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भगवान शिव आराधना हिंदी अर्थ के साथ | Lord Shiva prayer Sanskrit With Hindi Meaning

भगवान शिव आराधना हिंदी अर्थ के साथ

हमारे भारत देश में भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है, भगवान् शिव हिन्दूओं में पूजे जाने वाले सबसे बड़े भगवान त्रिदेवों में एक है. लोगों के बीच में भगवान् शिव का बहुत महत्व है. लोग इनकों अनेकों नाम से बुलाते है और सभी लोग भगवान शिव की आराधना अपने – अपने तरीके से करते हैं. भगवान शिव के कई रूप है और वे अपने भक्तों को भी अपने अलग – अलग रूपों में दर्शन देते है. शिव के अनेक नाम है और हर एक नाम का अलग – अलग मतलब है. वैसे तो इनकी पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है, लेकिन लोग इन्हें दोनों ही रूपों में पूजते हैं.

भगवान शिव की आराधना (Shiv Poojan)

भगवान् शिव की आराधना के रूप में उनके भक्त भगवान् शिव का अभिषेक करते है. शिव अभिषेक का शिव पुराण में भी बहुत महत्व बताया गया है. शिव अभिषेक के लिए 6 प्रकार के द्रव्यों का महत्व सबसे ज्यादा है जिनमे शामिल हैं –दूध, दही, शहद, घी, चीनी और जल आदि. इनमे अलग – अलग मंत्र होते है जिसे शिव अभिषेक के दौरान दोहराया जाता है. उनमे से श्री रुद्रम, चामकम, और दसा शांति सबसे महत्वपूर्ण मंत्र हैं.जिन्हें पढ़ा जाता है. इसके अलावा भगवान् शिव की आराधना के लिए सोमवार के दिन पवित्र गंगा नदी का जल भगवान् शिव को चढाया जाता है. सबसे ज्यादा लोग श्रावण मास में उपवास रखकर भगवान् शिव की आराधना करते हैं. जिससे उन्हें भगवान् शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस माह में भी भगवान् शिव की शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाने का बहुत महत्व है.

यह भी माना जाता है कि घरों में नर्मेश्वर शिवलिंग होना चाहिए. भगवान शिव की आराधना में लोग रुद्राक्ष की माला को भी धारण करते है जिससे नकारात्मक ऊर्जा से बचा जाता है. साथ ही रुद्राष्टकम का पथ भी करते हैं. सुबह सुबह महा म्रितुन्जय का मंत्र पढ़ा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भक्तों को शाम को महा म्रितुन्जय का मंत्र नहीं पढ़ना चाहिए. शिव उपासना रुद्राष्टकम का हिंदी अनुवाद यहाँ पढ़ें.

भगवान् शिव की आराधना से होने वाले लाभ (Shiv pooja benefits)

  • लोगों का मानना है कि सोमवार का दिन भगवान् शिव का दिन होता है इसलिए पति पत्नी दोनों साथ में इस दिन शिव की पूजा करते है तो उन्हें साथ में भगवान् शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
  • भगवान् शिव की आराधना करने से सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं.
  • इससे आपका ज्ञान और स्वास्थ्य भी बढ़ता है.
  • इससे आप समृधि, शांति, सद्भाव और विवाह का आशीष पाते हैं.

भगवान् शिव की पूजा कब करना चाहिए (When should we do Shiv pooja)

श्रावण के महीने में भगवान् शिव की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है. जैसा कि सभी जानते है सोमवार भगवान् शिव को समर्पित होता है, इसलिए श्रावण महीने के हर सोमवार को लोग व्रत रखना चाहिए, और भगवान् शिव की पूजा करना चाहिए. इस महीने के हर सोमवार को लघुरुद्रा, महारुद्र और अतिरुद्रा का पाठ करना चाहिए. श्रावण सोमवार व्रत एवं कथा यहाँ पढ़ें.

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इसके अलावा भगवान् शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवरात्रि, एकादशी, पूर्णिमा, अमावश्या, श्रवण, तीज और महाशिवरात्रि महोत्सव आदि के रूप में भी भगवान् शिव की पूजा करना अच्छा होता है. मासी एवं महाशिवरात्रि व्रत विधान एवं पूजा महत्व यहाँ पढ़ें.

