Madhubala biography in hindi हिंदी सिनेमा के लिए मधुबाला उन नामों में शुमार है, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को संवारने में अपनी ज़िन्दगी लगा दी. फिल्म ‘मुग़ल ए आज़म’ में अनारकली का किरदार निभाने के बाद ये लोगों की नज़रों में अनारकली के ही रूप में बस गयीं. भारतीय सिनेमा में मधुबाला को साल 1942 से 1960 के बीच एक से बढ़कर एक फ़िल्में करते देखा गया है. मधुबाला को अभिनय के साथ साथ उनकी सुन्दरता के लिए भी याद किया जाता है. इन्हें इनकी ज़िन्दगी को देखते हुए ‘वीनस ऑफ़ इंडियन सिनेमा’ तथा ‘द ब्यूटी ऑफ़ ट्रेजेडी’ जैसे उपमाओं से भी जाना जाता है. इन्होने महल, अमर, मि. एंड मिस 55, बरसात की रात, मुग़ल ए आज़म आदि फ़िल्मों में अपनी दमदार भुमिका निभायी है.
मधुबाला का जीवन परिचय (Madhubala biography in hindi)
मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 को दिल्ली में हुआ. बचपन में इनका नाम मुमताज़ जेहान देहलवी रखा गया. इनके वालिद का नाम अताउल्लाह खान तथा वालिदैन का नाम आयशा बेग़म था. इनके वालिद तात्कालिक पकिस्तान के खैबर पखतून्ख्वा के रहने वाले थे. अपने माँ बाप के 11 बच्चों में ये पाँचवीं थीं. शुरुआती समय में इनके पिता पेशावर स्थित एक तम्बाकू फैक्ट्री में काम करते थे. इस नौकरी को खोने के बाद इनके पिता पहले दिल्ली और फिर मुंबई पहुँचे, जहाँ पर मुमताज़ अर्थात मधुबाला का जन्म हुआ.
ये समय इस परिवार के लिए बहुत की दुखद था. इस दौरान मधुबाला की तीन बहने और दो भाई सन 1944 में होने वाले ‘डॉक एक्सप्लोजन’ में मारे गये. इस हादसे में हालाँकि इनका घर तबाह हो गया किन्तु बचने वाले लोग सिर्फ और सिर्फ इस वजह से बच सके कि वे लोग किसी लोकल सिनेमा में फ़िल्म देखने गये थे. बचने वालों में मुमताज़ की छः बहने और माँ- पिता थे. इसके बाद ग़ुरबत की ज़िन्दगी से राहत पाने के लिए महज 9 साल की उम्र में इनके पिता मुमताज़ को बॉम्बे के विभिन्न फ़िल्म स्टूडियो में लेकर जाने लगे. मुमताज़ को काम भी मिलने लगा और परिवार को ग़रीबी से थोड़ी सी राहत मिली.
मधुबाला का शुरूआती करियर (Madhubala career)
मधुबाला बचपन से सिनेमा के लिए काम करने लगी थी. मधुबाला की पहली सफ़ल फ़िल्म साल 1942 में आई बसंत थी. ये फ़िल्म बहुत सफ़ल हुई और इस फ़िल्म से मधुबाला को पहचाना जाने लगा. जानी मानी अभिनेत्री देविका रानी मधुबाला के अभिनय से बहुत ही प्रभावित थीं, उन्होंने ही मुमताज़ देहलवी को मधुबाला के स्क्रीननेम से काम करने की सलाह दी. साल 1947 में आई फ़िल्म ‘नील कमल’ में महज़ चौदह साल की उम्र में मधुबाला को राज कपूर के साथ कास्ट किया गया. ये फ़िल्म इनकी मुमताज़ के नाम से आखिरी फ़िल्म थी. इसके बाद आने वाली सभी फ़िल्मों में इनका स्क्रीननेम मधुबाला रहा.
