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स्वतंत्रता दिवस के महत्व पर निबंध, शायरी, भाषण 2024 |Swatantrata Diwas Essay, Speech, Shayari in Hindi

स्वतंत्रता दिवस शायरी, कविता, भाषण, निबंध [Swatantrata Diwas, Speech (Bhashan), Shayari, Essay in Hindi]

आज क्यूँ देश भक्ति राष्ट्र के दो पर्वो में सिमट कर रही गयी हैं ? ऐसे तो कोई देश के लिए नही सोचता बस अगस्त और जनवरी में ही क्यूँ खून उबलता हैं. हम सभी को इस पर विचार करना चाहिए. आज स्वतंत्रता के लिए नहीं अपितु देश के भीतर आतंकवाद एवम भ्रष्ट्राचार के लिए लड़ना हैं और मुखोटा पहने अपनों के खिलाफ लड़ना हैं. यह लड़ाई और भी ज्यादा गंभीर हैं क्यूंकि इसमें कौन अपना हैं कौन पराया यह समझना मुश्किल हैं.आज की सदी में देश को देशभक्त की ज्यादा जरुरत हैं क्यूंकि आज दुश्मन अंग्रेज नहीं, नाही सीमा पर इतना खतरा हैं जितना भ्रष्ट्राचारियों से देश को हैं.आज सिपाही को नहीं आम नागरिक को देश की हिफाजत करनी हैं.

Swatantrata Divas Hindi Shayari

स्वतंत्रता दिवस निबंध, भाषण, शायरी, कविता

दिवस स्वतंत्रता दिवस
तिथी 15 अगस्त 1947
प्रतिवर्ष कब मनाया जाता हैं 15 अगस्त
प्रकार राष्ट्रीय पर्व
पहली बार कब मनाया गया 1930
2024 में आजादी वर्ष 78

साल 2024 में स्वतंत्रता दिवस

इस साल हम अपना 78 वां आजादी दिवस मनाने जा रहे हैं और इस वर्ष यह दिन बुधवार के दिन आ रहा है. साथ में ही इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  ने अपने भाषण के विषय को लेकर लोगों से सुझाव भी मांगे हैं और उन्होंने लोगों से कहा है कि वो उन्हें बताए कि वो इस दिन दिल्ली के लाल किले से किस विषय पर भाषण दें. पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिए लोगों से उनके ये सुझाव मांगे हैं और लोगों द्वारा उन्हें कई विषयों के सुझाव भी दिए जा रहे हैं.

स्वतंत्रता दिवस 2024 मुख्य अतिथि (Chief Guest)

हर साल स्वतंत्रता दिवस के दिन हमारी सरकार द्वारा अन्य देश से किसी ना किसी व्यक्ति को बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर निमंत्रण दिया जाता है. हालांकि इस साल इस दिवस पर सरकार द्वारा किसी भी व्यक्ति को मुख्य अतिथि के तौर पर नहीं बुलाया गया है.  

राष्ट्रीय गान जागरूकता अभियान

स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय गान जागरूकता अभियान भी शुरू किया जाएगा और इस अभियान के जरिए लोगों को बताया जाएगा, कि वो किस तरह से हमारे देश का राष्ट्रीय गान गाएं. क्योंकि हमारे देश में अभी भी कई ऐसे लोग हैं जिन्हें राष्ट्रीय गान के शब्द सही से बोलना नहीं आते हैं. ये अभियान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े के नेतृत्व में शुरू होगा.

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

भारत के इतिहास का महत्वपूर्ण और गौरवशाली दिन 15 अगस्त 1947। 15 अगस्त 2024 को भारत देश की स्वतंत्रता को पूरे 78 साल पूरे हो जाएंगे। इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा गया एक ऐसा दिन जिस दिन भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने सब कुछ न्योछावर कर देने के बाद स्वतंत्रता का स्वाद चखा था। भारत के इतिहास का एक ऐसा दिन जब पहली बार देश में प्रधानमंत्री का चुनाव करके पंडित जवाहरलाल नेहरू को देश का प्रधानमंत्री घोषित कर सम्मानित किया गया था। भारत देश और देश की राजधानी के लिए ऐसा ऐतिहासिक दिन जब पहली बार दिल्ली में लाल किले पर स्वतंत्रता का तिरंगा झंडा लहराया गया था। भारतीय लोग आज भी प्रत्येक वर्ष इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाते है।

