प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय, कौन थे, भारत रत्न, मृत्यु, किताब, आत्मकथा, जन्म, परिवार, राजनितिक करियर, अचीवमेंट (Pranab Mukherjee Biography in Hindi, Book, Birth Date, Bharat Ratna, Health, Death, Age)
भारत की आजादी के बाद 1950 में जब संविधान लागु हुआ, उसके बाद से देश में राष्ट्रपति का चुनाव होने लगा. भारत में अभी तक 14 राष्ट्रपति सत्ता में आ चुके है, 13वें राष्ट्रपति के रूप में महामहिम प्रणब मुखर्जी विराजमान रहे. सन 2012 से 2018 तक वे इस पद की गरिमा बनाये हुए थे. प्रणब जी भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले मनमोहन सिंह की सरकार में वित्त मंत्री बने थे. प्रणब जी भारत के आर्थिक मामलों, संसदीय कार्य, बुनियादी सुविधाएँ व सुरक्षा समिति में वरिष्ठ नेता रहे हैं. उन्होंने विश्व व्यापार संघठन व भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण क्षेत्र में भी कार्य किया था, जिसका अनुभव उन्हें भारत की राजनैतिक सफ़र में बहुत काम आया. पिछले साल इन्हें तत्कालिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया था. आइये जानते हैं प्रणब जी के कुछ रोचक जीवन के पहलुओं के बारे में.
प्रणब मुखर्जी जी का परिचय
क्रमांक | जीवन परिचय बिंदु | प्रणव मुखर्जी जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | प्रणव मुखर्जी |
2. | अन्य नाम | पोल्टू, प्रणब डा |
3. | धर्म | बंगाली |
4. | जाति | बंगाली |
5. | जन्म | 11 दिसंबर, 1935 |
6. | जन्म स्थान | मिराती, पश्चिम बंगाल, भारत |
7. | उम्र | 83 वर्ष |
8. | राष्ट्रीयता | भारतीय |
9. | गृहनगर | मिराती, पश्चिम बंगाल, भारत |
10. | राजनैतिक पार्टी | कांग्रेस |
11. | वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
12. | नेट वर्थ | 3 करोड़ भारतीय रूपये |
13. | मृत्यु | 31 अगस्त, 2020 |
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प्रणब मुखर्जी का परिवारिक जीवन
1. | माता का नाम | राजलक्ष्मी मुखर्जी |
2. | पिता का नाम | कामदा किंकर मुखर्जी |
3. | बहन का नाम | अन्नपूर्णा बनर्जी एवं अन्नानापूर्णा बंदापधाय |
4. | पत्नी का नाम | सुरवा मुखर्जी |
5. | विवाह | सन 1957 |
6. | बच्चे | 1. अभिजित (बेटा) 2. शर्मिष्ठ (बेटी) 3. इन्द्रजीत (बेटा) |
प्रणब मुखर्जी जी का जन्म बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव में एक बंगाली कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी एक स्वतंत्रता संग्रामी थे और 1952-64 तक बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे. इनकी माता गृहणी एवं भारतीय स्वतंत्रता सैनानी थी. घर में राजनैतिक माहोल होने की वजह से बचपन से ही प्रणब मुखर्जी जी का मन राजनीति में आने का था.
प्रणब मुखर्जी जी की शिक्षा
प्रणब मुखर्जी जी ने शुरूआती पढ़ाई तो अपने गृहनगर के स्थानीय स्कूल में ही पूरी की, लेकिन आगे की पढ़ाई उन्होंने सूरी (वीरभूम) के सूरी विद्यासागर कॉलेज से राजनीति शास्त्र एवं इतिहास में स्नातक करते हुए पूरी की थी. फिर प्रणब जी ने कानून की पढाई के लिए कलकत्ता में एंट्री की और कलकत्ता यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया.
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प्रणव मुखर्जी करियर व् राजनैतिक सफ़र –
अपने करियर की शुरुवात प्रणब मुखर्जीजी ने पोस्ट एंड टेलेग्राफ़ ऑफिस से की थी जहां वे एक क्लर्क थे. सन 1963 में विद्यानगर कॉलेज में वे राजनीती शास्त्र के प्रोफेसर बन गए और साथ ही साथ देशेर डाक में पत्रकार के रूप में कार्य करने लगे.
प्रणब मुखर्जी जी ने राजनैतिक सफ़र की शुरुवात 1969 में की. वे कांग्रेस का टिकट प्राप्त कर राज्यसभा के सदस्य बन गए, 4 बार वे इस पद के लिए चयनित हुए. वे थोड़े ही समय में इंदिरा जी के चहेते बन गए थे. सन 1973 में इंदिरा जी के कार्यकाल के दौरान वे औद्योगिक विकास मंत्रालय में उप-मंत्री बन गए. सन 1975-77 में आपातकालीन स्थिति के दौरान प्रणब मुखर्जीजी पर बहुत से आरोप भी लगाये गए. लेकिन इंदिरा जी की सत्ता आने के बाद उन्हें क्लीन चिट मिल गया. इंदिरा गांधी जी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान प्रणब जी सन 1982से 1984 तक वित्त मंत्री के पड़ पर विराजमान रहे थे.
