कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जीवन परिचय (Kamaladevi Chattopadhyay Biography In Hindi, google doodle celebrates her birthday on 3rd April)
कमलादेवी भारत के स्वतंत्रता इतिहास से जुड़ा हुए एक प्रसिद्ध चेहरा हैं और इन्होंने भारत को आजाद करवाने के अलावा, और भी कई तरह के योगदान हमारे देश को दिए हैं. ये एक जानी मानी स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ- साथ एक समाज सुधारक भी थीं. इन्होंने भारतीय हस्तकला क्षेत्र में भी अपना काफी योगदान दिया था. वहीं इनके इन्हीं योगदानों को याद करते हुए, इनके जन्म दिन पर गूगल ने इनको याद किया है और अपना पेज इनको समर्पित किया है.

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जीवन परिचय
पूरा नाम | कमलादेवी चट्टोपाध्याय
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जन्म तारीख
| 3 अप्रैल, 1903 |
जन्म स्थान | मंगलोर, कर्नाटक |
मृत्यु तारीख
| 29 अक्टूबर, 1988 |
मृत्यु स्थान
| महाराष्ट्र |
पति का नाम | कृष्णा राव (1917–1919),
हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय (1923–1955)
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बेटे का नाम | संतान रामकृष्ण चट्टोपाध्याय
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माता का नाम | गिरिजा |
पिता नाम | अनन्तया धारेश्वर |
पेशा | स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाज सेविका
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इनको मिले पुरस्कार- | पद्म भूषण, पद्म विभूषण और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और इत्यादि
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कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जन्म और शिक्षा (Kamaladevi Chattopadhyay Birth And Education)
कमलादेवी चट्टोपाध्याय का ताल्लुक भारत के कर्नाटक राज्य से था और इन्होंने इसी राज्य में साल 1903 में जन्म लिया था. इस राज्य से ही इन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा हासिल की थी. जिसके बाद इन्होंने चेन्नई के क्यून मैरी कॉलेज में दाखिला ले लिया था और यहां से अपनी आगे की शिक्षा जारी रखी थी. इस कॉलेजी से अपनी पढ़ाई करने के अलावा इन्होंने लंदन के भी एक कॉलेज से अर्थशास्त्र के विषय में पढ़ाई कर रखी थी.
कमलादेवी चट्टोपाध्याय का परिवार (Kamaladevi Chattopadhyay Family Detail)
कमलादेवी चट्टोपाध्याय अपने माता-पिता की सबसे छोटी बेटी थी. इनसे पहले इनके माता-पिता के कुल तीन बच्चे थे. इनके पिता का नाम अनन्तया धारेश्वर था, जो कि एक सरकारी अफसर हुआ करते थे. वहीं इनकी माता का नाम गिरिजा था और वो भी काफी पढ़ी लिखी थी. कहा जाता है कि कमलादेवी की जिंदगी पर उनकी मां की गहरी छाप थी.
छोटी सी आयु में हुई शादी (Kamaladevi Chattopadhyay First Marriage) –
कमलादेवी चट्टोपाध्याय जब अपनी शिक्षा हासिल कर रही थी, उसी वक्त इनके परिवार वालों ने इनका विवाह करवा दिया था. साल 1917 में जब इनका विवाह हुआ था तो उस वक्त इनकी आयु केवल 14 वर्ष की थी. इनके पहले पति का नाम कृष्णा राव था. लेकिन इनके पति की मृत्यु शादी के दो साल बाद ही हो गई थी.
20 साल की आयु में किया दूसरा विवाह (Kamaladevi Chattopadhyay Second Marriage)
कमलादेवी जब 20 साल की थी तब इन्होंने दूसरा विवाह किया था और जिस व्यक्ति से इन्होंने ये दूसरा विवाह किया था, उसका नाम हरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय था. जो कि एक महान कवि होने के साथ-साथ नाटककार भी हुए करते थे. इस विवाह से इन्हें एक बेटा भी हुआ था जिसका नाम इन्होंने रामकृष्ण चट्टोपाध्याय रखा था.
लंदन में जाकर की पढ़ाई- दूसरी शादी करने के कुछ सालों बाद ही कमलादेवी अपने पति के साथ लंदन चले गई थी और यहां पर रहते हुए इन्होंने समाजशास्त्र में डिप्लोमा भी किया था. इन्होंने ये डिप्लोमा जिमलोम बेडफ़ोर्ड कॉलेज से किया था.
पति को दिया तलाक- कमला देवी के पति ने हमेशा से ही इनका साथ हर तरह की परिस्थिति में दिया था. लेकिन कमलादेवी की ये शादी 32 साल तक ही चल सकी थी और इन्होंने अपने पति से अलग होने का फैसला ले लिया था.

