निर्भया केस का हुआ फैसला – आरोपियों को हुई फांसी [दिल्ली गैंग रेप] (नाबालिग आरोपी का नाम, जजमेंट, पूरी स्टोरी, दोषी) (Nirbhaya Delhi Rape Case in Hindi) [Male Victim, Real Name, Live Update News, Result, Hang Date, Verdict]
निर्भया केस के बारे में आप सभी को पता ही होगा यह नाम लेते ही उस निर्भया लड़की के साथ हुए दुष्कर्म और उसके बाद उसकी मौत की वारदात की कहानी हमारी आँखों के सामने आ जाती है. इस दुष्कर्म को करने वाले जो 6 आरोपी इसके गुनाहगार हैं उन्हें इसके लिए सुप्रीमकोर्ट से फांसी की सजा सुनाई जा चुकी हैं, लेकिन उन्हें अब तक यह सजा मिली नहीं है. लगभग 2 साल पहले इस गुनाह को अंजाम देने वाले एक आरोपी ने सुप्रीमकोर्ट में पुनः विचार करने की याचिका दर्ज की थी. जिस पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने फंसी की सजा सुनाते हुए डेथ वारंट जारी कर दिया और इस सुनवाई के चलते आरोपी द्वारा दायर याचिका को रद्द कर दिया गया है. सारे क़ानूनी दांव पेंच अपना लेने के बाद, चारों आरोपियों को फांसी दे दी गई. 20 मार्च के एतिहासिक दिन को न्याय दिवस कहा जा रहा है. आइये इस लेख में हम आपको निर्भया केस और उसका फैसला एवं उससे जुड़ी पूरी जानकारी विस्तार से बताते हैं.
निर्भया का असली नाम | ज्योति सिंह |
निर्भया के माता-पिता | आशा देवी, बद्रीनाथ सिंह |
निर्भया का दोस्त (गवाह) | अवनींद्र पांडे |
निर्भया कांड के आरोपी | 6 |
निर्भया कांड के आरोपी के नाम | · राम सिंह
· मुकेश सिंह · विनय शर्मा · पवन गुप्ता · अक्षय ठाकुर · नाम उजागर नहीं हुआ है |
निर्भया केस की स्थिति (Nirbhaya Case Status)
केस की स्थिति | फैसला | तारीख |
निर्भया केस की घटना | – | 16 दिसंबर, 2012 |
निर्भया की मृत्यु | – | 30 दिसंबर, 2012 |
केस की शुरुआत | – | 17-18 दिसंबर, 2012 |
निचली अदालत से फैसला | मौत की सजा | 13 सितम्बर, 2013 |
नाबालिग पर फैसला | 3 साल की सुधार गृह में सजा | 13 सितम्बर, 2013 |
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला | मौत की सजा बरकरार | 13 मार्च, 2014 |
नाबालिग की रिहाई | – | 20 दिसंबर, 2015 |
सुप्रीमकोर्ट का फैसला | मौत की सजा बरकरार | 5 मई, 2017 |
पुनःविचार याचिका पर फैसला | मौत की सजा बरकरार | 18 दिसंबर, 2019 |
पटियाला कोर्ट का फैसला | डेथ वारंट जारी 22 जनवरी को फांसी की सजा | 7 जनवरी 2020 |
दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला (राष्ट्रपति ने दया याचिका ख़ारिज की) | डेथ वारंट जारी 1 फ़रवरी को फांसी की सजा | 17 जनवरी 2020 |
फांसी की तारीख | डेथ वारंट जारी 20 मार्च को फांसी की सजा | 4 मार्च 2020 |
फांसी दे दी गई | 20 मार्च को सुबह 5:30 |
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निर्भया केस की घटना क्या थी ? (What is Incedent of the Nirbhaya Case ?)
