स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय व स्पीच | Steve Jobs Biography Speech In Hindi

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय  ( Steve Jobs Biography In Hindi )

Steve Jobs Biography Speech In Hindi दुनिया की सबसे प्रसिध्य और बड़ी मोबाइल कंपनी एप्पल के रचियता स्टीव जॉब्स जा जीवन बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. इन्होने 56 साल के छोटे से जीवन काल में बहुत से बड़े महान कार्य किये, और दुनिया को बता दिया कि अगर कोई इन्सान किसी चीज को पुरे मन और दिल से करना चाहे तो कोई उसे कोई नहीं रोक सकता, और न कोई हरा सकता है. स्टीव जॉब्स ने किसी बड़ी डिग्री को हासिल नहीं किया था, कॉलेज की भी पढाई उनकी बीच में छुट गई थी, इसके बावजूद दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑपरेटिंग सिस्टम मैक का उन्होंने निर्माण किया, जो अच्छे अच्छे इंजिनियरों के जीवन का बस सपना बनके रह जाता है. चलिए स्टीव जॉब्स के जीवन को करीब से जानते है.

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय  ( Steve Jobs Biography In Hindi )

क्रमांकजीवन परिचय बिंदुस्टीव जॉब्स जीवन परिचय
1.       पूरा नामस्टीव पॉल जॉब्स
2.       जन्म24 फरवरी 1955
3.       जन्म स्थानसेंट फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया
4.       माता – पिताक्लारा – पॉल जॉब्स (जिन्होंने गोद लिया था)

 

जोअन्नी सिम्पसन – अब्दुलफत्तः जन्दाली (असली माता पिता)

5.       पत्नी
  • लोरिन पॉवेल (1991-2011)
  • किर्स्टन ब्रेन्नन
6.       बच्चे
  • लिसा ब्रेन्नन
  • रीड जॉब्स
  • एरिन जॉब्स
  • ईव जॉब्स
7.       जाने जाते है
  • पर्सनल कंप्यूटर मैक बनाया
  • एप्पल के फाउंडर
  • नेक्स्ट के फाउंडर
8.       मृत्यु5 अक्टूबर 2011 (कैलीफोर्निया)

स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को कैलीफोर्निया के सेंट फ्रांसिस्को में हुआ था. इनके असली माता पिता जोअन्नी सिम्पसन एवं अब्दुलफत्तः जन्दाली थे. जन्दाली एक मुस्लिम थे, जो सीरिया के थे, जबकि जोअन्नी एक कैथलिक इसाई थी. दोनों एक दुसरे के करीब आ गए थे, और स्टीव का जन्म हुआ. इन दोनों का रिश्ता जोअन्नी के पिता को मंजूर नहीं था, इसलिए जन्म के बाद स्टीव को किसी को गोद देने का फैसला किया गया. जॉब को गोद देने के लिए पहले जिस जोड़े का चुनाव हुआ था, वे पढ़े लिखे अमीर परिवार से थे, लेकिन उस जोड़े का अचानक मन बदल गया और उन्होंने लड़के की जगह लड़की गोद ले ली. इसके बाद जॉब्स को पॉल और क्लारा को गोद दिया गया.

पॉल एक मिकेनिक थे, जबकि क्लारा एक एकाउंटेंट. जॉब्स के जैविक माँ चाहती थी कि उसे एक अच्छी पढ़ी लिखी फैमली गोद ले, लेकिन पॉल और क्लारा ने अपनी कॉलेज की पढाई भी पूरी नहीं की थी. जॉब्स को गोद लेने के पहले उन्होंने जोअन्नी को आश्वासन दिया कि वे जॉब्स को कॉलेज जरुर भेजेंगें.

जॉब्स को गोद लेने के बाद पॉल और क्लारा 1961 में कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में रहने आ गए. यहाँ जॉब्स की पढाई शुरू हुई और वे बड़े होने लगे. यहाँ उनके पिता पॉल ने जीविका चलाने के लिए एक गैरेज खोल लिया. जॉब्स को बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक समान से छेड़ छाड़ करना अच्छा लगता था, वे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक समान को पहले तोड़ते और जोड़ते थे. स्टीव एक अच्छे विद्यार्थी थे, लेकिन उन्हें स्कूल जाना पसंद नहीं था, वे वहां से बोर हो गए थे. स्टीव को अपनी उम्र के बच्चों से दोस्ती करने में परेशानी होती है, वे हमेशा क्लास में अकेले ही बैठे रहते थे. 13 साल की उम्र में उनकी मुलाकात वोजनिआक से हुई, वोजनियाक भी स्टीव की तरह होशियार थे, जिनका मन इलेक्ट्रॉनिक में लगता था. दोनों में जल्दी ही गहरी दोस्ती हो गई.

