेक्टलेस डेबिट और क्रेडिट कार्ड पुराने तरीके से ही चिप और पिन संख्या का प्रयोग करता है. साथ ही कई धोखेधड़ी वाले ऑफर से भी ग्राहक को बचाता है. इसमें एक विशेष तरह से इस बात कि जांच बैंक स्वयं करता है कि उसके द्वारा भेजा गया कार्ड सही ग्राहक तक पहुँचा है या नहीं. कार्ड में कार्ड के मालिक का नाम नही दिया होता है, बल्कि एक “प्लेस होल्डर” के नाम का इस्तेमाल होता है.

कांटेक्टलेस कार्ड का इस्तेमाल क्यों करें? (Why use contactless payment)  

  • सबसे पहली बात कि कांटेक्टलेस कार्ड बहुत तेजी से काम करता है. यह किसी अन्य तरह से होने वाले कैश लेन देन की तुलना में 63 प्रतिशत और किसी नार्मल कार्ड की तुलना में 53 प्रतिशत तेज काम करता है.
  • कांटेक्टलेस के तेज़ काम करने की वजह से कई ग्राहक इसका इस्तेमाल खरीददारी आदि के लिए करते हैं. इस तरह से ग्राहकों की संख्या शॉपिंग मॉल के लिए बहुत अधिक बढ़ जाती है.
  • इसमें एक जटिल चिप टेक्नोलॉजी का प्रयोग होता है, जिस वजह से इससे होने वाले लेन देन अन्य माध्यमों की तुलना में बहुत हद तक सुरक्षित रहते हैं.
  • लेन- देन के समय कार्ड को खोने की संभावना बहुत कम होती है, क्योंकि इस दौरान कार्ड ग्राहक के हाथ में ही रहता है.
  • कांटेक्टलेस कार्ड की सुविधा भारत में लगभग दस लाख व्यापारी अपने ग्राहकों के लिए इस्तेमाल करते हैं.

कांटेक्टलेस कार्ड के इस्तेमाल के लाभ (Benefits of contactless card)

  • ये साधारण डेबिट कार्ड से दोगुना तेजी से काम करता है. इस वजह से इसके इसकी सहायता से ट्रांजक्शन करते समय किसी तरह की धोखाधड़ी का डर नहीं रहता.
  • रिटेल में इसके इस्तेमाल के कई अहम् फायदे हैं जिसमे सबसे मुख्य ये है कि ग्राहक को खुरदे के की आवश्यकता नहीं होती.
  • तात्कालिक समय में वीसा और मास्टर कार्ड दोनों ही कांटेक्टलेस कार्ड मुहैया करवा रहे हैं.
  • वीसा की तरफ से ‘वीसा पे वेव’ और मास्टर कार्ड की तरफ से ‘मास्टर कार्ड कांटेक्टलेस’ मिलता है.
  • आईसीआईसीआई और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया इसे अपने ग्राहकों के लिए कई दिनों से प्रयोग कर रही है. कांटेक्टलेस डेबिट कार्ड साधारण वीसा और मास्टर कार्ड की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है.         

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Ankita
अंकिता दीपावली की डिजाईन, डेवलपमेंट और आर्टिकल के सर्च इंजन की विशेषग्य है| ये इस साईट की एडमिन है| इनको वेबसाइट ऑप्टिमाइज़ और कभी कभी आर्टिकल लिखना पसंद है|

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