बच्चों को संस्कारी कैसे बनाए bacchon ko sanskari aagyakari kaise banaye

बच्चों को अच्छा संस्कार कैसे प्रदान करें? उन्हें कैसे संस्कारी बनाए, 10 अच्छे संस्कार. (How to Explain Culture to a Child in hindi)

आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम बहुत से जरूरी कामों को करने के लिए पीछे छोड़ देते हैं. उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है, जी अपने बच्चों को सही संस्कार कैसे दें ? यदि बच्चे के अंदर शुरुआत से ही अच्छे संस्कार होंगे तो, उसके आने वाले भविष्य में वह अपनी पहचान एवं अपनी कामयाबी अपने अच्छे संस्कार के दम पर ही हासिल कर सकता है. जितने की शिक्षा आज के जमाने में जरूरी है , उतना ही बच्चों के अंदर अच्छे संस्कार का होना भी महत्वपूर्ण है. अच्छे संस्कारों से ही लोगों का व्यक्तित्व निखरता है. आज हम इस लेख के माध्यम से आपको अपने बच्चों के अंदर कैसे अच्छे संस्कार प्रदान करें ? इसके बारे में बताने वाले हैं. हो सकता है, कि आज के इस डिजिटल जमाने में यह लेख आपके बहुत काम आ जाए.

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माता पिता को ध्यान रखने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें ?


यदि आप अपने बच्चों की परवरिश और उनके अंदर अच्छे संस्कार के लिए चिंतित है, तो आपको सर्वप्रथम बच्चों के बचपन से लेकर बच्चों की जवानी तक कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. जो इस प्रकार निम्नलिखित हैं.

नवजात से लेकर 5 वर्ष तक की आयु होने तक इन बातों का रखें ध्यान ?

  • अच्छे संस्कार देने से पहले बच्चों को नवजात उम्र में अच्छे आहार और पौष्टिक खानपान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए.
  • इस उम्र में बच्चे के अंदर जिस प्रकार की खानपान की आदतें पड़ी रहेंगी , वह जीवन भर नहीं छूटेगी इसलिए इनको विशेष रुप से ध्यान रखें.
  • अपने बच्चों को 5 वर्ष की आयु होने तक सोच समझकर आहार प्रदान करना चाहिए , क्योंकि खान-पान से ही सोच और विचार बनते हैं.
  • अपने बच्चों को बचपन से ही कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन करने से परहेज करवाना चाहिए जैसे :- मांसाहार, फास्ट फूड, बासी और तेल मसाले वाले भोजन .

वर्ष से लेकर 10 वर्ष की आयु होने तक इन बातों का रखें ध्यान?

  • इस उम्र में अपने बच्चों को अच्छी और खराब आदतों में अंतर समझाना जरूरी होता है.
  • बच्चों को इस उम्र में अपने धर्म, ईश्वर और व्यवहार के बारे में थोड़ा बहुत समझाना जरूरी होता है.
  • इस उम्र में बच्चों के लिए घर का माहौल शुद्ध और सात्विक होना चाहिए क्योंकि, बच्चे इसी उम्र में बड़ों की आदतों को फॉलो करने लगते हैं.
  • ध्यान रखने योग्य आवश्यक बात यह है कि घर के फैमिली मेंबर को भी अपने व्यवहार और आचरण को अच्छा रखना चाहिए, जिससे बच्चे कुछ सीख सकें.
  • इस उम्र में अपने बच्चों को क्या सही है ? क्या गलत है ? इसके बारे में अवश्य जानकारी प्रदान करें क्योंकि बच्चे स्वभाव के मासूम होते हैं. उनको इन सभी चीजों का ज्ञान नहीं होता इसी नाते यह हमारी जिम्मेदारी बनती है.

बच्चों के 11 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की आयु होने तक किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

  • इस उम्र में बच्चों को उनकी शिक्षा के प्रति सहज करवाना जरूरी है . आज के इस दौर में शिक्षा का क्या महत्व है ? अपने बच्चों को इसके बारे में जरूर समझाएं.
  • अपने बच्चों को इस उम्र में उनके शिक्षा विषय, कैरियर और सफलता के बारे में बताएं और उनको प्रोत्साहित करते रहें.
  • इस उम्र में बच्चों को थोड़ा बहुत धार्मिक मंत्रों और योगा आसन आदि के बारे में जरूर समझाना और सिखाना चाहिए. ताकि बच्चों का मस्तिष्क सदैव शुद्ध और स्वस्थ रहे.
  • बच्चों को कभी भी शिक्षा से संबंधित किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डालना चाहिए उनको उनकी इच्छा के अनुसार विषय चुनने दें, ताकि बच्चा अपने आप को बेहतर साबित कर सके.

