बेन कार्सन बायोग्राफी Ben Carson biography hindi
बेन कार्सन एक जानी मानी हस्ती हैं अभी इन्हें अगले अमिरीकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों में से एक के रूप में जाना जा रहा हैं . कार्सन एक प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन हैं . इन्होने कई जुड़वाँ बच्चे जो एक दुसरे से जुड़े रहते थे उनके अलग किया . कई बार सफलता भी मिली लेकिन कई बार निराशा भी हाथ आई .
बेन कार्सन बायोग्राफी
संक्षिप्त विवरण :
बेन कार्सन का जन्म 18 सितम्बर 1951 में डेट्रॉइट मिशिगन में हुआ . कार्सन की माता जी जो कि बहुत कम पढ़ी लिखी थी उन्होंने कार्सन को हमेशा पढाई के लिये प्रेरित किया और अपने आपन पर भरोसा रखकर आगे बढ़ने का हौसला दिया . कार्सन एक बहुत गरीब परिवार से थे पर वे एक मेघावी छात्र थे इन्होने अपनी पढाई मेडिकल स्कूल से की . यह एक होनहार डॉक्टर बने . एक चिकित्सक के रूप में इन्होने 33 वर्ष की आयु में जॉन्स हॉपकिंस हॉस्पिटल में बाल चिकित्सा न्यूरोसर्जरी के माध्यम से संयुक्त रूप से जुड़वाँ को अलग करके ख्याति प्राप्त की . वर्ष 2015 में इन्होने आगामी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में हिस्सा लेने का फैसला किया हैं . यह अपनी पार्टी में एक मुख्य उम्मीदवार के रूप में जाने जाते हैं .
जन्म एवम पारिवारिक पृष्ठभूमि :
इनका पुरा नाम बेंजामिन सोलोमन कार्सन हैं . कार्सन, सोन्या और रोबर्ट की दूसरी संतान हैं . इनकी माँ सोन्या बहुत कम पढ़ी लिखी थी . यह एक बहुत बड़े परिवार में टेनेसी रहती थी इन्होने मात्र तीसरी कक्षा तक ही पढाई की थी . महज 13 वर्ष की आयु में इन्होने बपिस्त मिनिस्टर एवम फेक्ट्री वर्कर रोबर्ट कार्सन से शादी कर ली . कुछ समय बाद दोनों डेट्रॉइट चले गये जहाँ सोन्या ने दो बच्चो को जन्म दिया . लेकिन सोन्या को अपने पति रोबर्ट से तलाक लेना पड़ा क्यूंकि उनकी एक और फेमिली थी जिसके बारे में सोन्या को नहीं पता था . तलाक के बाद रोबर्ट अपनी पहली फॅमिली के साथ रहने चले गये और सोन्य अपने दोनों बच्चो के साथ अकेली रह गई .
1 | पूरा नाम | बेंजामिन सोलोमन कार्सन |
2 | माता पिता | सोन्या, रोबर्ट |
3 | भाई | कर्टसी |
4 | पत्नी | कैंडी रुस्टीन |
5 | संतान | Murray, Benjamin Jr. Rhoeyce |
6 | शिक्षा | मेडिकल |
7 | काम | लेखक , सर्जन |
कार्सन के जीवन में माँ का प्रभाव :
जब बेन की उम्र 8 वर्ष थी और उनके भाई की उम्र 10 वर्ष थी तब माँ ने अकेले ही इन दोनों का पालन पोषण किया . कुछ समय के लिए सोन्या अपनी बहन के पास बोस्टन चली गई लेकिन थोड़े दिनों बाद ही डेट्रॉइट लौट आई . इनकी फॅमिली बहुत गरीब थी . सोन्या को अपने बच्चो को पालने के लिए दो से तीन जॉब करना पड़ता था ज्यादातर उन्हें घेरेलु छोटे मोटे काम ही मिलते थे . अपनी माँ के संघर्ष की कहानी खुद कार्सन ने अपनी बायोग्राफी में लिखी हैं कि किस तरह पारिवारिक आय के लिए उनकी माँ कपड़े धोती थी और कपड़े सिलने का काम करती थी . बेन ने यह भी बताया कि किस तरह वे अपने पास के खेतों में जाकर सब्जी बो कर खाते थे उनकी माँ बच्चो के लिये खुद सब्जी तैयार करती थी . सोन्या जिस तरह पुरे उत्साह के साथ अपने बच्चो को पाल रही थी कहीं ना कहीं यह बच्चो के व्यक्तित्व पर एक अच्छी छाप थी . सोन्या अपने बच्चो को करके दिखाना चाहती थी कि इस दुनियाँ में कुछ भी नामुमकिन नहीं हैं .
