परमाणु (हाइड्रोजन) बम क्या है इसकी प्रक्रिया इतिहास कार्यविधि एवं तीव्रता (What is Hydrogen Bomb and its Process History Working Speed in hindi)
सुरक्षा के नाम पर विभिन्न देशों ने समय समय पर विभिन्न तरह के हथियार बनाते रहे हैं. इस तरह के कई ऐसे हथियार बनाए गये हैं, जो एक बार में एक बड़े क्षेत्र को पूरी तरह से तबाह कर सकता है. विभिन्न तरह के बम और हथियारों की ही तरह हाइड्रोजन बम का आविर्भाव हुआ है. हाइड्रोजन बम एक थर्मो न्यूक्लियर बम है, जिसका विस्फोट न्यूक्लियर फ्यूज़न प्रक्रिया के द्वारा होता है. यहाँ पर इस बम से सम्बंधित विशेष बातों का वर्णन किया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि हाइड्रोजन बम और एटम बम में कौन सा अधिक घातक है.
परमाणु (हाइड्रोजन) बम की प्रक्रिया (Hydrogen Bomb Process)
हाइड्रोजन बम को एच- बम भी कहा जाता है. इसके निर्माण में हाइड्रोजन के आइसोटोप का इस्तेमाल होता है. किसी तत्व का आइसोटोप उस तत्व का वह प्रारूप होता है, जिसकी परमाणु संख्या बराबर रहती है किन्तु परमाणु भार भिन्न होता है. हाइड्रोजन के कुल 2 आइसोटोप होते है. हाइड्रोजन के दोनों आइसोटोप का नाम ड्युटेरियम और ट्रिटियम है. जैसा कि पहले बताया गया है कि इस बम में न्यूक्लियर फ्यूज़न की प्रक्रिया होती है. इस प्रक्रिया के पूरे होने के लिए बहुत अधिक तापमान की आवश्यकता होती है. इस अधिक तापमान में यह प्रक्रिया होने की वजह से इसे थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहा जाता है.
परमाणु बम का संक्षिप्त इतिहास (Hydrogen Bomb History)
पहली बार इस थर्मोन्यूक्लियर बम का परिक्षण वर्ष 1952 में यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका द्वारा एनेवेतक में किया गया था. इसके एक ही वर्ष बाद रूस ने भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए इस बम का परिक्षण किया. इस समय रूस यूएसएसआर हुआ करता था. इसके बाद ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और चाइना ने भी इस बम का परिक्षण अपने अपने देश में किया. इन पाँचों देश को इसके बाद से ‘न्यूक्लियर क्लब’ कहा जाने लगा. न्यूक्लियर क्लब का मतलब उस देश से था, जिन देशों के पास ऐसे न्यूक्लियर शस्त्र बनाने और उसकी देख रेख करने की क्षमता हो. इस समय कई देश यह बम अपने देश में बनाने की कोशिश में हैं.
परमाणु बम की कार्यविधि (Hydrogen Bomb Working in hindi)
हाइड्रोजन बम की प्रक्रिया बहुत ही अधिक तापमान पर आरम्भ होती है. इसके विस्फोट की वजह से बहुत अधिक नुकसान हो सकता है. इसकी बनावट निम्लिखित रूप में होतीं है.
- हाइड्रोजन बम के मध्य में एक एटॉमिक बम लगाया हुआ होता है. इस एटम के चारों तरफ लिथियम ड्यूटेराइड का बहुत बड़ा स्तर लगा हुआ होता है. लिथियम ड्यूटेराइड दरअसल लिथियम और ड्यूटेरियम के मिश्रण से बना होता है.
- यह लेयर बहुत अधिक फिशन से होने वाला तत्व होता है. इसका न्यूट्रॉन इस फिशन के समय लिथियम को ट्राईटियम में बदल देता है और इसके बाद काफ़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है.
- इसके उपरान्त बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा भी उत्पन्न होती है. इस तापमान का माप 50,000,000°C और 400,000,000°C के बीच का होता है.
- जितनी अधिक संख्या में न्यूट्रॉन उत्पन्न होता है, उतनी ही अधिक नाभिकीय फ्यूज़न भी होता है और बम के विस्फोट की इंटेंसिटी बढती जाती है. यह प्रक्रिया एक चैन रिएक्शन की तरह होती है.
- इस तरह से यह हाइड्रोजन बम एक न्यूट्रॉन बम के रूप में परिवर्तित हो जाता है.
- अन्य न्यूक्लियर बमों की ही तरह इस बम के बीच में भी बहुत अधिक तापमान रहता है. बहुत अधिक तापमान होने की वजह से इसके केंद्र में रहने वाले सभी तत्व पूरी रूप से वाष्प रूप में आ जाते हैं.
- इस क्षेत्र में अचानक वायुमंडल से अधिक दबाव डालने पर यह किसी शॉक वेव की तरह विस्फोटित होता है.
