भारतीय करेंसी (मुद्रा) का इतिहास और उसका विकास (कागजी मुद्रा की शुरुआत, रुपया-सिक्कों का इतिहास) (Indian Currency History in hindi, Mudra History, Money, Coin, Notes)
आपने लगभग हर एक भारतीय की जुबान पर एक कॉमन बात तो जरूर सुनी होगी वह यह है, ‘बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया’ आज के दौर में आम से लेकर खास तक सबके लिए पैसा सभी आवश्यक एवं जरूरतमंद चीजों में से एक है. आज के समय में पैसा कमाने के लिए इंसान अच्छे से अच्छा और बुरा से बुरा काम भी करता है, क्योंकि बिना पैसों के कोई भी इंसान अपनी रोजमर्रा की जिंदगी एवं अपना एवं अपने परिवार का पालन-पोषण सही से नहीं कर सकता है. आज हम पैसों से जुड़ी ही कुछ जरूरी जानकारियां आपको देने वाले हैं जैसे :- पैसा कब शुरू हुआ, इसे किसने बनाया, और पैसे को कब सबसे पहले प्रयोग किया गया ? इत्यादि. आज हम आपको इस लेख के माध्यम से भारतीय करेंसी के पूरे इतिहास के बारे में बताने वाले हैं और यह भी बताएंगे कि भारतीय करेंसी का विकास कैसे हुआ ?
सबसे पहले रुपए शब्द का प्रयोग कब और किसने किया था ? (Bhartiya Mudra ka Itihas in hindi)
भारतीय करेंसी के बारे में बात हो रही है तो चलिए यह भी जान लेते हैं कि आखिर रुपए शब्द का प्रयोग कब और किसने किया था ? इतिहासकार विशेषज्ञों के अनुसार रुपए शब्द का प्रथम प्रयोग शेरशाह सूरी ने 1545 लेकर 1540 के अंतराल में किया था. शेरशाह सूरी ने अच्छी अर्थव्यवस्था एवं अच्छे शासनकाल को और भी बेहतर रूप से सुचारू करने के लिए रुपए का चलन शुरू किया था और उसने रुपए को सबसे पहले सिक्कों के रूप में चलाने का आदेश दिया था.
शेरशाह सूरी ने सिक्कों को चांदी, सोने एवं तांबे की धातु का प्रयोग सिक्के को बनवाने के लिए किया था. हम आपको बता दें कि उस दौरान उसके चलाए गए सिक्कों का दाम और मोहर के नाम से भी लोग कह कर उसके चलाए गए सिक्के से व्यापार किया करते थे.
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भारत में कागजी नोटों की शुरुआत पैसे के रूप में कब शुरू हुई थी ?
वास्तविक रूप से हमारे देश में कागजी नोटों का चलन 1770 ईस्वी से हुआ था और इसे पहली बार बैंक ऑफ हिंदुस्तान ने जारी किया था. परंतु जब भारत पर ब्रिटिश शासन काल चल रहा था, तो उस दौरान भी पहली बार 1917 में ब्रिटिश शासन द्वारा कागज की नोट जारी किए गए थे. महाराष्ट्र के नासिक में हमारे देश के आजादी से पहले 1926 को रुपए को कागजी रूप में बैंक द्वारा छापने की अनुमति दे दी गई थी.
रुपए शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई ?
रुपए शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द के रुपया शब्द से हुई है, जिसका हिंदी अर्थ चांदी होता है. हमारे भारतवर्ष की सबसे पुरानी भाषा संस्कृत ही थी, इसका यह तात्पर्य निकलता है, कि रुपए शब्द की उत्पत्ति हिंदू संस्कृत भाषाई शब्द रुपया से हुई है.
भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भारतीय मुद्रिका को छापने की अनुमति कब प्रदान की गई थी ?
