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मन चंगा तो कठौती में गंगा

मन चंगा तो कठौती में गंगा
(Man Changa to Kathoti Me Ganga)

प्रेम कथा :सुन्दरता चेहरे का नहीं अपितु दिल का गुण हैं

यह कहानी एक ऐसे लड़के निखिलेश की हैं जिसे डांस का जूनून था, वो डांस के जरिये दुनियाँ को जीत लेना चाहता था, ये उसका जूनून था लेकिन दिल में कहीं बैठी एक आरजू भी थी, जो अक्सर ही उससे उसके प्यार के बारे में कहा करती थी | उसकी इच्छा थी, उसकी जीवन संगिनी एक गायिका हो, भले वो गायन में स्नातक ना हो, न ही उसका पेशा गायन हो, लेकिन वो उसके लिए गुनगुना सके, उसके लिए चार शब्द ही हो पर गा सके | वो अक्सर ही भीड़ में उस आवाज को तलाशता था | न जाने उसके दिल को कौन सी उस आवाज का इन्तजार था जो उसे इतने दिनों में कभी नहीं मिली थी |

वो डांस के साथ-साथ अपनी पढाई में भी बहुत अच्छा था इसलिए शहर के एक अच्छे कॉलेज में पढ़ रहा था | उसके पिता को उसका डांस बिल्कुल पसंद नहीं था क्यूंकि निखिलेश के डांस के कारण वो पिता का बिज़नेस में सहयोग नहीं कर पाता था | निखिलेश डांस में इतना ज्यादा घुस चूका था कि उसकी ख्याति भी शहर में एक अच्छे डांसर के रूप में होने लगी थी |

कॉलेज में अक्सर उसे गुनगुनाने की आवाज सुनाई देती थी जो उसके मन को विचलित कर देती थी | शायद यही वो आवाज थी जिसे वो ढूंढ रहा था | जब भी वो उस आवाज को सुनता, उसका पीछा करता लेकिन उसे कभी वो लड़की नहीं मिलती जिसकी वो आवाज थी | कई दिन बीत गये | उसे बिन देखे ही उस आवाज से प्यार होने लगा था | उसने अपने दिल ही दिल में उस आवाज के अनुरूप एक तस्वीर बना ली थी और अपने सपनों में उस तस्वीर से मोहब्बत करने लगा |

एक दिन उसे फिर से वही आवाज सुनाई दी | उसने भागकर देखा तो कॉलेज के बगीचे में दो लड़कियाँ बैठी थी | उसे आज वो लड़की दिख ही गई जिसकी आवाज उसके दिलों दिमाग में छाई हुई थी | वो दोनों बहने थी जो हमेशा ही साथ रहती थी | उन में से एक का नाम आभा और दूसरी का नाम प्रतिभा था | आभा स्वभाव से शांत थी अक्सर ही अपनी बहन के पीछे चुप सी खड़ी रहती थी | उसकी मुस्कान बहुत अच्छी थी वो दिल की जितनी साफ़ थी उसके चेहरे पर भी वही निर्मल भाव थे लेकिन वो दिखने बहुत साधारण थी  और इसके विपरीत प्रतिभा आज के ज़माने की मॉडर्न लड़की थी जो बहुत बिंदास रहती थी, फैशनेबल कपड़े पहनती और घुमती फिरती एक जिंदादिल खुश मिजाज लड़की थी |

