आरसीईपी समझौता क्या है और आखिर क्यों भारत इससे अलग हुआ जानिए पूरी जानकारी विस्तार से

आरसीईपी RCEP क्या है, समझौता (What is RCEP in Hindi) (Full Form, Agreement, Deal, Countries, Rules of Origin)

दुनिया के कई देश अपने देश के विकास के लिए विभिन्न तरह के समझौते करते हैं और उसमें एक या एक से ज्यादा देश शामिल हो सकते हैं. ‌यहां बता दें कि जब कोई देश इन समझौतों में शामिल होता है तो उसका मुख्य उद्देश्य अपने देश के हित की ओर ज्यादा ध्यान होता है और प्रत्येक देश की यही कोशिश होती है कि उसे अधिक से अधिक लाभ समझौतों के माध्यम से हो सके. ऐसा ही एक समझौता आरसीईपी (RCEP) ट्रेड समझौता है जिसमें जितने भी देश सदस्य होते हैं वह सभी एक दूसरे को व्यापार में विभिन्न प्रकार की सहूलियत देते हैं. अगर आपको आरसीईपी (RCEP) के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं है तो आप हमारे इस पोस्ट को पूरा पढ़ें, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको आरसीईपीसे संबंधित सारी आवश्यक जानकारी देने वाले हैं.

rcep kya hai in hindi

जेनेवा समझौता क्या है जानिए इसके बारे में पूरी जानकरी.

आरसीईपी (RCEP) का क्या मतलब है

यहां जानकारी के लिए बता दें कि आरसीईपी (RCEP) एक मुक्त बिजनेस एग्रीमेंट है और इसमें लगभग 16 देश शामिल हैं. इसके अलावा बता दें कि इस व्यापारिक समझौते में हमारा देश भारत भी शामिल है. इस बिजनेस एग्रीमेंट में जितने भी देश शामिल होते हैं, वह सभी एक दूसरे को व्यापार में बहुत सारी सहूलियतें देते हैं जिससे कि व्यापार करने में आसानी हो सके और देश की उन्नति भी हो सके. ‌

आरसीईपी (RCEP) का फुल फॉर्म क्या है

आरसीईपी (RCEP) का फुल फॉर्म रीजनल कंप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप (regional comprehensive economic partnership) होता है, जिसका हिंदी में पूरा नाम क्षेत्रीय व्यापक भागीदारी है.

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आरसीईपी (RCEP) में शामिल सदस्य देश

जानकारी के लिए बता दें कि भारत के साथ-साथ दूसरे अन्य देश भी आरसीईपीमें शामिल है. यहां हम आपको आरसीईपी (RCEP) के सदस्य देशों के नाम बता रहे हैं जो कि इस प्रकार से हैं-

  • ब्रूनेई
  • कंबोडिया
  • इंडोनेशिया
  • लाओस
  • मलेशिया
  • म्यांमार
  • फिलीपींस
  • सिंगापुर
  • थाईलैंड
  • वियतनाम
  • भारत
  • चीन
  • जापान
  • दक्षिण कोरिया
  • ऑस्ट्रेलिया
  • न्यूजीलैंड

आरसीईपी (RCEP) का भारत देश पर असर

यहां बता दें कि इस व्यापारिक समझौते में 10 आसियान (ASEAN) देशों के साथ साथ भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल है. आरसीईपी (RCEP) व्यापारिक समझौते के तहत तकरीबन 3.4 अरब लोगों के बीच में समझौता किया जाएगा जो कि दुनिया का सबसे ज्यादा बड़ा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है. लेकिन इस समझौते से हमारे देश भारत पर कुछ अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह समझौता भारत पर बहुत ज्यादा बोझ बढ़ाने वाला है क्योंकि आरसीईपी (RCEP) समझौते के तहत अगर भारत टैरिफ समाप्त करता है तो उसे इससे भारत को फायदा नहीं पहुंचने वाला.

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आरसीईपी (RCEP) के तहत भारत के लिए प्रस्ताव क्या है

जानकारी के लिए बता दें कि इस समझौते के तहत भारत में जो चीन से सामान आता है उस पर शुल्क या तो हटा सकता है या फिर घटा सकता है. ‌यहां बता दें कि चीन से भारत में लगभग 80% उत्पाद आते हैं ऐसे में यदि शुल्क हटाया गया या फिर घटाया गया तो भारत को इससे काफी नुकसान होगा. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयात उत्पाद 86% है और दक्षिण कोरिया और जापान के उत्पाद 90% उत्पादों पर सीमा शुल्क में कटौती की जा सकती है. जानकारी दे दें कि यह सीमा शुल्क 5,10,15,20 और 25 वर्ष तक के लिए पूर्ण रूप से लागू कर दिए जाएंगे. ‌इस प्रकार यदि शुल्क में कटौती नहीं की जाएगी तो इससे विदेश की वस्तुएं भारत में बहुत ज्यादा मात्रा में आएंगी जिसके कारण भारत के स्थानीय व्यापार पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. ‌

भारतीय उद्योग पर इसका असर

आरसीईपी (RCEP) समझौते के अंतर्गत इंपोर्ट ड्यूटी कम होने की वजह से भारत में विदेशी सामान की बहुत ही ज्यादा भरमार हो जाती पर ऐसी सूरत में भारत के उद्योगों को बहुत ही अधिक हानि पहुंचती. इस प्रकार कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आरसीईपी(RCEP) समझौते से भारत के निवेश और सप्लाई चैन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता. वैसे ही हमारा देश पहले ही  कोविड-19 की वजह से काफी समस्या का सामना कर रहा है. ऐसे में अगर भारत आरसीईपी(RCEP) समझौते में शामिल रहता है तो भारत का फिर आत्मनिर्भर भारत अभियान कभी भी सफल नहीं हो सकता था. इसलिए भारत ने खुद को इस समझौते से अलग कर लिया है. इस समय पूरा विश्व ही परेशान है तो इस समस्या के समाधान के लिए आरसीईपी(RCEP) को कोई संरक्षणवादी कदम उठाना चाहिए था जो कि उसने नहीं उठाया.

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Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

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