मधुबाला के करियर में स्टारडम की चमक को साल 1949 के दौरान देखा जाता है. ये स्टारडम इन्हें बॉम्बे टॉकीज बैनर तले बनी फ़िल्म ‘महल’ के साथ मिला. इस फ़िल्म के लिए हालाँकि पहले मशहूर अभिनेत्री सुरैया को चुना गया था, किन्तु स्क्रीनटेस्ट के दौरान फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही को मधुबाला इस रोल के लिए अधिक फिट लगीं और इन्हें इस रोले के लिए नियुक्त कर लिया गया. ये फ़िल्म इस साल भारतीय सिनेमा के बॉक्स ऑफिस पर तीसरी सफ़ल फ़िल्म थी. इस फ़िल्म के बाद मधुबाला की दुलारी, बेक़सूर, तराना तथा बादल आदि फ़िल्में एक के बाद एक सफ़ल साबित हुईं.
मधुबाला का स्टारडम (Madhubala stardome)
मधुबाला को अपने करियर के दौरान ऊंचा से ऊंचा मक़ाम हासिल हुआ. ये मक़ाम इन्हें उस वक़्त के सुपर स्टार अभिनेता –अभिनेत्री, मशहूर फ़िल्म निर्देशक के फ़िल्मों में काम करने की सूरत में हासिल हुआ. इन्होने तात्कालिक समय के मशहूर अभिनेता मसलन अशोक कुमार, राजकुमार, रहमान, दिलीप कुमार, सुनील दत्त, शम्मी कपूर, देव आनंद आदि के साथ काम किया. इसके साथ ही इन्हें समय के लीडिंग अभिनेत्रियाँ मसलन गीता बाली, सुरैया, निम्मी आदि के साथ काम करने का भी मौक़ा मिला. निर्देशकों में इन्हें कमाल अमरोहवी, के आसिफ, गुरुदत्त आदि का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ. सन 1955 में मधुबाला फ़िल्म ‘नाता’ तथा सन 1960 में फिल्म ‘महलों के ख्वाब’ की निर्माता रहीं. इन्होने फ़िल्म ‘महलों के ख्वाब’ में निर्माता के साथ अदाकारी का भी कार्य किया.
सन 1950 के दौरान आने वाली सभी तरह की फ़िल्मों में मधुबाला अपने जलवे बिखेरने में लगी हुईं थी. इसी साल आई उनकी फ़िल्म ‘हँसते आंसू’ वह हिंदी फ़िल्म बनी, जिसे पहली बार भारतीय फ़िल्म बोर्ड द्वारा A सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ. मधुबाला के अभिनय के साथ उनकी सुन्दरता भी लोगों को खूब रिझाती थी. साल 1956 मे इन्होने दो कॉस्टयूम ड्रामा जेनर की फ़िल्में की. ये फिल्मे थीं ‘शीरीं- फरहाद’ तथा ‘राज- हथ’, इसके बाद इन्हें एक सोशल ड्रामा ‘कल हमारा है’ में देखा गया. सन 1954 में महबूब खान द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘अमर’ भी इनके लिए बहुत बड़ी फ़िल्म साबित हुई. गुरुदत की फ़िल्म ‘हावड़ा ब्रिज’ को भी नहीं भूला जा सकता. इस फ़िल्म में मधुबाला एक एंग्लो- इंडियन कारबेट गायिका की भूमिका में नज़र आयीं थी. इसी फ़िल्म का गीत ‘आइये मेहरबाँ’ आज भी लोगों के बीच खूब मशहूर है. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है, कि मधुबाला ने अपने करियर में लगभग सभी तरह की फ़िल्में कीं और यही इनके स्टारडम की एक बहुत बड़ी वजह रही.
