उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम [Consumer Protection Bill in Hindi]
केंद्र सरकार ने अपने शीतकालीन सत्र के दौरान अंतिम दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पेश किया, इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता के अधिकारों का संरक्षण करना है. इस विधेयक की मुख्य बात यह है की , इसके अंतर्गत एक एजेंसी जिसका नाम केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्रधिनियम होगा की स्थापना की जाएगीं. इस एजेंसी का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता के अधिकारों का संरक्षण करना होगा, इसके अतिरिक्त इस एजेंसी के पास उत्पाद के द्वारा व्यक्तिगत नुकसान, संपत्ति का नुकसान, या शारीरिक परेशानी होने पर जाँच, जुर्माना, उत्पाद वापसी आदि अधिकार होंगे.

लांच डिटेल (Launch Detail) :
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री रामविलास पासवान ने 5 जनवरी को लोकसभा में प्रस्तावित किया. इस नये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को 1986 के उपभोक्ता फोरम की जगह पास किया गया है.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तीन मुख्य आधार :
- उपभोक्ता Consumer: कोई भी व्यक्ति जो कोई वस्तु खरीदता है या किसी सर्विस का उपयोग करता है उपभोक्ता कहलाता है. वह व्यक्ति उपभोक्ता नहीं कहलाता जो किसी वस्तु को पुनः बेचने के लिए या किसी अन्य व्यापारिक उद्देश्य से खरीदता है . उपभोक्ता के अंतर्गत वह सभी व्यक्ति शामिल होते है जिन्होंने वस्तु को सीधे बाजार से या इंटरनेट के द्वारा या टेलीशॉपिंग के द्वारा या डायरेक्ट मार्केटिंग के द्वारा ख़रीदा हुआ है.
- उपभोक्ता के अधिकार Rights of consumers :
अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता के निम्नलिखित अधिकार बताएं गये है.
- उपभोक्ता के अधिकार के अंतर्गत उन वस्तुओं या सेवाओं से उपभोक्ता को सुरक्षित करता है जो की मनुष्य के जीवन को नुकसान पहुचा सकती है.
- विक्रेता को वस्तु या सेवा की मात्रा, गुणवत्ता, शुद्धता और मूल्य आदि के बारे में सूचित करना अनिवार्य होगा.
- गलत या प्रतिबंधित व्यापार के उपयोग पर तय सजा का प्रावधान है जिससे व्यापारी गलत व्यापार करने से सावधान रहें.
- केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण समिति : उपभोक्ता के अधिकार की रक्षा के लिए सरकार के द्वारा उपभोक्ता संरक्षण समिति(CCPA) की स्थापना की. यह उपभोक्ता के अधिकारों का उलंघन, गलत विज्ञापनों और गलत व्यापार से उपभोक्ता के अधिकारों का संरक्षण करेगी. इस समिति के अंतर्गत एक जाँच दल होगा जो की गलत व्यापारिक मामलों की जाँच करेगा.
इस विधेयक की मुख्य विशेषताएं (Key Features)
- इस विधेयक के अंतर्गत एक उपभोक्ता संरक्षण समिति बनाने का निर्णय लिया गया है जिसके द्वारा उपभोक्ता के विवादों को हल किया जायेगा.
- इस उपभोक्ता संरक्षण समिति के पास जिला स्तर पर 1 करोड़ रुपय तक के मामलो की सुनवाई की जा सकेगी जबकि राज्य स्तर पर यह सीमा 10 करोड़ की होगी.
- उपभोक्ता के पास उपलब्ध में कमी पाये जाने पर यह समिति उत्पाद को वापिस लौटाने या उसकी कीमत लौटाने या जुर्माना लगाने जैसे प्रावधान लागू करेगी . यह समिति दोषी व्यक्ति या संस्थानों परर लगभग 10 लाख रुपय का जुर्माना लगा सकती है, और दुसरी बार दोषी पाये जाने पर यह जुर्माना 50 लाख तक का हो सकता है.
