सेकेण्ड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल का जीवन परिचय [Arun Khetrapal Story in Hindi] Caste, Biopic Cast, Father, Movie Release Date, Param Vir Chakra, Tank Name]
हमारे देश में फौजी बॉर्डर पर हमारी सलामती के लिए निरंतर तैनात रहते हैं . इन फौजियों को अपनी मातृभूमि से बहुत प्यार होता है और अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु यह अपने प्राणों की आहुति देने में जरा सा भी नहीं कतराते हैं . न जाने कितने ऐसे वीर फौजी हमारी एवं हमारे देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए हैं . आज के जमाने में लोग राजनेता अभिनेता एवं बड़ी-बड़ी हस्तियों के बारे में सुनना एवं बातें करना पसंद करते हैं . परंतु हमारे वीर फौजियों के बारे में जैसे लोगों को संपूर्ण रूप से जानकारी नहीं होती है .
आज हम आपको एक ऐसे ही वीर फौजी के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने 1971 के युद्ध में अपने प्राणों की हंसते-हंसते एवं मातृभूमि की रक्षा करते हुए आहुति दे दी . जी हां आज हम आपको इस लेख के माध्यम से अरुण खेत्रपाल के जीवन परिचय से रूबरू कराने वाले हैं . इस वीर पुरुष की वीरगाथा हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे . ऐसे ही वीर पुरुषों की वजह से हम और हमारे देश के बच्चे और हमारा देश खुद को सुरक्षित महसूस करता है . तो हमारे इस लेख को आप तक अवश्य पढ़ें एवं जाने की कैसे अरुण खेत्रपाल ने अपने प्राणों की आहुति अपनी मातृभूमि के रक्षा के लिए दे दिए .

अरुण खेत्रपाल का जीवन परिचय [Arun Khetrapal Biograpy in hindi]
पूरा नाम | सेकेंड लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल |
जन्म | 14 अक्तूबर, 1950 |
जन्म भूमि | पूना, महाराष्ट्र |
शहादत | 16 दिसम्बर, 1971 |
स्थान | बारापिंड, शकरगढ़, पंजाब |
अभिभावक | श्री मदन लाल खेत्रपाल (पिता) |
सेना | भारतीय थल सेना |
रैंक | सेकेंड लेफ़्टिनेंट |
यूनिट | 17 पूना हॉर्स |
सेवा काल | 1971 (6 माह) |
युद्ध | भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971) |
सम्मान | परमवीर चक्र (1971) |
नागरिकता | भारतीय |
अतिरिक्त जानकारी | 1848 के युद्ध में ब्रिटिश सेना के खिलाफ अरुण खेत्रपाल के परदादा जी ने सिख सेना का निर्वहन किया था . |
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अरुण खेत्रपाल का प्रारंभिक जीवन एवं परिवारिक परिचय [Initial Life, Family Tree]
पाकिस्तान की सेना को खदेड़ने वाला एवं 1971 के युद्ध में वीरता का दिखाते हुए , इस शहीद जवान का जन्म 14 अक्टूबर 1950 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था . इनके पिता मदनलाल खेत्रपाल भी भारतीय सेना से जुड़े हुए थे , वे लेफ्टिनेंट कर्नल और फिर बाद में ब्रिगेडियर के रूप में कार्य कर रहे थे . यानी कि भारतीय आर्मी सेना में , वे कोर ऑफ इंजीनियर के अधिकारी थे . वहीं पर शहीद अरुण के परदादा भी 1848 के युद्ध में ब्रिटिश आर्मी के खिलाफ शिवसेना की तरफ से लड़े थे .अरुण खेत्रपाल की रग रग में मातृभूमि की रक्षा हेतु के स्वभाव एवं उत्सुकता भरी पड़ी थी . वीर अरुण के परदादा के बाद अरुण के दादाजी प्रथम विश्व युद्ध में 1917 से 1919 के बीच में सैनिक के रूप में सहयोगी थे . इससे यह पता चलता है कि शहीद अरुण खेत्रपाल के खून में मातृभूमि के प्रति प्रेम पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही थी .
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शहीद अरुण खेत्रपाल की प्रारंभिक शिक्षा एवं एनडीए (NDA) शामिल होना [Education]
जैसा कि वीर शहीद अरुण खेत्रपाल के पिता भी आर्मी में कार्यरत थे , तो उनका ट्रांसफर अलग-अलग जगहों पर समय समय पर होता था , जिस वजह से अरुण खेत्रपाल की शिक्षा अलग-अलग जगहों पर पूरी हुई थी . परंतु उन्होंने अपने शिक्षा के अंतिम 5 वर्ष को निरंतर रूप से लॉरेंस स्कूल सनावर में व्यतीत किए हुए थे . अरुण खेत्रपाल पढ़ाई लिखाई में बहुत ही तीव्र दिमाग के थे . पढ़ाई के अतिरिक्त उनको खेलकूद भी करना काफी अच्छा लगता था और खेलकूद में उनको क्रिकेट बहुत ही प्रिय था .