जब भारत देश में आरबीआई को यह सारे अधिकार प्राप्त नहीं थे जैसे, कि नोट की छपाई करना, कितने रुपए का नोट छापना है और जारी किए गए नोटों पर हिसाब किताब रखने की जिम्मेदारी आदि. तब इससे पहले सारे भारतीय मुद्राएं इंग्लैंड से प्रिंट होकर आती थी. वर्ष 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को रुपए जारी करने और रुपए की छपाई करने की जिम्मेदारी प्राप्त हो गई थी. हमारे देश में पहली बार 1928 में महाराष्ट्र के नासिक जिले में नोट प्रिंट करने वाली मशीन की स्थापना की गई थी और यहीं पर पहली बार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा 5, 10 रुपये, 100 रुपये,1000 रुपये और 10000 रुपये के नोट छापे गए थे और आरबीआई द्वारा जारी किए गए इन सभी कागजी नोटों को पूरे भारत में जारी भी किया गया था.
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भारतीय नोटों पर छपे चित्रों का इतिहास क्या है ?
जब हमारा देश ब्रिटिश शासन से हजार नहीं हुआ था, तो उससे पहले सभी भारतीय करेंसी पर ब्रिटिश प्रशासन के द्वारा चित्र प्रिंट किए जाते थे. ब्रिटिश प्रशासन द्वारा यह मुद्राएं आजादी के बाद भी कुछ समय तक निरंतर चलती रही थी. परंतु जब भारत में पहली बार 1949 में भारतीय मुद्राएं छापी गई, तो उनका रंग-रूप ब्रिटिश प्रशासन से बिल्कुल अलग कर दिया गया था. सबसे पहले भारतीय करेंसी को एक रुपए के रूप में छापा गया था और और इस नोट के प्रिंट में अशोक स्तंभ को जगह दी गई थी. इसी जगह से लगातार भारतीय रुपए में प्रिंट के दौरान बदलाव किए जाते रहे हैं. आरबीआई ने आशिक कई नोटों को छापा है, जिसमें अलग-अलग तरीके से भारत की अलग-अलग सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक इमारतों का प्रिंट किया गया था. उदाहरण के तौर पर गेटवे ऑफ इंडिया और बृहदेश्वर मंदिर के चित्र छापे गए और इतना ही नहीं जब 1953 में नोटों को छापा गया तो भारत सरकार द्वारा नोटों पर हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया.
आजादी के समय भारतीय एक रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले क्या थी ?
आज के समय में लगभग हर भारतीय युवक और छात्र यह जानना चाहते हैं कि जब हमारा देश आजाद हुआ, तो उस समय अमेरिकी डॉलर की कीमत ₹1 के हिसाब से कितनी थी. हम आपको बता दें कि 1947 में अमेरिकी $1 कीमत 1 रुपये की बराबर की थी.
भारतीय रुपए में गांधी जी की तस्वीर कब से अंकित की गई और गांधी जी की जो तस्वीर नोट में अंकित है वह कार्टून है या फिर हकीकत की फोटो प्रिंट है ?
भारतीय नोटों के इतिहास में बहुत सारे बदलाव हुए हैं और इनका एक लंबा इतिहास भी रहा है. हम आपको बता दें कि 1996 के बाद जितनी भी भारतीय करेंसी छापी गई है, उनमें गांधी जी की तस्वीर को अंकित किया गया है. इससे पहले भारतीय करेंसी में अशोक स्तंभ के चित्र अंकित किए जाते थे, परंतु भारतीय नोटों में अशोक स्तंभ को आज भी जगह दी जाती है, बस पहले जगह जहां पर थी वहां से हटाकर इसे थोड़ा छोटे साइज में बगल में प्रिंट किया जाने लगा है.
अब बात करते हैं कि जो भारतीय नोटों पर गांधी जी की तस्वीर अंकित की जाती है वह कार्टूनी है या फिर वह तस्वीर गांधीजी की हकीकत में है. आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि यह गांधी जी की वास्तविक तस्वीर है जिसे एक अनजान फोटोग्राफर ने फ्रेडरिक पैथिक लारेस के साथ कोलकाता के वायसराय हाउस में एक मुलाकात के दौरान लिया था, उस समय गांधी जी का मुस्कुराता हुआ चेहरा तस्वीर में आ गया था, जो आज की नोटों पर भी अंकित किया जाता है.