यह केस सन 2012 के आखिरी महीने की 16 तारीख से शुरू हुआ था, जब दक्षिणी दिल्ली के एक इलाके मुनीरका में एक 23 वर्षीय महिला जोकि फिजियोथेरेपी इंटर्न थी. उसके साथ एक प्राइवेट बस में सामूहिक दुष्कर्म कर उसके साथ अत्याचार किया गया. उस निर्भया लड़की का नाम ज्योति सिंह था जोकि रात करीब 9 बजे अपने एक दोस्त अविन्द्र प्रताप पाण्डे के साथ मुनिरका से द्वारका की ओर बस में यात्रा कर रही थी. उस बस में न सिर्फ वह लड़की और उसका दोस्त था बल्कि उसमें ड्राईवर के साथ अन्य 6 लोग और मौजूद थे. उसमें सवार कुछ लड़कों ने उस लड़की के साथ यात्रा कर रहे उसके दोस्त अविन्द्र प्रताप पाण्डे को चलती बस में ही बहुत पीटा जिससे वह बेहोश हो गया और उसके बाद उस लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया. और इतना ही नहीं उसके बाद उस पर अत्याचार एवं क्रूरता भी की. और यह करने के बाद उन लोगों ने उसे एवं उसके दोस्त को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के पास स्थित वसंत बिहार इलाके में चलती हुई बस से नीचे फेक दिया.
इस वारदात के बाद उस लड़की को कुछ स्थानीय लोगों द्वारा दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुँचाया गया. लेकिन उसकी हालत गंभीर होने की वजह से उसे आपातकालीन ईलाज के लिए सिंगापुर के एक अस्पताल जिसका नाम माउंट एलिजाबेथ था, में स्थानांतरित कर दिया गया. वह वहां 2 दिन तक रही. और उसे मिली चोटें इतनी ज्यादा गंभीर थी कि उसने दम तोड़ दिया. और उसकी मृत्यु हो गई.
निर्भया केस की शुरुआत (Nirbhaya Case)
इस वारदात के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा इन्वेस्टीगेशन किया गया और बस चालक सहित इसके सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर उन पर यौन उत्पीड़न एवं हत्या का आरोप लगाकर उन पर एक्शन लिया गया. यह खबर जब दिल्ली सहित पूरे भारत में फैली तो इस घटना ने व्यापक रूप से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कवरेज उत्पन्न किया, और इसकी सभी के द्वारा कड़ी निंदा भी की गई. इस केस ने एक सियासी मोड़ भी ले लिया था. जब यह खबर संसद में पहुंची. सभी सांसदों द्वारा इस दुष्कर्म को करने वाले आरोपियों को मौत की सजा देने के लिए मांग की गई. उस समय चारों ओर इसी के चर्चे और निर्भया लड़की के बारे में बातें हो रही थी. लोगों में बहुत अधिक गुस्सा भरा हुआ था, जोकि सोशल मीडिया में बहुत अधिक जाहिर हो रहा था. लोग सडकों पर उतर आयें थे और शांतिपूर्ण इस घटना का विरोध करते हुए आरोपियों को मौत की सजा देने की मांग कर रहे थे.
इस केस के सभी 6 आरोपियों जिन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था, में से 5 बालिग एवं एक नाबालिग था. इस केस की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी, जिसमें निर्भया के पक्ष में 80 लोग गवाह बने. इस बीच इस केस में गिरफ्तार किये गए उन आरोपियों में से एक जिसका नाम राम सिंह था वह उस बस का ड्राईवर था. उसकी 11 मार्च 2013 को ही तिहाड़ जेल में पुलिस हिरासत के दौरान ही मृत्यु हो गई. बताया जा रहा हैं कि उसने आत्महत्या कर ली थी. जबकि उसके घर वालों का कहना है कि उसकी हत्या की गई थी.
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निर्भया केस पर कोर्ट का फैसला (Nirbhaya Case Result)
इस केस पर कोर्ट द्वारा 10 सितंबर सन 2013 को इस गिनौने अपराध को करने वाले सभी आरोपियों को अपराधी घोषित किया गया. और 13 सितंबर 2013 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई. इसके बाद आरोपियों ने दिल्ली के हाई कोर्ट से गुहार लगाई. लेकिन निचली अदालत द्वारा किये गये फैसले और आरोपी की दलीलें सुनते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने भी आरोपियों को मौत की सजा देने का ही फैसला सुनाया. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी. लेकिन इन आरोपियों की गुहार सुप्रीम कोर्ट ने भी नहीं सुनी और 5 मई, 2017 को उन्हें वहां से भी फांसी की सजा सुना दी गई. इस फैसले को सुनाने के बाद कोर्ट रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा था. सभी लोगों में ख़ुशी की लहर छा गई थी. क्योंकि इस दिन का लोग काफी समय से इन्तजार कर रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 20 मार्च 2020 को सुबह 5:30 चारों आरोपियों को फांसी की सजा दे दी गई. 7 साल की लम्बी लड़ाई के बाद आखिरकार देश की बेटी को न्याय मिला. 20 मार्च के ऐतिहासिक दिन को न्याय दिवस और निर्भया सवेरा कह कर लोग संभोधित कर रहे है.
