क्या है खालिस्तान आंदोलन, इतिहास, निबंध| what is the Khalistan movement history in Hindi

क्या है खालिस्तान आंदोलन  खालिस्तान आंदोलन के इतिहास निबंध(What is the Khalistan movement in Hindi), कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से जुड़ा विवाद (Canada PM Justin Trudeau and Jaspal Atwal controversy) Latest news

वहीं इस वक्त कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो भारत के दौरे पर हैं और उनके स्वागत के लिए हिंदुस्तान में कनाडा के हाई कमिश्नर द्वारा एक भोज करवाने का कार्यक्रम रखा गया था. इस कार्यक्रम में खालिस्तानी आतंकी जसपाल अटवाल को भी आमंत्रण भेजा गया था. वहीं कनाडा के प्रधानमंत्री और जसपाल अटवाल के बीच होने वाली इस मुलाकात के लेकर भारत सरकार ने नाराजगी जारी की थी. जिसके बाद इन दोनों के बीच होने वाली इस मुलाकात को रोक दिया गया.

क्या है खालिस्तान आंदोलन

खालिस्तान आंदोलन, इतिहास, निबंध

निवास स्थानखालिस्तान
खालिस्तान के संस्थापकजनरैल सिंह भिंडरावाले
राजनेतासिमरनजीत सिंह मान
आजादी की घोषणा29 अप्रैल 1986
जनमत संग्रह12 अगस्त 2018
मुद्रखालिस्तानी डॉलर

दरअसल कनाडा देश में ज्यादातर आबादी सिखों की है और इस देश में अभी भी खालिस्तान आंदोलन को लेकर कई सभाएं आयोजित होती रहती है. इस सभाओं का हमेशा से भारत ने विरोध किया है. लेकिन इसके बावजूद भी इन सभाओं और यहां के सिख लोगों द्वारा खालिस्तान के लिए की जाने वाली वित्तपोषण (Funding) नहीं रूक रही है. वहीं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सिखों को नाराज कर अपने वोट बैंक को कम नहीं करना चाहते हैं. वहीं पिछले साल ही कनाडा में आयोजित हुए ‘खालसा डे’ की एक रैली में ट्रूडो ने भी हिस्सा लिया था. जिस पर भी भारत ने अपनी नाराजी प्रकट की थी. ये आयोजन टोरंटो में एक कट्टरपंथी गुरुद्वार में किया गया था.

जसपाल के साथ तस्वीर खींचने पर विवाद

20 फरवरी को ट्रूडो द्वारा बॉलीवुड की हस्तियों के लिए एक पार्टी का किर्यान्वयन किया गया था. वहीं मुंबई में आयोजित हुई इस पार्टी में जसपाल भी शामिल हुए थे. इतना ही नहीं पीएम ट्रूडो की पत्नी सोफी के साथ इन्होंने एक फोटो भी खिचवाई थी और इस फोटो को लेकर काफी विवाद हुआ था. वहीं विवाद को बढ़ता देख पीएम ट्रूडो की ओर से एक बयान जारी किया गया था. इस बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री अटवाल के भारत यात्रा से आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का लेना देना नहीं था और न ही प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा उन्हें आमंत्रित किया गया था. बताया जा रहा है कि अटवाल 18 फरवरी को भारत आए थे. वहीं पीएम ट्रूडो 16 फरवरी को हमारे देश में आए थे.

कनाडा के पीएम की वोट बैंक राजनीति

दरअसल कनाडा में रहने वाले सिखों के वोटों को अपने पक्ष में रखने के लिए कनाडा के पीएम ट्रुडो खालिस्तान मसले से खुद को दूर रखते हैं. वहीं ट्रूडो पर खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई ना करने का आरोप भी लगता रहा है.  इतना ही नहीं उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में ऐसे कई सिखों को जगह भी दे रखी है जिनका नाता कभी ना कभी खालिस्तान आंदोलन से रहा है.

वहीं हाल ही में कनाडा के पीएम ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से एक मुलाकात की थी और इस मुलाकात में खालिस्तान फंड के मामले को भी उठाया गया था. कनाडा के पीएम के साथ हुई इस मुलाकात के बाद अमरिंदर सिंह ने मीडिया को बताया कि उन्होंने पीएम के साथ खालिस्तान मुद्दे पर चर्चा की है. खालिस्तानी देश की मांग कर रहे संगठन को कनाडा सहित कई देशों से धन प्राप्त होता है. इसिलए वो उम्मीद करते है कि कनाडा के पीएम इस मसले को हल करेंगे. वहीं कनाडा के पीएम ने भी विश्वास दिया है कि वो इस मुद्दे हल करेंगे.

