Income tax kaise bachaye tarike saving tips in hindi इनकम टैक्स जिसके नाम से कोई भी व्यक्ति डरता है | व्यक्ति इससे बचाना चाहता है , या भरना ही नहीं चाहता | जबकि यह सोच बहुत गलत है,जब हम किसी भी काम को पूरी योजना बनाकर करे तो उसका प्रभाव सकरात्मक होता है | ठीक इसी तरह यही बात इनकम टैक्स पर भी हमे अमल करनी चाहिए | जिस तरह टैक्स चुकाना हर व्यक्ति का कर्तव्य है, ठीक उसी तरह कानून की परिधि में रहते हुये टैक्स की प्लानिंग करना हर व्यक्ति का अधिकार है |
इनकम टैक्स बचाने के तरीके
Income tax kaise bachaye tarike saving tips in hindi
इनकम टैक्स में ,जहां आय के ऊपर टैक्स देना होता है वही, कुछ इनकम ऐसी भी है जो कि टैक्स फ्री होती है | जिस तरह व्यक्ति हमेशा अपनी आय का एक अंश अपनी बचत के रूप में रखता है वह बचत जोकि भविष्य में, उसके बुरे समय में काम आए | उसी तरह हम इनकम टैक्स प्लानिंग के साथ भर कर भविष्य में उससे बहुत सारे फायदे ले सकते है |
इनकम टैक्स में आय के प्रमुख पांच स्त्रोत बताये गए है –
- वेतन से आय (INCOME FROM SALARIES)
- मकान संपत्ति से आय (INCOME FROM HOUSE PROPERTY)
- व्यापार एवंम पेशे से आय (PROFITS AND GAINS OF BUSINESS OR PROFESSION )
- कैपीटल गेन से आय (INCOME FROM CAPITAL GAIN)
- अन्य स्त्रोत से आय ( INCOME FROMOTHER SOURCES)
यह पांच आय अपने आप में सभी आय के स्त्रोत को अपने में शामिल कर लेती है | यह सभी आय से बचने के प्रावधान आयकर में मौजूद है | जैसे – बचत योजनाए , ट्रस्ट बनाकर, हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) के द्वारा, पारिवारिक आय का डिस्ट्रीब्युशन , गिफ्ट के द्वारा , कर मुक्त आय ज्यादा से ज्यादा अर्जित करना | इस तरह की सभी आय को अपनी आय में शामिल करके हम अपने कर के दायित्व को कम कर सकते है | टैक्स प्लानिंग बहुत विस्त्रत विषय है जिसके लिए हमे एक मुनिम से लेकर चार्टेड अकाउंटेंट (CA) तथा एक वकील की साहयता लेनी चाहिए तथा उनके द्वारा बताई गयी बारीकियो को ध्यान में रखते हुए प्लानिंग करनी चाहिए |
- कितने तक की इनकम टैक्स फ्री होती है ?
- टैक्स प्लानिंग कैसे होती है ?
- टैक्स फ्री इनकम का लाभ कैसे ले ?
कितने तक की इनकम टैक्स फ्री होती है ?
हमे पहले यह पता होनी चाहिए कि कितने तक की इनकम टैक्स फ्री होती है | इनकम टैक्स में एक सीमा तय होती है, वहा तक की इनकम पर कोई टैक्स नही लगता है | यह सीमा हर व्यक्ति के पहले से तय होती है | उस इनकम को पार करते ही भिन्न – भिन्न दरो से हमे सरकार को कर चुकाना होता है | इसे हमने आगे चार्ट के माध्यम से प्रस्तुत किया है |
टैक्स स्लैब फैनेंशियल ईयर (F.Y)2015 – 16 असिसमेंट ईयर(A.Y) 2017-18
आय सीमा | महिला/पुरुष | सीनियर सिटिजन | सीनियर सिटिजन |
( जिसकी आयु 60 वर्ष से कम हो| ) | (आयु 60 वर्ष जिनकी से ज्यादा परन्तु 80 वर्ष से कम ) | ( जिनकी आयु 80 वर्ष से ज्यादा ) | |
2,50,000/- Rs. | NIL | NIL | NIL |
2,50,001 Rs.-500,000 Rs. | 10% | 10% | NIL |
500,001 Rs. – 10,00,000 Rs. | 20% | 20% | 20% |
10,00,000 Rs. से ज्यादा | 30% | 30% | 30% |
टैक्स प्लानिंग कैसे होती है ?
