भुवनेश्वरी देवी 2020 जयंती का महत्व व पूजा विधि ( Bhuvaneshwari Devi Jayanti, Mahatv In Hindi)
भुवनेश्वरी देवी, दस महाविद्याओं में से एक है, जो चौथे स्थान में विराजित है. ये देवी के अवतार आदि शक्ति का रूप है, जो शक्ति का आधार है. इन्हें ओम शक्ति भी कहा जाता है. भुवनेश्वरी देवी को प्रकति की माँ माना जाता है, जो समस्त प्रकति को संभालती है. ये भगवान शिव की अभिव्यक्ति है, इन्हें सभी देवियों से कोमल एवं उज्जवल माना जाता है. भुवनेश्वरी देवी ने चंद्रमा को अपने माथे में सजाया हुआ है, और इसके श्वेत प्रकाश से वे समस्त धरती को प्रकाशमय करती है. इन्हें सभी देविओं में उत्तम माना जाता है, जिन्होंने समस्त धरती की रचना की और दानव शक्तियों को मार गिराया. जो इस देवी शक्ति की पूजा करता है, उसे शक्ति, बुद्धि और धन की प्राप्ति होती है. भारत के दक्षिण में केरल में इन्हें शक्तास के नाम से जानते है, और इनकी उपासना करते है.
भुवनेश्वरी जयंती कब मनाई जाती है (Bhuvaneswari Jayanti 2020 Date) –
भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष द्वादशी (12वें दिन) के दिन भुवनेश्वरी देवी की जयंती मनाई जाती है. इस साल 2020 में ये 30 अगस्त को मनाई जाएगी.
भुवनेश्वरी जयंती महत्व (Bhuvaneshwari Jayanti Mahatv in hindi) –
कहा जाता है, भुवनेश्वरी जयंती के दिन स्वयं देवी धरती में आती है. भुवनेश्वरी का मतलब होता है, समस्त ब्रह्मांड की रानी. कहते है, भुवनेश्वरी देवी समस्त ब्रह्मांड पर राज्य करती है, वे अपने नियम एवं आज्ञा समस्त प्रथ्वी को देती है. वे अपनी इच्छा अनुसार पारिस्थितियों को नियन्त्रण में करती है, साथ ही मोड़ देती है. समस्त ब्रह्मांड उनके शरीर का हिस्सा है और सभी प्राणियों को वे गहने के रूप में धारण किये हुए है. वे समस्त ब्रह्मांड की रक्षा ऐसे करती है, जैसे वो एक कोमल फूल है, और जिसे उन्होंने अपने हाथ में संभाले रखा है.
भुवनेश्वरी देवी का स्वरुप (About Bhuvaneswari Devi) –
भुवनेश्वरी देवी गायत्री मन्त्र में विशेष स्थान रखती है. इनका एक चेहरा, 3 आँखें और चार हाथ है. जिसमें से दो हाथ वरद मुद्रा एवं अंकुश मुद्रा भक्तों की रक्षा और आशीर्वाद देते है, जबकि बाकि दो हाथ पाश मुद्रा एवं अभय मुद्रा दानव, असुरों का संहार करते है. वे सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है. इनका शारीरिक रंग गहरा है, इनके नाख़ून समस्त ब्रह्मांड को दर्शाते है. इनके चेहरे में एक चमक है, एक तेज है. इन्होने चंद्रमा को मुकुट के रूप में धारण किया हुआ है.
भुवनेश्वरी जयंती पूजा, रीती-रिवाज (Bhuvaneshwari Jayanti Rituals) –
ग्रहण, रंगों के त्यौहार होली, उजाले का प्रतीक दीवाली, महाशिवरात्रि, कृष्ण पक्ष एवं अष्टमी के दिन मुख्य रूप से भुवनेश्वरी देवी की पूजा की जाती है. भुवनेश्वरी जयंती के दिन तांत्रिक साधकों द्वारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. कार्यक्रम इन चरणों में होता है –
क्रमांक | कार्यक्रम |
1. | गुरु वंदना |
2. | गुरु पूजन |
3. | गौ पूजा |
4. | देवी का अभिषेक |
5. | पुष्प अर्पण |
6. | माता का श्रृंगार और अलंकार |
7. | गणेश जी एवं नवग्रह की पूजा |
8. | आह्वान एवं होम |
9. | श्री भुवनेश्वरी मूल मन्त्र, सम्पुट पाठ एवं महा पूजन यज्ञ |
10. | पूर्णाहूति |
11. | दीप दान
प्रसाद वितरण |
घर में या छोटे रूप में पूजा करने के लिए भक्तों को लाल फूल, चावल, चन्दन एवं रुद्राक्ष को देवी के सामने चढ़ाना चाहिए. इस दिन कन्या भोज का भी मुख्य प्रावधान है. दस साल से कम उम्र की कन्या को भुवनेश्वरी का रूप माना जाता है. इन कन्याओं के पैर धोकर, पूजा आराधना की जाती है, फिर इन्हें खाना खिलाया जाता है. इसके बाद इन्हें कपड़े एवं अन्य उपहार दिए जाते है.