स्टीव जॉब्स कॉलेज (Steve Jobs education) –

हाई स्कूल की पढाई पूरी करने के बाद स्टीव का दाखिला ऑरेगोन के रीड कॉलेज में हुआ. यह एक बहुत महंगा कॉलेज था, जिसकी फीस पॉल और क्लारा मुश्किल से जमा कर रहे थे. अपने बेटे की अच्छी शिक्षा के लिए उन्होंने अपने जीवन की पूरी जमा पूंजी लगा दी थी. यही जॉब्स की मुलाकात क्रिस्टन ब्रेन्नन से हुई. थोड़े ही दिनों में स्टीव को अहसास हुआ कि वे इस कॉलेज में आकर अपने माँ बाप के पैसे बर्बाद कर रहे है, यहाँ रहकर उन्हें भविष्य में कोई फायदा नहीं मिलेगा. उन्होंने कॉलेज छोड़ने का फैसला ले लिया, उनके इस फैसले में क्रिस्टन ब्रेन्नन भी उनके साथ खड़ी रहीं. स्टीव अब रोज कॉलेज नहीं जाते थे, वे यहाँ सिर्फ वो ही क्लास अटेंड करते थे, जिसमें उन्हें इंटरेस्ट था. यहाँ उन्होंने कैलीग्राफी क्लास अटेंड की.

इस समय स्टीव के पास बिलकुल पैसे नहीं हुआ करते थे, वे अपने दोस्त के कमरे में फर्श में सोया करते थे. खाना खाने के लिए उन्होंने कोक की बोतल बेंच कर पैसे कमाए थे. इसके साथ ही वे हर रविवार को हरे कृष्णा मंदिर जाते थे, जहाँ उन्हें मुफ्त में भर पेट खाना मिलता था.  

स्टीव जॉब्स आरंभिक करियर (Steve Jobs career history) –

1972 में स्टीव अटारी नामक विडियो गेम डेवलपिंग कंपनी में काम करने लगे. कुछ समय बाद इनका यहाँ भी मन नहीं लगा और कुछ पैसे इक्कठे कर वे 1974 में भारत घुमने चले गए. इंडिया में उन्होंने 7 महीने गुजरे, इस दौरान उन्होंने बुद्ध धर्म के बारे में जानने के लिए पढाई की. यहाँ उन्होंने दिल्ली, उत्तरप्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश का बस से ट्रिप किया. 7 महीने के बाद स्टीव अमेरिका वापस चले गए और वहां जाकर उनका जीवन बदल गया. उन्होंने अपने सर को मुंडवा दिया, और सन्यासी जैसा वेश धारण कर लिया. जॉब्स ने एक बार फिर अटारी में जॉब ज्वाइन कर ली. और वे अपने माँ बाप के साथ रहने लगे.

एप्पल फाउंडर (Steve Jobs Apple history) –

जॉब्स और वोजनियाक एक बार फिर अच्छे दोस्त बन गए, और साथ में काम करने लगे. दोनों का कंप्यूटर में बहुत मन लगता था. वोजनियाक अपना खुद का कंप्यूटर बनाना चाहते थे, उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स की अच्छी समझ थी, इसलिए इन्होने एक पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया. जॉब्स ये देख बहुत प्रसन्न हुए, और उन्हें ख्याल आया कि वे दोनों मिलकर एक कंप्यूटर बनाने की कंपनी खोलें, और कंप्यूटर बनाकर बेचें. 1976 में जॉब्स और वोजनियाक ने मिलकर जॉब्स के गैरेज में कंप्यूटर पर काम शुरू किया. उन्होंने एक कंपनी खोली और उसका नाम ‘एप्पल (Apple)’ रखा. इस समय जॉब्स की उम्र मात्र 21 साल थी. एप्पल कंपनी के पहले कंप्यूटर का नाम एप्पल 1 रखा गया.

कुछ समय बाद वोजनियाक ने एप्पल 2 में काम शुरू कर दिया. इसे बनाने के बाद उसे कुछ इन्वेस्टर के सामने रखा गया, और जॉब्स और वोजनियाक ने कई जगह इन्वेस्टर को इसमें इन्वेस्ट करने के लिए मनाने की कोशिश की. एप्पल 2 को लोगों ने बहुत पसंद किया. कंपनी बहुत जल्दी बढ़ने लगी, 1980 तक यह एक जानी मानी कंपनी बन गई. 10 साल में एप्पल कंपनी ने 2 बिलियन पैसे कम लिए, और इसमें 4 हजार लोग काम करने लगे.

