2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला की जानकारी | 2G spectrum scam Case and Judgement in hindi
भारत में हुए कई बड़े घोटालों में से 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला एक है. दूरसंचार क्षेत्र में हुए इस घोटाले का खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा साल 2010 में किया गया था. सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया था कि मोबाइल सेवाओं के लिए आवंटित किए गए 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में नियमों की अनदेखी की गई है और कौड़ियों के दामों पर दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए हैं. जिससे भारत सरकार के खजाने को करीब 1,76,000 हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है. वहीं 2 अप्रैल 2011 को जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा इस घोटाले में दायर की कई एक रिपोर्ट में ₹309,845.5 (मिलियन) दस लाख के नुकसान होने की बात कही गई थी. जिसे टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने गलत बताते हुए कहा था कि सरकार को 2 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से नुकसान नहीं बल्कि करीब 30 अरब का फायदा हुआ है.
क्या था 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला (What is the 2G spectrum scam)
साल 2008 में 2 जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस को 2001 की कीमत पर पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दूरसंचार कंपनियों को प्रदान किये गए थे. यानी जिस कंपनी ने पहले 2 जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए आवेदन किया, उसको ये लाइसेंस दे दिए गए. बिना ये देखे की वो कंपनी ये लाइसेंस पाने के योग्य है कि नहीं. इतना ही नहीं ये लाइसेंस मिट्टी के दामों पर इन कंपनियों को दिए गए. जिसके बाद संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मंत्री एंडिमुथु राजा पर नियमों की अनदेखी और निजी फायदे के लिए, इन लाइसेंस को दूरसंचार क्षेत्र में बिना अनुभव वाली कंपनियों को देने का आरोप लगाए गए.
सुप्रीम कोर्ट ने किए लाइसेंस रद्द (2 g spectrum supreme court judgement)
फरवरी 2012 को देश के उच्चतम न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन को “असंवैधानिक और विवेकाधीन ” घोषित कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सरकार को कहा कि वो साल 2007 से 2009 के बीच भारत संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए 122 लाइसेंसों को रद्द कर दे और इन लाइसेंस को फिर से सही नियमों के अनुसार आवंटित किया जाये. साल 2007 से 2009 के समय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ए राजा के हाथों में था. 2007 में उन्हें दूरसंचार मंत्री नियुक्त किया गया था, जो कि इस घोटाले के मुख्य आरोपी हैं.
प्रधानमंत्री के पत्र को किया अनदेखी
उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन शुरू होने से पहले एक पत्र दूरसंचार मंत्री ए राजा को लिखा था. अपने पत्र में मनमोहन सिंह ने स्पेक्ट्रम आवंटन को सही तरह से कराए जाने की बात राजा से कही थी. हालांकि राजा ने प्रधानमंत्री के पत्र को अनदेखा कर अपने हिसाब से नियमों में फेर बदल कर आवंटन की प्रकिया की.
कब-कब क्या हुआ 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला में | 2G spectrum scam Case – A Short Summary in hindi
16 मई 2007 में कांग्रेस ने एंडिमुथु राजा को दूरसंचार मंत्रालय का मंत्री बनाया. अगस्त 2007 में 2 स्पेक्ट्रम लाइसेंस और यूनिवर्सल एक्सेस सर्विस (यूएएस) लाइसेंस, के लिए दूरसंचार कंपनियों से आवदेन मांगे गए. सितम्बर में आवेदन की अंतिम तारीख को 1 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया. 1 अक्टूबर तक दूरसंचार विभाग के पास कुल 46 कंपनियों ने यूएएस लाइसेंस के लिए 575 आवेदन भेज दिए थे. लेकिन 10 जनवरी, 2008 को दूरसंचार विभाग ने पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर लाइसेंस जारी करने का निर्णय लिया है और अपनी वेबसाइट पर इस बात की घोषणा कर दी, कि 3.30 से 4.30 के बीच मिले हुए आवेदनों को लाइसेंस जारी किए जाएंगे. यानी कंपनियों की योग्यता को अनदेखा कर ये फैसला लिया गया.
वहीं केंद्रीय सतर्कता आयोग ने इस आवंटन में खामियां पाईं और दूरसंचार मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की. 21 अक्टूबर 2009 को सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए केस दर्ज किया और दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी की. जिसके बाद 17 अक्टूबर 2010 को उस समय के भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय ने इस मामले में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन में दोषी पाया. जिसके बाद ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा. 2011 में राजा, उनके पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया और एम.के कनिमोड़ी, जो कि तमिलनाडु राज्य के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके एम. करुणानिधि की बेटी और सांसद है, उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया.
कंपनियों को पहुंचा फायदा
स्वान टेलीकॉम, एडोनिस प्रोजेक्ट्स, नाहन प्रॉपर्टीज, असका प्रोजेक्ट्स, यूनिटेक बिल्डर्स एंड एस्टेट्स, यूनिटेक इंफ्रास्ट्रक्चर, लूप टेलीकॉम, डेटाकॉम सॉल्यूशंस, आइडिया सेल्युलर, टाटा टेलीसर्विसेज, स्पाइस कम्युनिकेशंस और श्याम टेलीलिंक, वो कुछ कंपनियां हैं जिन्हें सस्ते दामों में स्पेक्ट्रम दिए गए थे. वहीं स्वान टेलीकॉम ने एटिसलाट कंपनी, यूनिटेक ने टेलिनॉर कंपनी और टाटा टेलीसर्विसेज ने डूओमो कंपनी को ज्यादा कीमत पर स्पेक्ट्रम बेच दिए थे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन कंपनियों को दिए गए लाइसेंस को रद्द कर दिया गया था. वहीं रिलायंस टेलीकॉम, यूनिटेक, लूप टेलीकॉम, लूप मोबाइल इंडिया, एस्सार टेली होल्डिंग, एस्सार समूह और स्वान पर सीबीआई की स्पेशल अदालत में केस चलाया गया है.
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला केस का फैसला ( 2G spectrum Scam Case Judgement)
गुरुवार यानि आज के दिन 21 दिसंबर सन् 2017 को 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामलें में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा एवं राज्यसभा के सदस्य कनिमोझी को दिल्ली की एक अदालत ने निर्दोष मानते हुए रिहा कर दिया है. इस मामले में सीबीआई ने इनको आरोपी मानकर चार्ज शीट दायर की थी. इतना ही नहीं भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अभी तत्काल में ही इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय जाने की घोषणा की है.
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