इंदिरा जी की मौत के पश्चात् राजीव गाँधी से प्रणब जी के संबंध कुछ ठीक नहीं रहे और राजीव गाँधी ने अपने कैबिनेट मंत्रालय में प्रणब जी को वित्त मंत्री बनाया था. लेकिन राजीव गाँधी से मतभेद के चलते प्रणब दा ने अपनी एक अलग “राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस” पार्टी गठित कर दी. सन 1985 में प्रणब जी पश्चिम बंगाल कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी रहे. थोड़े समय के बाद 1989 में राजीव गाँधी के साथ सुलह हो गई और वे एक बार फिर कांग्रेस से जुड़ गए. कुछ लोग इसके पीछे की वजह ये बोलते थे कि इंदिरा गाँधी की मौत के बाद प्रणब जी खुद को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में देखते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद राजीव गाँधी से सब उम्मीद करने लगे. पी वी नरसिम्हा राव का प्रणब मुखर्जीजी के राजनैतिक जीवन को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान है. पी वी नरसिम्हा रावजी जब प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने प्रणब मुखर्जीजी को योजना आयोग का प्रमुख बना दिया. थोड़े समय बाद उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विदेश मंत्रालय का कार्य भी सौंपा गया.
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सन 1999 से 2012 तक प्रणब मुखर्जी जी केंद्रीय चुनाव आयोग के अध्यक्ष रहे. सन 1997 में प्रणब मुखर्जीजी को भारतीय संसद ग्रुप द्वारा उत्कृष्ट सांसद का ख़िताब दिया गया. जब सोनिया गाँधी ने राजनीती में आने का सोचा तो प्रणब मुखर्जीजी उनके मेंटर बने और उन्हें बताया कि कैसे उनकी सास इंदिरा जी काम किया करती थी. सोनिया गाँधी को कांग्रेस प्रमुख बनाने में प्रणब मुखर्जीजी का बहुत बड़ा हाथ है. राजनीती के सारे दाव पेंच सोनिया को प्रणब जी ने ही सिखाये थे. प्रणब जी के परामर्श के बिना सोनिया जी कुछ नहीं करती थी.
सन 2004 में प्रणब मुखर्जीजी ने जंगीपुर से चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर लोकसभा सदस्य बन गए. इनके साथ ही साथ कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में UPA बनी. प्रधानमंत्री पद को छोड़ कर वे रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और लोकसभा में पार्टी के नेता के रूप में सराहनीय काम किया. इस दौरान मनमोहन सिंहजी को प्रधानमंत्री बनाया गया. कहते है अगर उस समय प्रणब मुखर्जी जी को प्रधानमंत्री बनाया जाता तो आज देश विकास के क्षेत्र में बहुत आगे होता. प्रणब मुखर्जी जी मनमोहन सिंहजी के बाद कांग्रेस के दुसरे बड़े नेता थे. प्रणब मुखर्जी जी को कांग्रेस पार्टी का संकटमोचक भी कहा जाता है. कांग्रेस की डूबती नैया को प्रणब मुखर्जीजी ने कई बार किनारे लगाया है. सन 1985 से प्रणब जी जो पश्चिम बंगाल कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहे, 2010 में उन्होंने किसी मतभेद के चलते उन्होंने इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
प्रणब मुखर्जी जी का राष्ट्रपति बनने का सफर
जुलाई सन 2012 में प्रणब मुखर्जीजी पी.ए. संगमा को 70% वोटों से हराकर राष्ट्रपति पद पर विराजमान हो गए. ये पहले बंगाली थे जो राष्ट्रपति बने थे. प्रणब जी ने गाँधी परिवार को करीब से देखा था, उनका इंदिरा गाँधी से काफी करीबी रिश्ता था, जबकि राजीव गाँधी के साथ उनके रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे, इसके बावजूद उनकी पत्नी सोनिया गाँधी से प्रणब जी ने अच्छे सम्बन्ध रखे और राजनैतिक जीवन में उनका साथ दिया. प्रणब जी का राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र आसान नहीं रहा, उन्हें काफी उतार चढाव का सामना करना पड़ा. प्रणब जी ने अपने जीवन के 40 साल भारतीय राजनीती को दिए है, जो एक महत्वपूर्ण योगदान है. उम्र के इस पड़ाव में आकर जहाँ लोग हार मान जाते है और आपा खो बैठते है, वही प्रणब जी ने संयम, धैर्य से अपने राजनैतिक जीवन को एक दिशा प्रदान की और आज इस मुकाम में आ पहुचें. प्रणब जी कांग्रेस की मजबूत धरोहर है, जिसे कांग्रेस कभी भी नहीं खोना चाहेगी.