एप्पल से बाहर निकाला जाना (Steve Jobs out of Apple) –

एक बड़ी कंपनी बनने के बाद एप्पल ने अपना तीसरा वर्शन एप्पल 3 और फिर उसके बाद लिसा लांच किया. (लिसा स्टीव और ब्रेन्नन की बेटी का नाम है, जिसका जन्म 1978 में हुआ था) एप्पल के ये नए वर्शन फ्लॉप रहे, वे सफल नहीं रहे. स्टीव ने मैकिनटोश (Macintosh) को बनाने में अपनी पूरी मेहनत झोंक दी. 1984 में लिसा पर बेस्ड सुपर बाउल का निर्माण किया, इसे मैकिनटोश के साथ लांच किया गया. इसे बहुत सफलता मिली.

अब एप्पल IBM के साथ मिलकर पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण करने लगा, जिससे इसकी खपत भी बढ़ी, और कंपनी पर अधिक सिस्टम बनाने के लिए दबाब पड़ने लगा. इस कंप्यूटर का कांसेप्ट कभी छुपाया नहीं गया, जिस वजह से इसे कई दूसरी कंपनियों ने भी अपनाया. इन दूसरी कम्पनी के कंप्यूटर मैकिनटोश और एप्पल के मुकाबले काफी सस्ते हुआ करते थे, जिस वजह से एप्पल कंपनी को घाटा होने लगा. इसका ज़िम्मेदार स्टीव को ठहराया गया. स्टीव पर इस्तीफा देने का दबाब बनाया जाने लगा. 17 सितम्बर 1985 को स्टीव ने एप्पल कम्पनी से इस्तीफा दे दिया, इनके साथ उनके पांच और करीबियों ने भी इस्तीफा दे दिया था.

नेक्स्ट कंप्यूटर (Next Computer Steve Jobs) –

एप्पल से बाहर निकाले जाने के बाद कुछ समय तक स्टीव को समझ में नहीं आया कि वे अब क्या करें. स्टीव के अनुसार यह उनके जीवन का कठिन समय था, उन्हें लगता था, वे सामाजिक तौर पर फ़ैल हो गए, वे एक लूज़र है. लेकिन इन्ही विचारों के बीच उन्हें ये लगा कि उनका काम छिना गया लेकिन उनकी काबलियत अभी भी उनके पास है. एप्पल कैसे बनाया जाता है, ये उनसे बेहतर कौन जानता था. स्टीव ने एक बार फिर नयी शुरुआत करने का फैसला किया. उन्होंने इस मौके का फायदा उठाते हुए, ये सोचा कि अब वे आजाद है, अपने मुताबित वो जो चाहे कर सकते है और जैसे उन्होंने एप्पल बनाने समय बिना किसी के दबाब में काम किया था वैसे ही वो फिर से कर सकते है.

जॉब्स ने नेक्स्ट कंप्यूटर नाम की कम्पनी खोली, इसके लिए उन्हें एक बड़े इनवेस्टर के तौर पर रोस पेरॉट मिले. नेक्स्ट का पहला प्रोडक्ट हाई एंड पर्सनल कंप्यूटर था. 12 अक्टूबर 1988 को नेक्स्ट कंप्यूटर को एक बड़े इवेंट में लांच किया गया. नेक्स्ट का पहला वर्कस्टेशन 1990 में सबसे सामने आया, जिसकी कीमत अत्याधिक थी. नेक्स्ट, एप्पल लिसा की तरह टेक्निकली एडवांस था, लेकिन महंगा होने के कारण ज्यादा लोग इसे खरीद नहीं पा रहे थे, जिस वजह से नेक्स्ट को नुकसान का सामना भी करना पड़ा. थोड़े समय बाद ही स्टीव को यह एहसास हो गया और उन्होंने नेक्स्ट कंपनी को एक सॉफ्टवेर कंपनी में तब्दील कर दिया, जिसके बाद इसे बहुत सफलता मिली. यह वेब ऑब्जेक्ट, वेब एप्लीकेशन के लिए फ्रेमवर्क बनाकर देने लगी. कंप्यूटर पर निबंध यहाँ पढ़ें.

पिक्सर मूवी (Steve Jobs Pixar movies) –

1986 में स्टीव ने 10 मिलियन यूएस डॉलर में एक ग्राफिक्स कंपनी खरीदी. उसका नाम इन्होने पिक्सर रखा. शुरुवात में कम्पनी ने 3D ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर बनाकर बेचे. 1991 में पिक्सर के बाद डिज्नी की तरफ से ऑफर आया और एक फुल लेंथ फिल्म बनाने को कहा गया. डिज्नी के साथ पार्टनरशिप के बाद पिक्सर ने पहली फिल्म ‘टॉय स्टोरी’ (Toy Story) बनाई. जिसे अत्याधिक सफलता मिली. इसके बाद पिक्सर ने फाइंडिंग निमो, मोंस्टर, कार्स, वाल्ले एवं उप फिल्म बनाई. जॉब्स ने पिक्सर के द्वारा बहुत पैसा कमाया.