प्रस्तावना

ब्रिटिश साम्राज्य की जो काले बादल भारत पर छाये हुये थे, उसे 15 अगस्त 1947 को देश के वीर जवानों ने साफ कर दिया। देश की आजादी के रूप में इस दिन को आज भी अवकाश के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद से ही इस दिन का नाम स्वतंत्रता दिवस रख दिया गया। आज भी प्रत्येक वर्ष इस दिन उन महान वीर जवानों को महान आत्माओं को पूरे देश वासियों की तरफ से नमन किया जाता है और श्रद्धांजलि दी जाती है। भारत देश जिन वीर सेनानियों के नेतृत्व में आजाद हुआ आज भी उन्हें प्रत्येक भारतवासी सम्मान की दृष्टि से देखता है और अपने अपने अंदाज में उनको नमन करते हुए 15 अगस्त के दिन को मनाता है।

भारतीय स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

प्रारंभ में जब भारत बहुत ही पिछड़ा हुआ देश था तब 400 वर्ष पहले ईस्ट इंडिया कंपनी जो अंग्रेजों द्वारा बनाई गई थी, भारत में व्यापार करने के लिए आई। उन दिनों पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत देश से अलग नहीं था। भारत देश पिछड़ा होने के साथ-साथ बहुत गरीब भी था जिसके चलते अंग्रेजों ने अपना व्यापार यहां पर शुरू किया और गरीबों को मजदूर बनाना शुरु कर दिया। गरीबों पर अत्याचार करना धीरे-धीरे उनकी आदत बन गई और उनका फायदा उठाकर उन्हें पैसा उधार देकर उन्हें कर्ज में दबा दिया करते थे। बेचारे गरीब लोग उनसे पैसा देने के बाद जब पैसा चुका नहीं पाते थे, तो अंग्रेजों के गुलाम बनते चले गए। देश में बहुत से राजा थे उस समय उनकी भी अंग्रेजों ने धन दौलत से मदद की और उनको अपने अधीन कर लिया कुछ राजा जिन्होंने अधीन होने से मना कर दिया उन पर आक्रमण करके उन राजाओं को अपने अधीन करते चले गए। कुछ समय के अंतराल में ही पूरे भारत पर अंग्रेजों ने अपना नियंत्रण जमा लिया।

भारतीयों पर अत्याचार

भारत पर नियंत्रण जमाने के बाद धीरे-धीरे उनका रवैया और ज्यादा सख्त होता गया। भारत के गरीब लोगों पर बेवजह अत्याचार करना, उनसे कर वसूलना, उनके खेतों पर कब्जा कर लेना अनाजों को हत्या लेना और भारतीय लोग भूख से तड़प कर मरने लगे। अंग्रेजों के अत्याचार का विरोध जब भी कोई करता तो उन पर गोलियां चला दी जाती थी। जलियांवाला बाग में जो कांड हुआ था वह आज भी गवाह है कि किस तरह अंग्रेजों ने भारतीय लोगों पर जुल्म ढाया था।

अंग्रेजो के खिलाफ भारतीयों का गुस्सा

जैसे जैसे अत्याचार बढ़ते गए वैसे वैसे अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय लोगों के दिलों में भी गुस्सा और बदले की भावना बढ़ती चली गई। विरोध और गुस्से की उस भावना ने पहली बार 1857 में मंगल पांडे के रूप में जन्म लिया जब मंगल पांडे ने विद्रोह कर अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई। अंग्रेजो के खिलाफ उठे उस विद्रोह को अंग्रेजों ने तुरंत मार दिया जिससे भारतीय लोगों में अंग्रेजों के प्रति कई गुना गुस्सा बढ़ गया और नए-नए आंदोलनों ने जन्म लेना शुरू कर दिया।

आजादी की मांग

अब भारतीय लोग भारत के लोगों पर अत्याचार सहन नहीं कर पा रहे थे उनका गुस्सा अब सिर्फ आजादी चाहता था। मंगल पांडे के विरोध के बाद धीरे-धीरे देश के विभिन्न स्थानों पर विरोध की आवाज उठती चली गई, और अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ देश में विद्रोह बढ़ता चला गया।