भारत की स्वतंत्रता के लिए कमलादेवी द्वारा किए गए कार्य (Kamaladevi Chattopadhyay Role In Independence)
असहयोग आंदोलन में लिया हिस्सा- कमलादेवी असहयोग आंदोलन का भी हिस्सा रही थी और इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए ये लंदन से वापस भारत आई थी. दरअसल ये लंदन में अपने पति के साथ रहे रही थी, तभी इनको इस आंदोलन के शुरू होने की खबर मिली और खबर मिलते ही ये भारत आ गई थी.
साल 1923 में भारत आने के बाद इन्होंने इस आंदोलन में भाग लेने के साथ-साथ, सेवा दल नामक एक संगठन में भी हिस्सा लिया था. ये संगठन सामाजिक उन्नति के लिए कार्य करता था. कमलादेवी ने इस संगठन के लक्ष्यों को हासिल करने का कार्य किया था और इनकी इसी मेहनत को देखते हुए इन्हें जल्द ही इस संगठन के महिला वर्ग का प्रभारी नियुक्त कर लिया गया. इन्होंने इस संगठन में रहते हुए हमारे देश की महिलाओं को इस संगठन के साथ जुड़ने का कार्य किया और उन्हें प्रशिक्षत भी किया.
नमक सत्याग्रह आंदोलन का भी रही हिस्सा- साल 1930 में जब नमक को लेकर हमारे देश में आंदोलन शुरू हुआ था, तो कमलादेवी उस आंदोलन का भी हिस्सा रही थी. इस आंदोलन को इन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर कामयाब बनाया था. इतना ही नहीं इन्होंने खुद से नमक भी बनाया था.
कमलादेवी से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें (Facts About Kamaladevi Chattopadhyay) –
विधान सभा का कार्य देखा- साल 1926 तक कमलादेवी ने देश में हो रहे कई आंदोलनों में भाग लिया था और इसी दौरान इनको मद्रास प्रांतीय विधान सभा का कार्य संभालने का मौका मिला था, जिसके साथ ही ये हमारे देश की पहली ऐसी महिला बन गई थी, जिन्होंने विधान सभा का कार्यालय चलाया था.
अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की बनी अध्यक्ष– कमलादेवी को साल 1926 में एक और अहम भूमिका सौंपी गई थी और इन्हें अखिल भारतीय महिला सम्मेलन का अध्यक्ष बना दिया गया था. इस सम्मेलन की जिम्मेदारी मिलते ही कमलादेवी ने महिलाओं के हित के लिए और कल्याण के लिए कई कार्यक्रमों को शुरू किया था.
लेडी इरविन कॉलेज की स्थापना में भी है कमलादेवी का हाथ- दिल्ली के लेडी इरविन कॉलेज की स्थापना के पीछे, अन्य लोगों के साथ-साथ कमलादेवी का भी हाथ था. साल 1932 में स्थापित हुए इस कॉलेजी को महिलाओं के लिए बनाया गया था. ताकि हमारे देश की महिलाएं आसानी से शिक्षा हासिल कर सकें.
कला के क्षेत्र में दिया योगदान– कमला देवी द्वारा कला के क्षेत्र में भी काफी योगदान दिया गया था और इनके इसी योगदान के चलते हमारे देश में कला से जुड़ी कई संस्थाएं बनाई गई थी. इन्हीं संस्थाओं में से कुछ संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं- राष्ट्रीय स्कूल ऑफ ड्रमा, नाटक इंस्टटीयू ऑफ कथक और कोरियोग्राफी, संगीत नाटक अकादमी और इत्यादि.
अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड की स्थापना– कमलादेवी को हस्तशिल्प से भी काफी लगाव था और हमारे देश में तरह-तरह की हस्तशिल्प को बचाए रखने के लिए, इन्होंने अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इतना ही नहीं ये इस बोर्ड की पहली अध्यक्ष भी बनाई गई थी.
भारत की आजादी के लिए किया विश्व दौरा- भारत को आजाद करवाने के लिए कमलादेवी ने एक विश्व दौरा भी किया था और अपने इस दौरे के दौरान इन्होंने भारत के हालातों को दुनिया के सामने रखा था. ताकि हमारे देश की आजादी के लिए ब्रिटिश पर दवाब बनाया जा सके.
फरीदाबाद को किया स्थापित– जब भारत को आजादी मिली थी, तो उस वक्त पाकिस्तान से कई संख्या में लोग हमारे देश में आए थे. इन लोगों के पास ना तो घर था, ना खाने के लिए खाना. ऐसी स्थिति में इन लोगों की मदद कमलादेवी जी ने की थी और इन्होंने उस समय इन लोगों के रहने के लिए फरीदाबाद शहर को बनाया था. इस शहर में करीब 50 हजार से अधिक शरणार्थियों का पुनर्वास किया गया था.
