माउन्ट आबू और उसके दार्शनिक स्थल | Mount Abu Tourist visiting places in hindi

Mount Abu visiting places in hindi माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में पड़ने वाला एक बहुत ही ख़ूबसूरत हिल स्टेशन है. ये समुद्र तल से 1200 मी ऊपर स्थित है. ये बहुत ही ख़ूबसूरत जगह है, जहाँ पर देश विदेश से लोग पर्यटन ने लिए आते हैं. विश्व प्रसिद्ध दिलावर मंदिर यहीं पर स्थित है. इस हिल स्टेशन का सबसे ऊंचा शिखर गुरु शिखर है, जिसकी ऊंचाई समुद्र ताल से लगभग 1722 मीटर है. इस पर्वत शिखर पर कई तरह के झरने और बहुत हरा भरा जंगल देखने मिलता है. प्रकृति के सभी गुणों को ख़ुद में समाय ये जगह सभी प्रकृति- प्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित करती है.   

mount abu

माउन्ट आबू की लोकेशन (Mount Abu location)

पश्चिमी भारत के राजस्थान के सिरोही जिले में माउन्ट आबू पड़ता है. सन 2011 की जनगणना के अनुसार ये राजस्थान का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला क्षेत्र है. माउन्ट आबू यहीं मौजूद की वजह से ये एक भ्रमण स्थल के रूप में जाना जाता है. यह क्षेत्र 5136 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इसके पश्चिम में जालोर, उत्तर में पाली, पूर्व में उदैपुर और दक्षिण में बनास कंठ ज़िला है. ये समस्त क्षेत्र पत्थरों और जंगलों से भरे हुए हैं. माउंट आबू का ग्रेनाइट पुंजक इस जिले को दो भागों में विभक्त करता है. ये पुंजक जिले के उत्तर पूर्वी क्षेत्र से दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र की तरफ जाता है. इस ज़िले का दक्षिणी और दक्षिणी पूर्वी हिस्सा अरावली पर्वत श्रेणी और माउंट आबू के मध्य पड़ता है, जो पूरी तरह पहाड़ी इलाका है. यहाँ पर पश्चिमी बनास नदी और आबू रोड है. जिले का पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्र अपेक्षाकृत शुष्क है.    

माउन्ट आबू से जुडी कुछ जानकारियाँ (Mount Abu details)

जानकारी के बिंदु जानकारी
राष्ट्रभारत
प्रदेशराजस्थान
ज़िलासिरोही
संभागसिरोही
मुख्यालयसिरोही
लोकसभा क्षेत्रजलोर
क्षेत्रफल5136 वर्ग किमी
जनसँख्या (2011)22, 943  
जन घनत्व  50 प्रति वर्ग किमी
भाषाहिंदी, राजस्थानी और मारवाड़ी
पिन कोड307 501

माउन्ट आबू का इतिहास (Mount Abu history)

माउन्ट आबू का प्राचीन नाम ‘अर्बुदांचल’ है. पुराणों में इस स्थान का ज़िक्र ‘अर्बुदारण्य’ के नाम से आता है, जिसका अर्थ है ‘अर्बुद का जंगल’. आबू इसी ‘अर्बुदारण्य’ शब्द से निकला हुआ नाम है. ऐसा माना जाता है कि गुरु वशिष्ठ ने अवकाश प्राप्त कर माउन्ट आबू के दक्षिणी क्षेत्र में अपना शेष जीवन व्यतीत किया. एक अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अर्बुद नाम के एक सर्प ने इसी जगह पर भगवान् शिव के नंदी बैल के पराओं की रक्षा की थी. इस घटना के बाद इस स्थान को अर्बुदारान्य कहा जाने लगा. सन 1311 ई में देओराचौहान वंश के राजा राव लुम्बा ने इस स्थान पर विजय प्राप्त की, जिसकी राजधानी उसने चन्द्रावती नामक एक मैदानी क्षेत्र में स्थापित की. सन 1405 में चन्द्रावती को हटाकर राव सश्मल ने सिरोही में अपना मुख्यालय बनाया. कालांतर में ब्रिटिश सरकार ने इस जगह को इस्तेमाल करने के लिए सिरोही के महाराजा से पट्टे (lease) पर लिया. 

