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सुभाष चन्द्र बोस जीवन परिचय, जयंती 2024 | Subhas Chandra Bose Biography, Jayanti in Hindi

सुभाष चन्द्र बोस जीवन परिचय, 2024 जयंती, जीवनी, विचार, जन्म, परिवार, पत्नी, मृत्यु, इतिहास (Subhas Chandra Bose Biography in Hindi) (History, Jayanti, Birth, Family, Wife, Death)

सुभाषचंद्र बोस भारत देश के महान स्वतंत्रता संग्रामी थे, उन्होंने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए बहुत कठिन प्रयास किये. उड़ीसा के बंगाली परिवार में जन्मे सुभाषचंद्र बोस एक संपन्न परिवार से थे, लेकिन उन्हे अपने देश से बहुत प्यार था और उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी देश के नाम कर दी थी.

इनके जन्म दिन को पराक्रम दिवस के रूप में सम्मानित किया जाता हैं॥

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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जीवन परिचय (Netaji Subhas Chandra Bose Biography in Hindi)

पूरा नामनेता जी सुभाषचंद्र बोस
जन्म23 जनवरी 1897
जन्म स्थानकटक , उड़ीसा
माता-पिताप्रभावती, जानकीनाथ बोस
पत्नीएमिली (1937)
बेटीअनीता बोस
म्रत्यु18 अगस्त, 1945 जापान

सुभाषचंद्र जी का जन्म, परिवार एवं शुरुआती जीवन (Netaji Subhas Chandra Bose Birth, Family and Initial Life)

सुभाषचंद्र जी का जन्म कटक, उड़ीसा के बंगाली परिवार में हुआ था , उनके 7 भाई और 6 बहनें थी. अपनी माता पिता की वे 9 वीं संतान थे, नेता जी अपने भाई शरदचन्द्र के बहुत करीब थे. उनके पिता जानकीनाथ कटक के महशूर और सफल वकील थे, जिन्हें राय बहादुर नाम की उपाधि दी गई थी. नेता जी को बचपन से ही पढाई में बहुत रूचि थी, वे बहुत मेहनती और अपने टीचर के प्रिय थे. लेकिन नेता जी को खेल कूद में कभी रूचि नहीं रही. नेता जी ने स्कूल की पढाई कटक से ही पूरी की थी. इसके बाद आगे की पढाई के लिए वे कलकत्ता चले गए, वहां प्रेसीडेंसी कॉलेज से फिलोसोफी में BA किया. इसी कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेसर के द्वारा भारतियों को सताए जाने पर नेता जी बहुत विरोध करते थे, उस समय जातिवाद का मुद्दा बहुत उठाया गया था. ये पहली बार था जब नेता की के मन में अंग्रेजों के खिलाफ जंग शुरू हुई थू.

नेता जी सिविल सर्विस करना चाहते थे, अंग्रेजों के शासन के चलते उस समय भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत मुश्किल था, तब उनके पिता ने इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया. इस परीक्षा में नेता जी चोथे स्थान में आये, जिसमें इंग्लिश में उन्हें सबसे ज्यादा नंबर मिले. नेता जी स्वामी विवेकानंद को अपना गुरु मानते थे, वे उनकी द्वारा कही गई बातों का बहुत अनुसरण करते थे. नेता जी के मन में देश के प्रति प्रेम बहुत था वे उसकी आजादी के लिए चिंतित थे, जिसके चलते 1921 में उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की नौकरी ठुकरा दी और भारत लौट आये.

नेता जी सुभाष चंद्र बोस का राजनैतिक जीवन (Subhas Chandra Bose Political Life)

भारत लौटते ही नेता जी स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद गए, उन्होंने भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया. शुरुवात में नेता जी कलकत्ता में कांग्रेस पार्टी के नेता रहे, चितरंजन दास के नेतृत्व में काम करते थे. नेता जी चितरंजन दास को अपना राजनीती गुरु मानते थे. 1922 में चितरंजन दास ने मोतीलाल नेहरु के साथ कांग्रेस को छोड़ अपनी अलग पार्टी स्वराज पार्टी बना ली थी. जब चितरंजन दास अपनी पार्टी के साथ मिल रणनीति बना रहे थे, नेता जी ने उस बीच कलकत्ता के नोजवान, छात्र-छात्रा व मजदूर लोगों के बीच अपनी खास जगह बना ली थी. वे जल्द से जल्द पराधीन भारत को स्वाधीन भारत के रूप में देखना चाहते थे.

