प्रदोष व्रत तिथि महत्व कथा उद्यापन पूजा विधि | Pradosh Vrat Dates, Vidhi, Katha & Puja Timings in hindi 2023

प्रदोष व्रत तिथि, महत्व, कथा, उद्यापन पूजा विधि, कब है, नियम (Pradosh vrat Dates, udyapan puja Vidhi, Katha and Puja Timings in hindi)

हिन्दू धर्म के अनुसार हर व्रत का अपना अलग ही महत्व है, हर एक व्रत के पीछें अपनी एक कथा और उसका सार है. लोग अपनी मान्यता या श्रध्दा के अनुसार व्रत को करते है. उन सब में से एक है प्रदोष व्रत. प्रदोष व्रत भगवान शिव के कई व्रतो मे से एक है जो कि, बहुत फलदायक माना जाता है. इस व्रत को कोई भी स्त्री जो अपनी मनोकामना पूरी करना चाहती है कर सकती है.

Pradosh vrat

प्रदोष व्रत क्या है? (What is Pradosh vrat)

प्रदोष व्रत या प्रदोषमप्रदोष काल में किया जाता है. इसका अर्थ है, सूर्यास्त के बाद तथा रात्रि का सबसे पहला पहर, जिसे सायंकाल कहा जाता है . उस सायंकाल या तीसरे पहर के समय को ही प्रदोष काल कहा जाता है. इस व्रत को कोई भी स्त्री जो अपनी मनोकामना पूरी करना चाहती है भगवान शिव की आराधना कर कर सकती है.

प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat  significance)

कई जगह मान्यता व श्रध्दा के अनुसार स्त्री-पुरुष दोनों यह व्रत करते है. कहा जाता है इस व्रत से, कई दोष की मुक्ति तथा संकटों का निवारण होता है. यह व्रत साप्ताहिक महत्व भी रखता है .

वार               महत्व
रविवारभानुप्रदोष, जीवन में सुख-शांति, लंबी आयु के लिए किया जाता है.
सोमवारसोम प्रदोष के रूप में किया जाता है.

 

ईच्छा के अनुसार फल प्राप्ति तथा सकरात्मकता के लिए.

मंगलवारभौम प्रदोष के रूप में मंगलवार के दिन स्वास्थ्य सबंधी समस्याओं व समर्धि के लिए होता है.
बुधवारइसे सौम्यवारा प्रदोष भी कहा जाता है यह शिक्षा व ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है.
गुरुवारगुरुवारा प्रदोष से जाना जाता है, यह पितरो से आशीर्वाद तथा शत्रु व खतरों के विनाश के लिए किया जाता है.
शुक्रवारभ्रुगुवारा प्रदोष कहा जाता है. धन, संपदा व सोभाग्य , जीवन में सफलता के लिए किया जाता है.
शनिवारशनि प्रदोष नौकरी में पदोन्नति की प्राप्ति के लिए किया जाता है.

अर्थात् जिस वार पर भी यह तिथि आती है उस के अनुसार यह व्रत होता है.

प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है. यह व्रत निर्जल अर्थात् बिना पानी के किया जाता है . त्रयोदशी के दिन, पूरे दिन व्रत करके प्रदोष काल मे स्नान आदि कर साफ़ सफेद रंग के वस्त्र पहन कर पूर्व दिशा में मुह कर भगवान की पूजा की जाती है.

  • सबसे पहले दीपक जलाकर उसका पूजन करे.
  • सर्वपूज्य भगवान गणेश का पूजन करे.
  • तदुपरान्त शिव जी की प्रतिमा को जल, दूध, पंचामृत से स्नानादि कराए . बिलपत्र, पुष्प , पूजा सामग्री से पूजन कर भोग लगाये .
  • कथा कर ,आरती करे.

प्रदोष व्रत की कथा तथा फल (Pradosh Vrat puja Katha and Story)

प्राचीन काल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था. उस पुजारी की मृत्यु के बाद, उसकी विधवा पत्नी अपने पुत्र को लेकर भरण-पोषण के लिए भीख मांगते हुए, शाम तक घर वापस आती थी. एक दिन उसकी मुलाकात विदर्भ देश के राजकुमार से हुई जो कि अपने पिता की मृत्यु के बाद दर-दर भटकने लगा था. उसकी यह हालत पुजारी की पत्नी से देखी नही गई, वह उस राजकुमार को अपने साथ अपने घर ले आई और पुत्र जैसा रखने लगी.

एक दिन पुजारी की पत्नी अपने साथ दोनों पुत्रों को शांडिल्य ऋषि के आश्रम ले गई . वहा उसने ऋषि से शिव जी के इस प्रदोष व्रत की कथा व विधी सुनी , घर जाकर अब वह प्रदोष व्रत करने लगी . दोनों बालक वन में घूम रहे थे, उसमे से पुजारी का बेटा तो घर लौट गया, परन्तु राजकुमार वन में ही रहा . उस राजकुमार ने गन्धर्व कन्याओ को क्रीडा करते हुए देख, उनसे बात करने लगा . उस कन्या का नाम अंशुमती था . उस दिन वह राजकुमार घर भी देरी से लोटा.

दुसरे दिन फिर से राजकुमार उसी जगह पंहुचा, जहा अंशुमती अपने माता-पिता से बात कर रही थी. तभी अंशुमती के माता-पिता ने उस राजकुमार को पहचान लिया तथा उससे कहा की आप तो विदर्भ नगर के राजकुमार हो ना, आपका नाम धर्मगुप्त है. अंशुमती के माता-पिता को वह राजकुमार पसंद आया और उन्होंने कहा कि शिव जी की कृपा से हम अपनी पुत्री का विवाह आपसे करना चाहते है , क्या आप इस विवाह के लिए तैयार है?

