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क्रिकेटर सौरव गांगुली का जीवन परिचय | Sourav Ganguly Biography in Hindi

क्रिकेटर सौरव गांगुली का जीवन परिचय, बेटी, क्रिकेट करियर, आयु, पत्नी, दिल्ली कैपिटल्स, वाइफ, रिकॉर्ड, मैच, सबसे लंबा छक्का (Sourav Ganguly Biography in Hindi) (Stats, Net Worth, Age, Wife, Daughter, Centuries, Career, News, Biopic, Jersey Number)

खेलों में क्रिकेट के लिए मशहूर भारत में कई ऐसे क्रिकेटर हुए हैं, जो अपनी विशिष्ट खेल प्रतिभा और कई उपलब्धियों के कारण आज भी याद किए जाते हैं. ऐसे ही खिलाड़ियों में से एक हैं सौरव गांगुली. क्रिकेट की दुनिया में दादा के नाम से मशहूर सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तानों में एक माना जाता है. वह बाएं हाथ के एक सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज रहे हैं. टेस्ट, वन डे और आईपीएल मैचों में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किए हैं और उन्होंने कई रिकॉर्ड भी बनाए हैं. दादा के अलावा उन्हें प्रिंस ऑफ़ कोलकाता, बंगाल टाइगर और महाराजा के नाम से भी उनके प्रशंसक और आलोचक संबोधित करते रहे हैं.

saurav ganguly

क्रिकेटर सौरव गांगुली का जीवन परिचय (Sourabh Ganguly Biography in Hindi)

तथ्यजानकारी
पूरा नामसौरव चंडीदास गांगुली
उपनामबंगाल टाइगर, दादा, प्रिंस ऑफ़ कोलकाता
क्रिकेट में मुख्य भूमिकाबल्लेबाजी
खेलने की शैलीबाएं हाथ के बल्लेबाज   दाएं हाथ के मीडियम गेंदबाज
टेस्ट मैच में पदार्पण20 जून 1996, लॉर्ड्स मैदान में इंग्लैंड के विरुद्ध
वन डे मैच में पदार्पण11 जनवरी 1992, गाबा में वेस्टइंडीज के विरुद्ध
आईपीएल में पदार्पण18 अप्रैल 2008, बंगलोर में रॉयल चैलेंजर्स के विरुद्ध (कोलकाता नाईट राइडर्स की ओर से खेलते हुए)
अंतिम टेस्ट मैच6 नवम्बर 2008, नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध
अंतिम वन डे मैच15 नवम्बर 2007, ग्वालियर में पाकिस्तान के विरुद्ध
अंतिम आईपीएल मैच19 मई 2012, पुणे में कोलकाता नाईट राइडर्स के विरुद्ध (पुणे वारियर्स की ओर से खेलते हुए)

क्रिकेटर सौरव गांगुली का जन्म, शुरुआती जीवन (Sourabh Ganguly Birth and Early Life)

सौरव गांगुली का पूरा नाम सौरव चंडीदास गांगुली है. इनका जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता के एक संभ्रांत बंगाली परिवार में हुआ था. सौरव के पिता चंडीदास गांगुली की गिनती कोलकाता के रईस लोगों में होती थी. ऐसे में स्वाभाविक है कि सौरव का बचपन ऐशो-आराम से भरपूर रहा था. फिर उनका रुतबा और जीवनशैली ऐसा थी कि लोग उन्हें ‘महाराजा’ के नाम से पुकारते थे.

सौरव गांगुली की शिक्षा एवं शुरूआती करियर (Sourabh Ganguly Education and Career Starting)

स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के लिए सौरव का कोलकाता के प्रसिद्ध सेंट जेवियर स्कूल में दाखिल कराया गया. इस दौरान उन्होंने फुटबॉल के खेल में रुचि लेना शुरू कर दिया था. यहां गौरतलब है कि बंगाल में फुटबॉल का खेल काफी लोकप्रिय है. संभवतः इसी का असर सौरव पर भी पड़ा और वह फुटबॉल खेलने के प्रति आकर्षित हुए, परन्तु बाद के दिनों में अपने बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली की सलाह पर सौरव ने क्रिकेट खेलना शुरू किया. फिर अपनी प्रतिभा और लगन का उन्होंने ऐसा तालमेल बैठाया कि भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारों की श्रेणी में शुमार हो गए.

