नरक चतुर्दशी क्यों मनाते है 2023 (रूप चौदस कथा महत्व पूजा विधि शायरी, कहानी) (Narak Chaturdashi or Roop Chaudas significance, Puja Vidhi, Story In Hindi)
नरक चतुर्दशी दीपावली के पांच दिनों में से दुसरे दिन मनाया जाता है, यह त्यौहार महापर्व दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता हैं. इसे नरक से मुक्ति पाने वाला त्यौहार कहते हैं. इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसी कारण इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता हैं. इसे रूप चौदस एवम छोटी दिवाली भी कहते हैं.

नरक चतुर्दशी रूप चौदस कब मनाया जाता हैं? (Narak Chaturdashi or Roop Chaudas 2023 Date Muhurat) :
यह पर्व कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन मनाया जाता हैं. इसे नरक मुक्ति का त्यौहार माना जाता हैं. इस वर्ष 2023 में यह पर्व 12 नवंबर के दिन मनाया जायेगा.
अभ्यंग स्नान मुहूर्त | – |
कुल समय | – |
नरक चतुर्दशी पूजन विधि (Narak chaturdashi puja vidhi)
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान का महत्व होता हैं. इस दिन स्नान करते वक्त तिल एवम तेल से नहाया जाता है, इसके साथ नहाने के बाद सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित करते हैं.
- इस शरीर पर चंदन लेप लगाकर स्नान किया जाता हैं एवम भगवान कृष्ण की उपासना की जाती हैं.
- रात्रि के समय घर की दहलीज पर दीप लगाये जाते हैं एवम यमराज की पूजा भी की जाती हैं.
- इस दिन हनुमान जी की अर्चना भी की जाती हैं.
नरक चतुर्दशी हनुमान जयंती :
एक मान्यता हैं कि इस दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन हनुमान जी ने माता अंजना के गर्भ से जन्म लिया था. इस प्रकार इस दिन दुखों एवम कष्टों से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी की भक्ति की जाती हैं, जिसमे कई लोग हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक जैसे पाठ करते हैं. कहते हैं कि आज के दिन हनुमान जयंती होती हैं. यह उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता हैं. इस प्रकार देश में दो बार हनुमान जयंती का अवसर मनाया जाता हैं. एक बार चैत्र की पूर्णिमा और दूसरी बार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन.
नरक चतुर्दशी कथा (Narak Chaturdashi Story):
इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा हैं जो इस प्रकार हैं :
एक प्रतापी राजा थे, जिनका नाम रन्ति देव था. स्वभाव से बहुत ही शांत एवम पुण्य आत्मा, इन्होने कभी भी गलती से भी किसी का अहित नहीं किया. इनकी मृत्यु का समय आया, यम दूत इनके पास आये. तब इन्हें पता चला कि इन्हें मोक्ष नहीं बल्कि नरक मिला हैं. तब उन्होंने पूछा कि जब मैंने कोई पाप नहीं किया तो मुझे नरक क्यूँ भोगना पड़ रहा हैं. उन्होंने यमदूतों से इसका कारण पूछा तब उन्होंने बताया एक बार अज्ञानवश आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा चला गया था. उसी के कारण आपका नरक योग हैं. तब राजा रन्ति से हाथ जोड़कर यमराज से कुछ समय देने को कहा ताकि वे अपनी करनी सुधार सके. उनके अच्छे आचरण के कारण उन्हें यह मौका दिया गया. तब राजा रन्ति ने अपने गुरु से सारी बात कही और उपाय बताने का आग्रह किया. तब गुरु ने उन्हें सलाह दी कि वे हजार ब्राह्मणों को भोज कराये और उनसे क्षमा मांगे. रन्ति देव ने यही किया. उनके कार्य से सभी ब्राह्मण प्रसन्न हुए और उनके आशीर्वाद के फल से रन्ति देव को मोक्ष मिला. वह दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस का था, इसलिए इस दिन को नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता हैं.
नरक चौदस को रूप चतुर्दशी क्यूँ कहा जाता हैं ? (Why Narak Chaturdashi Called Roop Chaudas )
एक हिरण्यगभ नामक एक राजा थे. उन्होंने राज पाठ छोड़कर तप में अपना जीवन व्यतीत करने का निर्णय किया. उन्होंने कई वर्षो तक तपस्या की, लेकिन उनके शरीर पर कीड़े लग गए. उनका शरीर मानों सड़ गया. हिरण्यगभ को इस बात से बहुत दुःख तब उन्होंने नारद मुनि से अपनी व्यथा कही. तब नारद मुनि ने उनसे कहा कि आप योग साधना के दौरान शरीर की स्थिती सही नहीं रखते, इसलिए ऐसा परिणाम सामने आया. तब हिरण्यगभ ने इसका निवारण पूछा. तब नारद मुनि ने उनसे कहा कि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शरीर पर लेप लगा कर सूर्योदय से पूर्व स्नान करे, साथ ही रूप के देवता श्री कृष्ण की पूजा कर उनकी आरती करे, इससे आपको पुन : अपना सौन्दर्य प्राप्त होगा. इन्होने वही किया अपने शरीर को स्वस्थ किया. इस प्रकार इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं.
इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता हैं :
यह दिन दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता हैं. इसमें भी दीप दान किये जाते हैं. द्वार पर दीपक लगाये जाते हैं. उतनी ही धूमधाम के साथ खुशियों के साथ घर के सभी सदस्यों के साथ त्यौहार मनाया जाता हैं.
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FAQ
Ans : कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन
Ans : इसे छोटी दीवाली कहा जाता है.
Ans : भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. और 16000 महिलाओं को मुक्त कराया था.
Ans : रूप चतुर्दशी
Ans : इसकी जानकरी ऊपर दी हुई है.
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