भारत में संपत्ति कर क्या था और इसको हटाने का कारण Wealth Tax Meaning and Why abolished it in India in hindi
भारत की कर प्रणाली में कई अलग अलग प्रकार के कर शामिल है, जिनमे से एक संपत्ति कर भी था. संपत्ति कर एक तरह का एक प्रत्यक्ष कर ही था. सम्पत्ति कर वह कर था जो एक व्यक्ति की निजी सम्पत्ति या पूंजी, एचयूएफ और कंपनियों पर सरकार के द्वारा लगाया जाता था, सम्पत्ति कर आयकर का भुगतान करने के बाद आय के साथ ख़रीदे गए सम्पत्ति पर देना होता था. भारत में बेनामी संपत्ति अधिनियम यहाँ पढ़ें.
संपत्ति कर के दायरे में आने वाली सम्पत्ति (taxable assets under wealth tax act)
आवासीय घर, गेस्ट हाउस या व्यावसायिक घर, मोटर कार, विमान, नौकाएं, नगदी, आभूषण, सोने के वर्तन, चांदी इत्यादि है, इन संपत्तियों के बाजार मूल्य पर वार्षिक आधार पर संपत्ति कर का चुकाना पड़ता है.
सम्पत्ति कर के दायरे में नहीं आने वाली सम्पत्ति (exempt assets under wealth tax act)
कोई भी सामाजिक क्लब, ट्रस्ट द्वारा आयोजित सम्पत्ति, भारतीय प्रत्यावर्तन से सम्बंधित संपत्तियां यूटीआई, म्यूचुअल फण्ड, शेयर में निवेश, कोई भी ऐसा व्यक्तिगत या एचयूएफ़ का कोई भी घर का हिस्सा जो की 500 वर्ग मीटर से अधिक का नहीं है. किसी भी आवासीय संपत्ति के पूर्व मालिक या शासक पर, किसी भी हिन्दू संयुक्त परिवार की संपत्ति के ब्याज इत्यादि को संपत्ति कर के दायरे से छूट प्रदान की गयी है
भारत में निवास करने वाले भारतीय के द्वारा जो भी देश में या विदेश में सम्पत्ति अर्जित की गयी है वो सभी शुद्ध आय के अंतर्गत ही आते है. उन्हें सम्पत्ति कर देना पड़ता है. लेकिन भारत में नहीं रहने वाले भारतीय इसके लिए प्रतिबंधित नहीं है. अनिवासी भारतीयों की सिर्फ वही सम्पत्ति शुद्ध कर के दायरे में आती है. जो उनके स्वामित्व में भारत में अर्जित की गई है भारत से बाहर की सम्पत्ति की गणना नहीं की जाती है.
संपत्ति कर का भुगतान देर से करने पर जुर्माना (wealth tax penalty)
सम्पत्ति कर का रिटर्न्स भरने से पहले चालान आईटीएनएस 282 का उपयोग किया जाता है. अगर सम्पत्ति कर का भुगतान देरी से किया जाये तो हर महीने 1% ब्याज दंड के रूप में देना होगा. और अगर आप संपत्ति कर को जमा नहीं करेंगे तो आप का सम्पत्ति कर का 5 गुना तक कर लगाकर जुर्माने के रूप में वसूला जायेगा. साथ ही डिफॉल्टर करार देकर कैद भी किया जा सकता है. यह कर तीन प्रकार के करदाताओं के लिए होता है – हिन्दू अविभाजित परिवार, व्यक्तिगत, कंपनी. 30 लाख रुपये से अधिक की शुद्ध सम्पत्ति पर संपत्ति कर 1% तक का है..
मूल्यांकन की तारीख (wealth tax evolution date)
सम्पत्ति कर की गणना में मूल्यांकन की तारीख एक महत्वपूर्ण इकाई है. कुल संपत्ति का निर्धारण , आवासीय स्थिति, संपत्ति का मूल्य और धन की सटीक राशि के आधार पर संपत्ति कर का निर्धारण होता है. मूल्यांकन की तारीख 31 मार्च की होती है जो कि आकलन वर्ष के ठीक पहले होता है अर्थात अगर आकलन की तारीख 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2013 तक की है तो मूल्यांकन की तारीख 31 मार्च 2012 होगी.
भारत में सम्पत्ति कर के मामले में सुझाये गए परिवर्तन (changes in wealth tax in hindi) :
- भारत में सम्पत्ति कर के बारे में कुछ परिवर्तन है जो की प्रत्यक्ष कर कोड में सुझाये गए है, ये परिवर्तन सम्पत्ति कर के दरों और गणना में नए सुधार लेन में सहायता कर सकते है.
- सम्पत्ति कर की सीमा 30 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रूपये की होने की सम्भावना है. फिक्स्ड जमा, शेयर, म्यूच्यूअल फण्ड ,कॉर्पोरेट बॉन्ड इत्यादि सम्पत्ति कर के दायरे में आ सकते है. सम्पत्ति कर की दर 1% से25% की दर में बदली जा सकती है.