माउंट आबू के दार्शनिक स्थल की सूची (List of Mount Abu visiting places in hindi)

माउंट आबू एक प्राकृतिक जगह है. इसके प्राकृतिक सौंदर्य के अलावा भी यहाँ पर अन्य कई जगहें पर्यटन योग्य हैं. सभी जगहों के संक्षिप्त वर्णन नीचे दिए जा रहे है

  • दिलवारा मंदिर : ये मंदिर माउंट आबू से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है. इसका निर्माण ग्यारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था. इस मंदिर की मुख्य विशेषता मंदिर में संगमरमर पर की गयी कारीगरी है. ये संसार के कई सुन्दर तीर्थ स्थलों में एक है. इस मंदिर में पांच अन्य मंदिर हैं, जिनका जैन धर्म अनुयायियों में बहुत अधिक महत्व है. इन मंदिरों में क्रमशः विमल वासाही जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ, लूना वासाही जैन धर्मं के बाइसवें तीर्थंकर नेमिनाथ, पिथाल्हर ऋषि पार्श्वनाथ और दो मंदिर भगवान् महावीर और ऋषि रिषभ के हैं.
  • नक्की लेन : नक्की लेन माउंट आबू के महत्त्वपूर्ण आकर्षणों में एक है. ये एक धार्मिक और प्राचीन झील है. हिन्दू मिथकों के अनुसार इस झील को देवताओं ने बश्काली नामक एक राक्षस से अपनी जान बचाने के लिए नाख़ून से खोदा था. इसके अलावा कई अन्य मिथाक्ल भी काफ़ी प्रचलित हैं. ये स्थान पिकनिक के लिए एक उत्तम स्थान है. ये झील इसलिए भी काफ़ी विख्यात है क्योंकि महात्मा गाँधी की अस्थियाँ इस झील में विसर्जित की गयीं थीं, जिसकी वजह से यहाँ गाँधी घात का निर्माण हुआ.   
  • गौ मुख मंदिर : ये मंदिर भी एक प्राचीन तीर्थस्थल है. ऐसा माना जाता है कि गुरु वशिष्ठ ने इस जगह पर एक यज्ञ किया था, जिसके फलस्वरूप चार बड़े राजपूत कुलों की उत्पत्ति हुई. यहाँ पर एक और स्थान है जिसे अग्नि कुंड के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार गुरु वशिष्ठ ने इसी कुंड में यज्ञ करके उन चार राजपूत कुलों की उत्पत्ति की.
  • वाइल्ड लाइफ सैनचुअरी : ये अरावली पर्वत श्रेणी के मध्य स्थित है. सन 1980 में इसे वाइल्ड लाइफ सैनचुअरी का दर्जा दिया गया. ये लगभग 288 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस स्थान पर विभिन्न तरह के वनस्पति देखने मिलते हैं. इस सैनच्युअरी में जंगली बिल्ली, भालू, भेदिया, हायना, भारतीय लोमड़ी आदि पाए जाते हैं. इसके अलावा लगभग 250 विभिन्न तरह की पक्षियाँ पायी जाती है.
  • आबू रोड : ये स्थान बनास नदी के पास स्थित है. ये मुख्यतः एक रेलवे स्टेशन है किन्तु इसके आस- पास का सौंदर्य देखते ही बनता है. यहाँ पर मौसम सुहावना रहता है. यहाँ से कई मुख्य मंदिरों का रास्ता मिलता है.
  • अचलगढ़ : ये मूलतः एक किले और एक प्राचीन राज्य का नाम है. ये किला परमार वंश के राजा द्वारा निर्मित था. सन 1452 में मेवाड़ के राजा महाराजा कुम्भा ने इसका पुनर्निर्माण कराया और इसका नाम अचलगढ़ दिया. ये किला चारो तरफ ख़ूबसूरत नजारों से घिरा हुआ है. इस किले का मुख्य आकर्षण यहाँ पर स्थित भगवन शिव ‘अचलेश्वर महादेव’ मंदिर है. माउन्ट आबू आने वालों के लिए ये एक आकर्षण का केंद्र है.
  • गुरु शिखर : गुरु शिखर माउंट आबू का सर्वोच्च स्थान है. यहाँ पर गुरु दत्तात्रेय का मंदिर है. इस मंदिर में त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु और महेश विराजमान हैं. यहाँ से चारों तरफ का प्राकृतिक दृश्य अत्यंत मनोरम लगता है.
  • ट्रेवोर टैंक : इए जगह को ‘क्रोकोडाइल पार्क’ के नाम से जाना जाता है. ये माउन्ट आबू से 5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है. ये एक मुख्य पिकनिक स्पॉट है. इस जगह पर कई मगरमच्छ पत्थरों पर आराम करते हुए दिखाई देते हैं. इसके अतिरिक्त यहाँ पर काला भालू भी देखने मिलता है.
  • शेरे पंजाब : शेरे पंजाब यहाँ का बहुविख्यत रेस्टोरेंट है. यहाँ पर पर्यटक ठहर कर यहाँ के स्पेशल व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं. ये जगह काफ़ी साफ़ – सुथरी और आराम दायक है.