स्वतंत्रता के लिए स्वतंत्रता सेनानियों का महत्वपूर्ण योगदान

देश में विद्रोह की आग कुछ इस तरह फैल गई कि उस आग से भारत देश में बहुत बड़े-बड़े स्वतंत्रता सेनानियों ने जन्म ले लिया। स्वतंत्रता कि इस लड़ाई में महत्वपूर्ण और अतुल्य योगदान महात्मा गांधी ने निभाया। अंग्रेजों को भारत पर राज करते हुए लगभग 200 साल से भी ज्यादा का समय हो गया था, तब गांधीजी ने अपनी आवाज उठाई और सत्य और अहिंसा जैसे दो हथियारों को अपना साधन बना लिया। अहिंसा का नारा लगाते हुए गांधी जी ने देश के बहुत सारे देशवासियों को अपनी ओर कर लिया और अत्याचार के खिलाफ लड़ना सिखाया। गांधी जी की बातों का लोगों पर बहुत असर हुआ जिसके चलते देश के अधिकतम लोगों ने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया। लोगों के प्यार सम्मान और गांधीजी के प्रति भाव ने गांधी जी को बापू के नाम से मशहूर कर दिया।

कुछ अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का आजादी में योगदान

हालांकि बापू ने पूरे हिंदुस्तान को विरोध की आग से भड़का दिया था जिसकी वजह से स्वतंत्रता का संग्राम पूरे हिंदुस्तान में फैल गया। अब बाबू के पद चिन्हों पर चलने वाले और भी कई महान नेताओं ने देश में जन्म लिया जैसे जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक और अन्य बहुत से ऐसे स्वतंत्रता सेनानी अहिंसा की इस लड़ाई में उतर कर आए जिन्हें स्वतंत्रता सेनानी का खिताब दिया गया। अंग्रेजी हुकूमत को खत्म करने के लिए बिना लड़ाई के जितना गांधी जी ने काम किया, उतना ही कुछ ऐसे क्रांतिकारी ने भी लड़ाई करके अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए खुद को कुर्बान कर दिया जिनमें मुख्य क्रांतिकारियों के नाम आज भी याद किए जाते हैं जैसे मंगल पांडे, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह राजगुरु आदि। देश के महान क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों की मेहनत और लग्न रंग लाई, आखिरकार 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इसलिए प्रत्येक वर्ष बहुत इंतजार के बाद आए इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है।

आजादी का जश्न

15 अगस्त का दिन जैसे ही आता है सभी लोगों के दिलों में अपने आप देशभक्ति उमड़ पड़ती है, और देश भक्ति भरे गाने और फिल्मों को देखने का मन करता है। भले ही स्वतंत्रता की लड़ाई का हिस्सा आज के नौजवान नहीं बन पाए हो, लेकिन आज भी अपने देश को लेकर और उन सेनानियों को लेकर उनके दिल में वही प्रेम भाव और सम्मान जीवित है जो हर 15 अगस्त को हर जवान और बूढ़े की आंखों से जरूर झलकता है। टेलीविजन पर भी विभिन्न कार्यक्रम गीत संगीत प्रसारित किए जाते हैं जो भारत देश की स्वतंत्रता का महत्व समझाते हैं।

15 अगस्त 1947 का वह एक ऐसा दिन था जो यादगार होने के साथ-साथ बेहद भावुक कर देने वाला भी है। उस दिन पहली बार जवाहरलाल नेहरु जी ने जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जाने गए देश के नागरिकों को संबोधित किया और देश का गौरव भारतीय झंडा लहराया। इस प्रथा को 15 अगस्त 1947 को प्रारंभ किया गया था जिसे आज तक प्रत्येक प्रधानमंत्री द्वारा निभाया जाता है। दिन प्रतिदिन देशभक्ति वाले कार्यक्रम में बढ़ोतरी हुई है हर साल लाल किले पर झंडा रोहण के साथ-साथ परेड होती है और देश के गौरव को दर्शाया जाता है। देश के गौरव के साथ-साथ लाल किले पर बहुत सारे ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जो भारत देश की विभिन्न प्रकार की संस्कृति को दर्शाते हैं।

उपसंहार

भारत पूरी तरह से विविधताओं वाला देश है जहां पर करोड़ों लोग अलग-अलग धर्म विभिन्न परंपराओं और संस्कृति के होने के बावजूद भी एक साथ रहते हैं। भले ही वे अपने त्यौहार अलग-अलग मनाते हो लेकिन जब स्वतंत्रता दिवस की बात आती है तब पूरा भारत एक ही रंग में दिखाई देता है। भारतीय होने के नाते प्रत्येक भारतीय अपने आप पर गर्व करता है और उन्हें गर्व करना भी चाहिए. साथ ही यह वादा भी करना चाहिए कि अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हम हर मुश्किल से पूरी इमानदारी और श्रद्धा भाव के साथ टकराएंगे।