मधुबाला फिल्म मुग़ल-ए-आज़म में (Madhubala film mughal-e-azam)
फ़िल्म मुग़ल-ए-आज़म मधुबाला की ज़िन्दगी की सबसे बड़ी फ़िल्म मानी जाती है. इस फ़िल्म में इन्होने अनारकली की यादगार भूमिका निभाई है. इस फ़िल्म ने मधुबाला को पूरी तरह से अभिनय में ढलने का मौक़ा दिया. अभिनय की दुनिया में आज भी इनके इस अभिनय का उदाहरण दिया जाता है. इस फ़िल्म के बनने के दौरान मधुबाला का स्वास्थ लगातार बिगड़ रहा था. इसका कारण ये भी हो सकता है कि शूटिंग के लिए उन्हें लगातार जंजीरों में लम्बे समय तक बंधा रहना पड़ता था और इस दौरान उन्हें पूरे मेक अप में होना पड़ता था. ऐसा माना जाता है कि शायद इसी वजह से इनकी तबियत लगातार बिगडती रही, किन्तु मधुबाला के परिश्रम और लगन की वजह से फ़िल्म बनने में किसी तरह की रुकावट नहीं आई.
साल 1960 में 10 साल की मेहनत के बाद ये फ़िल्म बनी और मंज़रे-आम पर आई. ये फ़िल्म अब तक की सबसे अधिक पैसे कमाने वाली फ़िल्म साबित हुई. ये रिकॉर्ड लगभग 15 सालों तक कायम रहा, इन पंद्रह सालों में कई बड़े सुपरस्टार की बड़ी फिल्मे आयीं, किन्तु किसी की भी फ़िल्म द्वारा ये रिकॉर्ड नहीं टूट सका. साल 1975 में अमिताभ बच्चन की आई फ़िल्म ‘शोले’ एक ऐसी फ़िल्म बनी जो ये रिकॉर्ड छूने में कामयाब हो सकी. ये दौर मधुबाला की जिन्दगी के करियर के तौर पर तो सुनहरा दौर ज़रूर था किन्तु इसी दौरान इनके और दिलीप कुमार के रिश्तो में कडवाहट आने लगी थी. अमिताभ बच्चन अनमोल वचन यहाँ पढ़ें.
दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम कहानी (Madhubala and Dilip Kumar)
दिलीप कुमार और मधुबाला पहली बार सन 1944 में बन रही फ़िल्म ‘ज्वार भाटा’ के सेट पर एक दुसरे से मिले. इन दोनों के बीच रिश्ते की शुरुआत फ़िल्म ‘तराना’ करते हुए हुई. ये रिश्ता धीरे धीरे मजबूत हो रहा था और एक समय ऐसा भी आया कि दोनों ने एक साथ ईद भी मनाई, किन्तु मधुबाला के पिता को ये रिश्ता मंजूर नहीं था. उन्होंने मधुबाला को दिलीप कुमार से शादी करने से मना कर दिया. मधुबाला अपने पिता के प्रति बहुत आज्ञाकारी थी और आखिर में ये रिश्ता परवान नहीं चढ़ सका. दिलीप कुमार का जीवन परिचय यहाँ पढ़ें.
किशोर कुमार और मधुबाला (Madhubala marriage with Kishor Kumar)
कालांतर में मधुबाला की शादी किशोर कुमार से हुई. सन 1960 में मधुबाला से विवाह करने के लिए किशोर कुमार ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया और किशोर कुमार का नाम करीम अब्दुल हो गया. इस शादी को मधुबाला हालाँकि स्वीकार नहीं कर पा रही थी, किन्तु अस्वीकार भी नहीं कर सकी. साथ ही इसी समय मधुबाला को एक भयानक रोग ने जकड लिया था. किशोर कुमार इस बात को जानते थे, किन्तु किसी को भी इस बीमारी की गहराई का अंदाजा नहीं था. शादी के बाद इस रोग के इलाज के लिए दोनों लन्दन गये. वहाँ डॉक्टर ने मधुबाला के हाल को देखते हुए कहा कि मधुबाला अब ज्यादा से ज्यादा 2 साल तक बच सकती हैं. इसके बाद किशोर कुमार ने मधुबाला को उनके पिता के घर में वापिस ये कहते हुए छोड़ दिया कि वे मधुबाला का ख्याल नहीं रख सकते क्यों कि वे ख़ुद अक्सर बाहर रहते हैं. किशोर कुमार के जीवन से जुडी बातें यहाँ पढ़ें.