सौरव गांगुली का क्रिकेट सफ़र (Sourav Ganguly Career)

सौरव ने स्कूल के दिनों से ही अपने बल्ले की धमक को दिखाना शुरू कर दिया था. इस दौरान उन्होंने बंगाल की अंडर 15 टीम की ओर से उड़ीसा के खिलाफ खेलते हुए शतक जमाया था. उनके शाही अंदाज के बारे में कहा जाता है कि एक बार जब उन्हें इसी टीम में 12वें खिलाड़ी के तौर पर रखा गया, और एक मैच के दौरान पिच पर खेल रहे खिलाड़ी को पानी पिलाने को कहा गया तो उन्होंने इस काम के लिए स्पष्ट मना कर दिया था. हालाँकि उस समय इस बर्ताव के लिए उनकी काफी आलोचना हुई थी, परन्तु इसके बावजूद उनके बर्ताव में उनके पूरे क्रिकेट जीवन के दौरान कोई बदलाव नहीं आया.

सौरव गांगुली का घरेलु क्रिकेट (Sourabh Ganguly Domestic Cricket)

बहरहाल, घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट जैसे, रणजी ट्राफी, दीलीप ट्राफी आदि में बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए सौरव गांगुली को वर्ष 1992 में वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल किया गया. इस दौरे में 11 जनवरी 1992 को उन्होंने गाबा में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला अन्तराष्ट्रीय एकदिवसीय मैच खेला. इस दौरे में उन्हें केवल एक ही मैच में खेलने का मौका मिला और उन्होंने केवल तीन रन बनाए. कैरियर के लिहाज से यह दौरा उनके लिए फ्लॉप साबित हुआ और दौरे के दौरान उनके ख़राब बर्ताव के लिए उनकी काफी आलोचना भी हुई थी. इस दौरे के बाद चार साल तक उन्हें राष्ट्रीय टीम में नहीं लिया गया.

फिर वर्ष 1996 में सौरव गांगुली का चयन इंग्लैंड दौरे के लिए किया गया. इस दौरे में टेस्ट और वन डे मैच दोनों खेले गए. तीन वन डे मैच में से सौरव को सिर्फ एक वन डे मैच में खेलने का मौका मिला और उन्होंने इस मैच में 46 रन बनाए. फिर इनके लिए असल चुनौती टेस्ट मैच में अपने आपको साबित करने की थी. 20 जून 1996 को सौरव गांगुली ने इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान पर अपने टेस्ट कैरियर का आगाज किया और वह भी ऐतिहासिक तौर पर. इस मैच में सौरव ने 131 रनों की शानदार पारी खेली. इतना ही नहीं, अगले मैच में भी शतकीय पारी खेलकर उन्होंने अपनी योग्यता को साबित किया और आलोचकों को करारा जबाव दे दिया. इस दौरे में उन्होंने एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया. अपने पहले दो टेस्ट मैचों में दो सेंचुरी बनाने वाले वह दुनिया के तीसरे बल्लेबाज बन गए. स्वाभाविक था, इस दौरे के बाद सौरव की भारतीय टीम में स्थान पक्की हो गई.

सौरव गांगुली के खेल में जोश और जूनून का अनोखा संगम था. ऑफ साइड में दमदार शॉट लगाना और काफी ऊँचाई से शॉट लगाकर बॉल को बाउंड्री लाइन से बाहर भेजना सौरव के खेल की विशेषता थी. हालाँकि ऑन साइड स्ट्रोक न खेल पाने के कारण सौरव को केवल टेस्ट मैचों के योग्य ही समझा जाने लगा था, परन्तु जल्दी ही उन्होंने इस मिथ्य को भी तोड़ डाला. वर्ष 1997 में कनाडा के टोरंटो में खेले गए सहारा कप में पाकिस्तान के विरुद्ध उन्होंने शानदार पारी खेली. इस मैच में सौरव ने 75 गेंदों में 75 रन तो बनाया ही और साथ ही मात्र 16 रन देकर उन्होंने 5 विकेट भी झटके थे. परिणामस्वरूप इस टूर्नामेंट में सौरव को चार बार ‘मैन ऑफ़ दी मैच’ से नवाज़ा गया और फिर वे ‘मैन ऑफ़ दी सीरीज’ भी चुने गए. इस वर्ष उन्हें वन डे मैचों में सर्वाधिक रन बनाने के कारण वर्ष का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज घोषित किया गया था.

सौरव गांगुली क्रिकेट वर्ड कप (Sourabh Ganguly Cricket World Cup)

वर्ष 1999 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में सौरव गांगुली को सचिन तेंदुलकर के साथ ओपनिंग खिलाड़ी के तौर पर उतारा गया. इस टूर्नामेंट में श्रीलंका के विरुद्ध खेलते हुए सौरव ने 183 रन की शानदार पारी खेली और पूर्व भारतीय कप्तान और ऑलराउंडर कपिलदेव का वन डे का 175 रन का रिकॉर्ड तोड़ दिया. उस समय यह किसी भी भारतीय खिलाड़ी द्वारा वन डे मैच में बनाया गया सर्वाधिक स्कोर था. वन डे मैच में सौरव गांगुली की सचिन तेंदुलकर के साथ खेली गई 252 रन की रिकॉर्ड साझेदारी थी, जिसे उन्होंने आगे जाकर राहुल द्रविड़ के साथ खेलते हुए 318 रन की साझेदारी करते हुए स्वयं तोड़ा था. राहुल द्रविड़ का जीवन परिचय यहाँ पढ़ें. यह साझेदारी अब तक की वन डे क्रिकेट की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी साझेदारी है.

