यह कहानी आपको सिखाती हैं कि बच्चे कि परवरिश कैसे की जाती हैं | माता- पिता के पास ही यह शक्ति होती हैं कि वे समाज को संस्कारित बनाये |अगर प्रत्येक माता पिता अपने बच्चो का सही विकास करेंगे, उन्हें सही गलत का बोध करायेंगे तो यह समाज स्वच्छ हो जायेगा |यह बाल्यकाल में घटी एक घटना का सार हैं जो यह बताती हैं कि कैसे एक साधारण बालक समाज कल्याण में अपने आपको को समर्पित कर देता हैं और अपनी माता का गौरव बनता हैं |
कैसे करें बच्चे का विकास
व्यक्ति महान कर्मों से बनता हैं और अच्छे कर्म, सद्गुणों के कारण पनपते हैं | अच्छे गुणों का विकास कभी एक दिन में नहीं होता | किसी भी महापुरुष के जीवन में उनकी परवरिश का विशेष योगदान होता हैं | सामान्यतः माता की सीख ही मनुष्य का सर्वांगिक विकास करती हैं |
इसी कथन पर आधारित एक कहानी आपके सामने प्रस्तुत हैं कि कैसे बाल्यकाल में हुई छोटी- छोटी घटनायें व्यक्ति के भविष्य का निर्माण कर जाती हैं |

एक महान व्यक्ति थे ईश्वर चन्द्र | उनके जीवन में उनकी माता का बहुत बड़ा योगदान था | जब वे छोटे थे तब उनके घर के पास एक व्यक्ति बहुत गंभीर हालत में पड़ा हुआ था | उसके पास ना खाने को पैसा था न ही अपने इलाज के लिए कुछ था | उस वक्त ईश्वर के पास उस गरीब की सहायता हेतु कुछ नहीं था | वे दौड़ कर अपनी माँ के पास गये लेकिन माँ के पास भी इलाज के लिए देने कुछ नहीं था | तब माँ ने अपने आभूषण निकाल कर पुत्र के हाथों में रखे और कहा बेटा इन्हें बेचकर उस रोगी की मदद करो | तब पुत्र ने कहा – माँ ये आभूषण तो तुम्हारी माँ ने दिए थे |ये तुम पर बहुत अच्छे भी लगते हैं और तुम्हे प्रिय भी हैं | तब ईश्वर की माँ ने उसे समझाया – यह आभूषण देह की शोभा बढ़ाते हैं लेकिन किसी जरुरतमंद के लिए किया गया कार्य, मन और आत्मा की शोभा बढ़ाता हैं | तू ये आभूषण ले जा एवम उस रोगी का उपचार कर | जब तू बड़ा होगा तब मुझे यह आभूषण बनवा देना |
कई सालो बाद, जब ईश्वर अपनी पहली कमाई लाया तब उसने अपने माँ को आभूषण बनवा कर दिए और कहा – माँ आज तेरा कर्ज पूरा हुआ | तब माता ने कहा बेटा मेरा कर्ज जब पूरा होगा तब मुझे किसी जरुरतमंद के लिए आभूषण नहीं देने होंगे संसार के सभी लोग संपन्न होंगे | तब ईश्वर ने अपनी माँ को वचन दिया – माँ अब से मेरा पूरा जीवन जरुरत मंदों के लिए समर्पित होगा | तब से ही ईश्वर ने अपना सम्पूर्ण जीवन दीन- दुखियों के लिए समर्पित किया और उनके कष्ट कम करने में बिता दिया |
शिक्षा
चरित्र का विकास बाल्यकाल की शिक्षा से ही होने लगता हैं | अतः सदैव अपने बच्चो को सही गलत का पाठ सिखायें |जो वे बचपन में सीखते हैं | उसी से उनका भविष्य बनता हैं |
बच्चो के जीवन में माता का बहुत अधिक महत्व होता हैं | बच्चो को केवल पढ़ना लिखाना ही माता-पिता का कर्तव्य नहीं होता अपितु उन्हें एक अच्छा इंसान बनाना उनका सबसे बड़ा कर्तव्य होता हैं |
आज के वक्त में माता- पिता बच्चो के प्यार में ऐसे अंधे होते जा रहे हैं कि अनजाने में उन्हें गलत रास्तों पर भेज देते हैं | सही गलत की पहचान किये बिना ही माता- पिता बच्चों की गलती में उनका साथ दे जाते हैं जिससे वे आगे जाकर बड़े- बड़े अपराध करने लगते हैं |
Kaise Kare Bachche Ka Vikas महान ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के जीवन में घटी थी | यह एक महान व्यक्ति थे जिसने अपने आपको समाज कल्याण में लगा दिया था और कई कुरीतियों के विरुद्ध आवाज बुलंद की थी |
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