17 वर्ष से लेकर 21 वर्ष की आयु में बच्चों के लिए किन बातों का ध्यान रखें ?

  • किशोरावस्था में बच्चों के अंदर बड़े-बड़े रसायनिक परिवर्तन होते रहते हैं. इन सभी चीजों को लेकर बच्चों को जरूर जागरूक करना चाहिए चाहे वह लड़का हो या फिर लड़की.
  • इसी उम्र में बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि इसी उम्र में बच्चों के अंदर संस्कारों का पता चलता है.
  • किशोरावस्था में बच्चों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास करवाएं और उनको अपनी जिम्मेदारियों को उठाने में उनकी सहायता भी करें.
  • इस उम्र में बच्चों की दिनचर्या एवं उनकी संगति पर विशेष रूप से ध्यान देना आवश्यक है. उनको समझाना चाहिए , कि आपको किन लोगों का साथ देना चाहिए और किन के साथ रहना चाहिए.
  • इस उम्र में बच्चों को थोड़ा बड़े बुजुर्गों के साथ बैठने उठने की भी सलाह दें, ताकि उनसे कुछ वह अपने आने वाले जीवन का एक्सपीरियंस प्राप्त कर सकें. इसके अतिरिक्त बच्चों को थोड़ा त्योहारों में भी विश्वास कराना सिखाना चाहिए.

बच्चों को अच्छे संस्कार देने के बेहतरीन तरीके ?


सभी माता-पिता चाहते हैं, कि उनके बच्चे संस्कारी प्रवृत्ति के हो. बच्चे बड़ों का आदर करना सीखें उनको सम्मान दें. बच्चों में अच्छी आदतें विकसित हो. बच्चों के अंदर अच्छे-बुरे की पहचान हो इसके अलावा बच्चे शिष्टाचार एवं पूर्ण व्यवहार करना सीखें. इसके अलावा बहुत सी चीजें हैं, जो बच्चों के अंदर होनी चाहिए. आइए अब जानते हैं कि अपने बच्चों को कैसे अच्छा संस्कार प्रदान करें ? उनके अंदर अच्छा संस्कार कैसे विकसित करें ? आदि.
1. ईश्वर में आस्था रखना-

बच्चों के अंदर ईश्वर के प्रति आस्था जागृत करनी चाहिए. उनको बताना चाहिए कि ईश्वर में विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि ईश्वर में आस्था रखने से सही काम करने की प्रेरणा मिलती है. बच्चों को बताना चाहिए कि ईश्वर सभी चीजें देखता है, और अच्छे कर्म करना इसीलिए आवश्यक है.
2 . बड़े-बुजुर्गों का आदर करना-
अपने बच्चों के अंदर बड़ों का आदर करना , बड़ों का कहना मानना, बड़ों से किस तरह बात करनी चाहिए आदि प्रकार की जरूरी चीजें अपने बच्चों को बचपन से ही सिखाना चाहिए. बच्चों के अंदर कुछ बड़े बुजुर्गों के प्रति कुछ गुण सिखाने चाहिए जैसे :- पैर छूना , उनके पैर दबाना और बड़े बुजुर्गों का ख्याल रखना आदि प्रकार के गुण बच्चों के अंदर विकसित करने चाहिए. बच्चों को बड़े बुजुर्गों के साथ कुछ समय व्यतीत करने के लिए कहें जब बड़े बुजुर्ग अपने जीवन से संबंधित कहानियां सुनाते हैं उनको अपने जीवन में बीती हुई बातों को बताते हैं, तो बच्चों को उनके जीवन के लिए उपयोगी जानकारी प्राप्त होती है. जिससे उनको हालातों से मुकाबला करने का हौसला मिल जाता है.
3 . प्रातः काल उठना –

बच्चों को प्रातः काल जल्दी उठने की आदत सिखाएं. बच्चों को बताना चाहिए , कि प्रातः काल उठने के क्या-क्या फायदे होते हैं ? बच्चों को बताएं देर तक सोने के क्या क्या नुकसान होते हैं ? बच्चों को देर तक सोने से उनको आलस्य चडेगा और उनका मस्तिष्क सही तरीके से काम नहीं करेगा. यह सभी जरूरी चीजें अपने बच्चों को दैनिक दिनचर्या के रूप में अवश्य सिखाएं. बच्चों के अंदर संस्कारों में से यह सबसे उपयोगी चीजों में से एक है.
4 . बच्चों के अंदर सहयोग की भावना जागृत करें –

