मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास Mehandipur balaji temple history in hindi
मेहंदीपुर बालाजी यह भगवान हनुमान जी का एक मंदिर है, यह मंदिर भारत में राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है. यह मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है जोकि न सिर्फ़ हिन्दू के ही देवता है, बल्कि इनकी चमत्कारी शक्ति की वजह से सभी इनकी पूजा अर्चना करते है और इनमे आस्था रखते है. बालाजी भगवान हनुमान जी का दूसरा नाम है, भारत के कुछ भाग में बालाजी नाम से भी इनको बुलाया जाता है. बालाजी उनके बचपन का नाम है, इसका संस्कृत और हिंदी में भी उपयोग होता है. अन्य धार्मिक स्थानों की तरह यह शहर में स्थित है. बाला जी की मूर्ति में छाती के बाये तरफ एक छोटा सा छेद है, जिसमे से हमेशा पानी की एक पतली धारा बहते रहती है. इस पानी को एक टैंक में इकठ्ठा करके भगवान बाला जी के चरणों में रख कर लोगो में वितरित किया जाता है और सभी लोग इसे प्रसाद की तरह लेते है.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के स्थानीय लोग
राजस्थान एक बहुत प्रभावशाली जगह है. यहाँ के लोग इस मंदिर में बहुत ही आस्था रखते है. वहाँ के स्थानीय लोग रोज ही मंदिर में दर्शन के लिए जाते है, और जो भी कष्ट होता है वहा के महंत को बताते है. महंत उनको दवा देते है और उनकों सही सलाह देकर उनका इलाज करते है. महंत लोगो की तकलीफों को सुनने के लिए रोज मंदिर में बैठते है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की बनावट
मंदिर की बनावट परम्परागत राजपूत वास्तुकला से प्रभावित है. मंदिर में चार प्रांगन है पहले दो में भैरव बाबा और बाला जी की मूर्ति है, और तीसरे और चौथे में दुष्ट आत्माओं के सरदार प्रेत राज का प्रांगन है जो लोग दुष्ट आत्मा से परेशान है वे यहाँ पूजा करते है. लोगो को यह मंदिर अपनी कलाकृति की वजह से भी आकर्षित करता है, इसके आस पास का मनोरम दृश्य और अदभुत वास्तुकला मंदिर इस मंदिर की पहचान बन गई है. यह वहाँ की संस्कृति और सादगीपन को बहुत भव्य तरह से राजस्थान को प्रस्तुत करते है. हजारों लोग इस मंदिर के दर्शन के लिए रोज आते है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के स्थित होने का स्थान और अन्य जगहों से मंदिर की दुरी
यह मंदिर करौली जिले के टोडाभीम में स्थित है, यह भारत के राज्य राजस्थान के शहर हिन्दौन के एकदम नजदीक है. यह मंदिर एक और कारण से भी चर्चित है जो ये है कि यह मंदिर दो जिलों के बीच में है. इस मंदिर का आधा भाग करौली और आधा भाग दौसा में है, इसके सामने ही एक राम मंदिर है, जोकि मुख्य मंदिर है. वह भी इसी तरह दो भागों में बंटा हुआ है.
यह मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर से 66 किलो मीटर की दुरी पर है. इसके साथ ही अगर जयपुर और आगरा नेशनल हाई वे नंबर 11 से जाया जाए तो बालाजी मोड़ से मंदिर की दुरी 3 किलो मीटर तक की होगी. यह 3 किलो मीटर आप साझे में टुक टुक से 10 रूपये में पहूँच सकते है. अगर जयपुर से बालाजी मोड़ तक बस से जाए तो भाडा 110 रूपए तक लगता है. बाला जी मंदिर की दुरी हिन्दौन शहर के रेलवे स्टेशन से 44 किलो मीटर और दौसा से 38 किलो मीटर है. साथ ही यह बंदिकुइ रेलवे स्टेशन से बहुत ही ज्यादा नजदीक है. बांदीकुई रेलवे स्टेशन से मेहंदीपुर बाला जी मंदिर के बीच की दुरी 36 किलो मीटर है.