राजकुमार ने अपनी स्वीक्रति दी और उन दोनों का विवाह संपन्न हुआ. बाद में राजकुमार ने गन्धर्व की विशाल सेना के साथ विदर्भ पर हमला किया और घमासान युद्ध कर विजय प्राप्त की तथा पत्नी के साथ राज्य करने लगे. वहा उस महल में वह उस पुजारी की पत्नी और पुत्र को आदर के साथ ले जाकर रखने लगे . उनके सभी दुःख व दरिद्रता दूर हो गई और सुख से जीवन व्यतीत करने लगे.

एक दिन अंशुमती ने राजकुमार से इन सभी बातो के पीछे का रहस्य पूछा . तब राजकुमार ने अंशुमती को अपने जीवन की पूरी बात और प्रदोष व्रत का महत्व और प्रदोष व्रत से प्राप्त फल से अवगत कराया.

उसी दिन से समाज में प्रदोष व्रत की प्रतिष्ठा व महत्व बढ़ गया तथा मान्यतानुसार लोग यह व्रत करने लगे.

प्रदोष व्रत उद्ध्यापन की पूजा विधी (Pradosh Vrat udyapan puja vidhi)

  • त्रयोदशी के दिन स्नानादि करके , साफ़ व कोरे वस्त्र पहने.
  • रंगीन वस्त्रो से भगवान की  चौकी को सजाये.
  • उस चौकी पर प्रथम पूज्य भगवान गणेशजी की प्रतिमा रख, शिव-पार्वती की प्रतिमा रखे और विधी विधान से पूजा करे.
  • पूजा मे नेवेध लगा कर हवन भी करे.
  • प्रदोष व्रत के हवन में पुराणों के अनुसार दिये मंत्र ॐ उमा सहित-शिवाये नम: का कम से कम 108, अधिक से अधिक अपनी श्रध्दा के अनुसार आहुति दे.
  • तदुपरान्त पुरे भक्तिभाव से आरती करे .
  • पुरोहित को भोजन करा कर दान दे, अन्त में पुरे परिवार के साथ भगवान शिव और पुरोहितों का आशीर्वाद लेकर प्रसादी ग्रहण करे.

कब मनाई जाती हैं ?

“ प्रदोष व्रत प्रत्येक पक्ष (कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष) की त्रयोदशी को किया जाता है. ”

प्रदोष व्रत 2023 के अनुसार तिथि व पूजा का समय (Pradosh vrat 2023 date and time)

दिनांकमहिनादिन 
4जनवरीबुधवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)
19जनवरीगुरुवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)
2 फरवरीगुरुवार गुरु प्रदोष व्रत (शुक्ल)
18फरवरीशनिवार शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण)
04मार्चशनिवार शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल)
19मार्चरविवार रवि प्रदोष व्रत (कृष्ण)
03अप्रैलसोमवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)
17अप्रैलसोमवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)
03मईबुधवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)
17मईबुधवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)
01जूनगुरुवार गुरु प्रदोष व्रत (शुक्ल)
15जूनगुरुवार गुरु प्रदोष व्रत (कृष्ण)
01जुलाईशनिवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)
14जुलाईशुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत (कृष्ण)
30जुलाईरविवार रवि प्रदोष व्रत (शुक्ल)
13अगस्तरविवार रवि प्रदोष व्रत (कृष्ण)
28अगस्तसोमवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)
12सितम्बरमंगलवार भोम प्रदोष व्रत (कृष्ण)
27सितम्बरबुधवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)
11अक्टूबरबुधवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)
26अक्टूबरगुरुवार गुरु प्रदोष व्रत (शुक्ल)
10नवम्बरशुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत (कृष्ण)
21नवम्बरशुक्रवार शुक्र प्रदोष व्रत (शुक्ल)
10दिसम्बररविवार रवि प्रदोष व्रत (कृष्ण)
24दिसम्बररविवार शुक्र प्रदोष व्रत (शुक्ल)

FAQ

Q- प्रदोष व्रत कब पड़ता है?

Ans- प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है।

Q- प्रदोष व्रत कौन रखता है?

Ans- प्रदोष व्रत वो व्यक्ति रखते हैं जो अपना कल्याण चाहते हैं।

Q- प्रदोष व्रत क्या फायदे हैं?

Ans- प्रदोष व्रत को करने से आपको संतान सुख और सभी कष्टो से मुक्ति मिलती है।

Q- क्या प्रदोष व्रत में पानी पी सकते हैं?

Ans- जी नहीं, इसे निर्जला रखा जाता है।

Q- प्रदोष व्रत में किस चीज का सेवन करना चाहिए?

Ans- प्रदोष व्रत में हरे मूंग का सेवन करना चाहिए।

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Priyanka
प्रियंका खंडेलवाल मध्यप्रदेश के एक छोटे शहर की रहने वाली हैं . यह एक एडवोकेट हैं और जीएसटी में प्रेक्टिस कर रही हैं . इन्हें बैंकिंग, टेक्स्सेशन एवं फाइनेंस जैसे विषयों पर लिखना पसंद हैं ताकि उनका ज्ञान और अधिक बढ़ सके. उन्होंने दीपावली के लिए लिखना शुरू किया और इस तरह अपने ज्ञान को पाठकों तक पहुँचाने की कोशिश की.

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