अब लोग सुभाषचंद्र जी को नाम से जानने लगे थे, उनके काम की चर्चा चारों और फ़ैल रही थी. नेता जी एक नौजवान सोच लेकर आये थे, जिससे वो यूथ लीडर के रूप में चर्चित हो रहे थे. 1928 में गुवाहाटी में कांग्रेस् की एक बैठक के दौरान नए व पुराने मेम्बेर्स के बीच बातों को लेकर मतभेद उत्पन्न हुआ. नए युवा नेता किसी भी नियम पर नहीं चलना चाहते थे, वे स्वयं के हिसाब से चलना चाहते थे, लेकिन पुराने नेता ब्रिटिश सरकार के बनाये नियम के साथ आगे बढ़ना चाहते थे. सुभाषचंद्र और गाँधी जी के विचार बिल्कुल अलग थे. नेता जी गाँधी जी की अहिंसावादी विचारधारा से सहमत नहीं थे, उनकी सोच नौजवान वाली थी, जो हिंसा में भी विश्वास रखते थे. दोनों की विचारधारा अलग थी लेकिन मकसद एक था, दोनों ही भारत देश की आजादी जल्द से जल्द चाहते थे. 1939 में नेता जी राष्ट्रिय कांग्रेस के अध्यक्ष के पद के लिए खड़े हुए, इनके खिलाफ गांधीजी ने पट्टाभि सिताराम्या को खड़ा किया था, जिसे नेता जी ने हरा दिया था. गांधीजी को ये अपनी हार लगी थी जिससे वे दुखी हुए थे, नेता जी से ये बात जान कर अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया था. विचारों का मेल ना होने की वजह से नेता जी लोगों की नजर में गाँधी विरोधी होते जा रहे थे, जिसके बाद उन्होंने खुद कांग्रेस छोड़ दी थी.

सुभाष चंद्र बोस इंडियन नेशनल आर्मी में (Subhash Chandra Bose INA)

1939 में द्वितीय विश्व युध्य चल रहा था, तब नेता जी ने वहां अपना रुख किया, वे पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थे, ताकि अंग्रेजो को उपर से दबाब पड़े और वे देश छोडकर चले जाएँ. इस बात का उन्हें बहुत अच्छा असर देखने को मिला, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया. जेल में लगभग 2 हफ्तों तक उन्होंने ना खाना खाया ना पानी पिया. उनकी बिगड़ती हालत को देख देश में नौजवान उग्र होने लगे और उनकी रिहाई की मांग करने लगे. तब सरकार ने उन्हें कलकत्ता में नजरबन्द कर रखा था. इस दौरान 1941 में नेता जी अपने भतीजे शिशिर की मदद ने वहां से भाग निकले. सबसे पहले वे बिहार के गोमाह गए, वहां से वे पाकिस्तान के पेशावर जा पहुंचे. इसके बाद वे सोवियत संघ होते हुए, जर्मनी पहुँच गए, जहाँ वे वहां के शासक एडोल्फ हिटलर से मिले.

राजनीती में आने से पहले नेता जी दुनिया के बहुत से हिस्सों में घूम चुके थे, देश दुनिया की उन्हें अच्छी समझ थी, उन्हें पता था हिटलर और पूरा जर्मनी का दुश्मन इंग्लैंड था, ब्रिटिशों से बदला लेने के लिए उन्हें ये कूटनीति सही लगी और उन्होंने दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाना उचित लगा. इसी दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की एमिली से शादी कर ली थी, जिसके साथ में बर्लिन में रहते थे, उनकी एक बेटी भी हुई अनीता बोस.

1943 में नेता जी जर्मनी छोड़ साउथ-ईस्ट एशिया मतलब जापान जा पहुंचे. यहाँ वे मोहन सिंह से मिले, जो उस समय आजाद हिन्द फ़ौज के मुख्य थे. नेता जी मोहन सिंह व रास बिहारी बोस के साथ मिल कर ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ का पुनर्गठन किया. इसके साथ ही नेता जी ‘आजाद हिन्द सरकार’ पार्टी भी बनाई. 1944 में नेता जी ने अपनी आजाद हिन्द फ़ौज को ‘ तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ नारा दिया. जो देश भर में नई क्रांति लेकर आया.

नेता जी का इंग्लैंड जाना –

नेता जी इंग्लैंड गए जहाँ वे ब्रिटिश लेबर पार्टी के अध्यक्ष व राजनीती मुखिया लोगों से मिले जाना उन्होंने भारत की आजादी और उसके भविष्य के बारे में बातचीत की. ब्रिटिशों को उन्होंने बहुत हद तक भारत छोड़ने के लिए मना भी लिया था.