पढने की शक्ति :
बेन और उनके भाई कर्टसी को स्कूल में बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा . उन्हें सहपाठियों ने मजाक का एक जरिया बना लिया था और उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया जाता था .
बेन की माँ ने दोनों भाइयों को एक नियमित समय सारणी और नियमों में बांध रखा था जिसमे टीवी पर निर्धारित समय तक ही अपने पसंदीदा शो देख सकते थे . होमवर्क पूरा करके ही खेलने जा सकते थे . इसके आलावा सोन्या ने दोनों भाइयों को एक और महत्वपूर्ण कार्य दिया था . उन्हें पुरे सप्ताह में कोई भी दो पसंदीदा लाईब्रेरी किताबे पढ़ने और उनके बारे में एक समीक्षा लिखने को कहा गया था . सोन्या खुद बहुत कम पढ़ी लिखी थी लेकिन अपने बच्चो के सर्वांगिक विकास में उन्होंने कोई कसर नही रखी थी . शुरुवाती समय में बेन को इस सबमे में बहुत परेशानियाँ हुई पर उन्हें धीरे-धीरे इसमें मजा आने लगा और वे पढ़ने की आदत में इस तरह खो गये कि उसके लिए वो कुछ भी करके समय निकाल लेते थे . वे हर तरह की किताबे पढ़ते थे और उनमे इस तरह खो जाते थे कि खुद को उसका एक मुख्य किरदार समझने लगते थे . उन्हें टेलीविजन से ज्यादा अच्छा किताबों में लगने लगा था . और उनके इस हुनर का फायदा उन्हें एकेडमिक कामों में मिला . पढ़ने की इस कला के कारण बेन तेजी से चीजों को समझने लगे और खुद का दृष्टिकोण बनाने लगे . जहाँ उनकी उम्र के बच्चे स्कूल की किताबो को बस पढ़ ही पाते थे वही बेन उन्हें पढ़कर समझ भी लेते थे . उनकी यह प्रतिभा तब सामने आई जब उन्हें 8 क्लास में अवार्ड मिला और उनके टीचर ने सभी के बीच उनके हुनर की प्रशंसा की . बेन के लिये यह एक बड़ी उपलब्धि थी क्यूंकि वे काली चमड़ी के थे जिसके लिए उन्हें गौरो के सामने बहुत शर्मिंदा होना पड़ता था .

बेन कार्सन ने अपनी बायोग्राफी में कहा हैं कि उन्हें बहुत ज्यादा गुस्सा आता था जिस कारण वे अक्सर ही मार पिटाई कर दिया करते थे जिसके कारण उनकी माँ को बहुत शर्मिंदा होना पड़ता था . एक बार इन्होने अपनी ही माँ को हैमर से मारने की कोशिश की क्यूंकि उन्होंने उनकी पसंद के कपडे उन्हें नहीं दिए . बेन को भी अपने इस गुस्से से बहुत शर्मिंदगी थी लेकिन वे उस पर काबू ही नहीं कर पा रहे थे . उन्होंने अपनी सबसे आखरी घटना जिसमे उन्होंने अपने एक दोस्त को ब्लेड से प्रहार कर दिया और डरकर घर भाग कर खुद को बाथरूम में बंद कर दिया . उस घटना से बेन बहुत ज्यादा डर गये थे और अपने हाथ में बाइबिल लेकर भगवान से खुद को बचाने की प्रार्थना करने लगे और तब उन्हें अपनी गलतियों का अहसास हुआ और उन्होंने अपने आप को बदला .