एप्पल में वापसी (Steve Jobs back at apple 1997) –

1996 में एप्पल ने घोषणा की कि वो 427 मिलियन डॉलर में नेक्स्ट कम्पनी खरीदने वाली है. फ़रवरी 1997 में डील फाइनल हो गई, और इसके साथ ही जॉब्स की एप्पल में सीईओ के रूप में वापसी हो गई.  एप्पल इस समय संघर्ष कर रहा था, उसे नए विचारों की जरूरत थी, जो उसे वापस ऊँचाइयों तक ले जा सके. स्टीव अब एप्पल का संचालन कर रहे थे, अब कंपनी ने बहुत से नए प्रोडक्ट लांच किये. इस समय ipod म्यूजिक प्लेयर,  iTunes म्यूजिक सॉफ्टवेयर को लांच किया गया. दोनों ही प्रोडक्ट बहुत सफल हुए, और दुनिया के सामने एप्पल की एक नयी अच्छी इमेज बन गई. सन 2007 में एप्पल का पहला मोबाइल फोन लांच किया गया, जिसने मोबाइल की दुनिया में क्रांति ला दी, और यह फ़ोन हाथों हाथों बिका. स्टीव अब एक स्टार बन चुके थे, और 2000 दशक के नए अविष्कारों में उनका नाम जुड़ गया था.  मोबाइल पर निबंध यहाँ पढ़ें.

स्टीव जॉब्स मृत्यु (Steve Jobs Death) –

अक्टूबर 2003 में स्टीव को कैंसर जैसी भयानक बीमारी का पता चला. उन्हें अग्नाशय का कैंसर था. जुलाई 2004 में स्टीव की पहली सर्जरी हुई, जिसमें उनके ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया. इस समय जॉब्स मेडिकल लीव पर था, उनकी गैरहाजिरी में टीम कुक एप्पल का काम संभाल रहे थे.

2009 तक स्टीव अपने ख़राब स्वास्थ्य के साथ भी काम करते रहे, 2009 में उनकी हालत बिगड़ती चली और लीवर ट्रांसप्लांट की नौबत आ गई, अप्रैल 2009 में उनका लीवर ट्रांसप्लांट का ओपरेशन हुआ. 17 जनवरी 2011 में स्टीव ने वापस एप्पल में आकर काम शुरू किया. जॉब्स का स्वास्थ्य अभी भी उन्हें इसकी इजाज़त नहीं देता था, लेकिन स्टीव को अपने काम से बहुत प्यार था और वे उसे अपने स्वास्थ्य से भी उपर रखते थे.

24 अगस्त 2011 को जॉब्स ने एप्पल के सीईओ पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी.  उन्होंने लिखीर तौर पर अपना इस्तीफा एप्पल के बोर्ड्स ऑफ़ मेंबर्स को दिया, और इसके साथ ही उन्होंने अगले सीईओ के लिए टीम कुक का नाम सामने रखा.

5 अक्टूबर 2011 को कैलिफोर्निया के पालो अल्टो में स्टीव जॉब्स की मौत हो गई. 

स्टीव जॉब्स इंटरेस्टिंग फैक्ट्स (Steve Jobs interesting facts) –

  • स्टीव जॉब्स को एप्पल कंपनी का नाम, एप्पल के बगीचे में बैठे रहने के दौरान सोचा था.
  • डिज्नी पिक्सर की फिल्म ‘ब्रेव (Brave)’ स्टीव जॉब्स को समर्पित है.
  • 2013 में स्टीव जॉब्स के जीवन पर ‘जॉब्स’ फिल्म बनी थी.
  • स्टीव के 3 बेटे और एक बेटी है.

फार्च्यून मैगजीन ने स्टीव को ‘ग्रेटेस्ट इंटरप्रेन्योर(Entrepreneur) ऑफ़ आवर टाइम’ का टाइटल दिया है.

स्टीव जॉब्स की स्पीच   Stay hungry stay foolish Steve Jobs speech hindi

मैं आज अपने आपको भाग्यशाली  महसूस कर रहा हूँ कि मैं दुनियाँ के अच्छे विश्वविद्यालय में से एक के दीक्षांत समारोह का हिस्सा हूँ, जबकि मैंने किसी भी महाविद्यालय से स्नातक की तालीम प्राप्त नहीं की हैं | सच कहूँगा यह पहला समय हैं जब मैंने किसी कॉलेज को इतने नजदीक से देखा हो | आज मैं आप सभी से अपने जीवन की तीन कहानियाँ कहना चाहता हूँ जो कि महज़ मेरे जीवन की कहानियाँ हैं और कुछ नहीं |

stay hungry stay foolish Steve Jobs speech

मेरी पहली कहानी हैं connecting the dots :

मैंने मेरी Reed College से शुरू की गई पढाई छह महीने में ही छोड़ दी लेकिन मैं अगले अठाहरा महीने तक वहाँ आता जाता रहा | जब मैं वहाँ जा ही रहा था तो मैंने पढाई क्यूँ छोड़ी ?