क्या है खालिस्तान आंदोलन (Kya hain  Khalistan movement Aandolan )

खालिस्तान का आंदोलन भारत की आजादी के बाद ही शुरू हो गया था. ये आंदोलन पंजाब को भारत से अलग करने के लिए और पंजाब को खालिस्तान देश के रूप में निर्माण हेतु किया गया था. भारत में हुए इस हिंसक आंदोलन के चलते कई लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ गया था. वहीं इस आंदोलन से जुड़े कई संगठन अभी भी दुनियाभर में सक्रिय हैं, जो कि अभी भी पंजाब को भारत से अलग करने की राय रखते हैं.

कैसे हुई इस आंदोलन की शुरुआत (khalistan movement history)

भारत को आजाद करवाने की लड़ाई में हिन्दू मुस्लिम और सिख समुदाय के लोगों ने मिलकर अंग्रेजों का सामना किया था. वहीं जब अंग्रेजों ने भारत को आजाद करने की घोषणा की. तो उस वक्त तक हिन्दूु और मुसलमानों के बीच की एकता एकदम खत्म हो चुकी थी. मुसलमानों के नेता मोहम्मद जिन्ना ने अंग्रेजों के सामने अपने लिए एक अलग वतन बनाने का प्रस्ताव रखा. वहीं इस प्रस्ताव पर हिन्दूू नेताओं की भी सहमति थी. वहीं ब्रिटिश इंडिया के ऊपर भारत का विभाजन करने की पूरी जिम्मेदारी आ गई थी. जिसके बाद ब्रिटिश इंडिया ने साल 1947 में भारत देश के दो हिस्से कर दिए थे. जिसमें से एक हिस्सा मुसलमानों को दे दिया गया और दूसरी हिन्दूुओं को और इस तरह पाकिस्तान भारत देश से अलग हो गया.

वहीं जब ये विभाजन किया जा रहा था तो उस वक्त सिख समुदाय के लोगों को भी ये एहसास हुआ की उनकों भी अपना एक वतन चाहिए. जिसके परिणामस्वरूप अकाली दल की अगुवाई साल 1950 में सूबा आंदोलन चलाया गया. इस आंदोलन के जरिए अकाली दल ने पंजाबी बहुमत राज्य (सूबा) को बनाने की मांग की. लेकिन भारत सरकार ने अकाली दल की इस मांग को मानने से इंकार कर दिया. लेकिन ये आंदोलन यहां पर ही खत्म नहीं हुआ. कहा जाता है कि साल 1966 में भारत सरकार पंजाब राज्य को भारत से अलग करने की मांग पर राजी हो गई थी. उस वक्त की सरकार ने निर्णय लिया था कि वो पंजाब राज्य को अलग कर देगी. लेकिन हिमाचल और हरियाणा भारत का ही हिस्सा रहेंगे. लेकिन अकालियों ने सरकार के इस फैसले से सहमति नहीं जताई और उन्होंने मांग की कि चंडीगढ़ को पंजाब में मिला दिया जाए. पंजाब की नदियों पर केवल उनका ही अधिकार होगा और हरियाणा और राजस्थान का इन नदियों पर कोई अधिकार नहीं होगा. साल 1978 में ‘आनंदपुर साहिब संकल्प’ लिया गया जिसमें अकालियों ने जगजीत सिंह चौहान के साथ मिलकर अपनी इन मांग को तैयार किया. वहीं इससे पहले साल 1971 में खालिस्तान के समर्थक गजीत सिंह चौहान ने अमेरिका में जाकर वहां के एक अखाबर में खालिस्तान देश से जुड़ा एक विज्ञापन दिया और इस विज्ञापन के जरिए उन्होंने लोगों से चन्दा इकट्ठा करने की कोशिश की. ताकि इन पैसों से वो अपने आंदोलन को और मजबूत कर सकें.

वहीं साल 1980 में उन्होंने “खालिस्तान राष्ट्रीय परिषद” का गठन कर दिया और खुद को इसका मुख्य बना लिया. वहीं इसी साल उन्होंने लंदन जाकर खालिस्तान देश बनने की घोषणा भी कर दी. इतना ही नहीं कहा जाता है कि खालिस्तान की राष्ट्रीय परिषद के महासचिव बलबीर सिंह संधू के साथ मिलकर इन्होंने खालिस्तान की डाक टिकट और मुद्रा भी जारी कर दी थी.

साल 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star in hindi)

वहीं जब पंजाब में ये सब घटनाएं हो रही थी. उसी बीच जरनैल सिंह भिंडरांवाले नामक एक नेता भी सामने आए. जिन्होंने भी अलग से खालिस्तान देश बनाने की मांग की थी. वहीं कहा जाता है कि खालिस्तान आंदोलन धीरे-धीरे उग्र होने लगा और पंजाब में आतंक फैलने लगा. वहीं खालिस्तानी चरमपंथी भिंडरावाले ने अपने कुछ समर्थकों के साथ हरमंदिर साहिब यानी स्वर्ण मंदिर में जाकर अपना डेरा डाला और यहां पर उन्होंने भारी मशीनगनों और आत्म-लोडिंग राइफल्स को इकट्ठा करके रखा लिया. दरअसल भिंडरावाले को लगा की सरकार कभी भी किसी मंदिर पर हमला नहीं करेगी.

