धनुर्मास 2021 महत्व कथा व्रत पूजा विधि (DhanurMasam Vrat 2021 significance, Katha, Ekadashi Puja Vidhi In Hindi)
धनुर्मास महत्व कथा व्रत पूजा विधि भारत के दक्षिण भाग में यह तीस दिवसीय त्यौहार विस्तार से मनाया जाता हैं. धनुर्मास तीस दिनों का त्यौहार होता है, जिसमे खासतौर पर भगवान विष्णु की उपासना की जाती हैं. यह त्यौहार खासतौर पर दक्षिण भारत में मनाया जाता हैं. भक्ति के भाव को जगाने के लिए इस महीने में धार्मिक कर्मो के अलावा अन्य कार्यो जैसे शादी मुंडन आदि को करना निषेद माना जाता है. जिससे मनुष्य का मन विचलित न हो और वो पुरे मन से ईश्वर उपासना करें. इस प्रकार पुराणों के अनुसार इन दिनों शादी की कोई उपयुक्त तिथी नहीं निकलती. भगवान वैकुंठ नाथ की पूजा का महत्व होता है, इसलिए इन दिनों में आने वाली एकादशी को वैकुण्ठ एकादशी कहा जाता हैं इस दिन का धनुर्मास ने सर्वाधिक महत्व होता हैं.

कब मनाया जाता हैं धनुर्मास ? (DhanurMasam 2021 Date) :
धनुर्मास तीस दिनों का त्यौहार है, जो कि मध्य मार्गशीर्ष से शुरू होकर मध्य पौष में खत्म होता हैं. इस प्रकार यह 16 दिसम्बर से शुरू होकर 13 जनवरी को खत्म होगा. यह मास मकर संक्रांति पर खत्म होता हैं. जब सूर्य धनु राशी में प्रवेश करता है, तब धनुर्मास का प्रारंभ होता है, जिसे धनु संक्रांति कहते हैं.
जब सूर्य कर्क रेखा से उत्तर की तरफ बढ़ता हैं और मकर राशी में प्रवेश करता हैं तब उत्तरायण होता है और इसके विपरीत दक्षियायण होता हैं. अर्थात धनुर्मास उत्तरायण के समय होता हैं.
धनुर्मास (Dhanurmas) को धनुमास, चाप मास, कोदंडा मास, कार्मुका मास भी कहा जाता हैं. धनु का अर्थ धनुष से होता हैं. अतः इसे शून्य मास भी कहा जाता हैं.
धनुर्मास कथा (DhanurMasam Katha) : गोदा रंगनाथ कल्याण उत्सव
यह दक्षिण भारत का प्रमुख उत्सव हैं. इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित हैं.इस धनुर्मास में गोदा रंगनाथ कल्याण उत्सव का महत्व सबसे अधिक होता हैं. कैसे शुरू हुआ धनुर्मास किसके पीछे की कहानी पढ़े :
यह घटना बिल्ली पुर गाँव की हैं.जहाँ विष्णुचित्तजी का निवास था.विष्णु चित्त जी के उद्यान से गोदाम जी प्रकट हुए उस वक्त स्वयम भगवान ने विष्णु चित्त जी को स्वप्न में बताया कि यह गोदाम जी भूमि माता का अवतार हैं. यह वही भूमि हैं जिसका भगवान के वराह अवतार ने उद्धार किया था. गोदाम जी का जन्म क्यूँ हुआ इसका महत्व भी विष्णु चित्त जी को बताया गया.
पूर्व जन में भूमि देवी ने भगवान विष्णु से पूछा कि आप कैसे प्रसन्न होते हैं ? तब भगवान ने कहा मेरी पूजा कर स्त्रोत का पाठ करने से मैं प्रसन्न होता हूँ इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भूमि देवी ने गोदाम जी के रूप में जन्म लिया हैं.
गोदाम जी ने तिरूप्पावै नामक स्त्रोत को रचा एवम उसका पाठ किया. गोदाम जी ने भगवान विष्णु के अवतार रंगनाथ को मन में बसा कर पूजा एवम पाठ प्रारंभ किया. यह पाठ धनु संक्रांति से मकर संक्रांति तक किया गया. इन तीस दिनों में सत्ताविस्वे दिन भगवान रंगनाथ ने जन्म लिया इस प्रकार इस दिन कों गोदा रंगनाथ कल्याण उत्सव के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता हैं.और इन तीस दिनों को धनु मास अथवा धनुर्मास कहा जाता हैं.
धनुर्मास धनु मास पूजा विधि एवम महत्व (DhanurMasam Significance and Puja Vidhi in hindi)
- इन दिनों भगवान विष्णु की उपासना का महत्व होता हैं.
- इन दिनों अन्य उत्सव जैसे शादी, मुंडन आदि करना निषेध माना जाता हैं.
- इन दिनों सूर्योदय से पहले उठकर स्नान किया जाता हैं और सूर्य उदय के आधे घंटे पहले पूजा की जाती हैं. इसे ब्रह्ममुहूर्त में होने वाली पूजा कहा जाता हैं.
- इन दिनों विष्णु भगवान के श्लोको का उच्चारण किया जाता हैं.
- इन दिनों गरीबो एवम ब्राह्मणों को दान दिया जाता हैं.
- इन दिनों विष्णु की उपासना हजार वर्षों की उपासना के समान मानी जाती हैं.
- इस पुरे मास वेंकटेश स्त्रोत का पाठ किया जाता हैं.
- मंदिरों में वेंकट आरती की जाती हैं.
धनुर्मास उत्सव की धूम पुरे तीस दिन तक रहती हैं. यह दक्षिणी भारत का विशेष पर्व हैं इसके नियम व महत्त्व चौमासा या चातुर्मास व्रत के समान ही होते हैं.
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