जिस तरह INCOME TAX ACT में प्रत्येय आय के बाद कि आय पर कर की दर तय है ठीक उसी तरह टैक्स प्लाइनिग के निवेश के प्रावधान SECTION 80 C – SECTION 80 U में मौजूद है| उनमे से प्रमुख आगे बताये गये है –
INCOME TAX ACT में SECTION 80 C, 80CCC, 80CCD में 1 LAKH से 1.5 LAKH तक का INVESTMENT किया जा सकता है|
SAVING SCHEME OF SECTION 80 C
- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NATIONAL SAVING CERTIFICATES )(NSC SCHEME)
- जीवन बीमा प्रिमियम (LIFE INSURANCE POLICIES)
- EQUITY LINKED SAVINGS SCEHEME (ELSS)
- UNIT LINKED INSURANCE PLAN (ULIP)
- CONTRIBUTION TO EPF / GPF
- PUBLIC PROVIDENT FUND (PPF)
- TUTION FEES (ANY TWO CHILDREN)
- REPAYMENT OF HOUSING LOAN (PRINCIPAL)
इसी तरह SECTION 80 D में MEDICLAIM PREMIUM जो कि स्वयं, पति-पत्नी, बच्चे (जो माता-पिता पर निर्भर हो) को 20000/- और सीनियर सिटिज़न को 30000/- तक की छुट दी गयी है | ये सभी तथा इसके अलावा अन्य और कई ऐसे कई निवेश इनकम टैक्स में होते है जिनकी छुट INCOME TAX RETURN FILE करते समय हमे मिलती है|
टैक्स प्लानिंग के अन्य तरीके
- परिवार के आपसी समझोते द्वारा टैक्स की प्लानिंग
- व्यक्ति के जन्म से म्रत्यु तक की टैक्स प्लानिंग
- गिफ्ट के द्वारा टैक्स प्लानिंग
- अन्य सभी आय से टैक्स प्लानिंग
परिवार के आपसी समझोते द्वारा टैक्स की प्लानिंग-
इसके लिए हमे क्या करना चाहिये –
- स्वयं की INCOME TAX RETURN FILE करने के साथ अपने परिवार के सदस्य की भी RETURN FILE करे|
- अपने व्यस्क बच्चो के लिए टैक्स प्लानिंग करे|
- अपने बुजुर्ग माता – पिता के टैक्स फ़ाइल् कर , अधिक आयकर स्लेब का लाभ ले|
- वसीयत द्वारा सम्पति को ऐसे बाटे जिससे वह भार उत्तराधिकारीयो पर टैक्स के रूप में कम से कम आये|
- पुत्रवधु की रिटर्न फाइल कर टैक्स का लाभ ले|
- HUF बनाकर टैक्स फाइल करे|
इसी सम्बन्ध में हमे कुछ बातो की सावधानी बरतनी चाहिये
- पति-पत्नी की आय साथ में न जोड़े |
- माईनर बच्चो की आय की होती है, तो उसे बड़ो की आय में शामिल न करे | इसे किसी FUND या SCHEME में निवेश करे |
व्यक्ति के जन्म से म्रत्यु तक की टैक्स प्लानिंग
जन्म पर TAX PLANNING –
नौकरी से रिटायर्मेंट तक की TAX PLANNING –
म्रत्यु के पश्चात् , INCOME TAX PLANNING – वसीयत के अनुसार, जिस भी तरह प्रॉपर्टी का विभाजन होता है ,उसे अपने कर सलाहकार को बताकर ,TAX PLANNING करे| कई बार कुछ INCOME ऐसी होती है जो कि TAXFREE होती है| जैसे – कृषि योग्य आय (AGRICULTURE INCOME)
गिफ्ट के द्वारा टैक्स प्लानिंग – अप्रैल , 2006 के बाद 50,000/- तक के गिफ्ट TAXFREE है| तथा 50,000/- से अधिक के गिफ्ट TAXEBLE होंगे |
अन्य सभी आय से टैक्स प्लानिंग
जब कभी करदाता कि आय अधिक होती है , तो वह TAX की ऐसी PLANNING करता है जिससे वह अपनी INCOME अपनों में TRANSFER कर सके | जिसके कारण उसकी TAX लिबिलिटी कम हो जाये | परन्तु कुछ बातो का ध्यान रखना होता है| जैसे –
- सम्पति ट्रान्सफर किये बिना आय ट्रान्सफर करना
- रिवोकेबल ट्रान्सफर की सही प्लानिंग करना
- पत्नी/पुत्रवधू/अवयस्क बच्चो को अपनी आय ट्रान्सफर करने से बचे
- हुण्डी पर लिया गया ऋण अथवा भुगतान
- अस्पष्ट बैंक व्यवहार, CASH, इन्वेस्टमेंट व खर्चे
उपरोक्त POINT में टैक्स का दायित्व कर दाता पर बनेगा|
इसके अलावा COMPANY व HUF तथा ट्रस्ट बनाकर TAX SAVING करे |
प्रमुख बाते
- TDS यदि कटा हो तो उसे क्लेम करे|
- कोई प्रोपर्टी खरीदें तो उसकी जानकारी दे|
- व्यापार में बड़े व नगद व्यवहार न करे, चेक के माध्यम से ही व्यवहार करे|
- यदि TAX / ADVANCE TAX की लाइबिलिटी बने तो उसे निर्धारित समय भर कर ब्याज से बचे|
- यदि बड़े व्यापार या कम्पनी का संचालन कर रहे है तो, छोटी-छोटी बातो का ध्यान रखे जैसे – बिल बनाये तथा बिल से खरीदी करे, हर तरह की आय-व्यय , क्रय-विक्रय, किये गये निवेश की रसीद को प्रॉपर फाइल करके ACCOUNT मेंटेन करे|
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Priyanka
यह एक एडवोकेट हैं और जीएसटी में प्रेक्टिस कर रही हैं . इन्हें बैंकिंग, टेक्स्सेशन एवं फाइनेंस जैसे विषयों पर लिखना पसंद हैं ताकि उनका ज्ञान और अधिक बढ़ सके. उन्होंने दीपावली के लिए लिखना शुरू किया और इस तरह अपने ज्ञान को पाठकों तक पहुँचाने की कोशिश की.
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