बच्चों के अंदर बचपन से ही जरूरतमंद लोगों के प्रति सहयोग की भावना जागृत करनी चाहिए. बच्चों को बताये कि किसी भी प्रकार के जरूरतमंद लोगों को सहयोग प्रदान करने से उनको ईश्वर द्वारा आशीर्वाद प्राप्त होता है. कितना भी कठिन कार्य हो यदि एक-दूसरे का सहयोग होगा तो वह कार्य आसानी से हो सकता है. यह भी बातें बच्चों को जरूर सिखाये. बच्चों के अंदर सहयोग की भावना जागृत करने के लिए उनको छोटे-छोटे कार्यों में सहयोग करने का अवसर प्रदान करें. बच्चों को छोटे-छोटे कामों को करने की जिम्मेदारी प्रदान करें और उनको उनकी जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करें और उनकी सहायता भी करें.
5 . मित्रता का व्यवहार सिखाये –

अपने बच्चों को कहे , कि अच्छे अच्छे लोगों से दोस्ती करनी चाहिए. बच्चों को दोस्ती का महत्व समझाएं और दोस्ती का क्या मतलब होता है , यह भी जरूर बताएं. बच्चों के माता-पिता होने के नाते बच्चों को अच्छे लोगों से दोस्ती करवानी चाहिए. बच्चों के अंदर मित्रता की भावना जागृत करनी चाहिए .
6 . समय की कीमत समझाएं –

बच्चों को बताएं कि समय का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यदि हम किसी भी कार्य को समय पर नहीं करेंगे, तो हमें उसका हर्जाना भी चुकाना पड़ता है. बच्चों को सिखाएं के समय पर किया गया कार्य सदैव आपके लिए लाभकारी सिद्ध होता है. इसीलिए बच्चों को बताया कि समय का कद्र वह अवश्य करें नहीं , तो समय हाथ से निकल जाएगा तो वह अपने जरूरी कार्य को नहीं कर सकेंगे. बच्चों को समय का सदुपयोग करना सिखाए और उनको बताएं कि उनको किस समय पढ़ना है ? कब खेलना है ? कब खाना है ? इन सभी चीजों को समय पर करना आवश्यक है ,यह भी जरूर बताएं.
7 . लोगों से बातें करने का तरीका सिखाएं –

बच्चों को बचपन से ही बड़े लोगों से कैसे बात करनी है ? अपने से छोटे लोगों से किस तरह बात करनी है ? आदि चीजों को सिखाना आवश्यक होता है. बच्चों को बताएं , कि यदि आप दूसरों से प्रेम से बात करोगे तो , आपको भी उनसे प्रेम प्राप्त होगा. बच्चों को बताएं कि यदि आप अपने से बड़े लोगों से बात कर रहे हैं , तो किन किन शब्दों का प्रयोग बात करते समय करना चाहिए. बच्चों को बताएं , कि बड़ों से बात करते समय थैंक यू , प्लीज, सॉरी ,एक्सक्यूज मी आदि शब्दों का प्रयोग करना चाहिए.
8 . माता पिता का सम्मान करना सिखाना चाहिए –

बच्चों को सिखाना चाहिए कि माता-पिता का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि माता-पिता ही उनके मार्गदर्शक होंगे. बच्चों को बताएं कि किसी भी कार्य को करने से पहले एक बार माता-पिता से जरूर राय करें . बच्चों को अपनी वास्तविक परिस्थिति के बारे में जरूर बताना चाहिए. यदि बच्चा आपकी वास्तविक परिस्थिति से अवगत रहेगा तो, वह आपके भावनाओं की कद्र करेगा. अपने बच्चों को आप आदर्श और वीर पुरुषों की कहानियां सुनाएं. अपने बच्चों को श्रवण कुमार जैसी कहानियां जरूर सुनाएं
9 . ईमानदारी सिखाएं –

अपने बच्चों के सामने आप सदैव सत्य बोले और उनको बताएं कि किसी भी परिस्थिति में सदैव सत्य का ही साथ देना चाहिए. बच्चों को बताएं कि सदैव ईमानदारी से कार्य करें. किसी भी प्रकार का इमानदारी से किया गया कार्य हमेशा आपको सही परिणाम देगा. बच्चों को बताया कि सत्य और ईमानदारी के रास्ते पर चलना चाहिए, बच्चों को बताएं सत्य और इमानदारी के लिए सदैव मजबूत होती है. बच्चों को बताएं कि आपको आगे चलकर लोग सत्य और ईमानदारी के रास्ते से भटकाने की कोशिश करेंगे. परंतु आपको सदैव सत्य का साथ देना है, इसके लिए आप राजा हरिश्चंद्र की कहानी भी अपने बच्चों को सुना सकते हैं.
10 . बच्चों को कर्तव्यनिष्ठा की भावना सिखाएं –

अपने बच्चों के अंदर कर्तव्यनिष्ठा की भावना जरूर सिखानी चाहिए. बच्चों को बताएं कि अपने परिवार के प्रति, देश के प्रति, अपने गुरु के प्रति, अपने स्कूल के प्रति, अपने बड़ों और छोटों के प्रति अलग-अलग कर्तव्य होते हैं. उनको अवश्य निभाना चाहिए.
11 . प्रेम की भावना –