जब निखिलेश ने प्रतिभा को देखा तो उसकी आँखे थम गई | उस नशीली आवाज के पीछे ये सुंदर चेहरा देख निखिलेश सन्न सा रह गया और अपना सब कुछ उस पर लुटा बैठा | हर वक्त वो इस कोशिश में रहता कि कैसे भी प्रतिभा से उसकी बात हो इसके लिये उसने उसे फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भी भेजी | वो घंटो फेसबुक पर प्रतिभा से बाते करता, एक दोस्त की तरह उससे अपने सुख दुःख शेयर करता और दूसरी तरफ से भी उसे बहुत अच्छा रिस्पोंस मिल रहा था | निखिलेश की जिन्दगी का खालीपन भर गया था | उसे एक साथी की आदत सी होने लगी थी | जब तक वो दिन भर की बाते फेसबुक पर उससे शेयर नहीं करता, उसका दिन पूरा नहीं होता था | कई बार उसके असाइनमेंट पुरे नहीं होते और जब वो ये बात अपनी दोस्त को फेसबुक पर कहता, दुसरे दिन उसके नाम से कम्पलीट असाइनमेंट क्लास में जमा हो जाता था | इसके आलावा जब भी निखिलेश को पैसे की जरुरत होती, उसकी फ्रेंड अपनी स्कॉलरशिप के पैसे उसके अकाउंट में ट्रान्सफर कर देती | ऐसी कई बाते जो उसके कहते ही उसकी दोस्त पूरा कर देती थी | निखिलेश को यह अहसास हो गया था कि वो जितना प्रतिभा को पसंद करता हैं उतना ही प्रतिभा उसे | उसे यह भी यकीन हो गया था कि प्रतिभा जितनी मॉडर्न रहती हैं वास्तव में उतनी ही सरल और दिल से भोली हैं | शायद इसी एक बात में निखिलेश गलती कर रहा था क्यूंकि फेसबुक पर वो जिससे बाते कर रहा था वो प्रतिभा नहीं, आभा थी,जिसकी आवाज से, व्यवहार से, अपनेपन से,  निखिलेश को प्यार था वो आभा थी | लेकिन निखिलेश का मन उस  बाहरी सुन्दरता की तरफ आकर्षित था जिसका मन उतना सुंदर नहीं जितना उसका था जिस का चेहरा उतना सुंदर नहीं था | यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा | आभा और निखिलेश दोनों ही एक ग़लतफ़हमी के चलते एक दुसरे के बहुत करीब आ गये | निखिलेश के अहसासों में प्रतिभा का चेहरा और आभा की आवाज उसका सुंदर मन उसके विचार दिन प्रतिदिन गहरे होने लगे | और इसी तरह उसके डांस का जूनून भी बढ़ता गया क्यूंकि आभा जो कि उसके लिए प्रतिभा थी वो भी निखिलेश के डांस से बहुत प्यार करती थी | यहाँ तक की निखिलेश ने अपनी प्यार की बाते अपने दोस्तों से तक कह दी थी | सब उसे हमेशा बोलते थे कि वो बहुत लकी हैं क्यूंकि उसे प्रतिभा जैसी सुंदर और मॉडर्न लड़की में वो सब गुण मिले जिसे वो हमेशा चाहता था |

एक दिन उसने फैसला किया कि वो प्रतिभा से जाकर अपने दिल की बात कहेगा | और उसने वही किया | उस दिन वो बहुत अच्छे से रेडी हुआ और हाथों में गुलाब के फूलो का गुलदस्ता लेकर प्रतिभा से मिलने गया | प्रतिभा अपने दोस्तों के साथ बैठी थी और वही उसके साइड में आभा भी थी | निखिलेश उन दोनों की तरफ बढ़ रहा था जिसे देख आभा के दिल में अजीब सी बैचेनी थी क्यूंकि वो लोग आज तक रूबरू नहीं हुए थे पर कहीं ना कही उसे बहुत ख़ुशी भी हो रही थी | जैसे ही निखिलेश उन तक पहुंचा और उसने हाथों में गुलाब लेकर, घुटनों के बल बैठकर प्रतिभा को प्रपोज़ किया | यह देख आभा स्तब्ध रह गई और उसे सारी बाते समझ आ गई और वो चुपचाप वहाँ से चली गई |

थोड़ी देर तक सब शांत रहा और एक दम ही प्रतिभा जोर-जोर से हँसने लगी और उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर निखिलेश की बहुत हँसी उड़ाई और कहा कि तुम क्या सोचते हो, मेरे जैसी मॉडर्न लड़की एक नचैया से शादी करेगी ? मेरी पसंद तो एक पैसे वाला बिज़नेस मेन हैं और वो निखिलेश की बहुत बेज्जती की |निखिलेश अपने गुस्से को पीकर वहाँ से निकल गया | तब ही उसे आभा मिली, उसने निखिलेश से माफ़ी मांगी |उसे बताया कि फेसबुक पर वो जिससे बात करता था वो खुद आभा थी | यह सुनकर निखिलेश और गुस्सा हो जाता हैं और अपना पूरा फ्रस्टेशन आभा पर निकाल देता हैं |

इसके बाद निखिलेश सब छोड़ कर वहाँ से चला गया | वो अपनी बेज्जती भूल नहीं पाया और उसने अपना डांस भी छोड़ दिया | अपने पिता की इच्छानुसार बिज़नेस करने लगा | वो दिन रात बस काम करता | उसे बिज़नेस में बहुत सफलता मिली  लेकिन हर रोज उसकी आँखों में वो एक दिन घूमता रहता | जब उसकी बेज्जती हुई थी | उसको सभी ऐशो आराम मिला लेकिन चैन नहीं, उसके चेहरे पर हँसी तब ही आती,जब उसे फेसबुक पर कही आभा की कोई बात याद आती थी |

