वेतन संहिता अधिनियम 2019, विधेयक, क्या है, लाभ, नियम (Code on Wages Bill 2019 in Hindi, Act)
केंद्र सरकार ने भारतीय मजदूरों को ध्यान में रखते हुए मजदूर वेतन सहिंता 2019 लागू करने का मन बना लिया है. यह विधेयक लागू होने के बाद 50 करोड़ मजदूरों को इसका सीधा फायदा मिलेगा. वेतन सहिंता 2019 भारत में पूरी तरह से लागू होने से भारत के मजदूरों का जीवन पहले से काफी अच्छा हो जाएगा. यह कानून जनवरी से पूरे देश में लागू हो सकता है. वेतन संहिता 2019 क्या है एवं यह मजदूरों का जीवन कैसे बदल देगा, इसके बारें में जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढना होगा. हम कोशिश करेंगे की आपको वेतन सहिंता 2019 के बारें में कम शब्दों में विस्तार से बता पायें.

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वेतन संहिता 2019 क्या है
वेतन संहिता 2019 के तहत अब केंद्र सरकार को यह हक़ मिल गया है की वह राज्य या भारत के किसी भी क्षेत्र के मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय कर सकती है. इस विधेयक के लागू होते ही, भारत के सभी राज्यों के मजदूरों की मजदूरी केंद्र सरकार तय कर पाएगी. आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूँगा की इस विधेयक से पहले राज्य सरकार द्वारा मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय की जाती थी. श्रम मंत्री संतोष गंगवार के अनुसार वेतन संहिता 2019 लागू होने के बाद 50 करोड़ से भी ज्यादा मजदूरो को लाभ होगा.
वेतन संहिता 2019 कानून को मंजूरी
श्रम कानून ‘वेतन संहिता’ सबसे पहले 10 अगस्त 2017 में लोकसभा में पेश किया गया था और 21 अगस्त 2017 को स्टैंडिंग कमेटी को मिला. स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 18 दिसंबर 2018 को सौंपी, लेकिन 16 वीं लोकसभा के भंग होने जाने की वजह से यह विधेयक लागू नहीं हो पाया. उसके बाद 23 जुलाई 2019 को एक बार फिर इस बिल को लोकसभा में पेश किया गया. 30 जुलाई को लोकसभा से और 2 अगस्त को राज्य सभा से यह बिल पारित हो गया. 8 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति ने भी इस बिल को मंजूरी दे दी. इस बिल का मुख्य उद्देश्य मजदूरों को उनका हक़ दिलाना है.
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मजदूरों से जुड़े पुराने चार कानूनों की जगह अब ‘वेतन संहिता 2019’ लागू है
‘वेतन संहिता 2019’ ने भारत में पहले से ही मौजूद मजदूरों से जुड़े चार कानूनों को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. अधिकारीयों के अनुसार इन चार कानूनों में सुधार करके ही एक नया कानून बनाया गया है. इसलिए इन चार कानूनों को एक ही विधेयक में शामिल किया गया है. ‘वेतन संहिता 2019’ लागू होते ही ‘मजदूरी भुगतान कानून 1936, न्यूनतम मजदूरी कानून 1948, बोनस भुगतान कानून 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनयम 1976’ को पूरी तरह से खत्म कर या यू कहें कि इसे ‘वेतन संहिता 2019’ में शामिल कर दिया गया है.
संगठित और गैर-संगठित मजदूरों को मिलेगा लाभ
वेतन संहिता 2019 का लाभ संगठित यानि सरकारी कर्मचारी एंव गैर-संगठित यानि किसी भी क्षेत्र में मजदूरी करने वाले मजदूरों को इस विधेयक से लाभ मिलने वाला है. केंद्र सरकार इन सभी क्षेत्र के मजदूरों यानि कर्मचारियों का वेतन फिक्स करेगी. यानि एक न्यूनतम वेतन दर तय करेगी जो कर्मचारियों/मजदूरों को वेतन के रूप में मिलेगी. यदि कोई भी इस कानून को नहीं मानता है या फिर मजदूरों को तय मजूदरी से कम वेतन देता है तो उनपर सख्त कार्यवाही की जायेगी.
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कैसे मिलेगा वेतन और क्या है नियम
वेतन संहिता 2019 के तहत वेतन से जुड़ी सभी परेशानियाँ खत्म हो जायेगी. केंद्र सरकार द्वारा कार्य के प्रकार के आधार एवं रिस्क को ध्यान में रखते हुए उस क्षेत्र के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय की जायेगी. अगर उस तय मजदूरी के अनुसार यदि किसी मजदूर को वेतन नहीं मिलता है, तो मजदूर श्रम कानून की मदद से कार्यवाही करवा सकता है.
अगर कोई कर्मचारी महिना के अनुसार वेतन लेता है तो मजदूर सहिंता 2019 के तहत अगले महीने की 7 तारीख तक कर्मचारी का वेतन मिल जाना चाहिए. अगर कोई हफ्ते के अनुसार कार्य करता है तो हफ्ते के आखिरी दिन उसे वेतन मिल जाना चाहिए, एवं अगर कोई एक दिन के अनुसार कार्य करता है तो उसे उसी दिन वेतन देने का प्रावधान लागू किया गया है. अगर इन नियमों का कोई पालन नहीं करता है तो उनपर कार्यवाही का प्रावधान है.
