जीएसटी के अंतर्गत कम्पोजीशन स्कीम 2020-21 Composition Scheme Under GST in hindi (Limit 75 Lakhs per annum)
भारत सरकार ने भारत के टैक्स सिस्टम को बेहतर और आसान बनाने के लिए जीएसटी बिल की शुरुआत की है, किन्तु किसी भी टैक्स सिस्टम में सिस्टम अपने बकाया टैक्स को वापस पाने का प्रयास करती है. साथ ही सिस्टम को इस तरह से निर्मित किया जाता है कि आने वाले समय में सभी लोग सरल रूप से रिटर्न भर सकें और अपने रिकॉर्ड को लगातार बनाए रखें. हालाँकि ये सभी प्रक्रिया भी छोटे छोटे व्यापारियों के लिए काफ़ी चुनौतीपूर्ण होती है. इस समस्या के निदान के लिए कम्पोजीशन स्कीम को स्टेट वैट के अंतर्गत लाया गया है. जीएसटी कम्पोजीशन में इन्हीं सब सुविधाओं को लाया गया है, इसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति सरकार द्वारा तय किये गये टर्नओवर के ऊपर आसानी से टैक्स जमा कर सकेगा. यहाँ पर इससे सम्बंधित विशेष तथ्यों का वर्णन किया जा रहा है.
जीएसटी के अंतर्गत कम्पोजीशन स्कीम की शर्तें और टैक्सेबल व्यक्ति (Composition Scheme Terms and Taxable Persons in hindi)
जीएसटी कम्पोजीशन स्कीम की विशेष शर्तें निम्नलिखित हैं.
- जीएसटी के अंतर्गत इस स्कीम की सुविधा केवल उन लोगों को प्राप्त होगी, जिन्होंने जीएसटी के लिए अपना पंजीकरण कराया है.
- व्यक्ति का कुल वार्षिक टर्नओवर किसी भी फाइनेंसियल इयर के दौरान 75 लाख से अधिक नहीं होना चाहिए.
- नीचे दिए गये व्यापारों या पंजीकृत व्यक्तियों को उनके द्वारा दिये गए टेक्स पर जीएसटी कम्पोजीशन लेवीय का हक नहीं है –
- मानव उपभोग के लिए भोजन की आपूर्ति में लगे व्यक्ति के अलावा अन्य सेवाओं में लगे व्यक्ति कम्पोजीशन लेवीय के योग्य नहीं होंगे.
- निम्न सामानों की आपूर्ति करने वाले व्यक्ति इस अधिनियम के तहत टेक्स के लिए लेवीय नहीं है –
- पेट्रोलियम क्रूड
- हाई स्पीड डीजल
- मोटर स्पिरिट
- नेचुरल गैस
- एविएशन टरबाइन फ्यूल
- व्यक्ति के पीने के लिए अल्कोहल
- इंटरस्टेट गुड्स सप्लाई करने वाले व्यक्ति
- वैसे व्यापारी जो ई कॉमर्स की सहायता से व्यापार करते हैं, और जिनका टैक्स सेक्शन 52 के अंतर्गत आता है.
- ऐसे व्यक्ति जो इस तरह के सामान के निर्माता हैं, जिनकी परिषद द्वारा सिफारिश की गई है.
जीएसटी कम्पोजीशन लेवी का ब्याज दर (Composition Scheme Under GST Interest Rate)
जीएसटी कम्पोजीशन लेवी का ब्याज दर निम्नलिखित है,
- स्टेट और यूनियन टेरिटरी में व्यापर के दौरान निर्माता के लिए होने वाले कुल टर्नओवर का 1%.
- स्टेट अथवा यूनियन टेरिटरी के दौरान यदि कोई व्यक्ति सप्लाई के ज़रिये व्यापार करते हुए पैसा कमाता है, तो उस पर कुल टर्नओवर का 2.5%. यह दर किसी भी तरह के पेय के सप्लाई करने वाले पर लगेगा.
- अन्य तरह की सप्लाई पर सप्लायर को कुल टर्नओवर का 0.5% देने की आवश्यकता होगी.
कम्पोजीशन स्कीम के फ़ायदे (Composition Scheme Merits)
इस स्कीम की विभिन्न मेरिट का वर्णन नीचे किया जा रहा है.
- अनुपालन सीमा (लिमिटेड कंप्लायंस) : कम्पोजीशन लेवी के दौरान रिटर्न फर्निशिंग अपेक्षाकृत कम कंप्लायंस का होता है. साथ ही मेंटेनेंस आदि में कम समय लगता है, जिस वजह से व्यक्ति व्यापार में अधिक ध्यान दे पाटा है.