इसकी शुरुवात मेरे जन्म से पहले हो चुकी थी | मेरी जैविक माँ जो कि अविवाहित नव युवती स्नातक छात्रा थी वह मुझे किसी अन्य को गोद दे देना चाहती थी | उनकी सोच बहुत दृढ़ थी कि मुझे कोई कॉलेज ग्रेजुएट गोद ले, जैसे मेरे लिये सब कुछ तय था और मुझे एक वकील और उनकी पत्नी गोद लेने वाले थे और मैं उन्हें दिया जाने वाला ही था कि उन्होंने लास्ट मिनिट पर अपना निर्णय बदल दिया कि उन्हें अब एक लड़की ही गोद लेनी हैं |इसके बाद उन्हें कॉल किया गया जो मुझे गोद लेने वाली वेटिंग लिस्ट में थे | कॉल करके कहा गया हमारे पास एक बेबी बॉय हैं क्या आप उसे गोद लेना चाहते हैं उधर से हाँ का जवाब आया | उसके बाद मेरी जैविक माँ को पता चला कि मेरी होने वाली माँ ग्रेजुएट नहीं हैं और पिता ने तो स्कूल भी पूरा नहीं किया हैं तब उन्होंने से पेपर पर साइन करने से इनकार कर दिया | लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने हाँ कर दिया क्यूंकि मेरे भविष्य के माता पिता ने उनसे कहा कि वो मुझे एक दिन कॉलेज जरुर भेजेंगे |

सत्रह साल बाद मैं कॉलेज गया और मैंने एक ऐसा कॉलेज चुन लिया जो स्टैंडफोर्ड जितना ही महंगा था और इसमें मेरे माता पिता के जीवन की सारी कमाई मेरी फीस मे व्यव होने लगी थी |छः महीने बीतने के बाद मुझे महसूस हुआ कि यह सब व्यर्थ हैं | मुझे कोई आईडिया नहीं था कि मैं अपने जीवन के लिए क्या चाहता हूँ और वो मुझे इस कॉलेज की पढाई से मिलेगा भी या नहीं और मैं इस कॉलेज में अपने माता पिता की जीवन भर की कमाई लगा रहा था इसलिए मैंने उसे छोड़ने का निर्णय लिया और इस विश्वास के साथ यह निर्णय लिया कि इससे बहार निकलने से मेरा अच्छा ही होगा | उस वक्त यह मेरे लिये एक भयानक निर्णय था लेकिन आज जब पीछे मुढ़कर देखता हूँ तो वो मुझे अब तक का सबसे सही निर्णय लगता हैं |उस समय जब मैंने यह सब छोड़ा तब मुझ पर क्लासेज अटेंड करने की बाध्यता समाप्त हो सकी और मैंने केवल उन्ही क्लास को अटेंड किया जिसमे मुझे इंटरेस्ट था |

यह सब इतना प्रेम पूर्वक नहीं हुआ |मेरे पास एक कमरा तक नही था मैं एक मित्र के कमरे में फर्श पर सोता था मैं कोक की बोतल बेच कर उससे मिलने वाले धन से भोजन खाता था | मैंने प्रति रविवार को सात मिल चल कर कृष्ण मंदिर जाता था जहाँ मुझे सप्ताह में एक दिन भर पेट भोजन मिलता था जो मुझे बहुत अच्छा लगता था | मेरे जीवन में जो भी मैंने अपने उत्साह एवं अंतर्मन से किया उसका परिणाम मेरे लिये अनमोल रहा | मुझे एक और उदाहरण देने दो |

उस समय Reed College पुरे देश में सबसे अच्छी केलीग्राफी सिखाने वाला इंस्टीट्यूट था | पुरे कॉलेज में सभी पोस्टर, ड्रावर पर लिखे लेबल सभी सुंदर केलीग्राफी से सजे हुये थे | चूँकि में छोड़ चूका था इसलिए सभी क्लासेस अटेंड नहीं करता था लेकिन मैंने केलिग्राफी सिखने के लिए उसकी क्लासेज अटेंड करने की सोची | मैंने सेरिफ और सेन सेरिफ टाइप, विभिन्न वर्णों के अक्षरों के बीच बढ़ने वाले स्पेस के बारे में और वह सभी जो इस महान कला को महान बनाता हैं वो सिखा | यह बहुत सुंदर, एतिहासिक, कलापूर्ण जो विज्ञान के क्षेत्र से बहुत दूर थी जो मुझे बहुत आकर्षक लगती थी |

