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चित्रगुप्त जयंती 2024, कथा, पूजा विधि, एवं तिथि | Chitragupta Jayanti Puja Vidhi Mahatva Katha In Hindi

(Chitragupta Jayanti Puja Vidhi Mahatva Katha Date in Hindi) चित्रगुप्त जयंती कथा पूजा विधि एवम तिथि बताई गई हैं | इनके बारे में कही जाने वाली कथा जरुर पढ़े |

चित्रगुप्त कायस्थ समाज के देवता हैं | कायस्थ समाज में इनकी जयंती उत्साह के साथ मनाई जाती हैं | चित्रगुप्त मृत्यु के देवता यमराज के सहायक कहे जाते हैं | वास्तव में यह यमराज के भाई हैं इन्हें मनुष्य के कर्मो का हिसाब किताब रखने का कार्य दिया गया हैं | यह जीवन के अंत में मनुष्य के कर्मो का हिसाब कर उसे स्वर्ग अथवा नरक में भेजते हैं |

चित्रगुप्त जयंती महत्त्व, कथा, व पूजा विधि (Chitragupta Jayanti in Hindi)

Chitragupta Jayanti puja Vidhi Mahatva Katha Date in Hindi

चित्रगुप्त महाराज जी का कार्य

हिन्दू धारण के अनुसार मनुष्य के जीवन में बहुत से जीवन काल चलते है, जिसमें पुनर जनम का भी बहुत रहस्य जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग अपने जन्मकाल के समय अच्छे कामों और बुरे कामों के बीच संतुलन नहीं बना पाते है, उन्हें पृथ्वी में किसी भी रूप में पुनर जन्म लेकर अपने जीवन काल को पूरा करना होता है. चित्रगुप्त जी का पहला कार्य यह है कि उन्हें सभी मनुष्यों के जीवन का लेखा जोखा रखना पड़ता है, मनुष्यों को उनके जीवन की अच्छाई बुराई के अनुसार जज करते है और फिर उनकी मृत्यु का समय निर्धारित होता है.

चित्रगुप्त जी महाराज के 12 पुत्र के नाम

1.श्रीवास्तव
2.माथुर
3.गौर
4.निगम
5.अष्ठाना
6.कुलश्रेष्ठ
7.सुर्यद्वाजा
8.भटनागर
9.अम्ब्स्था
10.सक्सेना
11.कराना
12.वाल्मीकि

चित्रगुप्त जयंती कब मनाई जाती हैं (Chitragupta Jayanti Date 2024)

हिन्दू धर्म के अनुसार जिस वर्ष अधिक मास  आता हैं, उस वर्ष की कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय के दिन चित्र गुप्त जयंती मनाई जाती हैं | इस प्रकार यह भाई दूज के दिन आती हैं| इस वर्ष की दूज को चित्रगुप्त जयंती मनाई जाएगी जो कि 3 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी| इस दिन कायस्त समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा बड़ी धूम धाम से मनाये जाते है.

चित्रगुप्त जयंती महत्व (Chitragupta Jayanti Mahatva)

चित्रगुप्त देव का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ अतएव उन्हें कायस्थ कहा जाता हैं | उनसे उत्पन्न मानव कायस्थ कहलाते हैं | इन्हें कायस्थ का जन्मदाता कहा जाता हैं |

भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल पर ब्रह्मा जी का जन्म हुआ इन्हें श्रृष्टि का सृजन करने का कार्य मिला | जिस कारण इन्होने देवी देवता सुर असुर एवम धर्मराज आदि उत्पन्न किये | इन्ही में संसार को गतिशील बनाने हेतु यमराज का जन्म किया, जिन्हें मृत्यु का स्वामी बनाया गया | इस कार्य का भार अधिक था, जिसके लिए यमराज ने एक सहायक की मांग की | तब ब्रह्मा जी ने हजार वर्षो तक तपस्या की और उनकी काया से पुरुष का जन्म हुआ.

हिन्दू मान्यता के अनुसार ब्रम्हा जी ने अपने शरीर के अलग अलग हिस्सों से पहले 16 पुत्रों को जन्म दिया, और फिर इसके बाद अपने पेट से भगवान चित्रगुप्त का जन्म किया. जिस कारण उनका नाम चित्रगुप्त पड़ा|

इस प्रकार अधिक मास के वर्ष में कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वीज को चित्र गुप्त का जन्म हुआ, इसलिए इसे चित्र गुप्त जयंती के रूप में प्रति वर्ष  भाई दूज के दिन मनाया जाता हैं|

चित्रगुप्त एक लेखक कहे जाते हैं जो मनुष्य के जीवन का सार विस्तार लिखते हैं इनके चित्र में इनके एक हाथ में किताब हैं, जिसमे मनुष्य के कर्मो का ब्यौरा हैं, दुसरे हाथ में कलम हैं और अन्य में दावत एवम करवाल हैं | इस तरह यह मनुष्य के कर्मो के लेखा के लिए सदैव सज्ज रहते हैं और उसके अनुसार उसकी नियति तय करते हैं |

चित्रगुप्त पूजा विधि, पूजा समान (Chitragupta Maharaj Puja Vidhi)–

पूजा सामग्री –

चन्दन पेस्ट, तिल, कपूर, पान, सुपाड़ी, शक्कर, पेन, पेपर, इंक, गंगा जल, धान, रुई, शहर, पिली सरसों, धुप, दही, मिठाई, एक कपड़ा, दूध, फल, पंचपात्र, गुलाल, तुलसी, रोली, केसर, माचिस.