वर्ष 1999 सौरव गांगुली के क्रिकेट कैरियर का सबसे शानदार वर्ष रहा. इस वर्ष उन्होंने न्यूजीलैंड के विरुद्ध खेले गए पांच वन डे मैचों की श्रृंखला और पेप्सी कप दोनों में ‘मैन ऑफ़ दी सीरीज’ का ख़िताब जीता था. फिर वर्ष 2000 का वह वक्त आया जब भारतीय टीम पर मैच फिक्सिंग का साया मंडराने लगा था. बदनामी के मुहाने पर खड़े भारतीय टीम का नेतृत्व करने से सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी भी पीछे हट गए थे. नेतृत्व संकट की इस घड़ी में सौरव गांगुली आगे आए, और उन्होंने टीम की कप्तानी का भार संभाला और लंबे समय तक भारतीय टीम का नेतृत्व करते रहे. सौरव के नेतृत्व में ही वर्ष 2004 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची थी.

सौरव गांगुली के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम के कई युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला था. उनकी टीम में जहीर खान, हरभजन सिंह, युवराज सिंह, राहुल द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे युवा खिलाड़ी तो थे ही, सचिन तेंदुलकर जैसे अनुभवी खिलाड़ियों का भी उन्हें लाभ मिलता रहा. उन्हें अपनी टीम में जोश और जीत के प्रति जज्बा भरने के लिए भी हमेशा याद किया जाता रहेगा. हालाँकि खेल के दौरान मैदान पर अपने साथी खिलाड़ियों पर गुस्सा दिखाने और विरोधी टीम के खिलाड़ियों के साथ झगड़ने की वजह से वे कई बार आलोचना के शिकार भी हुए परन्तु इन सबकी परवाह किए बगैर सौरव जीत हासिल करने के लिए कुछ भी करने को हमेशा तैयार रहते थे. युवराज सिंह का जीवन परिचय यहाँ पढ़ें

वर्ष 2007 के दौरान एक बेहतरीन खिलाड़ी से अलग सौरव गांगुली का घमंड और टीम में उनकी दादागिरी उनके कैरियर पर भारी पड़ने लगी. इस समय जहाँ उनका प्रदर्शन ख़राब होता गया वहीँ भारतीय टीम के कोच ग्रेग चैपल के साथ मनमुटाव के कारण उन्हें टीम से बार-बार बाहर होना पड़ा. परन्तु सौरव झुके नहीं और भारतीय टीम से बाहर होने के बाद वे आईपीएल टूर्नामेंट में कोलकाता की टीम केकेआर (Kolkata Knight Rider) से खेलने लगे. यहां भी उनकी बहुत समय तक नहीं बनी, तो उन्होंने पुणे वारियर की टीम को ज्वाइन कर लिया. समग्र तौर पर कहा जाए तो सौरव गांगुली का क्रिकेट कैरियर काफी शानदार रहा. उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाते हुए अपनी शान और बादशाहत को कायम रखा. भारतीय क्रिकेट में शानदार योगदान के लिए सौरव गांगुली को भारत सरकार ने वर्ष 2004 में पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया था.

आंकड़ों में सौरव गांगुली की बल्लेबाजी (Sourav Ganguly Batting Record)

फॉर्मेट मैच इनिंग्स नॉट  आउट रन उच्च स्कोर औसत स्ट्राइक रेट 100 200 50 चौके छक्के
टेस्ट11318817721223942.1851.261613590057
वन डे311300211136318340.7373.71220721122190
आईपीएल5956313499125.45106.8100713742

आंकड़ों में सौरव गांगुली की गेंदबाजी (Sourav Ganguly Bowling Record)

फॉर्मेट मैच इनिंग्स बॉल  रन विकेट  इनिंग में श्रेष्ठ  मैच में श्रेष्ठ  रन/ ओवर  औसत  स्ट्राइक रेट
टेस्ट11399 311716813228/337/33.24 52.5397.41
वन डे3111714561384910016/516/55.0638.4945.61
आईपीएल59202763631021/221/2 7.8936.327.6

सौरव गांगुली से संबंधित अन्य क्रिकेट आंकड़ें (Sourav Ganguly Career Record)