मुझे इस कला को सीखते वक्त एक बार भी विचार नहीं आया था कि मैं कभी इसका कोई प्रेक्टिकल यूज़ करूँगा लेकिन जब दस साल बाद हमने अपना पहला Macintosh computer डिजाईन किया और हमने इसे पूरा MAC में बनाया यह पहला कंप्यूटर था जिसकी टाइपोग्राफी बहुत सुंदर थी |अगर मैंने कभी इस एक क्लास पर कॉलेज ड्राप नहीं किया होता तो यह MAC कंप्यूटर नहीं बन पाता जिसकी मल्टीप्ल टाइपफेसेस और समान स्पेस फोंट्स हैं |और चूँकि विंडो ने MAC की कॉपी किया हैं ऐसा न होता तो शायद ही किसी पर्सनल कंप्यूटर में ये सुविधायें होती | अगर मैंने कभी कॉलेज नही छोड़ा और यह केलिग्राफी की क्लासेज नहीं की होती,तो शायद ही पर्सनल कंप्यूटर में इस तरह की टाइपोग्राफी होती |बिलकुल, जब में कॉलेज में था तब इन डॉट्स को कलेक्ट करके जोड़ना मेरे लिए इम्पोसिबल था लेकिन अब दस साल पीछे मुड़कर देखने पर यह साफ़-साफ़ दिखाई देता हैं |

फिर से, तुम आगे देखते हुये डॉट्स को कनेक्ट नहीं कर सकते,तुम केवल पीछे देखकर ही यह कर सकते हो इसलिये तुम्हे यह विश्वास रखना होगा कि यह डॉट्स आगे जाकर कैसे भी जुड़ जायेंगे |तुम्हे किसी पर भी विश्वास करना होगा अपनी हिम्मत, भाग्य, जीवन,कर्म जिस पर भी करना हो |इस तरीके ने मुझे कभी निचे नहीं दिखाया बल्कि मेरे जीवन को बना दिया |

मेरी दूसरी कहानी प्रेम और खोने के बारे में हैं :

मैं बहुत भाग्यशाली था जिन्दगी में मुझे जो पसंद था वो जल्दी ही मिल गया | Woz और मैने मेरे माता पिता के गेराज में Apple को शुरू किया जब मैं 20 वर्ष का था | हमने कड़ी मेहनत की और दस साल में Apple ने ऐसी उन्नति की कि हम दो लोगो के गेराज से $2 बिलियन की कंपनी में चार हजार एम्प्लोयी हो गये | हमने हमारा सबसे अच्छा क्रिएशन Macintosh रिलीज़ ही किया और मैंने 30 वर्ष में कदम ही रखा था कि मैं कंपनी से निकाल दिया गया |तुम कैसे उस कंपनी से  निकाले जा सकते हो जिसे तुमने ही लांच किया हो ? जैसे ही Apple ने उन्नति की हमने एक एम्प्लोयी हायर किया जो कि मैंने सोचा बहुत टैलेंटेड हैं और हमारे साथ कंपनी की उन्नति के लिये कार्य करेगा और पहला साल तो बहुत अच्छा बिता | लेकिन हमारा अपनी उन्नति को देखा गया दृश्य अचानक ही नीचे जाने लगा | उस वक्त बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर ने उसीका साथ दिया और मुझे कंपनी से निकाल दिया गया सार्वजनिक रूप से बाहर निकाल दिया गया |मेरे जीवन का फोकस जिस पर था वो पूरी तरह से खत्म हो चूका था  |

मुझे वास्तव में कुछ महीनों तक नहीं पता था कि मुझे क्या करना हैं ?मैंने महसूस किया कि मैंने पिछले उद्द्यमियों को निचा दिखाया हैं | मैं David Packard और Bob Noyce से मिला और मैंने उनसे मेरे किये की माफ़ी भी मांगी | मैं एक बहुत बड़ा पब्लिक फैलियर था मैंने यहाँ तक सोच लिया की मैं अपनी घाटी छोड़ दू लेकिन कोई चीज मुझे जगा रही थी वो था मेरा काम जो मुझे आज भी आता था Apple में जो कुछ भी हुआ था उसने मुझे बिलकुल भी नहीं बदला था | मैं रिजेक्ट किया गया था लेकिन मैं अब तक प्यार करता था और मैंने फिर से शुरू करने का निर्णय लिया | मैंने नही सोचा था कि मुझे Apple से बाहर निकालना मेरे लिए एक अच्छी बात साबित हुई | मेरा जीवन सफलता के दबाव से फिर से एक शुरुवाती व्यक्ति के हल्केपन में बदल चूका था जिसमे मैं किसी भी चीज के लिए दृढ नहीं था इसने मुझे मेरी लाइफ के सबसे क्रिएटिव पीरियड में जाने के लिए फ्री कर दिया |

