निपाह वायरस इतिहास, इसके लक्षण और कैसे करें इससे बचाव (Nipah Virus Symptoms, Treatment, History vaccine Precaution Details In Hindi, Nipah Virus Kya hai and kaha se aaya )
निपाह वायरस का नाम इन दिनों काफी सुनने को मिल रहा है और ये वायरस काफी तेजी से भारत में फैल रहा है. इस वक्त इस वायरस के कारण कई लोगों की मौत भी हो गई है और ऐसे में इस वायरस से अपना बचाव करना काफी जरूरी हो गया है.

क्या होता है निपाह वायरस (What is the Nipah virus)
वायरस का पूरा नाम | निपाह वायरस संक्रमण |
किसके कारण होता है ये वायरस | बीमार सूअरों और चमगादड़ों |
वायरस से जुड़ी वैक्सीनेशन | कोई नहीं |
लक्षण |
|
- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, निपाह वायरस एक नया उभरता हुआ ज़ूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारी) है, जो कि एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य को हो सकती है.
- निपाह वायरस फ्रूट बैट द्वारा होता है, दरअसल इस फ्रूट बैट द्वारा पेड़ पर लगे फ्रूट के रस को खाया जाता है, जिसके बाद उस फ्रूट में ये वायरस आ जाता है और जब इंसान उस फ्रूट का सेवन कर लेता है, तो वो भी इस संक्रमण का शिकार हो जाता है.
- निपाह एक वायरस है, इसलिए अगर कोई व्यक्ति इससे ग्रस्त हो जाता है तो उस व्यक्ति के आस पास के लोगों को भी ये वायरस होने का खतरा होता है.
- ये वायरस अगर किसी मनुष्य को हो जाता है तो उस मनुष्य की डेथ भी हो सकती है. इसलिए इस वायरस से ग्रस्त होने पर मनुष्यों को तुरंत ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है.
इस वायरस का उपचार (Treatment)
- कई शोधकर्ता इस समय निपाह की वैक्सीनेशन बनाने पर कार्य कर रहे हैं. लेकिन अभी तक किसी भी शोधकर्ता को इस वायरस के ट्रीटमेंट की वैक्सीनेशन बनाने में सफलता नहीं मिली है.
- इस वायरस की कोई भी वैक्सीनेशन नहीं है, इसलिए अगर किसी व्यक्ति को ये वायरस हो जाता है और उसे श्वसन रोग (respiratory disease) की परेशानी होती है, तो उस व्यक्ति को वेंटिलेटर पर रखा जाता है और उसको केवल तरल पदार्थ दिए जाते हैं.
निपाह वायरस के लक्षण (Symptoms)
- निपाह वायरस होने पर इसके सिम्पटम्स की पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इस वायरस के सिम्पटम्स शुरुआती समय में आम वायरस के सिम्पटम की तरह ही होते हैं.
- आमतौर पर ये वायरस होने के पांच से चौदह दिन के अंदर व्यक्ति में इस वायरस के सिम्पटम दिखने लगते हैं और वो सिम्पटम इस प्रकार है
- तेज बुखार होना
- सिरदर्द होना
- चीजों को भूल जाना
- आलस आना
- सांस लेने में दिक्कत होना
- ये वायरस होने के 48 घंटों के अंदर व्यक्ति को इलाज की जरूरत होती हैं. क्योंकि अगर समय पर इस वायरस से ग्रस्त व्यक्ति को इलाज नहीं मिलता है तो वो कोमा में भी जा सकता है.
निपाह वायरस से कैसे करें बचाव (Precaution)
- इस इन्फेक्शन से बचाव करने के लिए बीमार सूअरों और चमगादड़ों के संपर्क में आने से बचें. क्योंकि इनके कारण ही ये इन्फेक्शन होता है.
- केवल उन्हीं फ्रूट का सेवन करें जो कि एक दम साफ हों क्योंकि फ्रूट बैट द्वारा खाए गए फ्रूट के सेवन करने से आपको ये इन्फेक्शन हो सकता है.
- किसी कारण अगर हॉस्पिटल जाना पड़ता है तो मास्क जरूर लगाकर जाएं और घर आने पर हाथ साफ करके ही भोजन का सेवन करें.
- इस समय ये वायरस साउथ इंडिया के स्टेट्स में काफी फैल रहा है तो कोशिश करे की आप इन स्टेट्स में ना जाएं.
निपाह वायरस का पता कब चला
साल 1998 में पता चला था इस वायरस का
- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन को सन् 1998 में सबसे पहले इस इंफेक्शन के बारे में पता चला था और उस वक्त ये वायरस मलेशिया और सिंगापुरा देश में फैला हुआ था. उस समय इस वायरस से जुड़े हुए कुल 265 मामले सामने आए थे और इस वायरस का मुख्य कारण संक्रमित सूअर थे.
- इस वायरस का पहला केस ‘सुंगई निपाह ’ नामक गांव से आया था, इसलिए इस वायरस का नाम इस गांव पर रख दिया गया था. ये गांव मलेशिया में है.
साल 2001 में भी भारत में फैला था ये वायरस
साल 2001 में इस वायरस के कारण भारत के पश्चिम बंगला राज्य में लगभग 45 लोगों की मौत हो गई थी. इसी साल ये वायरस बांग्लादेश में भी खूब फैला था और इस देश के भी कई लोगों की डेथ इसके कारण हो गई थी. इसके अलावा साल 2007 में भी इस वायरस के कुछ केस पश्चिम बंगला से सामने आए थे.
इसके पहले भारत में जिका वायरस का प्रभाव और एबोला वायरस जैसे कई तरह के वायरस आ चुके है.
इस साल केरल में फैला है ये वायरस
- केरल स्टेट में अभी तक इस वायरस के कारण लगभग 11 लोगों की डेथ हो चुकी है, जबकि कई लोगों की हेल्थ काफी नाजुक है और उनका ट्रीटमेंट हॉस्पिटल में किया जा रहा है.
- ये वायरस इस स्टेट के कोझिकोड जिले में काफी फैला हुआ है और ज्यादातर केस इसी जिले से आ रहे हैं. दूसरी तरफ इस स्टेट की सरकार इस वायरस से निपटने की कोशिशों में लगी हुई है.
इस वायरस का कोई भी ट्रीटमेंट नहीं हैं इसलिए इस वायरस से बचने के लिए कई तरह की कॉशन बरतना काफी जरूरी है. साथ ही अगर किसी को ऊपर बताए गए सिम्पटम्स होते हैं तो वो तुरंत हॉस्पिटल जाकर अपना चेकअप करवा लें.
अन्य पढ़े: