गुरुनानक देव जीवन परिचय 2022 (जीवनी, जयंती, दोहे, पद, रचनायें, अनमोल वचन, उपदेश, पूण्यतिथि, शिष्य, विचार, गुरु, कहानी) (Guru Nanak Biography in hindi, Jeevani , Jayanti, Quotes Meaning, Birth, death, family, stories, teachings)
गुरु नानक के जीवन से सच्चे गुरु की सीख मिलती है, जो मानव जाति को दिशा देते हैं वरना तो वर्तमान युग ने गुरुओं की परिभाषा ही बदल कर रख दी हैं.
गुरु नानक साहिब जो सिक्ख समाज के संस्थापक कहलाते हैं. उनके जन्म दिवस को गुरु नानक जयंती के रूप में प्रति वर्ष सिक्ख समाज बड़े उत्साह से मनाता हैं. यह पर्व पाकिस्तान में भी उत्साह से मनाया जाता हैं. गुरुनानक साहिब का जन्म स्थान वर्तमान समय में पाकिस्तान में हैं. ऐसे तो यह सिक्ख समाज के गुरु कहे जाते हैं, लेकिन इन्हें किसी धर्म जाति ने बांध कर नहीं रखा था. ये इसके खिलाफ थे. इनका मनाना था, ईश्वर कण- कण में व्याप्त हैं. जहाँ हाथ रखोगे वहीँ ईश्वर हैं. इनके अनमोल विचारों में सभी धर्मो का आधार था. इसी कारण इन्हें एक गुरु के रूप में सभी धर्मो द्वारा पूजा जाता हैं.
गुरु नानक जयंती के दिन पुरे भारत देश में छुट्टी रहती हैं. वर्ष 2014 से पाकिस्तान में भी यह छुट्टी दी जाने लगी.
गुरु नानक जयंती 2022 में कब हैं? (Guru Nanak Jayanti Date)
यह जयंती कार्तिक मास की पूर्णिमा को बड़े उत्साह से पुरे देश में मनाई जाती हैं. इस दिन प्रभात फेरी निकाली जाती हैं. ढोल ढमाकों के साथ पूरा सिक्ख समाज इसे मनाता हैं. जश्न कई दिनों पहले से शुरू हो जाते हैं कीर्तन होते हैं, लंगर किये जाते हैं. गरीबों के लिए दान दिया जाता हैं. सबसे महत्वपूर्ण यह जयंती घर में एक परिवार के साथ नहीं पुरे समाज एवम शहर के साथ हर्षोल्लास से मनाई जाती हैं.
इस वर्ष गुरुनानक जयंती 8 नवंबर 2022 को मनाई जाएगी.

गुरु नानक के जीवन से जुड़ी जानकारी :
जब गुरु नानक देव का जन्म हुआ था, तब कहा जाता हैं वह प्रसूति ग्रह प्रकाशवान हो गया था. इनका धार्मिक ज्ञान इस तरह प्रबल था, कि इनके शिक्षक ने इनके आगे हार मान ली थी.
जन्म | 15 अप्रैल 1469 |
पूण्यतिथि | कार्तिकी पूर्णिमा |
जन्मस्थान | तलवंडी ननकाना पाकिस्तान |
मृत्यु | 22 सितंबर 1539 |
मृत्यु स्थान | करतारपुर |
स्मारक समाधी | करतारपुर |
पिता का नाम | कल्यानचंद मेहता |
माता का नाम | तृप्ता देवी |
पत्नी का नाम | सुलक्खनी गुरदास पुर की रहवासी |
शादी तारीख | 1487 |
बच्चे | श्रीचंद, लक्ष्मीदास |
भाई/बहन | बहन बेबे नानकी |
प्रसिद्धी | प्रथम सिक्ख गुरु |
रचनायें | गुरु ग्रन्थ साहेब, गुरबाणी |
गुरु का नाम | गुरु अंगद |
शिष्य के नाम | 4 – मरदाना, लहना, बाला एवं रामदास |
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गुरु नानक देव जी स्वभाव से बहुत ही दयालु एवम कोमल थे. सांसारिक गतिविधियों में इनकी रूचि अधिक नहीं थी, इसलिए उन्होंने घर छोड़ दिया. पर्यटन करते हुए देश भ्रमण किया और अपने विचारों को दुनियाँ के सामने रखा. उस वक्त इनकी विचार धारा ने नयी सोच को जन्म दिया था. ये मूर्ति पूजा विरोधी थे. धार्मिक कर्म कांड के बजाय सरल एवम सत्य आचरण को ही ईश्वर की भक्ति कहते थे.