परमाणु बम की तीव्रता (Hydrogen Bomb Speed)
इस बम के फटने से सबसे अधिक नुकसान सजीव वस्तुओं को होता है. बम की थ्योरी के अनुसार यह बम जहाँ पर फटेगा वहाँ की भौतिक वस्तुओं को हालाँकि बहुत कम नुकसान पहुंचाएगा, किन्तु वहाँ पर स्थित सभी जीवन युक्त वस्तुओं को पूरी तरह से नष्ट कर देगा. संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के वर्ष 1958 के बाद से वर्ष 1980 तक उसने लगभग सैकड़ों नाभिकीय ऐसे बम बना दिए हैं.
परमाणु बम और न्यूक्लियर बम में अंतर (Difference Between Hydrogen Bomb vs Nuclear Bomb)
हालांकि दोनों बम बहुत अधिक तीव्रता वाले हैं और इससे काफ़ी अधिक नुकसान भी पहुँचाया जा सकता है, किन्तु कई मायनों में इन दोनों बमों के बीच में कई तरह की भिन्नताएं हैं. इन भिन्नताओं का वर्णन नीचे किया जा रहा है,
- न्यूक्लियर बम में न्यूक्लियर फिशन की प्रक्रिया से विस्फोट होता हैं, वहीँ दूसरी तरफ़ हाइड्रोजन बम में न्यूक्लियर फ्यूज़न की प्रक्रिया से विस्फोट होता है.
- हाइड्रोजन बम किसी एटॉमिक बम से 100 गुना अधिक तीव्रता से फटता है, अतः इससे होने वाली हानियाँ बहुत अधिक होती हैं.
- ‘न्यूक्लियर बम में युरेनियम का प्रयोग होता है वहीँ दूसरी तरफ हाइड्रोजन बम के लिए हाइड्रोजन के आइसोटोप का प्रयोग किया जाता है.
- न्यूक्लियर फ्यूज़न में न्यूक्लियर फिशन के स्थान पर बहुत आधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, इस वजह से हाइड्रोजन बम अन्य नाभिकीय बमों से काफ़ी अधिक प्रभावशाली है.
- हाइड्रोजन बम के अन्दर इसके प्राइमरी शेल में न्यूक्लियर फिशन और सेकेंडरी डिवाइस में न्यूक्लियर फ्यूज़न की प्रक्रिया होती है, किन्तु अन्य न्यूक्लियर बम में केवल न्यूक्लियर फिशन ही होता है.
हाइड्रोजन बम तात्कालिक समाचार (Hydrogen Bomb Latest News)
हालही में अमेरिका और उत्तरी कोरिया के विवाद के चलते उत्तरी कोरिया ने हाइड्रोजन बम का परिक्षण किया है. यह परिक्षण उत्तरी कोरिया ने 3 सितम्बर को ब्रिक्स सम्मलेन के आरम्भ के दौरान किया. इस परीक्षण के साथ ही उत्तरी कोरिया एक बार फिर सबकी नज़र में आ गया. उत्तरी कोरिया का कहना है कि यह बम लॉन्ग रेंज मिसाइल के इस्तेमाल के लिए डिजाईन किया गया है. उत्तरी कोरिया का यह परीक्षण इसके पिछले परीक्षण के दौरान तीव्रता वाले बम से अधिक तीव्रता का माना जा रहा है. इस बम का कुल वजन 120 किलोटन का था, जिसमे कुल 264.55 मिलियन पौंड का टीएनटी प्रयोग किया गया था. ध्यान देने वाली बात है कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय नागासाकी और हीरोशीमा पर क्रमशः 20 किलोटन और 15 किलोटन के बम गिराए गये थे, जिसके अंतर्गत वहाँ तबाही फैली थी, इस बम का वजन इन दोनों बमों से कई गुणा अधिक है, इससे होने वाले विनाश का अनुमान लगाना तक मुश्किल है.
उत्तरी कोरिया के हाइड्रोजन बम परिक्षण का प्रभाव (North Korea Hydrogen Bomb Effects)
उत्तरी कोरिया के हाइड्रोजन बम परिक्षण का प्रभाव बहुत ही घातक है. इसके इस परीक्षण की वजह से आस पास के क्षेत्रों में 6.3 तीव्रता वाले भूकंप आ गये. भूकंप के ये झटके जापान और इसके साथ उत्तरी कोरिया से संलग्न चीनी इलाकों में भी महसूस किये गये. चीन इसके सफ़ल परीक्षण के बाद से ही सतर्क हो गया है. दक्षिणी कोरिया ने भी इस बात की चिंता जताई है कि आगे भी उत्तरी कोरिया ऐसे परिक्षण कर सकता है. ध्यान देने वाली बात है कि इसके बाद अमेरिका भी तैयार हो गया है, किन्तु यदि युद्ध होता है तो इससे विश्व भर को बहुत अधिक नुकसान पहुंचेगा. भूकंप क्या है और उससे अपनी सुरक्षा कैसे करे यहाँ पढ़ें.
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