दूसरी तरफ आभा भी उसे बहुत याद करती थी | एक दिन आभा को एक बहुत बड़े डांस काम्पटीशन के बारे में पता चला | वो चाहती थी कि इसमें निखिलेश हिस्सा ले लेकिन वो कैसे निखिलेश को इसके लिये मनाती ? उसे निखिलेश के बारे में बस इतना पता था कि वो अब टाउन में नही हैं और एक सफल बिज़नेस मैन बन गया हैं | आभा ये जानती थी कि निखिलेश कितना भी अमीर हो जाये,वो डांस के बिना खुश नहीं होगा और वो उसे ये ख़ुशी देकर अपने मन का बोझ कम करना चाहती थी | इसके लिये उसने निखिलेश का पता इन्टरनेट ने निकालकर उसे एक शुभचिन्तक जो कि निखिलेश के डांस का फेन हैं के तौर पर एक लैटर भेजा जिसमे डांस कॉम्पीटिशन का जिक्र था | (असल में निखिलेश के डांस को सभी इसी तरह से पसंद करते थे इसलिए निखिलेश को इस शुभचिंतक से कोई आश्चर्य नहीं था | ) निखिलेश डांस छोड़ चूका था उसने बस लैटर पढ़ा और रख दिया लेकिन आभा को पता था निखिलेश को कैसे मनाना हैं उसने कई लैटर और कई तस्वीरे भेजी जिसमे निखिलेश के डांस के प्रति प्यार का प्रमाण था जिसे देख निखिलेश का दिल पिघलने लगा और आभा ने जब तक यह सब किया जब तक के निखिलेश ना मान जाये और निखिलेश को मानना पड़ा |

निखिलेश में फॉर्म भरा और जमकर तैयारी भी की | उसके चेहरे पर शांति और ख़ुशी के भाव थे जिसे परिवार और ऑफिस एम्प्लोयी समझ रहे थे | वो दिन आ गया जब कॉम्पिटीशन था | निखिलेश ने बिलकुल तोडू परफॉरमेंस दी और वो जीत गया | जब उसे पुरुस्कार मिला तब सबसे आगे आभा खड़ी ताली बजा रही थी उसे देख निखिलेश के चेहरे पर वही गुस्से के भाव आ गये और वो वहां से निकल गया |

जब वो घर आया तो घर में उस शुभचिंतक ने फूल भेजकर उसका अभिवादन किया | साथ ही उसे एक लैटर भी लिखा जिसमे था कि आने वाले कुछ दिनों में उसे एक सरप्राइज मिलेगा |निखिलेश चौंक गया | उसे बार-बार उसी बात का ख्याल सताने लगा |

एक दिन शाम को घर लौटा तो घर पर प्रतिभा और उसके माता- पिता प्रतिभा के रिश्ते के लिए आये थे | असल में आभा ने प्रतिभा और निखिलेश की शादी के लिए अपने माता-पिता और प्रतिभा सभी को मना लिया था | आभा हर हाल में निखिलेश को खुश देखना चाहती थी इसलिये पहले उसने निखिलेश को वापस अपने डांस से मिलवाया और फिर निखिलेश को प्रतिभा से | निखिलेश कुछ देर सभी के साथ बैठा पर उसका मन नहीं लग रहा था | उसने कमरे में जाकर फ्रेश होने की इजाजत ली और वहां से अंदर चला गया |

अपने कमरे में बैठ निखिलेश सारी बाते सोच रहा था कि कैसे उसने एक आवाज सुनी, फिर उसकी बात आभा से हुई, वो कितना खुश था जब आभा हर परिस्थिती में उसके साथ ना होते हुए भी थी | लेकिन ये सब उस दिन खत्म हो गया जब ग़लतफ़हमी दूर हो गई | लेकिन फिर से उसे वही सब महसूस हुआ जब उसने उस शुभचिन्तक के लैटर को पढ़ा और उसकी बातों को माना | निखिलेश ने एक दम ही शुभचिंतक वाले लैटर निकाले और उसे असाइनमेंट की कॉपी से मैच किया उसे समझ आ गया कि इस सबके पीछे कौन हैं ? उसे सारी बाते समझ आ गई | और यह भी कि वो क्या चाहता हैं |

वो कमरे से बाहर आकर सबके बीच बैठा और उसने प्रतिभा के पिताजी के हाथ पकड़ कर कहा कि मैं शादी के लिये तैयार हूँ पर मेरी एक शर्त हैं ,मैं प्रतिभा से नहीं आभा से शादी करना चाहता हूँ | वो सभी को कहता हैं मैं भी औरों की तरह सुन्दरता में प्यार ढूढ़ रहा था ये भूलकर की मुझे जिस आवाज से प्यार था उसका चेहरा यह तय नहीं करता कि आवाज कितनी सुंदर हैं मेरे दिल को जिसने छुआ था असल में वो आभा ही थी | उसकी पूरी बाते सुन सभी की आँखे भर गई और निखिलेश और आभा एक हो गये |

आभा का मन बहुत साफ़ था इसलिए उसे उसका प्यार मिलता हैं और तभी तो हम कहते हैं मन चंगा तो कठौती में गंगा | यह कहानी कैसी लगी जरुर कमेंट बॉक्स में लिखे |

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Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

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