फिर इसके बाद से भारतीय नोटों पर कई बड़े सुरक्षा की दृष्टि से बदलाव किए गए हैं, जिनसे असली नोटों और नकली नोटों में अंतर पता चल सके. आज के समय में आपको अलग-अलग रंगो के एवं 5 रुपये, 10 रुपये,20 रुपये,50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोट आपको नए डिजाइन में देखने को मिल रहे होंगे.
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रुपए के चिन्ह का आविष्कार किसने किया ?
रुपए के चिन्ह का आविष्कार आईआईटी असिस्टेंट प्रोफेसर गुवाहाटी के उदय कुमार ने किया था. 2010 में इस चिन्ह को आधिकारिक रूप से नोटों पर छापे जाने का कार्य शुरू कर दिया गया था.
भारत में रुपया का अवमूल्यन कब हुआ और अवमूल्यन क्या होता है ?
हमारे देश में अवमूल्यन कब हुआ यह जानने से पहले आइए जानते हैं, कि वास्तविक रूप से अवमूल्यन का मतलब क्या होता है ? वास्तविक रुप से अवमूल्यन का मतलब होता है, जब किसी भी देश की आर्थिक मुद्रा को किसी अन्य देश के मुद्रा के मुकाबले उसकी दर को कम कर दिया जाए.
आसान भाषा में आपको समझाऊं तो यदि हमारे देश की मुद्रा की वैल्यू नेपाल में ₹2 है, तो इस स्थिति में अगर अगर कोई अन्य देश हमारे मुद्रा की वैल्यू को कम कर देता है तो इस स्थिति में नेपाल में जो हमारी इस समय मुद्रा की वैल्यू है या तो उसके बराबर आ जाएगी या फिर उससे कम हो जाएगी तो इस स्थिति में हम उसे अवमूल्यन कहते हैं. हमारे देश में अब तक कुल 3 बार अवमूल्यन हो चुका है. पहली बार भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन 1949 में हुआ था.
कौन से कौन से देशों में रुपए का मूल्य अधिक है ?
लगातार अवमूल्यन के वजह से रुपए की वैल्यू में निरंतर गिरावट नजर आती रही है. वर्तमान स्थिति में $1 की वैल्यू रुपए में 72 रुपये की है. परंतु कई अन्य देश है, जहां पर भारतीय रुपए की वैल्यू अधिक है. आपकी जानकारी के लिए हमने कुछ नीचे कई अन्य देशों का विवरण दिया हुआ है, जहां पर रुपए का वैल्यू अधिक है. जो इस प्रकार निम्नलिखित हैं.
वियतनाम
एक रूपये = 354 वियतनामी करंसी (डोंग)
इण्डोनेशिया
एक रूपये = 208 इण्डोनेशियाई करंसी (रूपइया)
पराग्वे
एक रूपये = 87 पराग्वे करंसी (ग्वरानी)
कम्बोडिया
एक रूपये = 64 कम्बोडियाई करंसी (रियाल)
मंगोलिया
एक रूपये = 38 मंगोलियाई करंसी (तुगरिक)
कोस्टारिका
एक रूपये = 9 कोस्टारिकन करंसी (कोलोन)
हंगरी
एक रूपये = 4 हंगरी करंसी (फोरिंट)
आइसलैंड
एक रूपये = 2 आइसलैंड करंसी (क्रोना)
श्रीलंका
एक रूपये = 2 श्रीलंकाई करंसी (रूपया)
पाकिस्तान
एक रूपये = 2 पाकिस्तानी करंसी (रूपया)
इन देशों के अलावा कई अन्य देश है जैसे बेलारूस, जिंबाब्वे, दक्षिण कोरिया, जापान, नेपाल आदि जहां पर भारतीय मुद्रा की कीमत वहां की मुद्रा से अधिक है.
ध्यान दें : यह दिए गए आंकड़े अस्थिर रूप से है इनमें बढ़ोतरी और गिरावट हो सकती है.
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