- सम्पत्ति कर का भुगतान करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी होती है. हमारे कमाई गयी सम्पत्ति और उसके ऊपर लगाये गए कर से हमें अनजान नहीं रहना चाहिए. बल्कि समय पर सम्पत्ति का रिटर्न दाखिल कर सम्पत्ति कर का भुगतान करना चाहिए.
संपत्ति या धन कर अधिनियम और उसका उन्मूलन या बदलाव (abolition of wealth tax act) :
धन कर अधिनियम 1957 में भारत में सम्पत्ति कर को नियंत्रित करने वाले नियमों को शामिल किया गया था. यह अधिनियम भारत में 1 अप्रैल 1957 को भारतीय आयकर विभाग द्वारा लागू किया गया था, उसके बाद इस अधिनियम को 1993 में चेलिया समिति की सिफ़ारिश पर इस कर को अच्छी तरह से संशोधित किया गया था. भारतीय रिज़र्व बैंक को धन कर का भुगतान करने से छुट दी गयी है. यह अधिनियम जम्मू कश्मीर, और संघ शासित प्रदेशों के साथ पूरे भारत पर लागू था. लेकिन इस कर के अधिनियम को अप्रैल 1 वर्ष 2017 को समाप्त किया गया.
वित्त मंत्री द्वारा 28 फ़रवरी 2015 को प्रस्तुत केन्द्रीय बजट 2016-2017 में धन कर समाप्त कर इस कर को सुपर अमीर अर्थात जिन नागरिकों की संपत्ति 1 करोड़ रुपये के साथ आया भी होनी जरुरी है उन पर 2% अतिरिक्त कर का भार बड़ा दिया गया. नए नियम के अनुसार अब 2015-16 के लिए अपनी सम्पत्ति रिटर्न्स दाखिल करने के आवश्यकता नहीं है.
संपत्ति कर को समाप्त करने का कारण (wealth tax removed Reason)
- वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान सम्पत्ति कर का वास्तविक संग्रह 67 करोड़ रूपए था और वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान 844.12 करोड़ रुपये था, इस तरह संपत्ति कर से मामूली राजस्व ही एकत्र हो पाता था साथ ही इस कर से करदाताओं पर पर्याप्त जीवन यापन का बोझ और विभाग पर प्रशासनिक बोझ बढ़ जाता था.
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सम्पत्ति कर समाप्त करने के कारण को स्पष्ट करते हुए संबोधित किया कि भारत में कर प्रक्रिया कानून बड़े ही जटिल है. इसलिए कर की पारदर्शिता को बनाये रखने और इसे आसान बनाने के लिए इस तरह के कदम उठाना आवश्यक था.
- सम्पत्ति कर के बदले इसकी जगह अतिरिक्त अधिभार कर के माध्यम से एक वित्तीय वर्ष में 9000 करोड़ रूपये तक की राजस्व वसूली का अनुमान अरुण जेटली ने लगाया . जिसकी वसूली में भी खर्च कम आयेगा.
नए नियम का सुपर अमीर करदाताओं पर प्रभाव (wealth tax act new rules effect on super rich people) :
- वित्त मंत्री द्वारा दिए गए नए प्रस्ताव के मुताबिक यदि आप शहरी क्षेत्र में एक से अधिक भूखंड रखते है, तो आपको सम्पत्ति कर को चुकाना नहीं पड़ेगा और साथ ही आपको उसकी बिक्री पर केवल लगाई गयी राशि पर ही कर देना पड़ेगा. करदाता को अब सोने की मुद्रीकरण योजना के जरिए सोने में भी निवेश करने की छूट है.
- सम्पत्ति कर का अतिरिक्त बोझ उन व्यक्तियों, सहकारी समितियों या अविभाजित परिवारों पर पड़ेगा. केंद्र सरकार ने वैसे सुपर अमीरों या कंपनियों पर 2% से 12% तक का अधिभार बढाया है जिन नागरिको की वार्षिक आय 1 करोड़ से 10 करोड़ तक के बीच आती है. सुपर अमीर शब्द का उपयोग उन व्यक्तियों के लिए किया गया है जो सरकार द्वारा निर्दिष्ट सीमा से अधिक कमाते है और कर का भुगतान भी बिना किसी कठिनाई के करते रहते है.
संपत्ति कर का प्रभाव (wealth tax effects): भारत में करीबन 800 मिलियन नागरिक गरीब है, संपत्ति कर एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषय रहा है. कई राजनीतिक दलों ने अतीत में सम्पत्ति कर की दरों में बढ़ोतरी की मांग की है ताकि शहरी और ग्रामीण करोड़पति संपत्ति कर का ज्यादा से ज्यादा भुगतान कर सकें. विशेषज्ञों के मुताबिक आज के भारत में संपत्ति कर का ज्यादा महत्व है क्योकिं देश में तेजी से उधोग बढ़ रहे है. और इसके साथ अरबपतियों की जनसंख्या भी अधिक हो रही है. इस कर की वसूली के कारण देश के राजस्व की बढ़ोतरी होने के आसार है.
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