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें शायरी

लोकतंत्र हैं आ गया, अब छोड़ो निराशा के विचार को

बस अधिकार की बात ना सोचों, समझों कर्तव्य के भार को

भुला न पायेगा काल, प्रचंड एकता की आग को

शान से फैलाकर तिरंगा, बढ़ाएंगे देश की शान को

बीत जायेगा वक्त भले, पर मिटा ना पायेगा देश के मान को

ऐसी उड़ान भरेंगे, दुश्मन भी होगा मजबूर, ताली बजाने को

एकता ही संबल हैं, तोड़े झूठे अभिमान को

कंधे से कंधा मिलाकर, मजबूत करें आधार को

इंसानियत ही धर्म हैं, बस याद रखें, भारत माता के त्याग को

चंद पाखंडी को छोड़कर, प्रेम करें हर एक इंसान को

देश हैं हम सबका, बस समझे कर्तव्य के भार को

नव युग हैं आ गया, अब छोड़ो निराशा के विचार को

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कर जस्बे को बुलंद जवान
तेरे पीछे खड़ी आवाम
हर पत्ते को मार गिरायेंगे
जो हमसे देश बटवायेंगे

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भले हाथो में चूड़ी खनके

छन-छन करते पायल झुमके

पर देश की हैं हम प्रचंड नारी

वक्त पड़ने पर उठाएंगे तलवारे भारी

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जहाँ प्रेम की भाषा हैं सर्वोपरि

जहाँ धर्म की आशा हैं सर्वोपरि

ऐसा हैं मेरा देश हिन्दुस्तान

जहाँ देश भक्ति की भावना हैं सर्वोपरि

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तिरंगा हमारा हैं शान- ए-जिंदगी
वतन परस्ती हैं वफ़ा-ए-ज़मी
देश के लिए मर मिटना कुबूल हैं हमें
अखंड भारत के स्वपन का जूनून हैं हमें

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मोहब्बत का दूसरा नाम हैं मेरा देश
अनेको में एकता का प्रतिक हैं मेरा देश
चंद गैरों की सुनना मुझे गँवारा नहीं
हिन्दू हो या मुस्लिम सभी का प्यारा है मेरा देश

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दुश्मनी के लिए यह याद नहीं रहता
वतन मेरा दोस्ती पर कुर्बान हैं
नफरत पाले कोई उड़ान नहीं भरता

दिलों में चाहत ही मेरे वतन की शान हैं

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खु शनसीब हैं जो वतन पर कुर्बान हुये
जो तिरंगे में लिपट कर जिन्दगी से आजाद हुये
मर कर भी अमर हो गये वो
साधारण मनुष्य से शहीद की शहादत हो गये वो

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तन हैं मेरा सबसे महान
प्रेम सौहाद्र का दूजा नाम
वतन-ए-आबरू पर हैं सब कुर्बान
शांति का दूत हैं मेरा हिन्दुस्तान

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मोक्ष पाकर स्वर्ग में रखा क्या हैं

जीवन सुख तो मातृभूमि की धरा पर हैं 

तिरंगा कफ़न बन जाये इस जनम में

तो इससे बड़ा धर्म क्या हैं.

————

आजाद भारत के लाल हैं हम
आज शहीदों को सलाम करते हैं
युवा देश की शान हैं हम
अखंड भारत का संकल्प करते हैं

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कीमत करो शहीदों की
वो देश पर कुर्बान हुए
सिर्फ दो दिनों की मोहताज नहीं हैं देश भक्ति
नागरिको की एकता ही हैं देश की असल शक्ति

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ना हिन्दू बन कर देखो
ना मुस्लिम बन कर देखों
बेटों की इस लड़ाई में
दुःख भरी भारत माँ को देखो

————

धर्म ना हिन्दू का हैं ना ही मुस्लिम का
धर्म तो बस इंसानियत का हैं
ये भूख से बिलकते बच्चो से पूछों
सच क्या हैं झूठ क्या हैं
किसी मंदिर या मज्जित से नहीं
बेगुनाह बच्चे की मौत पर किसी माँ से पूछो
देश का सपूत बनाना हैं तो कर्तव्य को जानो
अधिकार की बात न करों देश के लिए जीवन न्यौछारों

आपके लिए स्वतंत्रता दिवस पर शायरी, कविता के साथ हिंदी में भाषण भी लिखा गया हैं. देश के प्रति प्रेम की भावना तो सभी में होती हैं लेकिन उसे शब्दों में बाँध पाने की कला सभी में नहीं होती इसलिये आपकी मदद करने के लिए मैंने अपने भीतर की देश भावना को इन शब्दों में सजाने की कोशिश की हैं जिससे आप सभी की मदद हो सके.

