नीरजा भनोट की जीवनी Neerja Bhanot Story Flight Hijack Case movie review Hindi
नीरजा भनोट जीवन परिचय, 22 वर्ष की उम्र में ही अपने परिवार का नाम रौशन किया और अपनी वीरता के कारण एक दीपक की तरह प्रकाशित हुई.
नीरजा भनोट, एक ऐसी नारी जिसकी मौत पर भारत के साथ पाकिस्तान ने भी आंसू बहाये थे . नीरजा भनोट विमान पैन ऍम उड़ान 73 की यात्री थी, लगभग 28 वर्ष पहले 5 सितंबर, 1986 को आतंकियों ने भारत से न्यूयॉर्क जाते हुए इस विमान का पाकिस्तान से अपहरण कर लिया जिसमे लगभग 380 यात्री सवार थे, जिनमे कई बच्चे भी थे, उन्ही यात्रियों की जान बचाने के लिए नीरजा ने विमान का दरवाजा खोला और कईयों को बाहर निकाला. लेकिन जब वे एक बच्चे को बाहर भेज रही थी, तब ही एक आतंकी ने नीरजा के सीने पर गोली चला दी और उस जाबाज नीरजा ने अपनी जान दे दी . नीरजा चाहती तो वे सबसे पहले खुद उस दरवाजे से बाहर जा सकती थी, लेकिन उन्होंने अपने से पहले यात्रियों की जान को महत्व दिया, इसी वीरता के लिए मरणोपरांत नीरजा को भारत के सबसे बड़े पराक्रमी पुरुस्कार “अशोक चक्र” से सम्मानित किया गया . नीरजा सबसे कम उम्र में इस पुरुस्कार को प्राप्त करने वाली पहली महिला थी . भारत के अलावा नीरजा को उनकी बहाद्दुरी के लिए पाकिस्तान एवम अमेरिका ने भी सम्मान दिया.

नीरजा भनोट जीवनी
निजी जिन्दगी
Personal Life:
नीरजा मुंबई की रहने वाली थी, इनके पिता हिंदुस्तान टाइम्स में पत्रकार के तौर पर कार्यरत थे . नीरजा का जन्म स्थान चंडीगढ़ था . वर्ष 1985 में नीरजा की शादी हो गई थी लेकिन शादी से नीरजा का जीवन सुखी नहीं था, दहेज प्रताड़ना के कारण नीरजा ने दो महीने बाद ही अपनी शादी को तोड़ दिया और अपने माता पिता के पास लौट आई, जिसके बाद नीरजा ने स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये पैन एम में फ्लाइट अटेंडेंट जॉब के लिए अप्लाई किया और एक फ्लाइट पर्सर बनी .
1 | जन्म- मृत्यु | 7 सितम्बर 1963 चंडीगढ़ पंजाब – 5 सितम्बर 1986 कराची सिंध पाकिस्तान |
2 | माता पिता | रमा- हरीश भनोट |
3 | अन्य नाम | लाडो |
4 | काम | पर्सर |
5 | ख्याति | वीरता |
6 | अवार्ड्स | अशोक चक्र |
नीरजा विमान अपहरण घटना का विस्तार Neerja Bhanot story:
नीरजा भनोट विमान पैन ऍम उड़ान 73 की एक सीनियर पर्सर थी . विमान पैन ऍम उड़ान 73, 5 सितंबर, 1986 नीरजा के जन्मदिवस से दो दिन पूर्व, भारत से न्यूयॉर्क जा रहा था . उस विमान में 380 यात्री एवम स्टाफ था जिसमे अमेरिका के तीन सदस्यीय पायलट , सह- पायलट, फ्लाइट इंजीनियर एवं भारत की नीरजा भनोट और उनकी टीम थी . विमान जब पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर था और पायलट का इंतजार कर रहा था,तब ही चार आतंकी जो कि अबू निदाल संगठन से थे, ने विमान को अपने कब्जे में ले लिया और पाकिस्तानी सरकार को पायलट देने का हुक्म दिया, जिसे उन्होंने नहीं माना, क्यूंकि अगर वो ऐसा करते तो आतंकी विमान को अपने हिसाब से कही और ले जाते . उस विमान में कई अमेरिकी यात्री भी थे और आतंकी इन्ही अमेरिकी यात्रियों के सहारे पाकिस्तान पर अमेरिकी दबाव बनाकर अपनी मांगे पूरी करवाना चाहते थे, जिसके लिए आतंकियों ने नीरजा और उसकी टीम को यात्रियों के पासपोर्ट इकठ्ठा करने को बोला ताकि वे अमेरिकी यात्रियों को पहचान सके, लेकिन नीरजा और उसकी टीम ने लगभग 40 अमेरिकी यात्रियों के पासपोर्ट छिपा दिए ताकि आतंकी उन्हें पहचान ना सके . साथ ही नीरजा ने यात्रियों को बचाने के लिए आपातकालीन दरवाजा खोल दिया और कई यात्रियों को वहाँ से बाहर भेज दिया . इसी समय एक आतंकी की नजर नीरजा पर पड़ी, जब नीरजा तीन बच्चो को बाहर भेज रही थी, तब ही आतंकी ने उन पर गोली चलाई जिसे देख नीरजा बच्चो के आगे आ गई और उसने सभी गोलियाँ अपने सीने पर झेली और शहीद हो गई . नीरजा चाहती तो सबसे पहले खुद उस आपातकालीन दरवाजे से बाहर जा सकती थी लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को सर्वोपरि रखा और अपनी समझदारी और हौसलों से 17 घंटो तक उन आतंकियों से लोहा लिया और कई लोगो की जान बचाई .
