कमला महाविद्या 2023 जयंती, पूजा विधि, महत्व ( Kamala Mahavidya Jayanti , Puja Vidhi significance In Hindi)
दस महत्वपूर्ण विद्याओं में से दसवाँ स्थान देवी कमला का हैं . देवी कमला माँ शक्ति का सबसे पहले रूप आदि शक्ति के नाम से भी जानी जाती हैं . देवी कमला भाग्य, सम्मान, पवित्रता और परोपकार की देवी है . देवी कमला सभी दिव्य गतिविधियों में मौजूद उर्जा हैं . यह भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति हैं . इनकी पूजा अर्चना से कौशल विकास एवं गुणवत्ता में वृद्दि होती हैं . इनकी पूजा से वही पुण्य मिलता है, जो माता लक्ष्मी की पूजा से मिलता हैं यह धन, ऐश्वर्य देती हैं . यह गर्भवती स्त्री के गर्भ की रक्षा करती हैं .उनका पोषण करती हैं .

कमला जयंती महत्व (Kamala Jayanti 2023 significance )–
कमला महाविद्या जयंती के दिन माना जाता है कि इस दिन 10 महाविद्या में से एक देवी कमला धरती पर अवतरित हुई थी. यह दिवाली के दिन मनाई जाती है. कहते है महाविद्या कमला श्रीहरी विष्णु की साथी है, उनकी सबसे बड़ी ताकत है. देवी कमला का रूप, देवी लक्ष्मी के समान ही है, जो प्रसिद्धी, भाग्य, धन की देवी है. धन, समृद्धि प्राप्त करने के लिए इनकी पूजा आराधना की जाती है, साथ ही प्रजनन एवं बच्चों के अच्छे विकास के लिए इन्हें पूजा जाता है. माँ कमला देवी भाग्य, सम्मान, पवित्रता और परोपकार की देवी है.
दस महाविद्या देवियों के नाम व उनकी जयंती (10 mahavidya Devi Name and Jayanti):
10 महाविद्या देवियों की जयंती और उनकी तारीख –
तारिख | महीना | जयंती का नाम | देवियों के नाम |
5 | फरवरी | ललिता जयंती | तारा |
30 | मार्च | महातारा जयंती | षोडशी |
23 | अप्रैल | मातंगी जयंती | मातंगी |
28 | अप्रैल | बगलामुखी जयंती | बगलामुखी |
4 | मई | छिन्नमस्ता जयंती | छिन्नमस्ता |
27 | मई | धूमावती जयंती | धूमावती |
06 | सितंबर | आद्य काली जयंती | काली |
26 | सितम्बर | भुवनेश्वरी जयंती | भुवनेश्वरी |
12 | नवंबर | कमला जयंती | कमला |
26 | दिसंबर | त्रिपुरा भैरवी जयंती | त्रिपुरभैरवी |
कब मनाई जाती हैं कमला जयंती ? (Kamala Jayanti Date 2023)
कमला जयंती हिंदी पंचाग अनुसार मार्गशीर्ष की अमावस्या को मनाई जाती हैं. वर्ष 2023 में यह दिन 12 नवंबर को मनाया जायेगा.
कमला जयंती पूजा विधि (Kamala Jayanti Puja Vidhi )
इस दिन माता की सभी दस शक्तियों की पूजा की जाती है, इस दिन तांत्रिक पूजा का महत्व होता हैं . इस दिन कन्या भोज कराया जाता है, जिसमे छोटी बालिका जिनकी उम्र 10 वर्ष से कम है, उन्हें भोजन करवा कर दान दिया जाता हैं .
पूजा विधि :
- गुरु वंदना
- गुरु पूजा
- गौ पूजा
- माँ कलमा देवी अभिषेक एवं सम्पूर्ण पूजा, जिसमें देवी का पूरा श्रृंगार किया जाता है, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, सिन्दूर आदि चढ़ाया जाता है.
- फूल चढ़ाये जाते है
- गणपति, नवग्रह एवं आवाहन पूजा की जाती है
- होम, हवन किया जाता है
- श्री कमला मूल मन्त्र, सम्पूर्ण पाठ, महा पूजन यग्य
- पूर्णाहूति
- अंत में दीप दान एवं प्रसाद वितरण किया जाता है.
दान का बहुत अधिक महत्व होता हैं . इस दिन भक्त अपनी कीमती वस्तु का दान करते हैं . इस दान से घर में खुशियाँ आती हैं . कमला जयंती के दिन भंडारे का आयोजन किया जाता हैं .इस दिन अनाज एवं वस्त्रो का दान किया जाता हैं . इस दिन गरीबो एवम ब्राह्मणों को दान देने का महत्व बताया गया हैं . मनुष्य अपने कर्मो की मुक्ति के लिए अपने पापों से मुक्ति के लिए इस दिन दान करता हैं . कमला जयंती के दिन मनुष्य अगर गरीबो को दान देता हैं तो उसके सारे पापो का विनाश होता हैं .
कमला देवी पूजा जयंती से 15 दिन पहले शुरू कर दी जाती हैं बहुत विधि विधान के सात माता की पूजा की जाती हैं . इसमें तांत्रिक पूजा का बहुत अधिक महत्व हैं . इन दिनों तंत्र विद्या वाले लोग कई प्रकार की पूजायें करते हैं एवम तंत्र विद्या सीखते हैं .
कमला देवी माँ शक्ति का रूप हैं इसलिए इस तंत्र शक्ति की पूजा का महत्व बताया गया हैं . यह देवी आदि शक्ति है आदि शक्ति भगवान शिव की अर्द्धागिनी कही जाती हैं . आदि शक्ति में ही जगत की सभी अच्छी बुरी शक्तियाँ समाहित हैं . माता कमला ही आदि शक्ति स्वरूपा हैं इसलिए कमला जयंती के दिन समस्त शक्तियों की पूजा की जाती हैं . इस दिन पूजा, हवन, भंडारे एवं दान का सबसे अधिक महत्व होता हैं .
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