Ujjain kumbh mela shahi snan date in hindi मध्यप्रदेश की उज्जैन नगरी जो कि पावन नदी शिप्रा के तट पर बसी हुई हैं यह चार प्रसिद्ध कुम्भ स्थानों में से एक हैं, इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता हैं . उज्जैन महाकाल की नगरी कहलाता हैं इस नगरी को पुराणों और वेदों में कई भिन्न- भिन्न नामों से जाना जाता हैं . पुराणों के अनुसार उज्जैन के राजा अवन्ती के नाम पर इसे अवंतिका, अवन्तिपुरी, अवन्ती नगरी एवम अवंतिकापुरी के नाम से जाना जाता हैं . बहुत बड़े भूभाग के कारण इसे विशाला और समृद्ध होने के कारण पद्मावती के नाम से भी पुकारा जाता था .वर्ष 2016 में कुम्भ इसी उज्जैन नगरी में लगने वाला लगा था . कुम्भ मेला भारत देश का एक बहुत बड़ा उत्सव हैं, जो भारत के प्रसिद्द और पवित्र चार स्थानों पर लगता हैं.
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उज्जैन कुम्भ मेला 2016 शाही स्नान तिथी Ujjain kumbh mela shahi snan date in hindi

- कुम्भ मेला उज्जैन
कुंभ मेला पवित्र त्यौहारों में से एक हैं जो भारत के चार स्थानों नासिक , उज्जैन, हरिद्वार और ईलाहाबाद में मनाया जाता हैं . इस भव्य मेले के पीछे जो पौराणिक कथा हैं उसमे समुद्र मंथन की कथा हैं| जिसमे राक्षस और देवता अमृत के लिए एक दुसरे से लड़ते हैं और अमृत का घड़ा भगवान विष्णु लेकर भाग जाते हैं, जिसकी चार बुँदे धरती पर पड़ती हैं ये वही चार पवित्र स्थान हैं, जहाँ कुम्भ मेला लगता हैं . कहते हैं कुम्भ मेले के दौरान अमृत वर्षा होती हैं और इसी अमृत पान के लिए जन सैलाब कुम्भ के दिनों में उन स्थानों पर जाते हैं और पवित्र नदियो के स्नान का महत्व होता हैं . उज्जैन नगरी भी उन्ही में से एक हैं जो शिप्रा नदी पर स्थित हैं कुभ्म में शिप्रा नदी में शाही स्नान किया जाता हैं और अब शिप्रा नदी के साथ पवित्र नर्मदा नदी का भी संगम किया गया हैं| इस तरह इस वर्ष 2016 में नर्मदा एवम शिप्रा संगम के स्नान का महत्व और अधिक होगा |
कुम्भ के पीछे की पौराणिक कथा :
एक बार देवता खुद को राक्षसों के आतंक से बहुत कमजोर महसूस करते हैं और अपनी दुविधा लेकर ब्रह्मा जी के पास जाते हैं और उनसे उचित दिशा देने का आग्रह करते हैं . तब ब्रह्मा जी उन्हें रास्ता दिखाते हैं कि अगर क्षीर सागर का मंथन करे, तो उससे अमृत प्राप्त होगा और उससे देवताओं को अमरता मिल सकती हैं . लेकिन ब्रह्मा जी ने उन्हें बोला कि यह मंथन इतना आसान नहीं| इसके लिए उन्हें दानवो की सहायता लेनी होगी और यह शर्त रखनी होगी कि जो भी धन मंथन में प्राप्त होगा, उसे आपस में बाँटा जायेगा, जिससे वे इस कार्य के लिए राजी हो जायेंगे . मंथन के लिए मेरु पर्वत को रई के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं जिसे क्षीर सागर के मध्य में गाड़ा जाता हैं और एक तरफ से देवता और दुसरे तरफ से दानव रस्सा पकड़ते हैं और मंथन शुरू किया जाता हैं, जो कई हजार वर्षों तक चलता हैं जिसमे कई तरह की चीजे निकलती हैं इसमें हलाहल विष भी निकलता हैं जिसे स्वयं भगवान शिव धारण करते हैं और नील कंठेश्वर कहलाते हैं . कई वर्षों के बाद धन्वन्तरी देवता भी प्रकट होते हैं जो अपने हाथ में अमृत का पात्र लेकर आते हैं . अमृत को देख सभी देवता और राक्षस धनवंतरी के पीछे पड़ जाते हैं तब धन्वंतरी इसे लेकर भाग जाते हैं उसी दौरान इसकी कुछ बुँदे पृथ्वी पर गिरती हैं और वही स्थान पवित्र कुंभ के लिये जाने जाते हैं .