नीरजा के साथ हुआ न्याय या कहे अन्याय Neerja Bhanot Justice Or Injustice ?
1988 में पाकिस्तान ने अबू निदाल संगठन के आतंकियों को अपनी गिरफ्त में लिया और उन्हें मौत की सजा सुनाई लेकिन बाद में उस सजा को उम्र कैद में बदल दिया गया जिसका भारत एवम अमेरिकी सरकार ने जमकर विरोध भी किया . 2001 में, ज़ैद हसन अब्द अल- लतीफ मसूद अल सफरिनी, जो उन आतंकियों में से एक था जिसने गोलियाँ चलाई थी, जिसे पाकिस्तान ने रिहा कर दिया था, को FBI ने बैंकॉक में पकड़ा और अभी वो कोलोराडो की जेल में हैं . इसके अलावा दल के चार अन्य आतंकियों को वर्ष 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने रिहा कर दिया, जिन पर एफबीआई ने $ 5 लाख इनाम की घोषणा की हैं . जनवरी 2010 में, पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों ने घोषणा की, जिसमे उन्होंने कहा कि उत्तरी वजीरिस्तान कबायली इलाके में एक हमले में अपहर्ताओं में से एक जमाल सईद अब्दुल रहीम को मार दिया गया हैं, लेकिन अब तक उसकी मौत की पुष्टि नही हुई हैं और वो अब भी FBI की मोस्टवांटेड लिस्ट में हैं .
पाकिस्तानी सरकार का यह रवैया शहीद नीरजा और अन्य मरने वालो के लिए अन्यायपूर्ण हैं . नीरजा को मृत्यु के बाद पुरुस्कार तो मिले लेकिन न्याय अब तक अधुरा हैं .
मरणोपरांत मिले सम्मान Neerja Bhanot Awards:
- नीरजा ने अपने फर्ज के लिए मौत को गले लगाया और कई लोगो की जान बचाई साथ ही देश का सर फक्र से उपर उठाया. उसी बहाद्दुरी एवम वीरता के लिए भारत सरकार ने नीरजा को अशोक चक्र दिया, जो कि सर्वोच्च वीरता पुरुस्कार हैं जिसे मरणोपरांत अपने नाम करने वाली नीरजा सबसे कम आयु की वीर थी .
- 2004 में भारतीय डाक सेवा ने नीरजा की स्मृति में एक डाक टिकिट जारी किया .
- वर्ष 2005 में इन्हें यूनाइटेड स्टेट ने ‘Justice for Crimes Award’ से सम्मानित किया, जिसे उनके भाई ने वाशिंगटन डी सी जाकर प्राप्त किया .
- उड़ान सुरक्षा फाउंडेशन बहादुरी पुरस्कार जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा दिया गया .
- संयुक्त राज्य अमेरिका न्यायालय द्वारा विशेष साहस पुरुस्कार.
- 18 February 2010 भारत सरकार ने सिविल एविएशन पुरस्कार से सम्मानित किया .
- तमघा-ए-इंसानियत पुरुस्कार जो पाकिस्तान सरकार ने नीरजा को दिया .
नीरजा भनोट पैन एम ट्रस्ट
Neerja Bhanot Pan Am Trust :
नीरजा की बीमा राशि और उसी के बराबर की राशी पैन ऍम द्वारा नीरजा के परिवार वालो को दी गई थी, जिससे उन्होंने नीरजा के नाम का एक ट्रस्ट शुरू किया . यह ट्रस्ट प्रति वर्ष दो अवार्ड देता हैं जिसमे एक वर्ल्ड वाइड जो भी फ्लाइट कर्मचारी, अपनी ड्यूटी से अधिक करता हैं, को दिया जाता हैं और दूसरा भारत की उन महिलाओं को, जो सामाजिक कुप्रथा जैसे दहेज आदि के खिलाफ लड़ती हैं और अन्य प्रताड़ित महिलाओं का साथ देती हैं, उन्हें दिया जाता हैं . इन अवार्ड्स में 1,50,000 की राशि एवम प्रशस्ती पत्र दिया जाता हैं .
