नरोदा पाटिया केस में माया कोडनानी निर्दोष | Maya Kodnani acquitted by gujarat HC in Naroda patiya Riots Massacre Case in Hindi
साल 2002 की घटना नरोदा पाटिया केस आज फिर चर्चा में है क्योंकि आज इसकी मुख्य आरोपी माया कोडनानी को कोर्ट ने 28 साल की कैद से मुक्त कर दिया गया. जबकि इस केस के अन्य मुख्य आरोपी बाबू बजरंगी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी गई है. इस केस के सिलसिले में निचली अदालत में 32 लोगो को सजा सुनाई गई थी जबकि इन 32 में से केवल माया को रिहा किया गया है. कोर्ट के मुताबित घटना स्थल पर माया के होने के सबूत नहीं मिलते, इससे उनपर कोई आरोप सिद्ध नहीं होता.
नरोदा पाटिया संपूर्ण घटना :
नरोदा पाटिया केस भारतीय इतिहास की घटनाओं की एक शर्मनाक और दुखद घटना है. वास्तव में यह एक तरह का नरसंहार था, जो कुछ लोगों के समूह ने गुस्से की हालत में मानवता को खोते हुए किया था. यह शर्मनाक घटना 28 फरवरी 2002 की है. इस दिन भारत के नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी, जबकि 32 लोग घायल हुए थे.
साल 2002 में गुजरात में दंगे चल रहे थे, इन्ही दंगो के समय अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. हकीकत में इस समय गोधरा कांड के कारण विश्व हिंदु परिषद ने 28 फरवरी को बंद का आह्वान किया था और इस बंद के दौरान गुस्साए लोगों ने नरोदा में अल्पसंख्यक लोगों पर हमला कर दिया था.
वही बाबू बजरंगी ने यह 2007 में एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान यह कबूल भी किया था, कि यह घटना उनके नेतृत्व में की गई थी. उन्होंने 97 लोगों के मरने के संबंध में जानकारी देते हुए बताया था कि वे और उनके 30 से 32 साथी हथियारों के साथ अहमदाबाद के नरोदा इलाके में पहुचे. वहाँ उन्होंने मस्जिद के पीछे जान बचाने के उद्देश्य से गड्डे में छुपे कुछ लोगों पर केरोसिन व पेट्रोल डाल कर आग के हवाले कर दिया. इसके बाद भी ये यहाँ नहीं रुके और लोगों को मारते रहें, इनकी दरिंदगी की हद तो तब हुई जब इन्होने लोगों को इकठ्ठा कर कुए में डाल दिया और उस कुए को भी आग के हवाले कर दिया.
इस घटना के दौरान यह मरने वाले लोग मुस्लिम जाति के थे और यह घटना बजरंग दल के नेतृत्व में की गई थी, और यह भी कहा जाता है कि इसमे इस समय राज्य में मौजूद भारतीय जनता पार्टी का सहयोग भी शामिल था. यह घटना लगभग 10 घंटे चली इस दौरान लोगों को आग के हवाले करने के अलावा उनके साथ लूट भी की गई और उनका यौन शोषण, सामूहिक बलात्कार आदि भी किया गया.
इस केस में कानूनी कार्यवाही :
जब इस केस की जाँच शुरू हुई तो लोगों ने आरोप लगाया कि गुजरात पुलिस लोगों को ऑपरेट नहीं कर रही है और कुछ लोगों के खिलाफ शिकायत भी दर्ज नहीं कर रही. फिर बाद में पुलिस ने सभी शिकायते दर्ज कर अपनी पहली रिपोर्ट पेश की. पुलिस ने इस मामले में 46 लोगों के खिलाफ आरोप दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया. परंतु कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया.
स्पेशल इन्वेस्टीगेशन:
इस केस के 5 सालो बाद भारत में मौजूद उच्च न्यायालय ने इस के संबंध में पुलिस पर से भरोसा हटाते हुए इस संबंध में एक समिति नियुक्त की. इस टीम के प्रमुख आर के राघवन थे, जिन्होंने इस केस के संबंध में आगे तहकीकात की. इसके बाद इस केस में लोगों के फोन रिकॉर्ड चेक कर पहली बार कोडनानी और अन्य नेताओ के नाम इस संबंध में सामने आये थे, और इसमे पहले से शामिल 46 नामो के साथ अन्य 24 नामो को और शामिल किया गया था. परंतु इस मुकदमे के चालू होने से पहले ही इन आरोपियों में से 6 की मृत्यु हो गई थी. साल 2009 में कार्यवाही शुरू हुई, परंतु तब तक और 3 लोग मर चुके थे, इस प्रकार कुल 61 लोगों पर मुकदमा चलाया गया.
इस रिपोर्ट में स्पेशल टीम ने कहा कि कोडनानी और बजरंगी जैसे नेताओ ने भीड़ का नेतृत्व किया था और साथ साथ भीड़ को उकसाया भी था. इसी आरोप में इन नेताओ सहित अन्य पर पहला मुकदमा चलाया गया.
इस केस पर पहला फैसला (Naroda patiya Riots Massacre Case Decision in hindi):
इस केस में उस समय करीब 300 से अधिक गवाहों के बयान लिए गए जिनमे पीड़ित, डॉक्टर, प्रत्यक्षदर्शी, फोरेंसिक कर्मचारी और पुलिस आदि शामिल थे. यह पब्लिक केस अखिल देसाई और गोरांग व्यास की तरफ से चलाया गया.
इस केस में पहला फैसला 29 अगस्त 2012 को ज्योत्स्ना याज्ञिक द्वारा दिया गया. इस समय कोर्ट ने नरोदा की भारतीय जनता पार्टी की विधायक और महिला और बाल विकास मत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के कार्यकर्त्ता बाबू बजरंगी को धारा 120 बी और धारा 302के तहत दोषी ठहराया. इनके अलावा अन्य 30 लोगों को भी हत्या का आरोपी करार दिया, परंतु वहीं अन्य 29 लोगों को सबूतों के आभाव में निर्दोष करार किया गया.
विरोधी सभी वकीलों ने सभी गुनाहगारो के लिए मौत की सजा की मांग की. 31 अगस्त को इस मामले में निर्णय आया, इस निर्णय में माया को 28 साल की जेल का ऐलान किया गया, इस सजा में धारा 326 में हथियारो के प्रयोग पर 10 साल की सजा और हत्या के मामले में धारा 302 के तहत 18 साल की सजा सुनाई गई. इनके अलावा बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा हुई . इस केस के अन्य आरोपियों में से 22 को 14 साल की सजा व अन्य 7 को 21 साल की सजा सुनाई गई.
आज इस केस पर पुनः फैसला आया है और माया कोडनानी को इस सजा से मुक्त किया गया है. इस संबंध में कोर्ट ने कहा है की माया के खिलाफ पर्याप्त सबूत उपलब्ध नहीं है इसलिए इन्हें बरी किया जा रहा है. वही बाबू बजरंगी की सजा पहले की तरह ही कायम रखी गई है.
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