अगले पांच वर्षो के दौरान मैंने NeXT नाम की कंपनी की शुरुवात की मेरी दूसरी कंपनी का नाम Pixar था और मैं एक बहुत अच्छी वुमन के प्यार में पड़ गया जिससे बाद में मेरी पत्नी बनी |Pixar ने सबसे पहली कंप्यूटर एनिमेटेड फिल्म बनाई और आज यह दुनियां का सबसे सफल animation studio हैं | सबसे उल्लेखनीय घटना घटी जिसमे Apple ने NeXT को ख़रीदा और मैं फिर से Apple का हिस्सा बना जो तकनिकी हमने NeXT में बनाई वो आज Apple में काम लाइ जा रही हैं जो कि उसका हृदय स्थल में हैं | मैं और Laurene हमारी एक वंडरफुल फॅमिली हैं |

मैं इस बात से सहमत हूँ कि अगर मैं Apple से निकाला नहीं गया होता तो मुझे यह मुकाम नहीं मिलता | यह दवाई भयानक हैं पर मैं सोचता हूँ कि हर मरीज को इसकी जरुरत हैं | कभी-कभी जिन्दगी दिमाग में ईंट से वार करती हैं | अपना विश्वास नहीं खोये | मैं बस एक ही बात से आश्वत था कि मैं आगे बढ़ रहा हूँ क्यूंकि मैं अपने काम से प्यार करता हूँ आप सभी के लिए यह जानना निहायत जरुरी हैं कि आप क्या करना पसंद करते हैं यह जानना उतना ही जरुरी हैं जितना कि जीवन में प्यार को पहचानना हैं | यदि आप यह नही जान पाए हैं तो ढूंढते रहिये जब तक रुके नही |

मेरी तीसरी कहानी मृत्यु के बारे में हैं 

मैं जब 17 का था तब मैंने पढ़ा “जीवन के सभी दिनों को ऐसे जियो जैसे आखरी दिन हो |अगर आप ऐसे रहते तो खुद को एक दिन साबित कर देंगे” | इस बात ने मेरे दिमाग में छाप छोड़ दी थी | तब से जीवन के 33 सालो तक रोज सुबह आईने में देखकर खुद से सवाल किया यदि आज मेरा आखरी दिन हैं तो मैं आज क्या करना चाहूँगा जो मैं करना चाहता हूँ वही ? लेकिन जवाब ना में मिलता था तब मैं समझ जाता था कि अभी भी कुछ बदलने की जरुरत हैं |

यह याद रखना कि मैं बहुत जल्दी ही मर जाऊंगा यह एक बहुत बड़ा हथियार था जो मुझे जिन्दगी में बेहतर चुनने में मदद करता था |क्यूंकि जब भी मृत्यु के बारे में सोचता हूँ तो मेरा बाहरी दिखावा, घमंड, डर, अपमान सभी शुन्य हो जाते हैं और जो सच हैं मैं उसे महसूस करने लगता हूँ | एक बार यह सोच लेना कि हमें मरना हैं आपको जीवन के हर दुःख से दूर कर देता हैं खोने का कोई डर नहीं रह जाता क्यूंकि आप पहले से ही नंगे हो | ऐसी कोई विपदा नहीं होती कि आप दिल की ना सुन सको |

लगभग एक वर्ष पहले मुझे पता चला कि मुझे कैंसर हैं | यह मुझे दिन के 7:30 पर पता चला साफ़ दिखाई दे रहा था कि मेरे अग्नाशय में एक ट्यूमर हैं लेकिन मुझे यहाँ तक पता नहीं था कि अग्नाशय होता क्या हैं | तब डॉक्टर ने बताया कि मुझे कैंसर हैं जिसका ठीक होना लगभग नामुमकिन हैं और मैं ज्यादा से ज्यादा 3 या 6 महीने तक जीवित हूँ | मेरे डॉक्टर ने मुझसे कहा कि मैं घर जाऊ और अपने सभी मामले व्यवस्थित करूँ एक तरह से वो मुझे मृत्यु के लिए तैयार होने को कह रहे थे | जिसका मतलब यही था कि अपने बच्चो से यह कह दे कि आप अगले 10 वर्ष में क्या करना चाहते हैं वो भी कुछ महीने में | इसका मतलब यह था कि आप अपनी फॅमिली को ऐसे तैयार कर दीजिये कि उन्हें तकलीफ कम हो | इसका मतलब यह था कि आप गुड बाय कह दीजिये |

मै पूरा दिन डायग्नोसिस करवाता रहा उसके बाद शाम में मेरी बायऑप्सी हुई तब एक निडिल मेरे गले से डाली गई जो पेट से होती हुई मेरी आंत में पहुंची और मेरे अग्नाशय से निडिल के जरिये कुछ सेल ली गई मैं बेहोश था लेकिन मेरी पत्नी वहाँ थी उसने मुझे बताया कि जब डॉक्टर ने माइक्रोस्कोप से सेल को देखा तो वे रो पड़े क्यूंकि अग्नाशय का कैंसर ऐसे दुर्लभ रूप में परिवर्तित हो चूका था जो कि शल्यचिकित्सा के जरिये ठीक हो सकता था मैंने शल्यक्रिया ली और मैं आज बिलकुल दुरुस्त हूँ |

