क्रांतिकारी मंगल पाण्डेय का जीवन परिचय व इतिहास | Mangal Pandey biography History in hindi
भारत के प्रथम क्रांतिकारी के रूप में विख्यात मंगल पाण्डेय देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्रामी कहलाते है. उनके द्वारा शुरू किया अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह, समूचे देश में जंगल की आग की तरफ फ़ैल गया था. इस आग को अंग्रेजों ने बुझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन देश के प्रत्येक नागरिक के अंदर ये आग भड़क चुकी थी, जिसकी बदौलत 1947 में हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई. मंगल पाण्डेय ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक थे, उन्होंने अकेले अपने दम पर सामने से ब्रिटिश अफसर पर हमला बोल दिया था. जिस वजह से उन्हें फांसी हो गई थी. मात्र 30 सालों की उम्र में उन्होंने अपने जीवन को देश के नाम कुर्बान कर दिया था. मंगल पाण्डेय का नाम हिंदी में शहीद नाम के इजात के पहले से विख्यात है. पहली बार इन्ही के नाम के आगे शहीद लगाया गया था.
मंगल पाण्डेय का जीवन परिचय एवम इतिहास (Mangal pandey biography and history in hindi)
क्रमांक | जीवन परिचय बिंदु | मंगल पाण्डेय जीवन परिचय |
1. | पूरा नाम | मंगल पाण्डेय |
2. | जन्म | 19 जुलाई 1827 |
3. | जन्म स्थान | नगवा, बल्लिया जिला, उत्तर प्रदेश भारत |
4. | जाति | हिन्दू |
5. | म्रत्यु | 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर लटकाए गए |
6. | जाने जाते है | प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी |
मंगल पाण्डेय का जन्म व् शुरुवाती जीवन व इतिहास (Mangal pandey history)–
मंगल पाण्डेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को नगवा गाँव जिला बल्लिया में हुआ था, ये आज के समय में उत्तर प्रदेश के ललितपुर के पास है. ये एक ब्राह्मण परिवार से थे, जो हिंदुत्व को बहुत मानते है, उनके हिसाब से हिन्दू धर्म सबसे अच्छा होता था. पाण्डेय जी ने 1849 को ईस्ट इंडिया कंपनी की आर्मी ज्वाइन कर ली. कहा जाता है सेना एक ब्रिगेड के कहने पर उन्हें इसमें शामिल किया गया था, क्यूंकि वे मार्च(परेड) बहुत तेज किया करते थे. यहाँ उन्हें पैदल सेना में सिपाही बनाया गया. मंगल पाण्डेय बहुत अच्छे सिपाही थे, जिसके बाद उन्हें 34वी बंगाल नैटिव इन्फेंट्री में शामिल किया गया. यहाँ ब्राह्मणों को भारी मात्रा में शामिल किया जाता था. मगंल पाण्डेय महत्वकांक्षी थे, वे काम को पूरी निष्ठा व् लगन से करते थे, वे भविष्य में एक बड़ा काम करना चाहते थे.
मंगल पाण्डेय व् बिर्टिश अफसर के बीच लड़ाई (Mangal pandey fight)–
अंग्रेजों के जुल्म भारत में बढ़ते ही जा रहे है, उनके सितम से पूरा देश आजादी के सपने देखने लगा था. मंगल पाण्डेय जिस सेना में थे, वह बंगाल की इस सेना में एक नई रायफल को लाया गया, ये एनफ़ील्ड 53 में कारतूस भरने के लिए रायफल को मुंह से खोलना पड़ता था, और ये अफवाह उड़ी थी कि इस रायफल में गाय व् सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था. इस बात ने पूरी सेना में हडकंप मचा दिया. सभी को लगा कि अंग्रेजों ने हिन्दू मुस्लिम के बीच विवाद पैदा करने के लिए ऐसा किया है. हिन्दुओं को लग रहा था कि अंग्रेज उनका धर्म भ्रष्ट कर रहे है, हिन्दुओं के लिए गाय उनकी माता के समान होती है, जिनकी वे पूजा करते है. इस हरकत से वे सब अंग्रेज सेना के खिलाफ खड़े हो गए थे. सबके अंदर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की भावना जाग उठी.