नीरजा भनोट पर बनी फिल्म समीक्षा (Neerja Movie Review)
deepawali रेटिंग – 4.0 स्टार
बॉलीवुड ने नीरजा की यादों को सम्मान देने के लिए एवम आवाम को उनकी बहाद्दुरी से रूबरू कराने के लिये उन पर आधारित एक फिल्म “नीरजा” बनाई जिनमे सोनम कपूर ने काम किया . इसमें नीरजा की माँ का किरदार शबाना आज़्मी ने निभाया हैं . जब सोनम नीरजा की असली माँ से मिली, तब उनकी माँ ने कहा था कि उनमे इतनी हिम्मत नहीं कि वे नीरजा फिल्म को देख सके . उनके यह शब्द हमें महसूस कराते हैं कि वे किस कदर अपनी बेटी को खोने के गम को अपने मन में दबाई हुई थी . नीरजा की माँ भी दुनियाँ से रुक्सत ले चुकी हैं, आज वो इस मूवी के आने पर नहीं हैं लेकिन उनकी मनोदशा हम इस मूवी में देख सकते हैं .
नीरजा भनोट की कहानी हम सभी को प्रेरणा देती हैं और अपने काम को सही मायने में कैसे निभाये इसकी राह दिखाती हैं . नीरजा जैसी नारियाँ हमारे देश के लिए गौरव हैं जो हमें जीवन के हर क्षेत्र में अपने कर्तव्य को कैसे निभायें इसका परिचय देती हैं . नीरजा एक सुपरस्टार से कम नहीं. सच्ची घटना पर आधारित फिल्म नीरजा राम माधवानी ने बनाई है. फिल्म में सोनम ने पूरी कोशिश की है कि वे नीरजा के किरदार को पूरी लगन व ईमानदारी के साथ सबके सामने ला सकें|
नीरजा फिल्म से संबंधित अन्य जानकारी –
कलाकार | सोनम कपूर, शबाना आजमी, शेखर रावजियानी, योगेन्द्र टिक्कू |
निर्माता | अतुल कस्बेकर, शांति शिवराम |
निर्देशक | राम माधवानी |
लेखक | saiwyn quadras, संयुन्कता चावला |
संगीत | विशाल खुराना |
रिलीज़ डेट | 19 फ़रवरी 2016 |
नीरजा फिल्म निर्देशक समीक्षा –
डायरेक्टर – राम माधवानी
राम माधवानी एक प्रसिद्ध डायरेक्टर है, जो 20 सालों से बॉलीवुड में सक्रीय है| इन्हें सबसे ज्यादा आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीन पर’ के लिए जाना जाता है| आमिर के साथ राम ने भी फिल्म को डायरेक्ट किया था, जो दुनिया भर में पसंद की गई थी| अलग तरह के विषय के लिए फिल्म बच्चों, बड़ो सबने पसंद किया जिसे राष्ट्रीय पुरुस्कार भी मिला था| एक बार फिर राम ने अलग तरह का सब्जेक्ट का चुनाव किया है| नीरजा भनोट की ज़िन्दगी पर आधारित फिल्म नीरजा इन्ही ने बनाई| इस घटना पर आज तक कोई फिल्म नहीं बनी, जबकि ये देश की बड़ी घटनाओं में से एक है|
राम ने हिम्मत दिखाकर इस सब्जेक्ट को चुना| राम ने इसमें बेहतरीन काम किया है, कास्टिंग से लेकर एडिटिंग, सिनेमेटोग्राफी सब कुछ अच्छी है| नीरजा के रूप में राम की पहली पसंद सोनम ही थी, जब उन्होंने फिल्म बनाने का सोचा तभी निर्णय ले लिया था कि वे सोनम को इसमें लेंगें| सोनम राम की उम्मीद पर खरी उतरी, और अपना बेस्ट इस फिल्म में डाल दिया| इस फिल्म को देखने के बाद उनकी एक्टिंग के चर्चे जोरों से होंगे| डायरेक्टर की एक और अच्छी बात ये है कि उन्होंने फिल्म में जबरजस्ती के मेलोड्रामा को नहीं डाला है, जिससे फिल्म में कुछ भी आर्टिफिशियल नहीं लगेगा, सब कुछ फ्लो में व फिल्म की आवश्कता अनुसार ही है|
नीरजा फिल्म कहानी की समीक्षा –