स्वतंत्रता दिवस पर भाषण 

स्वतंत्रता जो हमें हमारे पूर्वजों ने 15 अगस्त 1947 को दिलाई. एक ऐसी सुनहरी तारीख जिसके कारण हम आज आजाद भारत में सांस ले रहे हैं. इस आजादी के मोल में कई शहीदों ने अपनी जान चुकाई. तब जाकर हमें आजाद भारत की छत मिल पाई हैं.अब हमारा कर्तव्य हैं कि हम उन शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में भारत देश का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाये.

भारत भूमि माँ स्वरूप मानी जाती हैं. देशवासी भारत माता के बच्चे हैं. अपनी माँ के लिए कर्तव्य निभाने वाले शहीद ही माँ की सच्ची संताने हैं.शहीद के लिए जितना कहे कम हैं. एक ऐसा महान व्यक्ति जो अपने कर्तव्य के आगे अपनी जान तक को तुच्छ मानता हैं. उसके लिए शब्दों में कुछ कह पाना आसान नहीं.

पर हम सभी लोग जिन्हें जान देने का मौका नहीं मिलता या कहे हममे उतनी हिम्मत, ताकत नहीं हैं. हम भी देश के लिए कार्य कर सकते हैं. जरुरी नहीं जान देकर ही देशभक्ति का जस्बा दिखाया जाये. हमें अपने कर्तव्यों अधिकारों के प्रति सजक होना होगा उनका निर्वाह करना होगा. यह उन शहीदों, देश भक्तो एवम मातृभूमि के लिए हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

देश भक्ति प्राण न्यौछावर करके ही निभाई नहीं जाती. देश के लिए हर मायने में वफादार होना भी देश भक्ति हैं. देश की धरोहर की रक्षा करना, देश को स्वच्छ बनना, कानून का पालन करना, भ्रष्ट्राचार का विरोध करना, आपसी प्रेम से रहना आदि  यह सभी कार्य देशभक्ति के अंतर्गत ही आते हैं.

देश के लिए वफादार बनना ही सही मायने में देश की सेवा हैं. इससे देश भीतर से मजबूत होता हैं. देश में एकता बढती हैं और एकता ही देश की शक्ति होती हैं.

दो सो सालों की गुलामी के बाद देश आजाद हुआ था. 1947 में देश को आजादी एकता के कारण ही मिली थी लेकिन इस एकता में सदा के लिए दो गुट बन गए. वे दो गुट धर्म, साम्प्रदायिकता की देन नहीं अपितु अंग्रेजो की दी फुट की देन थी. और आज तक अंग्रेजो का दिया. वह घृणित तौहफा हमारे देश को कमजोर बना रहा हैं. यह घृणित फांसला हमारे देश के भीतर तो हैं ही साथ में भारत पाकिस्तान दोनों देशो के बीच भी आज तक गहरा हैं.

इस घृणा का मोल हम सभी को हर वक्त चुकाना पड़ता हैं. देश की आय का कई गुना खर्च सीमा पर देश की लड़ाई में व्यय होता हैं जिस कारण दोनों ही देशों के कई लाखों लोगो को रात्रि में बिना भोजन के सोना पड़ता हैं.आजादी के 69 सालों बाद भी दोनों देश गरीब हैं इसका कारण हैं आपसी फुट. जिसका फायदा उस वक्त भी तीसरे लोगो ने उठाया और आज भी उठा रहे हैं.

1947 के पहले 1857 में भी इसी तरह से क्रांति छिड़ी थी. देश में चारो तरह आजादी के लिए युद्ध चल रहे थे. उस वक्त राजा महाराजों का शासन था लेकिन वे सभी राजा अंग्रेजों के आधीन थे. 1857 का वक्त रानी लक्ष्मी बाई के नाम से जाना जाता हैं.उस वक्त भी अंग्रेजो की फुट एवम राजाओं के बीच सत्ता की लालसा के कारण देश आजाद नहीं हो पाया.

उसके जब हम मुगुलो और राजपूतों का वक्त देखे तब भी फुट ने ही देश को कमजोर बनाया. उस वक्त भी महाराणा प्रताप की हार का कारण फुट एवम राजाओं की सत्ता की भूख थी.