9 फ़रवरी 1857 को इस रायफल को सेना में बांटा गया, सबको इसका उपयोग करना सिखाया जा रहा था. जब अंग्रेज अफसर ने इसे मुंह से लगाकर बताया तो मंगल पाण्डेय ने ऐसा करने से मना कर दिया. इस पर उन्हें अफसर के गुस्से का सामना भी करना पड़ा. इस घटना के बाद उन्हें सेना से निकालने का फैसला लिया गया. 29 मार्च 1857 को उनकी वर्दी व् रायफल वापस लेने का फैसला सुनाया गया. एक अफसर जनरल हेअरसेय उनकी तरफ बढे, लेकिन मंगल पाण्डेय ने उन पर हमला बोल दिया. मंगल पाण्डेय ने अपने साथीयों से भी मदद मांगी, लेकिन अंग्रेजों से डर के मारे कोई भी आगे नहीं आया. पाण्डेय ने अफसर पर गोली चला दी, व् साथ में अफसर के एक बेटे बॉब जो सेना में ही था, उस पर भी गोली चला दी. इसके बाद उन्होंने अपने उपर भी गोली चलानी चाहिए, लेकिन ब्रिटिश अफसरों ने उन्हें पकड़ लिया, जिसके बाद उनके पैर में गोली लग गई.
मंगल पाण्डेय को हुई फांसी (Mangal pandey Death)–
इस घटना से पूरी अंग्रेज सरकार हिल गई. मंगल पाण्डेय को हिरासत में रखा गया, जहाँ उन्हें 1 हफ्ता ठीक होने में लगा. ऐसा माना गया कि मंगल पाण्डेय को कोई दवाई दी गई थी, जिस वजह से उन्होंने ये कारनामा किया. लेकिन मंगल पाण्डेय ने इस बात का खंडन किया उन्होंने कहा किसी ने उन्हें कोई दवाई नहीं दी, न ही किसी के कहने पर व् दबाब में आकर उन्होंने ये काम किया है.
मंगल पाण्डेय को कोर्ट मार्शल करने का फैसला सुनाया गया. 6 अप्रैल 1857 को फैसला हुआ की 18 अप्रैल को उन्हें फांसी दी जाएगी. लेकिन ब्रिटिश अफसर को इस मंगल पाण्डेय का डर बैठ गया था, वे उनको जल्द से जल्द ख़त्म कर देना चाहते थे. इसलिए उन्होंने 18 की जगह 10 दिन पहले 8 अप्रैल को ही मंगल पाण्डेय को फांसी पर लटका दिया. अंग्रेज अफसर में मंगल पाण्डेय की मौत के बाद भी उनका खौफ था, वे उनकी लाश के पास जाने से भी कतरा रहे थे. उनके मरने के एक महीने के बाद मई उत्तर प्रदेश की एक सेना की छावनी में इस घटना के विद्रोह में बहुत से लोग सामने आये, वे सभी कारतूस रायफल के उपयोग का विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. धीरे धीरे ये विद्रोह विकराल रूप लेने लगा था.
सम्मान –
5 अक्टूबर 1984 को भारत सरकार ने मंगल पाण्डेय के सम्मान में एक पोस्टेज स्टाम्प चालू किया, जिसमें उनकी फोटो भी अंकित थी.
मंगल पाण्डेय पर बनी फिल्म –
2005 में बॉलीवुड स्टार आमिर खान ने मंगल पाण्डेय – दी रायसिंग स्टार नाम से मंगल पाण्डेय के जीवन पर फिल्म की थी. जिसमें वे मुख्य भूमिका में थे, साथ में रानी मुखर्जी, अमीषा पटेल भी थी. आमिर खान का जीवन परिचय पढ़े. फिल्म को केतन मेहता ने डायरेक्ट किया था, जिन्होंने कुछ समय पहले आई फिल्म मांझीद माउंटेन मैन भी बनाई है.
इसके अलावा 2005 में ही हैदराबाद के एक थिएटर में ‘दी रोटी रेबेलियन’ के नाम से मंगल पाण्डेय के जीवन की कहानी लोगों को दिखाई गई.
अंग्रेज सरकार ने उनकी छवि को ख़राब करने की बहुत कोशिश की. 1857 में मंगल पाण्डेय को विद्रोही के रूप में सबके सामने लाया गया. लेकिन भारत की जनता अपने शहीद भाई की क़ुरबानी को बखूबी समझती थी, वो उनकी झूटी बातों में नहीं आई. मंगल पाण्डेय ने जिस बात की शुरुवात की थी, उसे अपनी मंजिल में पहुँचने में 90 साल का लम्बा सफर तय करना पड़ा. शुरुवात उनकी थी, जिनसे प्रेरणा लेकर लाखों लोग स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े और इसी सब के चलते 1947 को हमें आजादी का स्वाद चखने को मिला. ऐसे महापुरुष को पूरा देश सलाम करता है.
Vibhuti
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