इन्होने भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कई स्थानों पर जाकर मनुष्य जाति को ईश्वर से परिचय करवाया. सदेव एकता एवम समरूपता का ज्ञान दिया. उनकी एक कथा सदैव याद रखी जाती हैं :
गुरु नानक देव की कहानी (Guru Nanak Story)
पर्यटन के समय जब गुरु नानक देव मक्का पहुँचे, तब कुछ देर वहाँ विश्राम के लिए रुक गए और एक पेड़ के नीचे सो गये. जब इनकी नींद खुली, तो कुछ लोग इनके चारों तरफ खड़े थे, उन्होंने पूछा तुम कौन हो और ऐसे कैसे अपने पैर पवित्र काबा की तरफ करके सोये हो ? अभी के अभी अपने पैर हटा दो. तब नानक जी ने कहा भाई जिस दिशा काबा न हो, उस तरफ मेरे पैर घुमा दो. उन लोगो ने पैर घुमा दिये, जिस तरफ पैर घुमाते उसी तरफ काबा दिखाई देने लगता. जितनी बार वो ये करते उन्हें हर जगह काबा ही दिखाई पड़ रहा था. इस पर गुरु नानक देव ने कहा – बेटा इस संसार के हर कोने में खुदा का वास है. तुम जहाँ देखो वही खुदा हैं. इस प्रकार गुरु नानक देव की ख्याति फैलने लगी थी.
गुरु नानक देव के समय इब्राहीम लोदी का काल था, वो तानाशाही था. हिन्दू मुस्लिम लड़ाई करवाता था. इस पर नानक देव सभी को एक राह दिखाते थे. कहते हैं ईश्वर उपरी पहनावे एवम धार्मिक कर्मों से प्रभावित नहीं होता, वह तो आतंरिक मन की शुद्धता देखता हैं. उनके इस विचारों के कारण उन्हें जेल भेज दिया गया, लेकिन इब्राहीम लोदी को हार का सामना करना पड़ा और बाबर की हुकुमत ने भारत में दस्तक दी. बाबर एक अच्छा शासक माना जाता हैं. शायद इसलिए बाबर ने नानक देव को आजाद कर दिया.
गुरु नानक देव अनमोल वचन, विचार, उपदेश (Guru Nanak Jayanti Quotes )
- मृत्यु को बुरा नहीं कहा जा सकता, अगर हमें पता हो कि वास्तव में मरते कैसे हैं.
- भगवान के लिए प्रसन्नता के गीत गाओ, भगवान के नाम की सेवा करों और ईश्वर के बन्दों की सेवा करों.
- ईश्वर की हजार आँखे हैं फिर भी एक आँख नहीं, ईश्वर के हजार रूप हैं फिर भी एक नहीं.
- धन धन्य से परिपूर्ण राज्यों के राजाओं की तुलना एक चींटी से नही की जा सकती जिसका हृदय ईश्वर भक्ति से भरा हुआ हैं
- मैं जन्मा नहीं हूँ फिर कैसे मेरे लिए जन्म और मृत्यु हो सकते हैं.
- ईश्वर एक हैं परन्तु कई रूप हैं वही सभी का निर्माण करता हैं व्ही मनुष्य रूप में जन्म लेता हैं.
- किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नही जीना चाहिये. बिना गुरु के किसी को किनारा नहीं मिलता.
- ना मैं बच्चा हूँ न ही युवा, ना ही पुरातन और न ही मेरी कोई जात हैं.
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गुरु नानक देव दोहे पद रचनाएँ हिंदी अर्थ सहित (Guru Nanak Dev Dohe, pad)
- एक ओंकार सतिनाम, करता पुरखु निरभऊ। निरबैर, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि ।।
अर्थात : भगवान एक हैं जो सत्य हैं जो निर्माण करता हैं जो निडर हैं जिसके मन में कोई बैर नहीं हैं, जिसका कोई आकार नहीं हैं, जो जन्म मृत्यु के परे हैं जो स्वयम ही प्रकाशित हैं इनके नाम के जप से ही उसका आशीर्वाद मिलता हैं.
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- हरि बिनु तेरो को न सहाई। काकी मात-पिता सुत बनिता, को काहू को भाई॥
अर्थात: हरी के बिना किसी का सहारा नहीं होता. सभी काकी माता पिता पुत्र तू हैं कोई और दूसरा नहीं.
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- धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई। तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा ताहि लपटाई॥
अर्थात: धन सम्पति और जो भी हैं जिसे टीम अपना कहते हो वो सब यही छुट जाता हैं यहाँ तक तुम्हारा शरीर भी यही छुट जाता हैं तो फिर तुम किस बात के मोह में पड़े हो.
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- दीन दयाल सदा दु:ख-भंजन, ता सिउ रुचि न बढाई। नानक कहत जगत सभ मिथिआ, ज्यों सुपना रैनाई॥
अर्थात : नानक जी कहते हैं इस जगत में सब झूठ हैं जो सपना तुम देख रहे हो वो तुम्हे अच्छा लगता हैं. दुनियाँ के संकट प्रभु की भक्ति से ही दूर होते हैं तुम उसी में अपना ध्यान लगाओ.
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- जगत में झूठी देखी प्रीत। अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥
अर्थात: इस दुनियाँ में प्रेम भी झूठ हैं सभी को अपना सुख ही प्यारा लगता हैं.
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- मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत। अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥
अर्थात: इस जगत में सब वस्तुओं को, रिश्तों को मेरा हैं मेरा हैं करते रहते हैं लेकिन मृत्यु के समय सब कुछ यही रह जाता हैं कुछ भी साथ नहीं जाता हैं. यह सत्य आश्चर्यजनक हैं पर यही सत्य हैं.
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- मन मूरख अजहूँ नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत। नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥
अर्थात: मन बहुत भावुक हैं बेवकूफ हैं जो समझता ही नहीं, रोज उसे समझा समझा के हार गए हैं कि इस भव सागर से प्रभु अथवा गुरु ही पर लगाते हैं और वे उन्ही के साथ हैं जो प्रभु भक्ति में रमे हुए हैं.
गुरु नानक देव सदैव कहते थे, कि इस संसार से पार जाने के लिए सदैव गुरु की आवश्यकता होती हैं. बिना गुरु किसी को राह नहीं मिलती.
यह सिक्ख समाज के प्रथम गुरु थे, लेकिन उन्होंने कभी जातिवाद को नहीं अपनाया. उन्होंने सदा यही कहा भगवान एक हैं और उसी के अनेक रूप. भगवान को पाने के लिए बाहरी आडम्बर की जरुरत नहीं आतंरिक शुद्धता की जरुरत होती हैं.
गुरुनानक देव के इस छोटे से जीवन परिचय से हम अनुमान लगा सकते हैं कि वास्तव में गुरु क्या हैं ? क्या आज के समय में गुरु की परिभाषा यही हैं ? क्या आज के गुरु धार्मिक आडम्बर एवम मोह माया से दूर हैं ?
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