भुवनेश्वरी देवी की पूजा मुख्य रूप से उत्तर एवं मध्य भारत में की जाती है. भुवनेश्वरी जयंती के दिन वहां के सभी मंदिरों में स्पेशल पूजा होती है, जिसे भक्तजन अपनी इच्छा अनुसार अपने लिए भी करा सकते है. इन मंदिरों में ये पूजा पैसे देकर होती है, 11 हजार में एक दिन की पूजा होती है. जबकि 25 हजार में तांत्रिक पूजा होती है, जो भुवनेश्वरी जयंती से शुरू होकर अगले 15 दिनों तक होती है.
भुवनेश्वरी जयंती के दिन दान –
मानव जाति के लिए सबसे शांति एवं आनंदमय काम है, दान दक्षिणा देना. इससे आत्मिक शांति मिलती है. कन्याओं को दान देने के अलावा, इस दिन भंडारे का भी आयोजन होता है, जिससे सभी गरीबों एवं जरुरतमंदों को भी एक दिन पेट भर खाना खिलाया जा सके. इस दिन कपड़े एवं अन्न दान भी मुख्य रूप से किया जाता है. वैसे भक्त जो चाहें अपनी मर्जी से दान कर सकते है. दान कुछ भी दिया जाये, लेकिन उसे पुरे मन एवं श्रद्धा के साथ देना चाहिए.
भुवनेश्वरी देवी की पूजा करने से मानवजाति की हर मनोकामनायें पूरी होती है. देवी भुवनेश्वरी, हर शैतानी ताकत एवं श्राप से अपने भक्तों की रक्षा करती है. साथ ही जीवन एवं मृत्य के हर डर को उनसे दूर करती है. इनके बीज मन्त्र द्वारा ही ब्रह्मांड की रचना हुई थी. इन्हें राजेश्वरी पराम्बा के नाम से भी जानते है. भुवनेश्वरी देवी बहुत कोमल स्वाभाव की है, जो अपने हर एक भक्तों के प्रति सहानुभूति रखती है. ये अपने भक्तों को बुद्धि एवं ज्ञान देती है, साथ ही मोक्ष पाने में उनकी मदद करती है.
भारत में भुवनेश्वरी मंदिर (Bhuvaneshwari Devi Temple in India) –
- तमिलनाडु के पुदुक्कोठई में भुवनेश्वरी देवी का विशाल मंदिर है.
- उड़ीसा के पूरी में जगन्नाथ मंदिर के अंदर भी माता भुवनेश्वरी का एक छोटा सा मंदिर है. वहां देवी सुभद्रा को भुवनेश्वरी के रूप में पूजा जाता है.
- ओड़िसा के कटक में कटक चंडी मंदिर भी भुवनेश्वरी देवी का मंदिर है.
- गुजरात के गोंडल में भी भुवनेश्वरी माता का मंदिर है, जिसे 1946 में बनवाया गया था.
- असम के गुवाहाटी में कमाख्या मंदिर भी भुवनेश्वरी देवी का ही है.
- दक्षिण भारत में वेल्लाकुलान्गारा के पास चूराक्कोदु में भुवनेश्वरी अम्मा का एक विशाल मंदिर है.
- कृष्ण की नगरी मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के सामने ही भुवनेश्वरी महाविद्या का मंदिर है.
- महाराष्ट्र के सांगली जिले में श्री शेत्र औदुम्बर नाम से भुवनेश्वरी देवी का मंदिर है.
- भारत के अलावा अमेरिका में भी पराशक्ति मंदिर है, जहाँ भुवनेश्वरी माता की पूजा होती है.
अन्य पढ़े:
- कमला महाविद्या जयंती पूजा विधि महत्व
- उदयपुर दर्शनीय स्थलों की सूची
- ओणम त्यौहार कहानी एवं पूजा विधि
- अनंत चतुर्दशी व्रत कथा एवम पूजा विधि
Vibhuti
Latest posts by Vibhuti (see all)
- सपनों का मतलब और उनका फल | Sapno Ka Matlab and Swapan phal in hindi - January 25, 2021
- भारतीय युवा और जिम्मेदारी पर लेख निबंध| Indian youth and responsibility Essay in hindi - January 25, 2021
- हस्तरेखा का संपूर्ण ज्ञान | Hast Rekha Gyan in hindi - January 24, 2021