मधुबाला की मृत्यु (Madhubala death)
लगातार मेडिकल जांच से ये पता लगा कि मधुबाला के दिल में एक छेद है. इस रोग को हालांकी फ़िल्म इंडस्ट्री से छुपा कर रखा गया. इस रोग की वजह से उनके बदन में खून की मात्रा बढ़ती जा रही थी और ये अतिरिक्त खून उनकी नाक और मुँह से बाहर आने लगता था. डॉक्टर भी इस रोग के आगे हार गये और ये भी कहा गया कि यदि इसका ऑपरेशन भी किया गया तो ये एक साल से अधिक समय तक जिन्दा नहीं रह पाएंगी. इस दौरान इन्हें अभिनय छोड़ना पड़ा. इसके बाद इन्होने निर्देशन का रास्ता अपनाया. साल 1969 में इन्होने ‘फ़र्ज़ और इश्क़’ नाम की फ़िल्म का निर्देशन करना चाहा, किन्तु ये फ़िल्म बन नहीं पायी और इसी वर्ष 23 फरवरी 1969 को अपना 36 वाँ जन्मदिन मना लेने के 9 दिन बाद इनकी मृत्यु हो गयी.
मधुबाला की फ़िल्में (Madhubala film list)
नीचे मधुबाला की लगभग सभी फिल्मो को उनके रिलीज़ होने के वक़्त के साथ दिया जा रहा है-
बसंत | 1942 |
मुमताज़ महल | 1944 |
धन्ना भगत | 1945 |
पुजारी | 1946 |
फुलवारी | 1946 |
राजपूतानी | 1946 |
नील कमल | 1947 |
चित्तर विजय | 1947 |
मेरे भगवन | 1947 |
ख़ूबसूरत दुनिया | 1947 |
दिल की रानी | 1947 |
पराई आग | 1948 |
लाल दुपट्टा | 1948 |
देश सेवा | 1948 |
अमर प्रेम | 1948 |
सिपहिया | 1949 |
सिंगार | 1949 |
पारस | 1949 |
नेकी और बदी | 1949 |
महल | 1949 |
इम्तिहान | 1949 |
दुलारी | 1949 |
दौलत | 1949 |
अपराधी | 1949 |
परदेस | 1950 |
निशाना | 1950 |
निराला | 1950 |
मधुबाला | 1950 |
हँसते आंसू | 1950 |
बेक़सूर | 1950 |
तराना | 1951 |
सैयां | 1951 |
नाजनीन | 1951 |
नादान | 1951 |
खज़ाना | 1951 |
बादल | 1951 |
आराम | 1951 |
साकी | 1952 |
देश्भक्तन | 1952 |
संगदिल | 1952 |
रेल का डिब्बा | 1953 |
अरमान | 1953 |
बहुत हुए दिन | 1954 |
अमर | 1954 |
तीरंदाज़ | 1955 |
नक़ाब | 1955 |
नाता | 1955 |
मि और मिस 55 | 1955 |
शीरीं फरहाद | 1956 |
राज हत | 1956 |
ढाके की मलमल | 1956 |
यहूदी की लड़की | 1957 |
गेटवे ऑफ़ इंडिया | 1957 |
एक साल | 1957 |
पुलिस | 1958 |
फागुन | 1958 |
काला पानी | 1958 |
हावड़ा ब्रिज | 1958 |
चलती का नाम गाडी | 1958 |
बागी सिपाही | 1958 |
कल हमारा है | 1959 |
इंसान जाग उठा | 1959 |
दो उस्ताद | 1959 |
महलों के ख्वाब | 1960 |
जाली नोट | 1960 |
बरसात की रात | 1960 |
मुग़ले आज़म | 1960 |
पासपोर्ट | 1961 |
झुमरू | 1961 |
बॉय फ्रेंड | 1961 |
हाफ टिकट | 1962 |
शराबी | 1964 |
ज्वाला | 1971 |
इस तरह बहुत कम ज़िन्दगी पा कर भी मधुबाला ने भारतीय सिनेमा को बहुत कुछ दिया.
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