बच्ची की सुझबूझ से हुआ काम आसान
Story For Kids In Hindi
यह एक सच्ची घटना पर आधारित एक किस्सा हैं जिसमे एक नौ वर्ष की बच्ची हैं जिसका नाम विनी था . विनी के जीवन में उसके पिता और भाई की भूमिका बहुत अहम् रही हैं बातों ही बातो में वो अपने पिता और अपने भाई से कई तरह के ज्ञान प्राप्त कर लेती थी उसके पिता उसे जो भी बाते कहते वो छोटी सी उम्र से ही उन्हें अपने जीवन में विशेष स्थान देती थी उसी से जुडी एक घटना कहानी के रूप में लिखी गई हैं जो कि आज के समय में माता पिता और बच्चो के लिए एक प्रेरणादायक प्रसंग हैं .

एक बार विनी अपने भाई विपुल के साथ उसके स्कूल गई, जब विनी महज 9 वर्ष की थी और उसका भाई 17 वर्ष का, जो उस समय बारहवी कक्षा का छात्र था . उसके स्कूल में जादू का शो था जिसे दिखाने के लिए वो अपनी छोटी बहन विनी को अपने साथ अपने स्कूल लेकर गया था .
शो स्कूल के बारहवी कक्षा के छात्रो द्वारा करवाया गया था जिसका किराया दो रूपये प्रति व्यक्ति था . शो के बाद सभी रूपये जो कि सिक्को के रूप में थे उन्हें गिनकर स्कूल में जमा करने की जिम्मेदारी विपुल और उसके एक दोस्त की थी लेकिन उसी समय विपुल को किसी काम से बाहर जाना पड़ा . तब विपुल ने उसके दोस्त को कहा कि मेरी बहन विनी तेरे साथ ये काम करवा लेगी . इतना कहकर विपुल चला गया . विपुल के दोस्त को बहुत गुस्सा आया कि इतने सारे सिक्के जब मैं नहीं गिन पा रहा तो विपुल की छोटी सी बहन ये कैसे कर लेगी और वो यह बड़बड़ाता हुआ गुस्से में वो हेड मास्टर से कहने चला गया कि वो अकेला यह नहीं कर पायेगा . पूरी बाते सुनने के बाद विनी ने अकेले ही सिक्के गिनना शुरू कर दिया और जब तक विपुल का दोस्त हेड मास्टर को अपने साथ लाता, तब तक विनी ने सारे सिक्के गिनकर रख दिए . और सारा हिसाब विपुल के दोस्त के हाथ में रख दिया और जिसे उसने मेज पर रखे सिक्को के अलग- अलग ढेर के रूप में समझा भी दिया ताकि गिनती का सत्यापन हो सके . यह देख विपुल का दोस्त आश्चर्य में था जिस काम को लेकर वो हेड मास्टर के पास गया वो काम एक नौ वर्ष की बच्ची ने कर दिया . हेड मास्टर ने भी विनी के काम की तारीफ की इतने में विपुल भी वहाँ आगया . उसने तारीफ सुन ली और जैसे ही मेज पर रखे सिक्को के ढेर को देखा वो समझ गया कि विनी की तारीफ क्यूँ हो रही हैं . और उसने सभी की जिज्ञासा को शांत किया कि आखिर जो काम बारहवी का छात्र नहीं कर पाया वो काम चौथी के छात्रा ने कैसे किया ?
विपुल ने सभी को बताया, बचपन में उसके पापा ने विनी को गिनती सिखाने के लिए एक हजार रूपये एक एक एवम दो दो के सिक्के के रूप में लाकर दिए और उसे उन सिक्को के जरिये गिनती सिखाई जिसमे उसने खेल-खेल में गिनती के साथ- साथ जोड़ घटाना भी सिख लिया और अपनी सूझ बुझ का इस्तेमाल कर विनी ने उस तरीके को अपनाया और आसानी ने इन सिक्को से दस- दस रूपये के ढेर बनाये और बिना किसी उलझन के उसने सभी सिक्के थोड़ी ही देर में गिन लिए जिससे उसका काम आसान भी हुआ और जिसमे उसका मन भी लगा . साथ ही उसके हिसाब में कोई गलती भी नहीं हुई . यह सुनकर सभी को बहुत अच्छा लगा और सबने विनी की सूझ बुझ की प्रशंसा की .
शिक्षा Moral Of The Story / Kahani
यह कहानी बहुत बड़ी रोचक घटना नहीं हैं . यह एक साधारण सी बात हैं लेकिन इससे एक अच्छी सिख मिलती हैं कि बच्चो को हमेशा इस तरह से सिखाना चाहिए कि सिखाया हुआ काम उनके किसी काम में सहयोगी बन सके . गिनती सिखाना एक बहुत साधारण सा काम हैं जो विनी के पापा ने किया लेकिन उन्होंने उसे जिस ढंग से किया उसके कारण विनी ने उस गिनती के साथ-साथ कुछ अन्य भी सिखा जिसे उसने कई सालो बाद उन सिक्को को गिनने में उपयोग किया . कम उम्र में ही उसने ज्ञान का उपयोग किसी कार्य में करने की कोशिश की . ऐसी ही कई चीजे अगर माता- पिता या शिक्षक अपने बच्चो को सिखाये तो बच्चे किताबी ज्ञान को रटने के बजाय उसका इस्तेमाल अपने जीवन में कर पाएंगे .
इस तरह की कहानी व्यक्तित्व विकास में सहायक होती हैं अन्य प्रेरणादायक कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करे . महाभारत एवम रामायण से जुडी रोचक कहानियाँ पढने के लिए क्लिक करें .
Karnika
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