माउन्ट आबू का मौसम (Mount Abu best season for visiting)

माउन्ट आबू का मौसम महीनों के आधार पर नीचे दिया जा रहा है

  • मार्च से जून : यह समय माउंट आबू में ग्रीष्म ऋतु का समय होता है. राजस्थान में स्थित होने की वजह से यहाँ के समस्त पर्यटन स्थल पर तापमान 32 डिग्री सेल्सिअस से 35 डिग्री सल्सिएस तक होता है. इस समय यहाँ ग्रीष्म ऋतु मुख्यतः अप्रैल से मध्य जून के बीच में होती है.
  • जुलाई से सितम्बर : इस समय यहाँ मानसून का समय होता है. मानसून की शुरुआत यहाँ मुख्यतः जून के अंतिम दिनों से ही शुरू हो जाती है. इस समय यहाँ पर गर्मी से कुछ राहत होती है. मानसून के दौरान यहाँ पर जोर की बारिश होने की सम्भावना सदैव बनी रहती है. आसमान में सदैव बादल छाये हुए रहते हैं.
  • अक्टूबर से फरवरी : माउंट आबू में ये समय शीत ऋतु का होता है. इस दौरान यहाँ पर खूब ठण्ड पड़ती है. दिसम्बर से जनवरी के बीच यहाँ का तामपान 8 डिग्री सल्सियस तक गिर जाता हैं, और कडाके की ठण्ड पड़ती है.

माउंट आबू पहुँचने का तरीक़ा (How to reach Mount Abu)

  • एयर द्वारा : माउन्ट आबू हवाई जहाज की सहायता से जाया जा सकता है. माउन्ट आबू का सबसे क़रीबी हवाई अड्डा है डबोक. डबोक उदयपुर में स्थित है जहाँ से माउंट आबू की दूरी 185 किलोमीटर की है. यहाँ के लिए जेट ऐर्वार्य्स, इंडियन एयरलाइन्स, स्पाइस जेट, इंडिगो आदि फ्लाइट्स मिल जाते हैं.
  • बस द्वारा : माउंट आबू राजस्थान में स्थित है. यहाँ पर देश के कई बड़े शहरों से कई लम्बी सड़के पहुँचती हैं. दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड आदि जगहों से माउंट आबू बस स्टॉपेज के लिए कई बसें खुलती हैं.
  • ट्रेन द्वारा : माउंट आबू का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड है. बैंगलोर, दिल्ली, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, अजमेर, बांद्रा, बरेली, भुज, बीकानेर, दादर, चेन्नई, देहरादून, जोधपुर, मुजफ्फरपुर, मैसूर आदि कई जगहों से ट्रेन आबू रोड रेलवे स्टेशन तक आती है. आबू रोड से माउंट आबू की दूरी लगभग 40 किलोमीटर की है जिसे लगभग एक घंटे में तय किया जा सकता है.

माउंट आबू की संस्कृति (Mount Abu culture)

पर्वतों के दरमियान स्थित होने की वजह से यहाँ पर कुछ पहाड़ी संस्कृति की झलकियाँ हैं, तो धार्मिक स्थलों की बहुल्यता की वजह से ये स्थान आध्यात्मिक भी हो जाता है. यहाँ पर ग्रीष्म त्यौहार “समर फेस्टिवल” मनाया जाता है. यहाँ के लोकनृत्यों में बलाड, घूमर, धाप आदि मशहूर हैं, जो ख़ुद में राजस्थानी संस्कृति समाय हुए है.

इस तरह माउंट आबू पर्यटकों के लिए एक अति आकर्षण का केंद्र है.

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Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

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