Guru Purnima and vyasa puja Vidhi importance In Hindi गुरु की महिमा से इतिहास एवम आध्यात्म भरा पड़ा हैं. आज भी गुरु का महत्व सर्वोपरि हैं. विस्तार से जाने इस कलयुग में भी गुरु का स्थान श्रेष्ठ हैं.
गुरुपूर्णिमा हिन्दुओं का एक ऐसा त्यौहार है, जिसमे शिष्य अपने गुरुओं के प्रति श्रध्दा प्रकट करते हैं. यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार आसाढ़ मास के पूर्णिमा के दिन पड़ता है अतः इसे गुरु पूर्णिमा कहते हैं. गुरु के लिए हिंदी कविता जानने के लिए पढ़े.
वर्ष 2017 में गुरु पूर्णिमा कब है? (Guru Purnima 2017 Date):
इस वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार गुरुपूर्णिमा 9 जुलाई, दिन रविवार को पड़ा है. हिन्दू पंचांग की तिथि के अनुसार यह आठ जुलाई को सुबह 07:31 बजे से शुरू होगा और नौ जुलाई सुबह 09:36 तक रहेगा.
गुरु एवम व्यास पूर्णिमा महत्व एवम पूजा विधि
Guru Vyasa Purnima Importance, Puja Vidhi In Hindi
गुरु एवम व्यास पूर्णिमा कथा (Guru Purnima Story):
हम सबके जीवन में गुरु का बहुत अधिक महत्त्व है. गुरु ही हमारे अन्दर से अज्ञानता का अन्धकार मिटा कर हमारे अन्दर ज्ञान का प्रकाश भरता है. ऐसी मान्यता है कि इस तरह के किसी एक आसाढ़ पूर्णिमा दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. तो उन्ही के नाम पर इसे व्यास पुर्णिमा (vyasa poornima) भी कहा जाता है. इन्हीं ने समस्त मानव जाति को पहली बार वेद का ज्ञान दिया था. पहली बार वेद दर्शन मानव जाति के मध्य लाने की वजह से इनको प्रथम गुरु का दर्ज़ा दिया गया. तब से इस दिन इनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य पर गुरुपूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है. वेद व्यास महाभारत के रचियता की कहानी जानने के लिए पढ़े.
Guru Purnima Youtube Video
इस त्यौहार का महत्व हर समय इसी तरह बना रहेगा, क्योंकि हमारे जीवन में किसी न किसी तरह हमारे गुरुओं की भूमिका बनी रहेगी.
गुरुपूर्णिमा पूजन विधि (Guru purnima puja vidhi):
गुरुपूर्णिमा में होने वाली पूजा लोग अपने गुरू को समर्पित करते हैं. इसकी पूजन विधि दी जा रही है.
- सबसे पहले गुरुपूर्णिमा वाले दिन पूजन स्थान की साफ़ सफ़ाई करें. इसके बाद स्नान आदि करके नए वस्त्र धारण कर लें.
- इसके बाद पूजन स्थान पर आसन लगा कर बैठ जाएँ. यहाँ पर अपने सामने एक सफ़ेद कपडे पर पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण 12-12 रेखाओं का व्यास पीठ बनाएं.
- इसके बाद पूजन का संकल्प लेना होता है. इस पूजन का संकल्प लेते हुए आपको ये मंत्र पढना होता है : गुरुपरंपरासिद्ध्यर्थं व्यास्पूजाँ करिष्ये’.
- इसके उपरांत श्री व्यास जी, ब्रम्हा जी, शुक्रदेव आदि देवताओं के नाम से मंत्र पूजा का आह्वान करें.
- इसके बाद अपने गुरु की प्रार्थना करें. यदि आपके गुरु आपके साथ न हों, तो उनकी तस्वीर से प्रार्थना करें. यदि आपके गुरु आपके सम्मुख उपस्थित हों, तो उनके पैर छुएँ और उन्हें दक्षिणा दें.
- आप गुरु को प्रशन्न करने के लिए ये मंत्र भी पढ़ सकते हैं :
गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुदेवो महेश्वरा
गुरु साक्षात परब्रम्ह तस्मई श्रीगुरुवे नम!
- इस दिन व्यास जी के ज्ञानवर्धक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए और संकल्प लेना चाहिए, कि उनके बताए गये मार्गों पर चल कर जीवन सफ़ल बनायेंगे.
- इसके बाद अपने माता पिता और घर के सभी बड़े सदस्यों का पैर छूना चाहिए.
इस त्यौहार की सबसे ख़ास बात ये है कि इसमें किसी तरह का अंधविश्वास निहित नहीं है. इस पर्व में सम्पूर्ण पूजन प्रक्रिया विश्वास और श्रद्धा पर आश्रित है. इस पुजन से मन को शांति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है. इस तरह आने वाले गुरुपूर्णिमा में अपने गुरु की भक्ति करके आप, उनकी तथा साथ ही अपने ईष्ट देवों की कृपा के पात्र बन सकते हैं. उनकी यह कृपा आपको आपने जीवन में आगे बढने में मदद करेगी और जीवन में सुख समृद्धि आएगी.
भारत मे आज भी कई ऐसी जगह है, जहा गुरु पुर्णिमा के दिन जाने का अपना अलग महत्व होता है. जहा आज भी गुरु पुर्णिमा के दिन दर्शन करके कई लोग अपने आप को धन्य मानते है, उन्ही मे से कुछ जगह तथा वहा का महत्व और वहा उपस्थित गुरु (संतो) की महिमा की जानकारी हम आपको दे रहे है.
गुरु पूर्णिमा व व्यास पूजा –
गुरु पूर्णिमा के दिन ये तीन मुख्य लोगों को याद किया जाता है, कई लोग इन्हें अपना गुरु मानते है और इनके मंदिर जाते है.
1. | शिर्डी वाले साईं बाबा |
2. | खंडवा के धुनी वाले दादा जी |
3. | गजानंद महाराज |
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