निर्भया केस में नाबालिग आरोपी (Nirbhaya Case Minor Convict)
इन आरोपियों में से एक अपराधी नाबालिग था, इसलिए उसे 3 साल के लिए सुधार गृह में डाला गया. और 3 साल सुधार गृह में रहने के बाद 20 दिसंबर, 2015 को कोर्ट द्वारा उसे जमानत में रिहा कर दिया गया. और साथ ही उसे कड़ी सुरक्षा के बीच एक एनजीओ की देखरेख में रहने के निर्देश दिए गये हैं. अर्थात उसे कोई पहचान न सके इसलिए वह अपने नाम बदल – बदल कर अलग – अलग स्थानों में एनजीओ के तहत कार्य करता है. जैसा कि कहा जाता है कि जब इसे रिहा किया गया था तो उसमें काफी बदलाव आ चूके थे और उसे 10,000 रूपये के साथ ही एक सिलाई मशीन देकर एनजीओ के तहत कार्य करने के लिए रखा गया था, इसके बाद इसे कुक की नौकरी भी दी गई थी. अतः इस तरह से अब यह अलग – अलग नाम से देश के अलग – अलग क्षेत्र में रहते हुए कार्य कर रहा है.
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निर्भया केस पर आरोपी द्वारा पुनर्याचिका (Trial By Accused on Nirbhaya Case)
हालही में निर्भया केस को भले ही 7 साल हो गए हों, लेकिन अब तक इसके आरोपियों को सजा नहीं मिली है. इस केस के एक आरोपी जिसका नाम अक्षय हैं ने सुप्रीमकोर्ट में एक पुनःविचार याचिका दर्ज की है. जिस पर 2 सालों से सुनवाई की जा रही है. लेकिन अब इस पर अंतिम सुनवाई होने जा रही है.
निर्भया केस पर ताज़ा खबर 2020 (Nirbhaya Case Latest News)
आरोपी अक्षय द्वारा दी गई याचिका पर बुधवार यानि 18 दिसंबर 2019 को जस्टिस आर भानुमती की अध्यक्षता में जस्टिस ए एस बोपन्ना और अशोक भूषण की एक पैनल ने मिलकर सुनवाई की. इस याचिका में आरोपी के वकील ने कई सारी बेबुनियादी दलीलें पेश की है. उनका कहना है कि इस केस का फैसला राजनीती और मीडिया के दबाव में आकार लिया गया है, दोषी के साथ अन्याय किया जा रहा है. इसके साथ ही वे कहते है कि उन पर दया की जाये क्योकि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के चलते वैसे भी जीवन सीमा छोटी होती जा रही है. इसके अलावा उसका यह भी कहना है कि वह गरीब हैं इसलिए उसको यह सजा दी जा रही है.
इन सभी दलीलों को सुनने के बाद 3 जजों की पैनल ने कहा कि – “सन 2017 के फैसले पर विचार करने का कोई आधार नहीं है, और आरोपी अक्षय कुमार सिंह द्वारा उठाये गए पुनः विचार याचिका पर पहले से ही हाई कोर्ट और सुप्रीमकोर्ट द्वारा फैसला सुनाया जा चूका है”. इसके अलावा जजों की पैनल का यह भी कहना है कि ‘इस पुनःविचार याचिका पर बार – बार अपील पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए, क्योकि उनके द्वारा दिये गये सन 2017 के फैसले पर कोई भी त्रुटी नहीं हुई है’. और इसके साथ सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की पैनल ने मिलकर इस केस पर मुहर लगाते हुए आरोपियों की सभी पुनः विचार याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया. और अब उनके लिए एक डेथ वारंट जारी करने के निर्देश भी जल्द ही जारी किये जा सकते है.