फिल्म की कहानी नीरजा के इर्दगिर्द है| नीरजा राजेश खन्ना की बहुत फैन है, वह एक आजाद दिमाग वाली लड़की है, जिसका सपना एयरहोस्टेज व मोडल बनने का है| नीरजा का परिवार उसे बहुत प्यार करता है व उसे बहुत सपोर्ट करता है| मुंबई में रहने वाली नीरजा पैन ऍम फ्लाइट में काम करने लगती है| एक दिन वो मुंबई से न्यूयॉर्क जाने वाली फ्लाइट लेती है, जिसमें वो हेड पर्सर होती है| इस फ्लाइट को करांची में 4 आतंकवादी हाईजैक कर लेते है| अपने कर्तव्य से ना भागते हुए नीरजा इन आतंकवादीयों से आखरी दम तक लड़ती है| कैसे वो फ्लाइट के यात्रियों की जान बचाती है यही फिल्म की कहानी है|
इस फिल्म को देखने के बाद हम नीरजा भनोट की ज़िन्दगी को करीब से जान सकेंगे, कैसे एक आम सी लड़की इतना बड़ा कदम उठा लेती है, कैसे वो कर्तव्य को अपनी जिंदगी से बड़ा मान लेती है| नीरजा की यहाँ काम करने से पहले शादी हो चुकी होती है लेकिन दहेज के चलते उसका पति उसे मारता पीटता था, जिसकी वजह से वो उसका घर छोड़ देती है| फिल्म का अंत हम सब जानते है इसलिए उस तक पहुँचने की उत्सुकता हम सब में बनी रहती है| फिल्म में कुछ गाने भी है जो फिल्म की लिंक को तोड़ते है| फिल्म की कहानी औरतों की ताकत को ही दिखाना चाहती है| आज के समय में नीरजा जैसी लड़कियां प्रेरणा ही है, ये उन लोगों को गलत साबित करती है जो एयर होस्टेज जैसी जॉब को छोटा व गन्दा समझते है| फिल्म का अंत बहुत दमदार है, आपको रुमाल की जरुरत जरुर पड़ेगी| आप सब नम आँखों के साथ ही बाहर आओगे|
नीरजा फिल्म कलाकारों की समीक्षा –
सोनम कपूर से जितनी उम्मीद की गई थी उससे कहीं ज्यादा अच्छा काम किया है| नीरजा के व्यक्तित्व को करीब से दिखाने के लिए उन्होंने बहुत बारीकी व लगन से काम किया है| फिल्म में उन्होंने अपने ग्लेमरस रूप को बिल्कुल दूर रखा है, जिससे फिल्म काफी रियल लग रही है|
शबाना आजमी नीरजा की माँ रमा के रूप में है| एक 23 साल की बेटी की माँ के दर्द को उन्होंने जीवंत किया है| सोनम व शबाना के सीन में कुछ भी असहजता नहीं दिखी वे दोनों साथ में काफी सहज रही| शबाना ने अपनी एक्टिंग से सबकी आँखों में आंसू तक झलका दिए|
योगेन्द्र टिक्कू को बॉलीवुड का बेस्ट पिता कहना चाहिए| नीरजा के पिता का रोल इससे अच्छा कोई नहीं कर सकता था| इससे पहले योगेन्द्र ने ‘नो one किल्ड जेसिका’ में जेसिका के पिता का रोल निभाया था, इसके बाद ‘क्वीन’ में कंगना के पिता बने|
शेखर ने cameo रोल किया है, वे सोनम के बॉयफ्रेंड के रोल में है|
आतंकवादी की भूमिका में खलील बहुत अच्छे रहे है| अबरार, अली, जिम सर्भ तीनों की ये पहली फिल्म है लेकिन तीनों ने जबरजस्त काम किया है|
नीरजा फिल्म संगीत समीक्षा –
फिल्म का गाना ‘मेरा जी घबरा रहा है’, ‘जीते है चल’ बेस्ट है| वैसे इस टाइप की फिल्मों में गाने अच्छे नहीं लगते, वे फिल्म की लय को तोड़ देते है|
नीरजा फिल्म ओवरआल परफॉरमेंस –
नीरजा फिल्म की एक्टिंग, कहानी, डायरेक्शन सब बेस्ट है, जिसे एक बार तो जरुर देखना चाहिए| फिल्म में सच्चाई है, इस तरह की बायोपिक को हर कोई पसंद करता है जिसे पुरे परिवार के साथ आप एन्जॉय कर सकते है| पिछले हफ्ते हुई रोमेंटिक फिल्मों के ड्रामे से कुछ अलग आपको देखने मिलेगा| इस हफ्ते आप जरुर इस फिल्म को देखने जाएँ, और अपने रिव्यु हमसे शेयर करें|
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