वहीं जब इंदिरा गांधी को खालिस्तानी चरमपंथियों के मंदिर में छुपे होने का पता चला. तो उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया. इस ऑपरेशन के जरिए स्वर्ण मंदिर में छुपे इन लोगों को मार दिया था. इस ऑपरेशन के द्वारा स्वर्ण मंदिर को भी काफी नुकसान पहुंचा और कई लोगों इस ऑपरेशन के दौरान मारे गए. इस मिशन को 1 जून 1984 में अंजाम दिया गया था.

साल 1984 में हुई इंदिरा गांधी की मौत

वहीं सिख भिंडरावाले को लेकर पंजाब के लोगों की अलग राय थी और वो भिंडरावाले को अपना नेता मानते थे. जिसके बाद उनकी मौत का बदला दो सिखों ने इंदिरा गांधी को मार डाला था. इंदिरा गांधी की मौत के पश्चात दिल्ली में 1984 के सिख विरोधी हिंसा शुरू हो गई जिसमें कई सिख मारे गए.

कौन हैं जसपाल अटवाल (who is Jaspal Atwal)

जसपाल अटवाल अंतर्राष्ट्रीय सिख युवा संघ (आईएसआईएफ) के सदस्य रह चुके हैं. इस संघ की स्थापना साल 1984 में कनाडा में की गई थी और इस संघ का उद्देश्य भारत के सिखों के लिए एक अलग देश यानी खालिस्तान बना है. वहीं भारत सरकार ने इस संघ पर साल 2002 में प्रतिबंध लगा दिया था.

भारत के अलावा इस संघ पर ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका ने भी प्रतिबंध लगा हुआ है. इतना ही नहीं अटवाल और उनके साथियों पर साल 1986 में पंजाब के मंत्री मलकीत सिंह सिद्धू की हत्या करने का आरोप लगा था. इस आरोप में उनको 20 साल की सजा भी सुनाई थी लेकिन बाद में वो रिहा हो गए थे.

कहां से होती है वित्तपोषण (khalistan movement funding)

खालिस्तानी के अलग-अलग संगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा पैसे दिए जाते हैं. इन पैसों के जरिए ISI भारत में आंतक फैलाना चाहती है और इस बात का खुलासा भारत की खुफिया एंजेसी द्वारा इसी साल 2018 में किया गया था. भारत के गृह मंत्रालय के अनुसार खालिस्तानी संगठनों की मदद ISI करता आया है.

भारत और कनाडा का विवाद (India Canada News)

कनाडा के द्वारा भारत पर और भारतीय सरकार पर विदेशी हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया है, जिसकी वजह से दोनों ही देश के बीच वर्तमान में संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन के द्वारा कनाडा की संसद में बिना कोई सबूत पेश किए हुए यह बयान दिया गया है कि, कनाडा की जमीन पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकार शामिल है। पिछले दिनों ही कनाडा की सरकार के द्वारा भारतीय राजनायिक को कनाडा छोड़ने का आदेश दे दिया गया है, तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय सरकार ने भी भारत में कनाडा के राजनायिक को कनाडा जाने के लिए कह दिया गया है और इसके लिए 5 दिन का समय दिया गया है। कनाडा अपने द्वारा लगाए गए आरोप को लेकर के अपने सहयोगी देश पर प्रेशर डाल रहा है कि, वह इंडिया के खिलाफ अपना रिस्पांस दें। वही इस मामले पर ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। हालांकि इंडिया को लेकर के कोई भी देश बयान देने में पूरी सावधानी बरत रहे हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री के द्वारा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति ईमैनुएल माइक्रो और अमेरिका के राष्ट्रपति बाईडेन को इस मामले पर अपना रिस्पांस देने के लिए कहा गया है।

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FAQ

Q-खालिस्तान कौन सा देश है?

Ans- खालिस्तान सिखों का बनाया हुआ एक अलग राष्ट्र है।

Q- खालिस्तान की राजधानी क्या होगी?

Ans- खालिस्तान की राजधानी लाहौर होगी।

Q- क्या खालिस्तानी आतंकी होते हैं?

Ans- ऐसा कहीं भी साबित नहीं हो पाया है कि वो आतंकी होते हैं। इसलिए इसपर अभी कुछ भी कहना सही नहीं होगा।

Q- खालिस्तानी लोग कब जाएगे अपने राष्ट्र वापस?

Ans- इस बारे में अभी कुछ भी साफ तरीके से नहीं कहा जा सकता।

Q- क्या खालिस्तानी लोग कहां से पा सकते हैं मान्यता?

Ans- इसकी घोषणा सरकार द्वारा की जाएगी।

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Ankita
अंकिता दीपावली की डिजाईन, डेवलपमेंट और आर्टिकल के सर्च इंजन की विशेषग्य है| ये इस साईट की एडमिन है| इनको वेबसाइट ऑप्टिमाइज़ और कभी कभी आर्टिकल लिखना पसंद है|

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