सौरव गांगुली भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के एक ऐसे सफल कप्तान रहे हैं जिन्होंने 49 टेस्ट मैच में भारत का नेतृत्व किया और उनमें से 21 मैच में टीम को विजयी मिली. वे दुनिया के तीसरे ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतकीय पारी खेली थी. सौरव 10,000 रन बनाने वाले भारत के दूसरे बल्लेबाज हैं. इसमें पहला स्थान सचिन तेंदुलकर के नाम है. वन डे मैच में पहले विकेट के लिए सचिन तेंदुलकर के साथ साझेदारी करते हुए सौरव गांगुली ने सर्वाधिक 26 शतकीय और 44 अर्धशतकीय पारी खेली है. वन डे क्रिकेट मैच के इतिहास में सौरव गांगुली ऐसे तीसरे खिलाड़ी हैं जिनके नाम 10,000 रन, 100 विकेट और 100 कैच हैं. सचिन तेंडुलकर जीवनी अचीवमेंट्स व् अनमोल वचन यहाँ पढ़ें.

सौरव गांगुली को मिले अवार्ड और सम्मान (Sourav Ganguly Awards)

क्रं. सं.अवार्ड और सम्मान वर्ष
1अर्जुन पुरस्कार1998
2स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ दी ईयर1998
3बंगा विभूषण पुरस्कार2013
4पद्म श्री पुरस्कार2004

सौरव गांगुली का निजी जीवन, पत्नी, बेटी (Sourav Ganguly Lifestyle, Wife, Daughter)

सौरव गांगुली के संबंध में जैसा कि जगजाहिर है, वह एक अमीर परिवार से संबंध रखते थे. इसी का असर था कि उनका जीवन हमेशा शानोशौकत से भरा रहा. परन्तु बहुत कम लोगों को पता होगा कि अपनी जीवन संगिनी के तौर पर उन्होंने जिसे चुना वह एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थीं. जी हाँ, हम उनकी पत्नी डोना की बात कर रहे हैं. डोना एक ओडिसी नृत्यांगना हैं. दोनों ने परिवार की आपत्ति के विरुद्ध प्रेम विवाह किया था. सौरव के परिवार को अपने रसूख के कारण यह रिश्ता मंजूर नहीं था. इसके वाबजूद सौरव ने अगस्त 1996 में डोना के साथ चोरी-छिपे कोर्ट मैरिज कर ली थी. गौरतलब है कि यह समय सौरव के लिए कैरियर के लिहाज से भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसी वर्ष उनका इंग्लैंड दौरे के साथ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण हुआ था. बहरहाल, दोनों मोर्चे पर सौरव सफल रहे. अंततः जब शादी का रहस्य खुला तब दोनों के परिवार वालों ने रिश्ते को स्वीकार कर लिया और एक बार फिर से फ़रवरी 1997 में दोनों की पारिवारिक रीति-रिवाज से शादी हुई. इसके बाद वर्ष 2001 में उनकी बेटी सना का जन्म हुआ.

भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम खिलाड़ियों में से एक रहे सौरव गांगुली आज भी क्रिकेट से जुड़े हुए हैं. जुलाई 2014 में बंगाल क्रिकेट संघ ने उन्हें खेल प्रशासक के रूप में नियुक्त किया था. इसके अलावा वे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में टीवी पर हिंदी में कमेंट्री भी करते हैं. उन्हें भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अपनी टीम में जीत के लिए जज्बा पैदा करने वाले कप्तान के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा.

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FAQ

Q : कौन है सौरव गांगूली?

Ans : भारतीय क्रिकेटर है सौरव गांगूली।

Q : सौरव गांगूली क्रिकेट में क्या भूमिका निभाते थे?

Ans : बल्लेबाजी की भूमिका निभाते हैं।

Q : कितने टेस्ट मैच खेल चुके हैं सौरव गांगूली?

Ans : अब तक 49 टेस्ट मैच खेल चुके हैं।

Q : सौरव गांगूली को कौन-कौन से पुरस्कार मिले हैं?

Ans : सौरव गांगूली को अर्जुन पुरस्कार, स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ दी ईयर, बंगा विभूषण और पद्म श्री पुरस्कार मिला है।

Q : सौरव गांगूली को किस नाम से पुकारा जाता है?

Ans : उन्हें सभी लोग दादा के नाम से पुकारते हैं।

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अंकिता दीपावली की डिजाईन, डेवलपमेंट और आर्टिकल के सर्च इंजन की विशेषग्य है| ये इस साईट की एडमिन है| इनको वेबसाइट ऑप्टिमाइज़ और कभी कभी आर्टिकल लिखना पसंद है|

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