टिड्डी दल का आक्रमण हमला राजस्थान (नियंत्रण, बचाव, रोकथाम) (Tiddi Dal Attack Rajasthan, Punjab, Gujurat, Locust Attack in hindi, Types)
टिड्डी दल ने राजस्थान और गुजरात के किसानो की फसलों को बहुत नुकसान पहुचाया है। टिड्डी दल अचानक से किसानो की फसलों पर हमला करता है एक मिनट में ही लाखों करोड़ों का नुकसान कर देता है। एक रिपोर्ट के अनुसार टिड्डी दल का एक छोटा सा दल 25 ऊँटों यानि 2500 लोगों के बराबर खाना खा सकती है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की राजस्थान और गुजरात के किसानो की कितने करोड़ों की फसल बर्बाद हुई है। राजस्थान और गुजरात के किसानो ने हर वो कोशिश की जिससे उम्मीद थी की टिड्डी दल रुक जाएगा पर उनकी कोशिशें बेकार हो गई। क्योंकि इस बार टिड्डी दल रुका नहीं और लगातार नुकसान करता रहा।

1993 से भी ज्यादा नुकसान किया है इस बार टिड्डी दल ने
कृषि विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 1993 में सबसे ज्यादा टिड्डी हमले, में नुकसान हुआ था, उस वक्त सर्दी के कारण टिड्डियों से किसानो की फसल बच गई थी। क्योंकि माना जाता है कि सर्दी के कारण टिड्डी दल खत्म हो जाता है यानि वह मर जाता है। पर इस बार राजस्थान में 2019-20 का यह सबसे बड़ा टिड्डी हमला माना जा रहा है। राजस्थान और गुजरात जैसे राज्य में इस बार टिड्डी दल ने लाखों करोड़ों की फसल को चौपट किया है।
रेगिस्तानी टिड्डी है सबसे खतरनाक
LWO द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है की दुनिया में टिड्डियों की 10 प्रजाति मौजूद है उनमे से चार प्रजाति भारत में अक्सर दिखाई देती है। इनमे से सबसे ज्यादा खतरनाक टिड्डियों रेगिस्तानी टिड्डी है। यह अगर हमला करती है तो एक साथ करोड़ों की फसल को चट कर जाती है। अक्सर राजस्थान और गुजरात में इन्ही टिड्डियों का हमला होता है। इस बार भी इन्ही टिड्डियों ने हमला किया है। हालाँकि राजस्थान और गुजरात में इन्हें ‘पाकिस्तानी टिड्डियों’ के नाम से भी जाना जाता है।
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राजस्थान में करोड़ों की फसल को किया बर्बाद
राजस्थान में सबसे ज्यादा बाड़मेर, श्रीगंगानगर , जैसलमेर और सांचोर जिलों में टिड्डी दल से किसानो की करोड़ों की फसल बर्बाद हुई है। यहाँ से जारी एक रिपोर्ट में सांचोर अकेले क्षेत्र में डेढ़ सौ करोड़ रूपए की फसल बर्बाद हो गई है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं की देश के अलग-अलग राज्यों में एंव जिलो में टिड्डी दल ने कितना नुकसान किया है। राजस्थान में जीरा, गेहूं, चने एंव रायड़ा इत्यादि की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। यहाँ के किसानो के अनुसार इस वर्ष सबसे ज्यादा नुकसान टिड्डियों की वजह से हुआ है और यह अगर एक खेत में बैठती है तो लाखों का नुकसान कर जाती है।
ठंड की वजह से खत्म क्यों नहीं हुई टिड्डियाँ
शोधकर्ताओं का कहना है कि टिड्डी दल ठंड में खत्म हो जाता है पर इस बार ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में उनके द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया की राजस्थान में सबसे ज्यादा टिड्डियों द्वारा नुकसान हुआ है। यहाँ समय के अनुसार बहुत ठंड भी पड़ी और बारिश भी हुई पर टिड्डियों का हमला जारी रहा। ऐसे में माना जा रहा है की अन्य देश पाकिस्तान इत्यादि में इस बार बारिश और ठण्ड का मौसम कम रहा। इस वजह से टिड्डियाँ खत्म नही हुई। वैसे इस बार गुजरात में भी बारिश बहुत लेट हुई यही वजह है की गुजरात में टिड्डियों को रहने के लिए जगह मिल गई।
किसानो ने लाख कोशिश की पर नहीं बचा पाए अपनी फसल
कहते है की किसान फसल को अपने बच्चों की तरह पालते है, अगर ऐसे में कोई उनकी फसल को नुकसान पहुंचाए तो उन्हें बर्दास्त नहीं होता है। राजस्थान सरकार ने टिड्डी दल के हमले की पुष्टि करते हुए चेतावनी दी उसके बाद पुरे राज्य के लोग टिड्डी दल को भगाने के लिए अनेक तरह के प्रयास करने लगे। सरकार द्वारा स्प्रे उपलब्ध करवाया गया पर टिड्डी दल पर किसी भी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने किसानो की पूरी फसल को चौपट कर दिया।