सर्जिकल करियर :
कार्सन ने साउथवेस्टर्न से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की . 1973 में मनोविज्ञान में बी.ए. की डिग्री प्राप्त की जिसे पूरी करने के लिए उन्हें पूरी स्कॉलरशिप दी गई .कार्सन ने न्यूरोसर्जन बनने की इच्छा से स्कूल ऑफ मेडिसिन मिशिगन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया . 1975 में बेन कार्सन ने येल में लसना कैंडी रुस्टिन से शादी की और अपनी मेडिकल डिग्री लेकर दोनों बाल्टिमोर मेरीलैंड चले गये जहाँ उन्होंने जॉन होप्किंग्स यूनिवर्सिटी में एक इंटर्न के तौर पर कार्य शुरू किया. अपनी प्रतिभा के कारण कार्सन जल्द ही एक बहुत अच्छे न्यूरोसर्जन बन गए . 1982 में वे हॉपकिंस के सबसे सफल न्यूरोसर्जन के रूप में जाने जाने लगे .
1983 में कार्सन को एक बहुत महत्वपूर्ण निमंत्रण मिला जिसके तहत उन्हें ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध हॉस्पिटल से सर चार्ल्स ने अपने हॉस्पिटल के लिए एक न्यूसर्जन के तौर पर स्थान ऑफर किया . उनके आग्रह पर कार्सन ने ऑफर को स्वीकार कर लिया और पहली बार घर से बहुत दूर जाकर ऑस्ट्रेलिया में काम किया जो कि उनके लिए बहुत कारगर साबित हुआ और उन्हें काफी अच्छे अनुभव भी मिले .
1984 में कार्सन जॉन हॉपकिंग्स वापस लौट आये और 1985 में वे बाल चिकित्सा न्यूरोसर्जरी के डायरेक्टर बनाये गए . कार्सन सबसे कम उम्र 33 वर्ष के सबसे पहले डॉक्टर थे जिन्हें इतना महत्वपूर्ण पद मिला . 1987 में कार्सन के सामने एक बहुत महत्वपूर्ण केस आया जिसके लिये उन्हें जर्मनी जाना पड़ा और उस केस ने कार्सन को विश्वस्तर पर पहचान दिलाई . जर्मनी के दो जुड़वाँ बच्चे पेट्रिक और बेज्नामिन जो कि सिर के पिछले हिस्से से जुड़े हुए थे जिन्हें अलग करने के लिये मस्तिष्क सर्जरी की आवश्यक्ता थी . सर्जरी को सफल बनाने के लिए कार्सन को कांटेक्ट किया गया .
4 सितम्बर 1987 को कार्सन ने इस अदिवितीय ऑपरेशन को सफलता पूर्वक किया और दोनों बच्चो को एक दुसरे से अलग किया जिसके लिए कार्सन ने बहुत दिनों तक कई एक्सपेरिमेंट किये और एक सफल डॉक्टर और नर्स की टीम तैयार की . इसके बाद 1994 में साउथ अफ्रीका में दो जुड़वाँ लड़कियों को अलग करने के प्रयास में कार्सन विफल हो गये जिसका उन्हें बहुत दुःख हुआ . 1997 में कार्सन ने दक्षिणअफ्रीका के जाम्बिया में दो बालको लूका और यूसुफ बांदा को अलग किया . यह ओपरेशन बहुत कठिन था दोनों बच्चे सिर से जुड़े थे और उनके चेहरे विपरीत दिशा में थे . 28 घंटे के बाद उन्होंने इस ऑपरेशन को पूरा किया और बिना किसी नुक्सान के दोनों बालको को अलग किया . इसके बाद कार्सन को मीडिया ने फोकस किया और कई सवाल किये जिनके कार्सन ने इतनी सहजता से जवाब दिए कि सभी को उनकी सादगी भा गई और उनके जीवन की कठिन कहानी सभी के लिये मार्गदर्शन बनी .