बच्चों को सबके साथ प्रेम व्यवहार से रहने का तरीका सिखाएं. बच्चों को बताएं कि आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना के बल पर वह अपने परिवार विद्यालय एवं समाज में अपनी छवि को अच्छा कर सकते हैं. उनको बताएं कि प्रेम के बल पर ही लोग आपको पसंद करेंगे और वह दिलों पर राज भी कर पाएंगे. बच्चों को जरूरतमंद लोगों जैसे :- गरीब बेसहारा, अनाथ एवं अपंग लोगों के प्रति सहानुभूति एवं करुणा की भावना सिखाएं. उनको बताएं , कि ऐसे जरूरतमंद लोगों सेवा करने से ईश्वर सदैव उनका बुरे वक्त में साथ देते हैं.

12 . देश के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना दिखाएं –

अपने बच्चों को अपने देश के प्रति उनकी भावना एवं सम्मान अवश्य सिखाएं. हमको बताएं कि देश का सम्मान करना चाहिए क्योंकि, उनका देश उनकी हर परिस्थिति में सहारा होता है. बच्चों को बताएं कि आपको देश के प्रति सभी जरूरी कर्तव्य को करना आवश्यक है. बच्चों के अंदर देश के प्रति समर्पण की भावना सिखाएं. बच्चों को बताएं कि अपने देश के साथ अच्छा वक्त हो चाहे बुरा वक्त हो सदैव साथ में खड़ा होना चाहिए. अपने बच्चों को भगत सिंह, महात्मा गांधी, उधम सिंह और अन्य वीर पुरुषों की कहानी सुनाएं और उनके बलिदान के बारे में उनको बताएं.

13 . बच्चों के अंदर सहन शक्ति जागृत करें –

बच्चों के अंदर सहनशक्ति की भावना जागृत करनी चाहिए और इसकी महत्वता के बारे में भी बताना चाहिए . परंतु आजकल के बच्चों के अंतर सहनशक्ति का अत्यधिक आभाव है. आजकल के बच्चे किसी भी चीज को पाने के लिए सहनशीलता नहीं दिखाते हैं. बच्चों को यह जरूर बताएं कि किसी भी कार्य को सहनशीलता से करना चाहिए क्योंकि , सहनशीलता से किया गया कार्य सदैव आपके हित में होता है. बच्चों को बताएं कि सदैव सहनशीलता जैसे गुण आपके अंदर होने चाहिए क्योंकि ,यह उनके आगे के जीवन के लिए आवश्यक गुणों में से एक है. बच्चों को बताएं कि छोटे-छोटे कार्यों को करने में उग्रता नहीं दिखानी चाहिए और वह सदैव अपने जीवन के प्रति सकारात्मक विचार रखें. क्योंकि सकारात्मक विचार से ही कठिन से कठिन कार्य आसानी से किया जा सकता है.

14 . अच्छे चरित्र का निर्वाहन करना सिखाए –

अपने बच्चों को बताएं कि सदैव स्त्रियों के प्रति अपने चरित्र को स्वच्छ रखना चाहिए. उनको सदैव सम्मान देना चाहिए. इसके अतिरिक्त बच्चों को अपने अंदर अपने चरित्र के प्रति सहज रहने की भावना जागृत करने के लिए सिखाएं. बच्चों को बताएं, कि यदि एक बार चरित्र बिगड़ गया तो वह फिर से दोबारा सही नहीं हो सकता है. बच्चों को बताएं, कि आजकल का माहौल धोखे और विश्वासघात से भरा हुआ है. इसीलिए उनके आसपास के लोगों एवं फरेबी दोस्तों से सदैव सावधान एवं सचेत रहें.

हर माता-पिता अपने बच्चों का भविष्य सदैव उज्जवल रहने की कामना करता है. प्रत्येक माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे के अंदर अच्छे अच्छे गुण हो और वह अच्छे संस्कारों से परिपूर्ण हो, ताकि उनका नाम समाज में हो. आपके बच्चों के अंदर तभी अच्छे गुण एवं संस्कार होंगे, जब आपके अंदर भी अच्छे गुण एवं अच्छे संस्कार मौजूद होंगे. बच्चों के सामने खुद को सदैव आदर्श रूप में प्रस्तुत करना चाहिए, ताकि आपका बच्चा आपसे भी कुछ सीख ले सकें. दोस्तों हमारे द्वारा यह लेख आपको कैसा लगा प्लीज हमें अवश्य बताएं. हमने इस लेख को पूरे समर्पण भावना से आप लोगों के सामने प्रस्तुत किया हुआ है.

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Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

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