यह धार्मिक स्थल दिल्ली से 255 किलोमीटर, आगरा से 140 किलोमीटर, रेवारी से 177 किलोमीटर, मीरुत से 310 किलोमीटर, अलवर से 80 किलोमीटर, श्री महावीरजी से 51 किलोमीटर, भरतपुर से 40 किलोमीटर, गंगापुर शहर से 66 किलोमीटर, बंदिकुल से 32 किलोमीटर, महवा से 17 किलोमीटर, चंडीगढ़ से 520 किलोमीटर, हरिद्वार से 455 किलोमीटर, देहरादून से 488 किलोमीटर, देओबंद से 395 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास (Mehandipur balaji temple history in hindi)
मंदिर का इतिहास 1000 साल पुराना है. इस मंदिर के पीछे कहानी बताई जाती है कि एक बार मंदिर के पुराने महंत जिनको लोग घंटे वाले बाबा जी के नाम से भी जानते है, उन्होंने एक सपना देखा था. जिसमे उन्होंने तीन देवता को देखा था, जोकि बाला जी के मंदिर के निर्माण का पहला संकेत था. वहाँ जगह जंगली जानवर और जंगली पेड़ों से भरा था अचानक भगवान प्रकट हुए और उन्होंने महंत को आदेश दिया, कि वे सेवा करके अपने कर्तव्य का निर्वहन करे. फिर वहा पर पूजा अर्चना शुरू कर दी गई. फिर बाद में तीन देवता वहाँ स्थापित हो गये.
यह मंदिर भारत के उत्तरी हिस्से में बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर की देखभाल महंत द्वारा की जाती है. इस मंदिर के पहले महंत गणेश पूरी जी महाराज थे, अभी वर्तमान में मंदिर के महंत है श्री किशोर पूरी जी. वह बहुत ही सख्ती से सभी धार्मिक नियमों का पालन करते है, वह पूरी तरह से शाकाहार का पालन करते है. और धार्मिक किताबे भी पढ़ते है. बालाजी मंदिर के सामने स्थित सियाराम भगवान का मंदिर बहुत ही भव्य और सुसुन्दर है. मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति बहुत ही मनोरम है. शनिवार और मंगलवार को इस मंदिर में विशेष रूप से पूजा होती है और भोग भी लगते है.
दुष्ट आत्माओं के संकट से बचने के लिए जो पीड़ित व्यक्ति है, वह प्रसाद के रूप में अर्जी, स्वामिनी, दरखास्त, बूंदी के लड्डू इत्यादि को बालाजी महाराज के ऊपर चढ़ाकर ग्रहण करते है और जो बुरी आत्मा है, उसको शांत करने के लिए उसके सरदार भैरव बाबा को चावल और उड़द दाल चढाते है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के आस पास के दर्शनीय स्थल (Mehandipur balaji temple nearest tourist place)
इस मंदिर के नजदीक और भी मंदिर है, जिनके भी लोग दर्शन करते है और पूजते है. इनके नजदीक है अंजनी माता मंदिर, काली माता जी की मंदिर जोकि तीन पहाड़ पर स्थित है. पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर और गणेश जी का मंदिर जोकि सात पहाड़ पर स्थित है. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में एक और महत्वपूर्ण स्थान है जिसका लोग दर्शन ज़रूर करते है वह है समाधि वाले बाबा. यह मंदिर के सबसे पहले महंत थे. उनकी समाधी वही पर बनी हुई है.
यह मंदिर पहाड़ों के बीच स्थित है. कई वर्षों से इस मंदिर को लोग बुरी आत्माओं को भगाने और काला जादू से बचाने में सहायक के रूप में जानते है. 2013 में अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिक, जर्मनी और नीदरलैंड के विद्वान् और मनोचिकित्सक, एम्स दिल्ली और दिल्ली यूनिवर्सिटी ने भी मंदिर के इन सभी पहलुओं की जाँच और मूल्यांकन अध्ययन करना शुरू कर दिया है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की अन्य बाते
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के वहाँ का खाना
सेव टमाटर जोकि 50 रूपए में मिलता है, और चाय जोकि वहाँ पर घुमकर बेचने वाले या वहाँ आसपास में 7 से 10 रूपए में आसानी से उपलब्ध हो जाती है.