कार्सन के सामने सबसे बड़ी समस्या 2003 में आई अब तक उन्होंने जुड़वाँ छोटे बच्चो को अलग किया था लेकिन अब उनके सामने दो बहने थी जिनकी उम्र 29 वर्ष थी . वे दोनों ईरान की लदान और लालेह बिजानी थी इन्होने अपना अब तक का जीवन एक साथ ही गुजारा दोनों ने लॉ की डिग्री भी हासिल की लेकिन अब वे अलग होना चाहती थी . दोनों ने मन बना लिया था कि अब या तो वो अलग होंगी या मर जायेंगी . उनके इस जस्बे ने कार्सन को बहुत उत्साह दिया था और कार्सन ने इसे करने के लिए जी जान से कोशिश की . पूरा ऑपरेशन कई घंटे चला . यह ऑपरेशन बहुत मुश्किल था क्यूंकि दिमाग का कई हिस्सा एक दुसरे में विलय था . इस ऑपरेशन के लिये कार्सन ने 100 डॉक्टर की टीम से कंसल्ट किया . कई बार ऑपरेशन को कत्रिम रूप से किया गया . अन्तः 6 जुलाई 2003 को इस ऑपरेशन शुरू किया गया लेकिन कार्सन को इसमे सफलता नहीं मिली लदान ने ऑपरेशन टेबल पर ही दम तोड़ दिया और लालेह कुछ समय बाद इस दुनियाँ से चली गई . कार्सन को बहुत दुःख हुआ क्यूंकि वे उन दोनों लड़कियों के हौसलों को जीता नहीं सके थे .
बीमारी :
कार्सन को घातक रोग कैंसर ने जकड़ लिया . उन्होंने बड़े सैयम से इस कठिन परिस्थिती का सामना किया . स्वयम की बीमारी का पता कर डॉक्टर की टीम के साथ मिलकर ऑपरेशन का फैसला लिया और सफलता पूर्वक रोगमुक्त हुये . कार्सन के जीवन पर कैंसर के कारण कोई समस्या नहीं हैं . ठीक होने के बाद कार्सन ने पुनः अपने कार्य को उत्साह से शुरू किया .
कार्सन एक लेखक :
कार्सन की पढने की कला के बारे में हमने आपको बताया लेकिन उनमे लिखने की भी कला थी जिसे उन्होंने अपनी किताबो के जरिये सभी के सामने रखा . उनकी किताबो में उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को लिखा हैं जो कि युवा पीढ़ी के लिए बहुत दिलचस्प साबित हुए .
उन में से कुछ किताबों के नाम इस प्रकार हैं :
- गिफ्टेड हैण्ड (1990) ऑटो बायोग्राफी
- थिंक बिग (1992)
- द पिक्चर (1999)
- टेक द रिस्क (2007)
- अमेरिका द ब्यूटीफुल (2012)
इन सभी किताबों के लिए उन्हें प्रशंसा मिली और कई महत्वपूर्ण अवार्ड्स भी . इन्हें प्रेसिडेंट बुश ने भी मैडल से सम्मानित किया और इन्हें कई मैगज़ीन में बहुत अच्छी उपाधियों से सम्मानित किया गया . कार्सन की बायोग्राफी पर क्यूबा गूडिंग ने काम भी किया .
राजनैतिक सफ़र :
पैशे से डॉक्टर, वैज्ञानिक, लेखक के तौर पर जाने, जाने वाले कार्सन ने कुछ समय पहले अपना रुख राजनीती की तरफ मोड़ा .इन्होने कई इंटरव्यू दिए और कई स्पीच दी जिसने लोगो के उपर गहरा प्रभाव पड़ा . कुछ समय बाद इन्होने चिकित्सा के क्षेत्र से अपना ऑफिसियली रिटायरमेंट अनाउन्स किया और प्रेसिडेंट की रेस में हिस्सा लिया . इन्होने वर्तमान प्रेसिडेंट ओबामा को उनके हेल्थ केयर और टैक्सेशन से जुड़े कार्यो के लिये गलत ठहराया . 4 मई 2015 को कार्सन ने डेट्रॉइट में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के नामांकन का ऐलान किया उन्होंने कहा – “मैं एक राजनीतिज्ञ नहीं हूँ , मैं वो बनाना भी नहीं चाहता, एक राजनीतिज्ञ को राजनीती करनी पड़ती हैं और मैं बस सही और गलत में भेद करना जानता हूँ .
इस प्रकार कार्सन ने स्वयम को राजनीती का हिस्सा बनाया और अगले प्रेसिडेंट चुनाव में खुद को एक उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया .एक साधारण मेहनती सफल डॉक्टर, वैज्ञानिक एवम लेखक के रूप में विख्यात बेन्जामिन कार्सन अगले प्रेसिडेंट बनते हैं या नहीं, यह एक विचारणीय प्रश्न हैं |
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