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पार्टनर शेयरहोल्डर व स्टेक होल्डर में क्या फर्क होता है | Difference between Partner Stakeholder Shareholder in hindi

पार्टनर शेयरहोल्डर व स्टेक होल्डर में क्या फर्क होता है Difference between Partner, Stakeholder, Shareholder in hindi

बिजनेस की दुनिया में रूचि रखने वाले लोगों के लिए इसकी शब्दावली हमेशा मुश्किल भरी रही है. अर्थव्यवस्था समझने और समझाने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली इस जटिल शब्दावली और उनके बीच का महीन अंतर अक्सर बड़ा फर्क पैदा कर देता है. इस दुनिया मे प्रचलित तीन सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों के बीच अक्सर गफलत होती है वे हैं- पार्टनर, शेयरहोल्डर और स्टेक होल्डर. इस आलेख में इनके बीच का अंतर समझने की कोशिश करते हैं.

Partner Stakeholder Shareholder

 

 

क्या फर्क होता है पार्टनर और शेयरहोल्डर के बीच? (Difference between Partner and Shareholder) –

वैसे तो मोटे तौर पर पार्टनर और शेयरहोल्डर दोनों ही कंपनी में हिस्सेदार होते हैं लेकिन अपनी भूमिका के लिहाज से दोनों में बहुत अंतर होता है. अगर देखा जाए तो पार्टनर किसी कंपनी के रजिस्ट्रेशन के दौरान शामिल हुए लोगों की संख्या पर आधारित होता है और शेयरहोल्डर उस कंपनी के जारी किए गए शेयर की संख्या के आधार पर कंपनी के लाभांश या हानी का हिस्सेदार होता है. इसे और अच्छी तरह से समझने के लिए इन्हें बारी-बारी से समझते हैं.

क्या होता है पार्टनर? (What is Partner)

एक पार्टनर या साझीदार किसी फर्म या कंपनी में अपनी तकनीकी सेवाओं, प्रतिभा या बिजनेस कनेक्शन के आधार पर साझीदार बन सकता है इसके लिए जरूरी नहीं है कि वह आर्थिक तौर पर ही साझेदारी करें. वह अपनी सेवाओं के आधार पर साझेदारी कर सकता है. सामान्य तौर पर औपचारिक व्यापारिक साझेदारी कानूनी रूप से बाध्यकारी होती है और उसकी शर्तें भी पहले से निर्धारित की जाती है. उसी आधार पर साझेदारों या पार्टनर्स के बीच लाभ का बंटवारा होता है जो समान भी हो सकता है और निवेश तथा सेवाओं के आधार पर असमान भी हो सकता है. किसी भी पार्टनरशिप एग्रीमेंट को फाइनल करने के लिए अटाॅर्नी या वकील तथा अकाउंटेट जैसे विशेषज्ञों की जरूरत होती है.

क्या होते हैं स्टाक्स?

कोई भी शेयर धारक किसी कंपनी के स्टाॅक्स के आधार पर कंपनी के लाभांश या हानी में हिस्सेदार बनता है इसलिए शेयर होल्डर की भूमिका को समझने से पहले हमें स्टॉक का मतलब समझना होगा. स्टॉक एक तरह से कंपनी बनने के बाद उसकी हिस्सेदारी बेचने के क्रम में किए गए बंटवारे को दिखाते है. यह किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनने की प्रक्रिया का हिस्सा है. इसमें पार्टनर्स अपनी कंपनी की हिस्सेदारी  को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट देते हैं ताकि लोगों के लिए उन्हें खरीदना आसान हो जाए. इन्हें बेचने के लिए कंपनी को खुद को स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध कराना होता है जहां सरकार एक नियामक संस्था को नियुक्त करती है जो कंपनी की जांच करने के बाद उन्हें बाजार में बेचने की स्वीकृति देते हैं. भारत के संदर्भ में आप इसे मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के तौर पर समझ सकते हैं और भारत में शेयर बाजार की नियामक संस्था के तौर पर सेबी काम करती है.

क्या होते हैं शेयर होल्डर? (What is Shareholder)

आमतौर पर स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर खरीद कर कोई भी व्यक्ति किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में शेयरहोल्डर बन सकता है लेकिन इसके अलावा कई बार बड़ी कंपनीज दूसरे संस्थानों को भी शेयर बेचती है. ऐसे मामलों में ज्यादातर निवेश में काम कर रहे फर्म और बैंकिंग फर्म निवेश के माध्यम से शेयर होल्डर बनते हैं. शेयर होल्डर को साल के आखिर में या फिर शेयर बेचते वक्त सेल डीड में जो भी शर्त रखी गई है उसके हिसाब से हर साल लाभांश दिया जाता है, कुछ मामलों मे बड़ी कंपनियां अपने शेयरधारकों को लाभांश के तौर पर कुछ शेयर या स्टॉक भी देती है. शेयर धारक कंपनी के विकास के लिए अपनी राय दे सकता है लेकिन वह कंपनी को अपनी सेवाएं इसलिए नहीं दे सकता क्योंकि वह एक शेयरधारक है. कंपनी के फैसलों में उसकी राय मांगी जाती है लेकिन बहुमत होने की स्थिति तक वह बाध्यकारी नहीं होती है. वह कंपनी की सालाना मीटिंग में भाग लेने का अधिकारी होता ओर अपने शेयर्स के हिसाब से उसे वोट देने का भी अधिकार होता है.