मेहंदीपुर बालाजी मन्दिर से जुड़े रस्मों रिवाज
इस मंदिर से लोगों की यह धारणा जुडी हुई है कि आप अगर यहाँ के भोग प्रसाद को खाए तो सारे कष्ट दूर हो जाते है. इस मंदिर में लोग खाने और पैसे इत्यादी का जो भी दान करते है उनसे गरीब और बेसहारा लोगो की देख भाल और सेवा की जाती है.
लोगो की यह मान्यता है कि यहाँ पर मिलने वाले पत्थर से इलाज कराने पर जोड़ो का दर्द, सीने की तकलीफ या किसी भी तरह की शारीरिक तकलीफ हो वह दूर हो जाती है. यह पत्थर रोगों के इलाज में बहुत सहयता करता है. हालाँकि मेडिकल साइंस में इस बात को नकारा गया है, और कहा गया है कि ऐसा कुछ भी नहीं होता है यह सिर्फ़ लोगों का अन्धविश्वास है, लेकिन अलौकिक शक्ति को नकारा नहीं जा सकता है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के आस पास का दृश्य
मंदिर में प्रवेश करते ही सब पहले लड्डू या जो भी प्रसाद वो लाये थे उसे चढाते है. फिर अचानक से वहाँ के दृश्य में बदलाव आ जाता है. लोग जोर जोर से चिल्लाने लगते है, और तेजी के साथ जोर से हनुमान चालीसा का पाठ शुरू होने लगता है, कोई जोर से जय सियाराम के नारे लगा रहा है, कुछ लोग चिल्ला रहे है जोर जोर से अपने सिर को घुमा रहे है, सभी गाना गा रहे है, दिवार पर सिर को मार रहे है, ये सारे दृश्य बड़े ही भयावह दिखाई देते हैं.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने के रास्ते
मेहंदीपुर जाने के लिए तीन तरह के रास्तों को अपना कर जाया जा सकता है. इस यात्रा को सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरा किया जा सकता है. दौसा बहुत से शहरों से बहुत अच्छी तरह रोड से जुड़ा हुआ है. यह रेल मार्ग बांदीकुई से जुड़ा हुआ है. यह वायु मार्ग से भी जुड़ा है. इसके सबसे ज्यादा नजदीक का हवाई अड्डा है जयपुर से सांगानेर जो की 113 किलो मीटर है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने का समय
इस मंदिर में होली, हनुमान जयंती और दशहरा जैसे पूजा और त्योहार बहुत धूम धाम से मनाये जाते है. यह समय इस पवित्र जगह को देखने और घुमने के लिए बहुत अच्छा है. यहाँ पर जाने और देखने का समय गर्मी के दिनों में शाम के 9 बजे और सर्दी के दिनों में शाम को 8 बजे अच्छा माना जाता है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में वर्जित कार्य
मंदिर के पास भूल कर इन कामों को नहीं करना चाहिए, ये काम वहाँ पर सख्त रूप से वर्जित है. जो कि निम्न प्रकार से है-
- कभी भी जब आप मंदिर से बाहर निकले तो पीछे मंदिर की तरफ मुड़ कर नहीं देखना चाहिए.
- मंदिर के आस पास किसी से बात नहीं करनी चाहिए और न ही किसी को छूने की कोशिश करनी चाहिए.
- अगर आप अपने घर जा रहे है, तो न हीं वहा के प्रसाद और न ही वहा का कोई भी खाने वाला सामान कुछ भी नहीं ले जा सकते है. ये वहा पर वर्जित है.
- अगर आप गावं से निकल रहे है तो सारे खान के पैकेट पानी के बोतल इत्यादि को वही पर छोड़ कर बाहर जाए.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से प्राप्त शिक्षा
वहाँ जाने के बाद यही शिक्षा मिलती है कि जिस तरह सिक्के के दो पहलु होते है और उनको हम टॉस कर गलत और सही का फैसला लेते है, उसी तरह से इस मंदिर और यहाँ से जुडी हुई बातों के भी दो पहलु है और ये हमारे नजरिये पर निर्भर करता है कि हम किस पहलु को देखे.
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