अपने पसंदीदा खेल में वह अपने स्कूल के अंदर बेस्ट क्रिकेटर के रूप में खेला करते थे . 1968 में अरुण खेत्रपाल को एनडीए में शामिल होने का अवसर मिला और उनकी एनडीए संख्या 7498/एफ/38 थीं . अभी अरुण खेत्रपाल को 13 जून 1971 में 17 पूना हॉर्स में नियुक्ति मिल गई . इसी जगह से उनका सैन्य जीवन का शुभारंभ हुआ .
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अरुण खेत्रपाल का करियर कैसा रहा [Career]
16 दिसंबर 1971 का वह समय भारत के लिए बहुत ही गंभीरता पूर्ण था . इसी समय में भारत और पाकिस्तान का युद्ध छिड़ गया था . इसी समय की अवधि में वीर अरुण खेत्रपाल 47 वी ब्रिगेड शंकरगढ़ सेक्टर में ही युद्ध के लिए तैनात थी . सिर्फ 6 महीने के दैनिक जीवन के दौरान ही शहीद अरुण खेत्रपाल ने अपने प्राणों की आहुति मातृभूमि की रक्षा करते करते दे दी .
1971 के युद्ध में शहीद अरुण खेत्रपाल का महत्वपूर्ण योगदान
16 दिसंबर 1971 का वह समय जब पाकिस्तान और भारत के बीच में युद्ध छिड़ा हुआ था तब उस समय इस युद्ध में वीर अरुण खेत्रपाल अपने एक स्क्वाडर्न की जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे थे . और युद्ध में निरंतर रूप से पाकिस्तान के एक-एक करके तोपों को नष्ट करते हुए और पाकिस्तानी सेना को पराजय की ओर ढकेलते जा रहे थे . उन्होंने कुल 10 से 11 पाकिस्तानी तोपों को नष्ट कर दिया था .
और इस युद्ध में भारतीय सेना की बढ़त बनी हुई थी तभी अचानक अरुण खेत्रपाल का तोप दुश्मन के निशाने पर आ गया और दुश्मन की तोप ने अचानक से अरुण की तोप पर हमला कर दिया और युद्ध के मैदानी क्षेत्र में वीर अरुण का तोप प्रभावित हुआ . उनके इस तोप मशीन में आग लग गई तभी अचानक भारतीय सेना की तरफ से उनको वापस आने का निर्देश दिया गया, परंतु उन्होंने अपने इस लड़ाई को निरंतर रूप से जारी रखा और कई अन्य पाकिस्तानी तोपों को भारतीय सीमा के अंदर घुसने से रोक दिया . उस युद्ध में वीर अरुण खेत्रपाल बहुत ही बुरी तरीके से घायल हो चुके थे , परंतु फिर भी वह हार ना मानते हुए पाकिस्तानी सेना से लड़ते जा रहे थे . हमारे देश के आज भी हर सैनिक अरुण खेत्रपाल के जैसे मातृभूमि की रक्षा करने के लिए सदैव तैयार रहता हैं और वह किसी भी परिस्थिति में खुद को बेहतर बना के मातृभूमि की रक्षा हेतु हमेशा तत्पर रहते हैं .
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शहीद अरुण खेत्रपाल को भारतीय सेना द्वारा सर्वोच्च सम्मान पुरस्कार [National Awards]
अपनी मातृभूमि की रक्षा एवं युद्ध क्षेत्र में अपनी वीरता का परिचय देते हुए दुश्मन सैनिकों को मार भगाने की भावना जागृत रखते हुए . युद्ध के दौरान निरंतर रूप से अपने सैनिकों का निर्वाहन करते हुए . वीरगति को प्राप्त सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल को मरणोपरांत 1972 में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया एवं उनके वीरता का गुणगान भी भारतीय सैनिकों ने और भारत के देशवासियों ने भली-भांति किया .
अरुण खेत्रपाल की मृत्यु [Death]
पाकिस्तान और भारत के बीच 1971 का वह युद्ध बहुत ही ऐतिहासिक एवं बलिदानी के रूप में सदैव भारती देशवासी याद करते रहेंगे . भारत-पाकिस्तान के इसी युद्ध में 16 दिसंबर 1971 को अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीर अरुण खेत्रपाल वीरगति को प्राप्त हुए थे .
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जैसे हम बड़े एवं प्रसिद्ध लोगों को याद करते हैं वैसे ही हमारा कर्तव्य बनता है , कि हम अपने बॉर्डर पर खड़े हमारी सुरक्षा के लिए उन सभी फौजियों को याद करें एवं उनको शुभकामनाएं देते हुए . ऐसे वीर सैनिकों को कभी भी नहीं बुलाना चाहिए. हमें अपनी भारतीय आर्मी एवं भारतीय की अखंडता पर सदैव गर्व होना चाहिए . आज भी हमारे देश में शहीद अरुण खेत्रपाल के जैसे न जाने कितने नौजवान सैनिक भर्ती होते रहते हैं .अरुण खेत्रपाल के जीवन परिचय से हमें यह जरूर सबक लेनी चाहिए कि मातृभूमि की रक्षा से बढ़कर एवं अपने देश के सम्मान से बढ़कर कोई और बड़ी चीज नहीं हो सकती है . ऐसे वीर पुरुषों को हमारी तरफ से भावपूर्ण तरीके से श्रद्धांजलि एवं हम कामना करते हैं , कि भगवान उनकी आत्मा को सदैव शांति प्रदान करें .
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