क्या होता है स्टेक होल्डर? (What is Stakeholder) –

पार्टनर और शेयरहोल्डर के बीच का अंतर समझ लेने के बाद अब शेयर होल्डर और स्टेक होल्डर के बीच का फर्क समझने की बारी है. अक्सर लोग इन दोनों को एक ही समझने की भूल कर बैठते है लेकिन स्टेक होल्डर एक ज्यादा व्यापक और प्रभावी शब्द है जो शेयर होल्डर की तुलना में बिजनेस वल्र्ड को ज्यादा प्रभावित करता है और व्यापार में होने वाले उठा पटक से प्रभावित भी होता है.

     एक स्टेक होल्डर वह व्यक्ति होता है जो किसी फर्म की गतिविधियों से प्रभावित होता है और फर्म की गतिविधियों को प्रभावित भी करता है. इसमें शेयरहोल्डर और पार्टनर दोनो के गुण होते हैं. स्टेक होल्डर वे लोग होते हैं जो किसी फर्म के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए काम करते हैं इनके बिना कोई भी आॅर्गेनाइजेशन लंबे समय तक बाजार में नहीं टिक पाएगा. आम तौर पर किसी भी कंपनी का प्रबंधन अपने स्टेक होल्डर्स के प्रति ही जवाबदेह होता है. प्रभावित होने के आधार पर स्टेक होल्डर्स को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है – आंतरिक स्टेकहोल्डर्स और बाहरी स्टेक होल्डर्स.

आंतरिक स्टेक होल्डर्स में हम फर्म के मालिक, प्रबंधकों, कर्मचारियों और उस पर सीधे आश्रित लोगों को शामिल कर सकते हैं जिससे उन्हें सीधे लाभ या हानि हो रही है जबकि बाहरी स्टेकहोल्डर्स में हम सप्लायर्स, सरकार और उसकी एजेन्सी जिनको कर दिया जाता है, ग्राहक, समाज और प्रतियोगी तक शामिल किये जा सकते हैं.

स्टेक होल्डर और शेयर होल्डर के बीच के प्रमुख अंतर (Difference between Stakeholder and Shareholder)

  • जो व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर खरीदता है वह शेयर होल्डर कहलाता है जबकि कोई व्यक्ति किसी भी तरह कंपनी से प्रभावित होता है वह स्टेक होल्डर कहलाता है.
  • शेयर होल्डर सिर्फ आर्थिक तौर पर लाभ या हानि से ही कंपनी से प्रभावित होता है जबकि स्टेक होल्डर कंपनी की हरेक पालिसी से दूरगामी या निकट लाभ या हानि से प्रभावित होती है और यह आर्थिक के अलावा सामाजिक और पारिवारिक भी हो सकती है.
  • शेयर होल्डर एक तरह से स्टेक होल्डर्स का उपसमूह हैं. यह नहीं कहा जा सकता है कि शेयर होल्डर ही स्टेक होल्डर है लेकिन यह कहा जा सकता है कि शेयर होल्डर भी एक तरह के स्टेक होल्डर हैं.
  • स्टेक होल्डर एक व्यापक शब्द है जबकि शेयर होल्डर एक संकुचित शब्द है.
  • स्टेक होल्डर किसी फर्म से भावना और सेवा के तौर पर भी जुड़ा होता है जबकि शेयर होल्डर सिर्फ लाभांश के तौर पर ही जुड़ता है.

पार्टनर, शेयरहोल्डर और स्टेक होल्डर के बीच अंतर (Difference between Partner, Stakeholder and Shareholder in hindi)

पार्टनर, शेयरहोल्डर और स्टेक होल्डर में अंतर निम्न सूची के आधार पर बताया गया है-

क्र.. तुलना के आधार पार्टनर शेयरहोल्डर स्टेक होल्डर
1. अर्थ एक साथी होता है जो खुद की मदद करता है और विशेषकर एक राज्य में साझेदारी के रूप में संचालित एक कंपनी की स्थापना करता है. व्यक्ति, जो कोम्पनी के शेयर का मालिक होता है शेयर धारक के रूप में जाना जाता है. पार्टी, जो कंपनी में हिस्सेदार रही है स्टेक होल्डर के रूप में जानी जाती है.
2. ये कौन हैं? शेयर होल्डर का साथी ओनर्स इच्छुक दल
3. यह क्या है? साझेदार सब सेट सुपर सेट
4. कंपनी किसी कंपनी में पार्टनर शेयरहोल्डर के एक एजेंट के रूप में हो सकता है.  सिर्फ एक कंपनी जो शेयरधारकों के शेयरों द्वारा सीमित है. हर कंपनी या संगठन के हितधारकों का है.
5. शामिल शेयर होल्डर के साथ हिस्सेदारी, बिज़नस कनेक्शन, तकनीकी सेवा और प्रतिभा आदि इक्विटी शेयरहोल्डर, पसंद शेयरहोल्डर शेयरहोल्डर, लेनदार, डिबेंचर धारक, कर्मचारी, ग्राहक, आपूर्तीकर्ता और सरकार आदि
6. केन्द्रित निवेश के प्रतिफल की हिस्सेदारी पर निवेश के प्रतिफल पर कंपनी के प्रदर्शन पर

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Ankita
अंकिता दीपावली की डिजाईन, डेवलपमेंट और आर्टिकल के सर्च इंजन की विशेषग्य है| ये इस साईट की एडमिन है| इनको वेबसाइट ऑप्टिमाइज़ और कभी कभी आर्टिकल लिखना पसंद है|

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