मैंने बहुत करीब से मौत को देखा जो कि पहली बार था और उम्मीद हैं कि अगले कुछ वर्षो तक मैं मौत के इतना करीब नहीं पहुचुंगा | अब मैं विश्वास से कह सकता हूँ कि मौत एक ऐसा उपयोगी बोद्धिक अवधारणा हैं |

कोई भी मरना नहीं चाहता | यहाँ तक कि जो लोग स्वर्ग चाहते हैं वो भी उसे पाने के लिए मरना नहीं चाहते | मृत्यु एक ऐसा पड़ाव हैं जिसे सभी शेयर करते हैं कोई भी इससे छुट नही सकता | ऐसा होना भी चाहिए क्यूंकि मृत्यु ही जीवन का सबसे बड़ा आविष्कार हैं | यह जिन्दगी के बदलने का जरिया हैं यह पुराने से बाहर कर नये रास्ते खोलती हैं | फ़िलहाल तुम नये हो लेकिन किसी दिन तुम पुराने हो जाओगे आज से ज्यादा दूर नहीं  तुम धीरे-धीरे वृद्ध हो जाओगे जो आगे जाकर तुम्हे साफ़ हो जायेगा |इतना नाटकीय होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर यह सत्य हैं |

आपका समय सिमित हैं इसलिए उसे किसी और की जिन्दगी में व्यर्थ न गंवायें | हठधर्मिता में मत पड़ो | दुसरो की सोच के आधार पर मत जियो | दुसरो के विचार के शोर में मत पड़ो अपने अंदर की आवाज सुनो |और सबसे ज्यादा जरुरी अपने भीतर की आवाज को सुने अपने दिल को सुने | वे बहुत अच्छे से जानता हैं कि तुम्हे क्या बनाना हैं बाकि सब बाते द्वितीय स्थान पर होती हैं |

जब मैं जवान था जब एक बहुत ही अद्भुत प्रकाशन The Whole Earth Catalogue था जो मेरे समय में एक बाइबिल की तरह था जिसे Stewart Brand ने रचा था जो यहाँ Menlo Park से ज्यादा दूर नहीं रहते थे इन्होने इसमें कविताओं का सुंदर समावेश कर इसे अद्भुत बना दिया था | यह बात 1960 के आखरी समय की हैं जब कंप्यूटर से पब्लिकेशन नहीं होता था | इस प्रकार सब कुछ टाइप राइटर आदि की मदद से किया गया वह बहुत कुछ गूगल बुक की तरह बनाया गया था वो भी गूगल के आने से 35 साल पहले | यह एक अच्छे टूल की बेहतरीन कल्पना थी |

Stewart ने The Whole Earth Catalog की कई प्रतियाँ निकाली बाद में एक फाइनल प्रति निकाली गई यह 1970 के मध्य की बात हैं जब मैं तुम्हारी उम्र का था |फाइनल प्रति के अंतिम पृष्ठ पर बने चित्र में कंट्री की सुबह और खाली रोड का दृश्य हैं जहाँ निचे लिखा हुआ था Stay Hungry, Stay Foolish | यह उनका दीक्षांत संदेश था जिससे उन्होंने साइन ऑफ किया | और मैं भी आप सभी को शुभकामनाये देते हुए कहता हूँ Stay Hungry, Stay Foolish थैंक यू |

FAQ

Q- जब स्टीव जॉब्स ने एप्पल की शुरूआत की वो कितने साल के थे।?

Ans- स्टीव जॉब्स ने जब एप्पल की शुरूआत की तो वो 20 साल के थे।

Q-स्टीव जॉब्स की मौत कैसे और कब हुई?

Ans-स्टीव जॉब्स की मौत 5 अक्टूबर 2011 में हुई। ऐसा कहा जाता है कि, उन्हें पैन्क्रीऐटिक केंसर था।

Q- स्टीव जॉब्स ने कैसे की एप्पल की शुरूआत?

Ans- साल 1975 में उन्होंने अपने घर के गैरेज में एक दुकान स्थापित की। जिसको उन्होंने एप्पल नाम दिया। वहीं से उन्होंने इसकी शुरूआत की।

Q- स्टीव जॉब्स को क्यों देना पड़ा इस्तीफा?

Ans- स्टीव हमेशा से ही अपने काम से काफी प्रेम करते थे। लेकिन स्वास्थय अच्छा ना होने के कारण उन्हें एप्पल से इस्तीफा देना पड़ा।

Q- स्टीव जॉब्स क्या कहा करते थे?

Ans- उनका कहना था कि, अगर ये पल मेरी जिंदगी का आखिरी पल है तो मैं इस पल में भी काम करना चाहता हूं।

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कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

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