जैसे ही जजों की पैनल द्वारा फैसला सुनाया गया तो आरोपी के वकील ए पी सिंह ने आरोपियों की पैरवी करते हुए राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर करने के लिए 3 सप्ताह का समय मांगा है. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहना था कि 1 सप्ताह का समय दिया जाता है. लेकिन ए पी सिंह का कहना है कि वे क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे और उसके बाद दया याचिका लगायेंगे. इस फैसले के आने के बाद निर्भया की माँ आशा देवी ने इसे अपनी बेटी के न्याय के करीब कदम कहा है.
निर्भया केस में चारों आरोपी को फांसी की सजा के लिए डेथ वारंट जारी (Death Warrant issued for Hanging all 4 Convicts in Nirbhaya Case)
निर्भया केस का अंतिम फैसला 18 दिसंबर 2019 को सुना दिया गया था और उन्हें फांसी देने के लिए डेथ वारंट आज यानि 7 जनवरी को जारी किया जाना था. और इसे आज दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने चारों आरोपियों के साथ वीडियो कांफ्फ्रेंसिंग के जरिये बात करते हुए जारी कर दिया है. जी हां अब निर्भया केस के चारों आरोपियों यानि मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता एवं अक्षय ठाकुर को 22 जनवरी, 2020 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में प्रातः 7 बजे फांसी दी जाएगी. हालांकि इस बीच आरोपियों के वकील ने क्यूरेटिव पिटीशन के लिए याचिका दायर करने के लिए कहा हैं. और साथ ही वे राष्ट्रपति से भी इसकी अपील कर सकते हैं.
राष्ट्रपति ने एक बार फिर निर्भया केस के आरोपी की दया याचिका खारिज कर दी है, जिसके तुरंत बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने आरोपियों के लिए डेथ वारंट जारी कर 1 फ़रवरी सुबह 6 बजे फांसी की सजा सुना दी है. जेल के नियम के अनुसार याचिका ख़ारिज होने के 14 बाद ही फांसी हो सकती है.
इस केस में चारों आरोपियों को फांसी देने के लिए यूपी के मेरठ शहर के पवन जल्लाद को बुलाया जायेगा, जिन्होंने फांसी देने के लिए अपनी तरफ से हामी भर दी हैं, उनका कहना है कि यह उनका खानदानी काम है. और इस तरह से जब 22 जनवरी को चारों आरोपियों को फांसी की सजा दे दी जाएगी, तो उसके बाद यह केस पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा.
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डेथ वारंट क्या होता है ? (What is Death Warrant ?)
डेथ वारंट एक तरह का अधिकारिक दस्तावेज होता है. आप इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि जब किसी आरोपी को मौत की सजा सुनाई जाती हैं तो उसके बाद उसे फांसी देने के लिए एक वारंट यानि आदेश जारी किया जाता है. यानि जिस दिन उसे फांसी दी जानी है, वह तारीख उसमें लिखी होती है. और उसी दिन आरोपी को फांसी दे दी जाती है. इसे ही डेथ वारंट कहा जाता है.
क्यूरेटिव पिटिशन क्या है ? (What is Curative Petition ?)
क्यूरेटिव पिटिशन एक आरोपी के लिए अंतिम मौका होता हैं जब वह अपने लिए मिली सजा में कुछ नरमी बरतने के लिए गुहार कर सकता हैं. और यह तब दायर की जाती है जब आरोपी द्वारा लगाई गई दया याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ही नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्वारा भी स्वीकार नहीं किया जाता है. इसमें राष्ट्रपति के द्वारा भी दया याचिका ख़ारिज कर देने के बाद सुप्रीमकोर्ट को इस पर अंतिम बार सुनवाई करनी होती है. और इस बार जो फैसला आता है वहीँ अंतिम फैसला होता है. इसके बाद आरोपी के बच के निकलने के सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं. इस केस में भी आरोपी के वकील ने क्यूरेटिव पिटिशन दायर करने की मांग की है.
तो इस तरह से निर्भया केस का अंजाम होने जा रहा है. और आरोपी को जल्द ही सजा मिलने के आसार नजर आ रहे हैं. अब देखना यह होगा कि आरोपियों को डेथ वारंट कब मिलता है और उन्हें फांसी कब दी जाती है.
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