पूजा विधि

  • सबसे पहले पूजा वाले स्थान को अच्छे से साफ कर लें.
  • चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या फोटो को सबसे पहले पानी से फिर गुलाब जल से साफ करें. इसे उसके बाद फिर एक बार पानी से स्नान कराएँ.
  • इसके बाद चित्रगुप्त जी के पास घी का दीपक जलाएं. 5 समान को मिलाकर पंचमित्र बनायें, इसमें दूध, दही, घी, शक्कर और शहद मिलाएं.
  • मिठाई, फलों को प्रसाद में चढ़ाएं.
  • फूलों की माला चढ़ाएं. अबीर, सिंदूर, हल्दी लगायें.
  • अगरबत्ती जलाएं. चित्रगुप्त जी की कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करें.
  • प्लेन पेपर में रोली-घी मिलाकर स्वस्तिक बनायें. इसमें नए पेन से 5 भगवान के नाम लिखें.
  • इसके बाद इसमें मन्त्र लिखें और फिर अपना नाम, पता, तारीख, आय-व्यय लिखें.
  • इसके बाद कागज को मोड़ कर चित्रगुप्त जी के सामने रख दें.

चित्रगुप्त पूजा कायस्थ समुदाय के द्वारा की जाती है, जो विश्व शांति, न्याय, ज्ञान और साक्षरता में विश्वास रखता है. इस पूजा को दवात पूजा भी कहा जाता है, जहाँ कागज, पेन की पूजा की जाती है, इसे कायस्थ लोग अध्ययन का प्रतीक मानते है. घर में कमाने वाले सदस्य अपनी आय चित्रगुप्त जी के सामने लिखते है, और घर चलाने के लिए जितने खर्च की जरूरत रहती है उसे भी लिखते है, ताकि अगले साल उनकी आय में इजाफा हो सके. चित्रगुप्त जी से वे समृधि की प्राथना करते है.

चित्रगुप्त जयंती कथा (Chitragupta Jayanti Katha)

एक राजा थे जिसका नाम सौदास था | कर्मो से बड़ा ही धूर्त था | पापो का मानो स्वामी था | अत्याचार करना ही उसका धर्म था | एकबार वो आखेट के लिए वन में गया तब ही वहाँ साधू संत पूजा कर रहे थे तब उसने उस पूजा का कारण पूछा तब साधुओं ने बताया यह भगवान चित्रगुप्त एवम यमराज की पूजा हैं इसे चित्रगुप्त जयंती कहते हैं इसे करने से मनुष्य का नरक योग ख़त्म होता हैं और मनुष्य के सारे पाप माफ़ हो जाते हैं | यह सुनकर राजा ने भी विधि विधान से यह पूजा की |

कुछ समय बाद राजा की मृत्यु हुई | यम दूत उसे मारते हुए लेकर गए | उसके सामने चित्रगुप्त ने उसके जीवन का लेखा निकाला जो पापो से भरा हुआ था लेकिन उसमे देख उन्होंने कहा एक बार इस धूर्त राजा ने चित्रगुप्त जयंती की पूजा बहुत श्रद्दा से की थी इसलिए धर्मानुसार इसे नरक में नहीं भेजा जा सकता इस प्रकार राजा को स्वर्ग मिलता हैं |

चित्रगुप्त जयंती करने से पापो का विनाश होता हैं |पृथ्वी के संतुलन के लिए चित्रगुप्त का होना बहुत जरुरी हैं | मनुष्य के कर्मो का हिसाब ही उसके अंत को निश्चित करता हैं जो कि बहुत कठिन एवम उत्तरदायित्व का कार्य हैं |

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FAQ

Q : चित्रगुप्त कौन थे ?

Ans : कायस्थ समाज के देवता

Q : चित्रगुप्त जी का जन्म कब हुआ ?

Ans : कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय के दिन चित्रगुप्त जी का जन्म हुआ.

Q : चित्रगुप्त जयंती कब मनाई जाती है ?

Ans : कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय के दिन चित्र गुप्त जयंती मनाई जाती है.

Q : चित्रगुप्त के पुत्रों के नाम क्या हैं ?

Ans : श्रीवास्तव, माथुर, गौर, निगम, अष्ठाना, भटनागर, कुलश्रेष्ठ, सूर्यद्वाजा, सक्सेना, कराना, वाल्मीकि, अम्ब्स्था आदि.

Q : चित्रगुप्त पूजा क्यों मनाया जाता है ?

Ans : क्योकि उनकी जाति के लोग उन्हें अपना ईष्ट देवता मानते हैं.

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Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

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