और आज हम जब निगाहे उठाकर देखते हैं. तब भी हमें यही दीखता हैं कि देश के नेताओं को बस सत्ता की भूख हैं.वो देश की जानता को साम्प्रदायिकता के जरिये तोड़ रहे हैं. और इसमें उन्हें बस सत्ता की भूख हैं.इन सभी में बदलाव लाने के लिए हम सभी को जागने की जरुरत हैं. यह लड़ाई इतनी आसानी से कम नहीं होगी. उल्टा दिन पर दिन बढ़ती जाएगी. इसका एक ही हल हो सकता हैं कि आने वाली पीढ़ी को शिक्षित किया जाये. अच्छे बुरे की समझ दी जाये. आदर, सम्मान एवम देशभक्ति का मार्ग दिखाया जाये. इसके बाद ही देश में बदलाव आ सकते हैं.

हमारा देश जिसका ध्वज तीन रंगों से मिल कर बना हैं जिसमे केसरिया रंग जो प्रगति का प्रतीक हैं, सफ़ेद जो अमन एवं शांति का प्रतीक हैं, हरा जो समृद्धि का प्रतीक हैं. साथ में अशोक चक्र जो हर पल बढ़ते रहने का सन्देश देता हैं. तिरंगे का सफ़ेद रंग पूरी दुनियाँ को शांति का सन्देश देता हैं क्यूंकि युद्ध से सभी देशों एवम नागरिको पर बुरा असर पड़ता हैं.याद रखियेगा लड़ते वही हैं जिनमे शिक्षा का आभाव होता हैं. अगर किसी देश की प्रगति चाहिए तो उस देश का शिक्षा स्तर सुधारना सबसे जरुरी हैं.

स्वतंत्रता दिवस पर केवल शहीदों को याद करना. राष्ट्रीय सम्मान करना. देश भक्ति की बाते करने के अलावा हम सभी को प्रण लेना चाहिए कि रोजमर्रा के कार्य में देश के लिए सोच कर कुछ करे  जिसमे देश की सफाई, अपने बच्चो एवम आस-पास के बच्चो को एक सही दिशा देने के लिए कुछ कार्य करें, गरीब बच्चो को पढ़ने में मदद करें, बुजुर्गो को सम्मान दे, क्राइम के प्रति जागरूक होकर दोषी को दंडित करें, गलत को गलत कहने की हिम्मत रखे, जान बुझकर या अनजाने में भी भ्रष्टाचार का साथ ना दे एवम सबसे जरुरी देश के नियमो का पालन करे. अगर हम रोजमर्रा में इन चीजो को शामिल करते हैं तो देश जरुर प्रगति करेगा और हम सभी भी देश के सपूत कहलायेंगे.

15 अगस्त, 26 जनवरी केवल यह दो दिनों के मौहताज ना बने. मातृभूमि इस दिन का इन्तजार नहीं करती. वो तो उस दिन का इंतजार कर रही हैं जब देश की भूमि पर भ्रष्टाचार का नाम न हो, जब बेगुनाहों का कत्लेआम ना हो, जब नारी की अस्मत का व्यापार ना हो, जब माता- पिता को वृद्ध होने का संताप ना हो. ऐसे दिन के इंतज़ार में मातृभूमि आस लगाये बैठी हैं. क्यूँ न यह सौभाग्य हमें मिले और हम अपने छोटे से कार्य का योगदान देकर मातृभूमि की इस इच्छा को पूरी करने के लिए एक नीव का मूक पत्थर बन जायें.

FAQs

Q : 2024 में स्वतंत्रता दिवस की वर्षगाँठ कौन सी है ?

Ans : 78 वीं

Q : स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते है ?

Ans : भारत को 15 अगस्त 1947 के दिन अपनी नीतियों पर पूरी तरह स्वतंत्रत देश का दर्जा कई वर्षो के बाद प्राप्त हुआ था इसलिए इस दिन को आजादी के दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

Q : पहला स्वतंत्रता दिवस कब मनाया गया?

Ans : 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज की घोषणा करते हुए पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया.

Q : कौन से क्षेत्र 15 अगस्त 1947 को आजाद नहीं हुए थे ?

Ans : जम्मू – कश्मीर

Q : कौन सा देश सन 2011 में आजाद हुआ था ?

Ans : सूडान 9 जुलाई 2011 को आजाद हुआ था.

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Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

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