- इस समिति द्वारा भ्रामक विज्ञापनों पर भी रोक लगाई जाएगी और ऐसी स्थिति में दोषी पाये जाने पर 2 साल की सजा का प्रावधान है. और अगर फिर से वही गलती दोहरे जाती है तो यह सजा बढ़ाकर 5 साल कर दी जाएगी.
- इस नये प्रधिनियम के अंतर्गत विज्ञापन में काम करने वाले व्यक्तियों पर भी विज्ञापन में दिखाई गयी वस्तु को जाँच करने की जिम्मेदारी होगी. विज्ञापन में किसी तरह की गलत जानकारी प्राप्त होने पर सेलेब्रिटी पर भी 1 साल का प्रतिबंध लगाया जायेगा और पुनः यह स्थिति दौहराने पर प्रतिबन्ध 1 साल से बढ़ाकर 3 साल कर दिया जायेगा.
- उपभोक्ता के संरक्षण के लिए दिये गये आदेशो का पालन ठीक उसी तरह होगा जिस तरह से सिविल कोर्ट के आदेशो का होता है. उपभोक्ता के हितों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग किसी भी योग्य व्यक्ति या संसथान से मदत ले सकता है.
- इस नये विधेयक के अंतर्गत उपभोक्ता शिकायत की स्थिति में अपनी शिकायत ऑनलाइन कर सकते है और सुनवाई भी विडियो कांफ्रेंस के द्वारा जितनी जल्दी हो की जाएगीं.
इस विधेयक के अंतर्गत निम्न बिन्दुओ पर पर सुनवाई की जाएगीं :
- इस विधेयक के अंतर्गत अनुचित अनुबंध पर सुनवाई की जाएगी. अनुचित अनुबंध के अंतर्गत यदि किसी उत्पादक या सेवा प्रदाता द्वारा अपनी सेवा या वस्तु के लिए अनुचित मूल्य वसूलने या अनुबंध के पुरा ना होने पर मनमाना जुर्माना लगाने या निर्माता द्वारा अनुबंध एकतरफा खत्म करने पर उपभोक्ता के अधिकारों का हनन होना शामिल है.
- यदि किसी उत्पादक द्वारा ख़राब माल बेचा जाता है या किसी सेवा प्रदाता द्वारा अच्छी सेवा नहीं उपलब्ध कराइ जाती हैं तो इन सभी मामलो की सुनवाई भी इस विधेयक के अंतर्गत की जाएगी.
- यदि किसी विक्रेता द्वारा मिलावटी सामान बेचा जाता है या उसे रखा जाता है तब भी इस विधेयक के अंतर्गत उपभोक्ता शिकायत कर सकता है.
- यदि इसी सेवा प्रदाता द्वारा समय पर सेवा नहीं दी जाती या पूर्व दिये गये निर्देश के अनुसार सेवा नहीं दी जाती तब भी इस फोरम के अंतर्गत उपभोक्ता शिकायत दर्ज करवा सकता है.
- ऑनलाइन खरीदी करने पर पहले मूल्य चुकाने बाद वस्तु नहीं उपलब्ध कराना, गलत वस्तु उपलब्ध कराने , वस्तु वापस करने पर पैसा वापस ना होना जैसे मामलो की भी इस विधेयक के अंतर्गत सुनवाई की जा सकेगी.
- यदि किसी संस्था द्वारा अपने सामान या सेवा से संबंधित गलत विज्ञापन दिया जाता है. जो उपभोक्ता गलत जानकारी प्रदान करता है, तो इस स्थिति में भी इस अधिनियम के अंतर्गत सुनवाई की जाती है.
इस संशोधित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के द्वारा उपभोक्ता संबंधित मामलो का समाधान जल्द संभव होगा और विक्रेता या सेवा प्रदाता संस्था पर भी कार्यवाही का डर बना रहेगा. जिससे उपभोक्ता को अच्छी सेवाए प्राप्त होगी.
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Sneha
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