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प्रणब मुखर्जी जी का स्वाभाव
प्रणब मुखर्जीजी को पढ़ने, लिखने, बागवानी और संगीत का बहुत शौक है. इनके द्वारा लिखी गई किताबें
- सन 1969 में – मिडटर्म पोल
- सन 1984 में – इमर्जिंग डाइमेंशन्स ऑफ इंडियन इकोनॉमी
- सन 1987 में – ऑफ द ट्रैक
- सन 1992 में – सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस
- सन 1992 में – चैलेंज बिफोर दी नेशन,
- सन 2014 में – द ड्रामेटिक डिकेड : द डेज ऑफ़ इंदिरा गाँधी इयर्स
प्रणब मुखर्जी जी मिले अवार्ड्स
सन 2019 में यानि की पिछले साल प्रणब मुखर्जी जी को भारत रत्न पुस्कार से नवाजा गया है. इसके पहले इन्होने अपने जीवन में कई अवार्ड्स हासिल किये हैं जोकि इस प्रकार है –
- सन 2008 में देश के दुसरे बड़े सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया.
- सन 2010 में प्रणब जी को एक रिसर्च के बाद ‘फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ़ दी इयर फॉर एशिया’ के लिए अवार्ड दिया गया.
- सन 2011 में वोल्वरहैम्टन विश्वविद्यालय द्वारा प्रणब जी को डोक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया.
- प्रणब जी विदेश में भी उपलब्धि प्राप्त करने वाले व्यक्ति बने थे. साल 2013 में बांग्लादेश सरकार की ओर से वहां के दूसरे सबसे बड़े अवार्ड ‘बांग्लादेश लिबरेशन वॉर ओनर’ से सम्मानित किया गया था.
- सन 2016 में आइवरी कोस्ट की ओर से ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ नेशनल ऑर्डर ऑफ द आइवरी कोस्ट’ अवार्ड दिया गया था.
- सन 1984 में विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में उन्हें उपलब्धी मिली थी. इसी तरह से सन 1997 में सबसे अच्छे सांसद के रूप में भी उन्हें सम्मानित किया गया.
- सन 2012 में विश्वेस्वराईया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और असम विश्वविध्यालय की ओर से उन्हें ओनररी डी लिस्ट पुरस्कार से नवाजा गया था.
- सन 2013 में ढाका विश्वविध्यालय में मुखर्जी जी ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति के द्वारा कानून की डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.
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प्रणब मुखर्जी जी की मृत्यु
पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी का 31 अगस्त 2020 को स्वास्थ्य ख़राब होने की वजह से देहवसान हो गया है. प्रणब दा का पिछले कुछ महीनों से स्वास्थ्य ठीक नहीं था, जिसके चलते उन्हें सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती किया गया था. हालही में कुछ दिन पहले यह खबर आ रही थी कि प्रणब जी की हालत काफी गंभीर है वे कोमा में चले गया हैं और बाद में उन्हें वेंटीलेटर में भी रखा गया. इस बीच यह अफवाह भी फेल गई थी कि प्रणब दा का देहांत हो गया है. लेकिन अब यह खबर सही साबित हो गई है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी अब हमारे बीच में नहीं है.
प्रणब मुखर्जी जी के बारे में रोचक जानकारी
- जब प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के पश्चात कई दया याचिकाओं प्राप्त की जिनमे से उन्होंने 7 याचिकाओं को पूरी तरह से रद्द कर दिया. इसमें मुंबई हमले का आतंकवादी कसाब की दया याचिका भी शामिल थी.
- जब वे राष्ट्रपति बने तब पूर्व कमुनिस्ट लीडर सोमनाथ चटर्जी जी ने मुखर्जी जी को भारत के स्टेट्समैन का नाम दिया था.
- प्रनब जी पहले बंगाली थे जिन्हें इस पद पर विराजमान रहने का मौका मिला.
- प्रणब जी ने अपने 40 वर्षों के बारे में एक डायरी लिखी है जिसे प्रणब जी के मरने के बाद प्रकाशित किया जायेगा.
- सन 1986 में मुखर्जी जी ने पश्चिम बंगाल में एक नाइ कांग्रेस पार्टी बने जिसका नाम था राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी. हालांकि बाद में यह राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के साथ ही जुड़ गई.
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प्रणब मुखर्जी जी ने भारत की राजनीति में अपना एक अहम योगदान दिया है, इनके कार्यों को कभी भी भूला नहीं जा सकता है. और उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला बहुत ही सही फैसला था.
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FAQ
Ans : देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस पार्टी के नेता.
Ans : 11 दिसंबर, 1935
Ans : 31 अगस्त, 2020
Ans : सुव्रा मुखर्जी
Ans : शर्मिस्ठा मुखर्जी
Ans : 84 साल
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