सरस्वती नदी विलुप्त कैसे हो गई ?

Saraswati Nadi Vilupt kaise Ho Gai सरस्वती नदी विलुप्त कैसे हो गई ? सरस्वती नदी वास्तव के हैं या नहीं | यह एक बड़ा सवाल हैं जिस पर कई बाते कही एवम सुनी जाती हैं |

सरस्वती नदी का इतिहास आश्चर्य में डालने वाला हैं | हम सभी जानते हैं | प्रयाग को त्रिवेणी संगम कहा जाता हैं जिनमे तीन पवित्र नदियों का संगम हैं गंगा, यमुना एवम सरस्वती | गंगा एवम यमुना आज भी हैं | सभी उसमे स्नान करते हैं | लेकिन सरस्वती नदी नहीं हैं | वास्तव में यह त्रिवेणी संगम हैं भी या नहीं | लेकिन वैज्ञानिको ने पुष्टि की हैं कि यहाँ तीन तरह के पानी मिलते हैं | इस प्रकार त्रिवेणी संगम तो हैं लेकिन सरस्वती नदी क्या अस्तित्व का क्या इतिहास हैं ?

कहा जाता हैं सरस्वती नदी एक सुखी नदी हैं | पर यह पवित्र नदी कब थी और क्यूँ विलुप्त हो गई इस बारे में सभी अलग- अलग बाते करते हैं |

Saraswati Nadi Vilupt kaise Ho Gai

सरस्वती नदी विलुप्त कैसे हो गई ? 

हम सभी ने इतिहास की शुरुवात मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता से मानी हैं जिसके अवशेष को देखकर इन संस्कृतियों का पता किया गया | लेकिन जब से सरस्वती नदी का पता किया गया तो समझा गया कि यह उस सभ्यता से भी कई गुना पुरानी नदी हैं |

इसके पहले की संस्कृति का आधार धर्म ग्रंथो को माना गया हैं | इस प्रकार ऋग्वेद में सरस्वती नदी का विवरण दिया गया हैं | सरस्वती नदी को गंगा सिन्धु जैसी पवित्र नदी का स्थान प्राप्त हैं |

सरस्वती का नाम सरस्वती क्यूँ पड़ा ?

इसके पीछे ऋग वेद में यह कहा गया हैं कि कला,संस्कृति, भाषा, ज्ञान विज्ञान जन्म एवम वेदों की रचना इस नदी के तट पर ही की गई | सरस्वती की ज्ञान एवम कला की देवी हैं |  इसलिये इसे सरस्वती नदी कहा गया हैं |

कहाँ था सरस्वती नदी का अस्तित्व ?

ऋग्वेद के अनुसार सरस्वती का अन्नवती तथा उदकवती के रूप में वर्णन आया है। सरस्वती नदी को  यमुना नदी के पूर्व में बहता हुआ एवम सतलुज के पश्चिम बहता हुआ बताया गया हैं |

महाभारत काल में सरस्वती नदी से संबंधी तथ्य :

महाभारत काल में इसे प्लक्षवती, वेदस्मृति, वेदवती आदि नदियों के नाम से जाना जाता था |महाभारत काल में इस नदी को कुरुक्षेत्र के समीप होना बताया हैं जहाँ अब एक जलाशय हैं | इसी काल में यह कहा गया था कि सरस्वती नदी विलुप्त हो गई हैं एवम उस जगह का नाम विनाशक बताया गया | साथ ही इसके पीछे यह भी कथा हैं कि जब धरती पर अग्नि का वास हुआ तब सरस्वती धरती के भीतर पातळ में बहने लगी | यह कथा श्री कृष्ण ने अर्जुन को लाक्षया गृह के पहले सुनाई थी इसी कथा के स्मरण से अर्जुन को भान हुआ और उन्होंने भवन के जलने के बाद भूमि के नीचे सुरंग को तलाशा | यह भी कहा जाता हैं कि सरस्वती नदी में इतना पानी था कि इसमें यात्रायें संभव थी | यह नदी द्वारिका एवम मथुरा को जोड़ती थी |

वैज्ञानिक मान्यता :

फ्रेंच के माइकल डैनिनो के अनुसार सरस्वती एक बहुत बड़ी नदी थी जो कि संभवतः हड़प्पा संस्कृति के 4000 वर्ष पूर्व सुख गई अथवा गायब हो गई इसके पीछे भौगोलिक परिवर्तन होना कारण हो सकते हैं | पवित्र 5 में से के सरस्वती हैं | जिनमे सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, गंगा, यमुना एवम सरस्वती |

ग्रंथो के अनुसार सरस्वती का उद्गम :

पुराणों के अनुसार सरस्वती नदी आदिबद्री से उद्गमित हुई हैं | यह स्थान भारत के हरियाणा में आता हैं | यह स्थान पवित्र तीर्थ भी माना जाता हैं | यमुनानगर से उपर एवम शिवालिक पहाड़ियों के नीचे आता हैं यह स्थान | इस स्थान पर एक छोटी सी नदी की धारा हैं जिसे लोग सरस्वती कहते हैं लेकिन यह बहुत छोटी हैं | जबकि सरस्वती का प्रवाह  बहुत बड़ा माना गया हैं | ऐसी कल्पना की गई हैं कि इस नदी के आस पास बहुत उपजाऊ भूमि रही होंगी | इसके विशाल डेल्टा होंगे | महाभारत के ग्रन्थ में बहुत से अनुमानों की पुष्टि भी हुई हैं |

कहा जाता हैं पहला मनुष्य मनु भी सरस्वती नदी के तट पर ही निवास करता था |

सरस्वती नदी के तीर्थ :

ब्रह्म सरोवर, सुप्रभा तीर्थ ,मनोरमा तीर्थ, सुरेणु तीर्थ, ओधवती तीर्थ, विमलोदका तीर्थ, प्लक्षस्रवण, आदिबद्री आदि हैं ।

सरस्वती नदी के विलुप्त होने का एक और कारण :

उतथ्य मुनि के शाप के कारण सरस्वती भूमिगत होकर पाताल में चली गई |इसकी सात धारायें पर्वतों पर बहने लगी | यह पश्चिम से पूर्व की तरफ बहने लगी | नेमीषाराण्य के पास एक स्थान पर पहुंची जिसे सप्त सारस्वत कहते हैं यह भी एक तीर्थ हैं |

इस प्रकार सरस्वती नदी का इतिहास बहुत से सवालों में घिरा हुआ हैं जिसका जवाब ग्रंथो में मिलता हैं लेकिन उन सभी की पुष्टि अब तक जारी हैं |

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Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

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