अक्सर ही इन्सान खुद को नहीं जानता life बीत जाती हैं पर खुद को समझ पाना easy नहीं हैं | एक woman की life तो हमेशा ही अपनी family में ही खो जाती हैं और जब उसे यह अहसास होता हैं तब तक तो age के अलग ही दौर में वह खुद को पाती हैं |selfish बनना नहीं पर खुद को दो पल की ख़ुशी देना हमारी responsibility हैं |
नया पैमाना
आ गया दिल में बैठे-बैठे एक ख्याल
और पुछ लिया खुद से यूँही एक सवाल
क्या हूँ मै ? क्यु हूँ मै? कहाँ हूँ मै?
बीत गया दिन मिला न मुझको कोई जवाब
अगले दिन पूछा मैंने, दूसरो से यही एक सवाल
आखिर क्या हूँ मै? क्यु हूँ मै? कहाँ हूँ मै?
बीत गया दिन मैं बटोरती रही जवाब
इतना कह गए थे दुसरे इंसान
के अब न बचा था दिन, नाही कोई सवाल
अब हँस रही थी अकेले में, सोच कर उनके सारे जवाब
मुझसे ज्यादा मुझे दुनिया ने जाना
मैंने अपने आपको इतने सालों में भी ना पहचाना
लगता है बस यही थी कहानी
मेरी जिंदगी बीत गयी दूसरों के जुबानी
ढूंढती रही मै दूसरों में जिंदगानी
कैसे कर दी मैंने खुद से बैमानी
जीवन है मेरा अब उसे युहीं नही गंवाना
यही है मेरी जिंदगी का नया पैमाना
कर्णिका पाठक
Karnika
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