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की म्रत्यु (Subhas Chandra Bose Death)

1945 में जापान जाते समय नेता जी का विमान ताईवान में क्रेश हो गया, लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली थी, कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. भारत सरकार ने इस दुर्घटना पर बहुत सी जांच कमिटी भी बैठाई, लेकिन आज भी इस बात की पुष्टि आज भी नहीं हुई है. मई 1956 में शाह नवाज कमिटी नेता जी की मौत की गुथी सुलझाने जापान गई, लेकिन  ताईवान ने कोई खास राजनीती रिश्ता ना होने से उनकी सरकार ने मदद नहीं की. 2006 में मुखर्जी कमीशन ने संसद में बोला, कि ‘नेता जी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, और उनकी अस्थियाँ जो रेंकोजी मंदिर में रखी हुई है, वो उनकी नहीं है.’ लेकिन इस बात को भारत सरकार ने ख़ारिज कर दिया. आज भी इस बात पर जांच व विवाद चल रहा है.

सुभाष चन्द्र बोस जयंती (Subhas Chandra Bose Jayanti 2024)

23 जनवरी को नेताजी सुभास्ज चन्द्र बोस जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष सुभाष चन्द्र बोस जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस साल 2021 में 23 जनवरी को उनका 123 वें जन्मदिन के रूप में मनाया जायेगा.

नेता सुभाष चंद्र बोस जी के बारे में रोचक तथ्य (Subhas Chandra Bose Interesting Facts)

  • वर्ष 1942 में नेता सुभाष चंद्र बोस जी हिटलर के पास गए और भारत को आजाद करने का प्रस्ताव उसके सामने रखा, परंतु भारत को आजाद करने के लिए हिटलर का कोई दिलचस्पी नहीं था और उसने नेताजी को कोई भी स्पष्ट वचन नहीं दिया था।
  • सुभाष चंद्र बोस जी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह जी को बचाना चाहते थे और उन्होंने गांधी जी से अंग्रेजों को किया हुआ वादा तोड़ने के लिए भी कहा था, परंतु वे अपने उद्देश्य में नाकाम रहे।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने भारतीय सिविल परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था, परंतु उन्होंने देश की आजादी को देखते हुए अपने इस आरामदायक नौकरी को भी छोड़ने का बड़ा फैसला लिया।
  • नेताजी को जलियांवाला बाग हत्याकांड के दिल दहला देने वाले दृश्य ने काफी ज्यादा विचलित कर दिया और फ़िर भारत की आजादी संग्राम में खुद को जोड़ने से रोक ना सके।
  • वर्ष 1943 में बर्लिन में नेताजी ने आजाद हिंद रेडियो और फ्री इंडिया सेंट्रल से सकुशल स्थापना की।
  • वर्ष 1943 में ही आजाद हिंद बैंक ने 10 रुपए के सिक्के से लेकर 1 लाख रुपए के नोट जारी किए थे और एक लाख रुपए की नोट में नेता सुभाष चंद्र जी की तस्वीर भी छापी गई थी।
  • नेता जी ने ही महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था।
  • सुभाष चंद्र बोस जी को 1921 से लेकर 1941 के बीच में 11 बार देश के अलग-अलग कैदखाना में कैद किया गया था।
  • नेता सुभाष चंद्र बोस जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में दो बार अध्यक्ष के लिए चुना गया था।
  • नेता सुभाष चंद्र बोस जी की मृत्यु आज तक रहस्यमई बनी है और इस पर से आज तक कोई भी पर्दा नहीं उठ सका है और यहां तक कि भारत सरकार भी इस विषय पर कोई भी चर्चा नहीं करना चाहती है।

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FAQ

Q : सुभाष चंद्र बोस का जन्म कब हुआ?

Ans : सुभाष चंद्र बोस 23 जनवरी 1897 को हुआ।

Q : सुभाष चंद्र बोस कहां के रहने वाले हैं?

Ans : सुभाष चंद्र बोस कटक, उड़ीसा के रहने वाले हैं।

Q : सुभाष चंद्र बोस की पत्नी का नाम क्या है?

Ans : सुभाष चंद्र बोस की पत्नी का नाम एमिली है।

Q : सुभाष चंद्र बोस की मृत्यृ कब हुई?

Ans : सुभाष चंद्र बोस की मृत्यृ 18 अगस्त 1945 को हुई

Q : सुभाष चंद्र बोस ने कौन सा नारा दिया?

Ans : सुभाष चंद्र बोस ने दिल्ली चलो का नारा दिया।

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Anubhuti
यह मध्यप्रदेश के छोटे से शहर से है. ये पोस्ट ग्रेजुएट है, जिनको डांस, कुकिंग, घुमने एवम लिखने का शौक है. लिखने की कला को इन्होने अपना प्रोफेशन बनाया और घर बैठे काम करना शुरू किया. ये ज्यादातर कुकिंग, मोटिवेशनल कहानी, करंट अफेयर्स, फेमस लोगों के बारे में लिखती है.

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