वेतन संहिता में वेतन कटौती का प्रावधान क्या है
इस नए अधिनियम के अनुसार यदि मजदूर अनुपस्थित रहता है, किसी तरह का जुर्माना या पहले से एडवांस लेता है, तो उसकी सैलरी से कटौती की जा सकती है. लेकिन यह कटौती वेतन के 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती है.
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वेतन संहिता 2019 के नियमो का पालन नहीं करने पर क्या होगा
यदि कोई वेतन संहिता 2019 विधेयक का पालन नहीं करता है तो उसपर क़ानूनी कार्यवाही की जायेगी. इतना ही नहीं उससे 50 हजार रूपए जुर्माना भी वसूला जाएगा. उसके बाद अगर 5 साल में फिर से वह कोई गलती करता है तो इस बार 3 माह की कैद और 1 लाख रूपए का जुर्माना तय किया गया है.
लैंगिक भेदभाव को खत्म किया गया
वेतन संहिता 2019 विधेयक के अनुसार किसी भी एक जैसे काम के लिए, यानि समान क्षेत्र में काम करने पर पुरुष और महिला को एक जैसा वेतन मिलेगा. इतना ही नहीं दोनों के लिए समान समय और ओवरटाइम की सीमा तय की गई है. जबकि पहले के अधिनयम में महिलाओं को अलग अधिकार दिए गये थे. इस बार महिला एंव पुरुष को समान अधिकार दिए गये है.
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वेतन संहिता 2019 अधिनियम के लाभ
- सम्पूर्ण भारत में एक जैसा श्रम कानून होगा.
- सम्पूर्ण देश में कार्य क्षेत्र के अनुसार न्यूनतम वेतन एक जैसा होगा.
- किसी भी तरह का भेदभाव होने पर श्रम कानून की मदद से मजदूर क़ानूनी मदद ले पायेगा.
- बड़े अधिकारीयों, व्यपारियों एंव ठेकेदारों की मनमानी अब पूरी तरह से खत्म हो जायेगी.
- काम का एक समय निर्धारित किया जाएगा, अगर तय समय पर छुट्टी नहीं मिलती है तो ओवर टाइम के पैसे आपको मिलेंगे.
- इस कानून की मदद से उन मजदूरों को फायदा मिलेगा जो कार्य बहुत ज्यादा करते है एंव उन्हें वेतन बहुत कम मिलता है.
- कुछ कार्य क्षेत्र जोखिम भरे होते है, ऐसे में उन क्षेत्र के मजदूरों की अधिक वेतन की संभावना बढ़ रही है.
वेतन संहिता 2019 अधिनियम से हानियाँ
- हो सकता है की इस नए कानून के आने के बाद कुछ कार्य क्षेत्र के मजदूरों के वेतन में कमी आये.
- हो सकता है बड़े शहरो में मजदूरों की संख्या में कमी आये.
- इस अधिनियम से यह प्रतीत होता है की आने वाले समय में मजदूरी (वेतन) में कमी आने वाली है.
- सभी राज्यों में समान मजदूरी (वेतन) का प्रावधान होने पर अन्य राज्यों में मजदूरों की संख्या में कमी आएगी.
- हो सकता है कुछ कार्यालयों में कार्य के अनुसार शायद वेतन कम मिले.
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यहाँ हमने ‘वेतन संहिता 2019’ बिल के बारें में जानकारी बताई है. हमने उसके लाभ और नुकसान बताने का प्रयास भी किया है. उम्मीद है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी.
FAQ
Ans : नहीं, लेकिन उन्हें एक निश्चित न्यूनतम आय प्राप्त होगी और ओवरटाइम करने पर अतिरिक्त वेतन भी मिलेगा.
Ans : केंद्र सरकार द्वारा कार्य क्षेत्र के अनुसार न्यूनतम मजदूरी तय की जायेगी. किसी भी राज्य में उस क्षेत्र के कार्य में मजूदरी तय की गई मजदूरी से कम नहीं दी जायेगी.
Ans : आप श्रम विभाग में शिकायत कर सकते हैं. आपकी शिकायत के अनुसार बहुत जल्द कार्यवाही की जायेगी.
Ans : नहीं ऐसा नहीं है गैर संगठित और संगठित मजदूरों को एक जैसा ही लाभ मिलेगा.
Ans : केंद्र सरकार द्वारा एक फार्मूला जारी किया गया है इसमें पति-पत्नी और उनके दो बच्चों को एक श्रमिक परिवार का मानक माना गया है. इसमें एक परिवार में बच्चों की पढाई-लिखाई, भोजन, कपड़े, बिजली खर्च, किराया और चिकत्सा को मद्देनजर रखते हुए न्यूनतम मजदूरी तय की जायेगी.
Ans : प्रत्येक 5 वर्षों बाद इस अधिनिय में बदलाव किये जायेंगे.
Ans : जनवरी 2021 से हो सकता है लागू.
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