- टैक्स लायबिलिटी की सीमा : नियमित टैक्सपेयर की तुलना में इसका दर भी बेहद कम है. इस टैक्स के दौरान व्यक्ति को 18% स्टैण्डर्ड टैक्स की जगह पर केवल 2.5% का ब्याज देना होता है.
- लिक्विडिटी : अकसर आम टैक्सपेयर इस बात की वजह से भी टैक्स नहीं देते हैं, कि दर काफ़ी अधिक होता है. उसके स्थान पर कम्पोजीशन लेवी के अंतर्गत यह दर कम रखा गया है. अतः इस टैक्स के अंतर्गत अपना नाम पंजीकृत कराये लोगों को कम टैक्स देने की आवश्यकता होगी.
कंप्लायंस सम्बंधित बातें
एक आम टैक्स डाटा को महीने में कम से कम 3 रिटर्न भरने की आवश्यकता होती है. साथ ही उन्हें वर्ष में एक बार पुनः टैक्स रिटर्न भरने की आवश्कयता भी होती है. यदि व्यक्ति ऐसा नही कर सकता है, तो उसे पेनल्टी भी देने की आवश्यकता होती है. इस टैक्स स्कीम में अंतर्गत किसी टैक्स दाता को प्रत्येक 3 महीने में केवल एक बार रिटर्न भरने की आवश्यकता होगी. इस तरह से टैक्स रिकॉर्ड को आसानी से रखा जा सकेगा और व्यक्ति अपने व्यापार पर अच्छे से ध्यान दे सकेगा. इस टैक्स लेवी के अंतर्गत व्यक्ति को रेगुलर टैक्स दर के अनुसार भी टैक्स नहीं जमा करना पड़ेगा. इस तरह से टैक्स देने वाले को कई तरह की आसानी प्राप्त हो सकेगी.
स्ट्रिक्ट पीनल प्रोवीजन
इस टैक्स लेवी के अंतर्गत सभी तरह के व्यापारी अपना पंजीकरण नहीं करा सकते. अतः जो भी व्यक्ति इस टैक्स लेवी के अंतर्गत नहीं आएगा उसे नियमित रूप से सभी तरह के टैक्स भरने की आवश्यकता होगी. इस वजह से किसी भी व्यक्ति को अपने व्यापार को इसके अंतर्गत पंजीकृत कराने से पहले सभी बातो को अच्छे से समझ लेने की आवश्यकता है. सरकार द्वारा तय किये गये व्यापार ही इसके अंतर्गत पंजीकृत कराये जा सकेंगे. ऊपर उन सभी व्यापारों की सूची दी गयी है, जो जीएसटी कम्पोजीशन लेवी के अंतर्गत अपना व्यापार पंजीकृत करा सकते हैं.
कम्पोजीशन टैक्स लेवी की सीमायें (Composition Scheme Demerits)
इस टैक्स प्रणाली की हालाँकि कुछ सीमायें भी हैं, जिस वजह से सभी तरह के टैक्स दाताओं को इसका लाभ नहीं प्राप्त हो सकेगा. यहाँ पर इस टैक्स से सम्बंधित सीमओं का वर्णन किया जा रहा है.
- व्यापारिक क्षेत्र की सीमायें : इस टैक्स के अंतर्गत अपना व्यापार पंजीकृत कराने वाले व्यापारी केवल इंटरस्टेट लेनदेन ही कर सकेंगे. इस टैक्स के अंतर्गत पंजीकृत व्यापारियों को आयात निर्यात करने का मौक़ा प्राप्त नहीं हो सकेगा.
- इनपुट टैक्स पर किसी तरह की क्रेडिट नहीं : B2B ट्रांसक्शन के अंतर्गत किसी भी तरह का इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं प्राप्त हो सकता है. अतः यदि कोई व्यापारी इस मॉडल की सहायता से अपना व्यापार करता है, तो उसे आउटपुट लायबिलिटी के तहत इनपुट टैक्स पर किसी तरह का टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं हो सकेगा. इस स्कीम के अंतर्गत कोई भी व्यापारी यदि किसी रेगुलर टैक्सेबल डीलर से सामान ख़रीदता है, तो भी उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ प्राप्त नहीं हो सकेगा. क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड पर टैक्स लाभ यहाँ पढ़ें.
- टैक्स कलेक्शन : इसके अंतर्गत टैक्स दर बहुत ही कम है किंतु इसे नियमित रूप से भुगतान करने के लिए टैक्स पेयर को सेल की लागत बढाने की आवश्यकता होती है.
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Ankita
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