फिल्म में भी किया है कमलादेवी ने काम-
कमलादेवी को अभिनय करने का भी काफी शौका था और इन्होंने कन्नड़ की कुछ फिल्मों में कार्य भी किया था. इनके द्वारा की गई कुछ फिल्म के नाम और जानकारी इस प्रकार हैं-
- ‘मृच्छकक्तिका’ नामक फिल्म साल 1931 में रिलीज हुई थी और इस फिल्म के जरिए ही कमलादेवी ने फिल्म जगत में अपना पहला कदम रखा था. इस फिल्म के बाद जो अगली फिल्म इन्होंने की थी उसका नाम तानसेन था और ये फिल्म साल 1943 में रिलीज हुई थी.
- साल 1943 में इनकी जो अलगी फिल्म रिलीज हुई थी, उसका नाम शंकर पार्वती था और इस फिल्म में भी कमलादेवी ने एक छोटा सा अभिनय किया था. इन फिल्मों के अलावा इन्हें धन्ना भगत नाम फिल्म में भी कार्य किया था.
अपने जीवनकाल में लिखीं कई किताबें (Books Written By Kamaladevi Chattopadhyay) –
कमलादेवी को लिखने का भी काफी शौक हुआ करता था और इन्होंने अपने जीवनकाल के दौरान कई सारी पुस्तकें लिखीं थी. इनके द्वारा जो पहली किताब लिखी गई थी उसका नाम ‘द अवेकनिंग ऑफ़ इंडियन वीमेन’ था और ये किताब साल 1939 में प्रकाशित हुई थी. इस किताब के अलावा इन्होंने, जापान इट्स वीकनेस एंड स्ट्रेंथ, अंकल सैम एम्पायर, इन वॉर टॉर्न चीन, ट्रडीशन्स ऑफ़ इंडियन फोक डांस, द ग्लोरी ऑफ़ इंडिया हैंडीक्राफ्ट्स और इत्यादि किताबे भी लिखी थी. इसके अलावा अन्य कई लेखकों ने कमलादेवी के जीवन के ऊपर कई किताबें भी लिख रखी हैं.
कमला देवी को मिले इनाम (Awards and Recognition)
- कमला देवी के योगदान के लिए इन्हें भारत सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया था और साल 1995 में इन्हें सरकार ने सम्मानित करते हुए पद्म भूषण दिया था. इसके अलावा साल 1987 में भी इनको हमारे देश की सरकार की और से पद्म विभूषण भी दिया गया था. साल 1966 में इन्हें रमन मैगसेसे इनाम भी दिया गया था और ये इनाम इन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए मिला था.
- इसके अलावा साल 1974 में इन्हें संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप भी दी गई थी. कमलादेवी के कार्यों के लिए इन्हें देसीकोट्टमा इनाम भी दिया गया था. ये इनाम शांतिनिकेतन का उच्चतम पुरस्कार है.
- भारत सरकार ने कमलादेवी के सम्मान में इनके नाम से एक पुरस्कार भी बनाया है और इस पुरस्कार का नाम ‘कमलादेवी चट्टोपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कारों’ है. ये पुरस्कार वीमेन हैंडलूम वीवर्स और हैंडीक्राफ्ट्स क्राफ्ट्समैन को दिया जाता है. इस पुरस्कार को देने की घोषणा साल 2017 में की गई थी. यूनेस्को ने भी हस्तशिल्प क्षेत्र में इनके दिए गए योगदान को सम्मानित करते हुए इन्हें साल 1 9 77 में इनाम दिया था.
कमलादेवी की मृत्यु (Kamaladevi Chattopadhyay Death )
कमला देवी ने अपनी अंतिम सांस महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में ली थी और 29 अक्टूबर 1988 में इस दुनिया से विदाई ले ली थी. जिस वक्त इनकी मृत्यु हुई थी उस वक्त इनकी आयु 85 वर्ष की थी. कमलादेवी एक साहसी महिला थी जिन्होंने समाज के बनाए गए नियमों के विरुद्ध जाकर अपना जीवन जिया था. उस समय में दूसरी शादी को समाज में अपराध माना जाता था. लेकिन इन्होंने समाज की इस छोटी सी सोच को नजरअंदाज करते हुए दूसरा विवाह किया. इतना ही नहीं कमला देवी की कोशिशों की वजह से ही आज हमारे देश में हस्तकला को बढ़ावा मिल सका है.
115 जन्म दिवस पर गूगल ने किया सम्मानित (Kamaladevi honoured with Google Doodle on her 115th birth anniversary)
इनके जन्म दिवस के दिन यानी 3 अप्रैल को इन्हें याद करते हुए गूगल ने अपने होमपेज को इनके नाम किया और डूडल में इनकी तस्वीर के साथ संगीत और हस्तकाल को दिखाया गया. इस तस्वीर के जरिए डूडल ने कमलादेवी के उन योगदान की एक झलक दिखाने की कोशिश की जो इन्होंने हमारे देश को दिए हैं.
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