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केंद्र सरकार एंव राज्य सरकार ने हवाई स्प्रे के लिए किया मना
राजस्थान एंव गुजरात के किसानो ने सरकार से स्प्रे के छिड़काव के लिए साधन मांगे थे। वही जब हवाई स्प्रे करने की बात आई तो राज्य एंव केंद्र सरकार दोनों ने हवाई स्प्रे के लिए अनुमति नहीं दी। सरकार के अनुसार हवाई स्प्रे में राज्य में मौजूद अनेक जानवरों एंव जीवों पर गहरा असर पड़ता और उन्हें नुकसान होता। इसलिए हवाई स्प्रे के लिए हेलीकॉप्टर का प्रबंध नहीं किया गया।
राजस्थान एंव गुजरात में इन फसलों को हुआ नुकसान
गुजरात सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार एंव किसानो द्वारा दी गई जानकारी से पता चला है की वहां पर इन फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान टिड्डी दल ने पहुंचाया है। यह फसल – सरसों, अरंडी, सौंफ, जीरा, कपास, आलू, गेहूं और रतनजोत जैसी फसल है। रिपोर्ट के अनुसार ज्यादा पानी वाले क्षेत्र में भी इन टिड्डियों ने इस बार खूब नुकसान किया है। नहरी इलाकों में भी करोड़ों की संख्या में टिड्डी दलों ने नुकसान किया है।
टिड्डी और पाकिस्तान का क्या कनेक्शन है ?
राजस्थान और गुजरात के किसानो के अनुसार यह ‘टिड्डी हमला’ पाकिस्तान की तरफ से होता है। उन्हें इन बातों की कम जानकारी होती है की यह पाकिस्तानी टिड्डी नहीं रेगिस्तानी टिड्डी है और इनका प्रजनन इरान जैसे देश में होता है। जब इनका प्रजनन बढ़ जाता है तब यह इरान से पाकिस्तान एंव अनेक देशो से होकर भारत में आती है। किसानो को पता होना चाहिए कि 1978 में जो टिड्डी देश में आई थी वह अफ्रीका से आई थी। ऐसे में इन टिड्डी दल में पाकिस्तान का किसी भी तरह का कोई हाथ नहीं है। हाँ 1993 में राजस्थान राज्य में टिड्डी पाकिस्तान की तरफ से आई थी, एंव वहां से किसी भी विभाग ने पूर्व जानकारी नहीं दी थी इन टिड्डियों के बारें में, ऐसे में राज्य सरकार एंव पाकिस्तान के साथ बहस भी हुई थी।
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टिड्डी दल की रोकथाम कैसे की जाए
वैसे तो टिड्डी दल को किसी भी तरह से रोकना मुश्किल है। क्योंकि इनका प्रजनन बहुत ज्यादा होता है। यह एक बारी में 100 से ज्यादा अंडे देती है और यह अंडे बहुत ही कम समय में विकशित हो जाते हैं। बताया जाता है की टिड्डी दल का ग्रुप एक किलोमीटर तक की लाइन बना सकता है। एंव इनके उड़ने की स्पीड करीब 16 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इसी बिच वह जहाँ भी बैठती है वहां के खेत पूरी तरह से सुनसान कर जाती है। टिड्डी दल को रोकने के लिए जहां टिड्डी दल बैठता है वहां ‘मालाश्योन 96’ दवा का छिड़काव किया जाना चाहिए। इससे टिड्डी दल खत्म हो सकता है।
राजस्थान सरकार एंव गुजरात सरकार किसानो को देंगी मुआवजा
टिड्डी हमलों के शिकार हुए किसानो ने सरकार से आग्रह किया, ऐसे में राजस्थान और गुजरात सरकार ने किसानो को मुआवजा देने की ठानी है। उन्होंने मुआवजा देने की घोषणा कर दी है। इसके बाद किसानो को सरकार की तरफ से राहत मिलती नजर आ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार 1993 के बाद यह सबसे बड़ा टिड्डी हमला माना जा रहा है। उस वक्त की सरकार ने भी टिड्डी हमले से पीड़ित किसानो को मुआवजा दिया था।
भारत में कब-कब हुआ है टिड्डी दल का हमला
देश में सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाने वाला टिड्डी हमला 2019-20 का है, इससे पहले भारत में इन वर्षों में टिड्डी हमला हुआ है।
इससे पहले भी टिड्डी दल ने देश में 1926,1931, 1940, 1946, 1949, 1955, 1959, 1962, 1978, 1993 और 2019-20 में टिड्डी हमला भारत में हुआ है। इनमे सबसे ज्यादा नुकसान 1993 एंव 2019-20 के टिड्डी हमले में हुआ है।
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