उज्जैन कुम्भ मेंला आयोजन
कुम्भ मेले का आयोजन विभिन्न राशियों पर सूर्य और वृहस्पति की स्थिती के अनुसार तय किया जाता हैं . कुम्भ महायोग प्रत्येक स्थान पर प्रति बारह वर्ष में आता हैं . जब गुरु एवम सूर्य, वृश्चिक राशि में आते हैं, तब उज्जैन महाकाल की नगरी में महाकुम्भ का आयोजन होता हैं . उज्जैन जो कि पवित्र शिप्रा नदी पर एवम मध्यप्रदेश के दक्षिण दिशा में बसा हैं . यह देश के पवित्र स्थानों एवम ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं . उज्जैन नगरी बड़े गणेशजी का मंदिर , महाकालेश्वर , विक्रम कीर्ति मंदिर और कई धार्मिक स्थलों से सजा हुई हैं .कुम्भ महायोजन में कई श्रद्धालु एवम नागा साधू उज्जैन में आते हैं और शाही स्नान का हिस्सा बनते हैं . यह सभी पापो की मुक्ति एवं मोक्ष प्राप्ति की इच्छा से यहाँ आते हैं . इस भव्य दृश्य उज्जैन सिंहस्थमहा कुम्भ कहा जाता हैं जहाँ भभूतधारी असंख्य साधू, महात्मा एवम कई श्रद्धालु एक साथ आते हैं और इस आयोजन को और अधिक पवित्र करते हैं .
उज्जैन महाकुम्भ शाही स्नान तिथी ;
सभी कुम्भ में सबसे विशेष आकर्षण स्नान का होता हैं, जिसके लिये श्रद्धालु दूर- दूर से यहाँ आते हैं और शिप्रा नदी में शाही स्नान करते हैं| मान्यता यह होती हैं कि इस स्नान से मनुष्य के सभी जन्मों के पापो का नाश होता हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं .
पिछली बार यह उज्जैन कुम्भ 2004 में आयोजित हुआ था, जो कि 5 अप्रैल से 4 मई तक चला था . और अब बारह वर्षों बाद 2016 में यह कुम्भ का आयोजन फिर से उज्जैन नगरी में किया जा रहा हैं .
Simhasth Kumbh mela Ujjain 2016 Holy Dip Shahi Snan Dates tithi
पवित्र स्नान | तिथी | दिनांक |
शाही स्नान | चैत्र शुक्ल 15 | 22 अप्रैल |
पंचेशानी यात्रा | वैशाख कृष्ण 09- वैशाख कृष्ण 30 | 1 मई – 6 मई |
व्रत पर्व वरुठिनी एकादशी | वैशाख कृष्ण 11 | 3 मई |
वैशाख कृष्ण अमावस्या | वैशाख कृष्ण 30 | 6 मई |
अक्षय तृतीया | वैशाख शुक्ल 03 | 9 मई |
शंकराचार्य जयंती | वैशाख शुक्ल 05 | 11 मई |
वृषभ संक्रांति | वैशाख शुक्ल 09 | 15 मई |
मोहिनी एकादशी | वैशाख शुक्ल 11 | 17 मई |
प्रदोष | वैशाख शुक्ल 13 | 19 मई |
नृसिंह जयंती | वैशाख शुक्ल 14 | 20 मई |
न्रमुख शाही स्नान | वैशाख शुक्ल 15 | 21 मई |
उज्जैन नगरी की मान्यता :
महाकाल को उज्जैन नगरी का राजा कहा जाता हैं और युगों की मान्यता हैं कि, किसी एक स्थान पर दो राजा एक साथ नहीं रह सकते| इसलिए आज भी उज्जैन में रियासती राजा उज्जैन में रात्रि व्यतीत नहीं कर सकते . उन्हें महाकाल के दर्शन करके उसी दिन शहर से दूर जाना होता हैं क्यूंकि उज्जैन का केवल एक ही राजा हैं वो हैं महाकाल .
इस वर्ष 2016 में उज्जैन में कुम्भ आयोजन किया जा रहा हैं, जिसकी तैयारी बहुत दिनों पहले से शुरू कर दी गई थी . राज्य के मुख्यमंत्री ने खुद व्यवस्था का जायजा लिया हैं . मंदिरों का शहर कहलाने वाला उज्जैन नगर कई भक्त जनों से भरा पूरा हैं जहाँ अतिथियों का स्वागत बहुत अच्छे और सुंदर अंदाज में किया जाता हैं .
शाही स्नान की विशेष तिथियों को याद रखे एवम उज्जैन महाकुम्भ का हिस्सा बने . ऐसे खास अवसर को ना खोये और समय रहते जाने और पवित्र स्नान करने की व्यवस्था कर ले और पुण्य का हिस्सा बने .