भगवान् शिव की पूजा क्यों करना चाहिए (Why we should do Shiv pooja)

  • कुमारी लडकियाँ भगवान् शिव के लिए 16 सोमवार का व्रत रखती है ताकि उन्हें भगवान शिव की तरह आदर्श पति मिल सके.
  • शादीशुदा महिलाएं अपने पति और बच्चों की लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान् शिव की आराधना करती है.
  • एक संतोषजनक जीवन प्राप्त करने के लिए भगवान् शिव को सभी भेंट प्रदान करते हैं.
  • बुद्धिमान और समझदार बनने के लिए भी लोग भगवान् शिव की आराधना करते हैं.
  • एक नया वाहन प्राप्त करने के लिए लोग भगवान शिव को दही से स्नान कराते हैं.
  • मुक्ति या मोक्ष प्राप्त करने के लिए लोग गंगा नदी में डुबकी लगाकर स्नान करते हैं.
  • स्वास्थ्य, धन और समृधि से धन्य होने के लिए लोग भगवान् शिव को शहद, घी, गन्ने चढ़ाते हैं.
  • यदि कोई व्यक्ति शहद, घी और गन्ने के रूप में प्रसाद देता है तो वह व्यक्ति अवश्य धन और समृधि से आशीषित होगा.

शिवलिंग अपने घर पर स्थापित क्यों नहीं करें (Why we should not keep shivling at home)

बहुत से लोगों के दिमाग में यह सवाल होता है कि शिवलिंग को घर पर स्थापित क्यों नहीं करना चाहिए. इसके पीछे भी कुछ कारण है, लेकिन यह माना जाता है कि यदि आप अपने घर पर शिवलिंग स्थापित करते हैं तो आपको उचित पूजा अनुष्ठानों के द्वारा पूजा करनी चाहिए जैसे एक विशिष्ट समय पर अभिषेक करना आदि. यह भी माना जाता है कि यदि आप शिव अभिषेक पूजा करने में असमर्थ है तो आप अपने आस – पास के मंदिरों में शिवलिंग स्थापित करें.

शिव पूजा के नियम (Shiv pooja rules)

  • जब भी आप पंचमुर्ती बनाते हैं तो दूध न रखें और कांस्य धातु में दही रखें.
  • जल, दूध और घी आदि में आपको अपनी उँगलियों को स्पर्श करना चाहिए क्योकि नाखूनों का स्पर्श इसे अशुभ बना देता है.
  • चंपा का पुष्प शिवपूजन में नहीं रखा जाना चाहिए.
  • शिवपूजा में इस्तेमाल की गई बेल पत्ति 3 बिना कटी हुई पत्तियों की होनी चाहिए.
  • शिवपूजा में बिना टूटा नारियल चढ़ाना चाहिए.
  • तुलसी के पत्ते भगवान् शिव व पार्वती को नहीं चढ़ाये जाते हैं.
  • कुमकुम और हल्दी भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती है.
  • शिव पूजा के बाद उपयोग किये गए जल को नदी, झील या समुद्र आदि में विसर्जित कर देना चाहिए, यदि आपके घर के आस पास ये मौजूद न हो तो आप इसे अपने घर के बगीचे में तुलसी और पीपल को छोड़ कर बाकि किसी भी गमले में इसे विसर्जित कर सकते हैं.
  • शिव मात्र का उच्चरण करते समय हमेशा ऊनी कपड़े में बैठते हैं और शिवलिंग में अक्षत यानि चांवल और पुष्प अर्पित करते हैं.
  • भगवान् शिव के अभिषेक के लिए कभी भी स्टील के बर्तन का इस्तेमाल न करें.
  • भगवान् शिव के अभिषेक में लगने वाले जल में तुलसी कभी भी नहीं डालनी चाहिए.

भगवान शिव आराधना हिंदी अर्थ के साथ ( Lord Shiva prayer Sanskrit With Hindi Meaning)

ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम् 
उर्वारुकमिव बंधनन्मृत्योम्रुक्षीय मामृतात् .

अर्थात:

हे ईश्वर, जिनके तीन नेत्र हैं उनकी प्यार, सम्मान और आदर से उपासना करते हैं जिसमे संसार की समस्त सुगंध हैं अर्थात जिसका स्वभाव मीठा हैं जो सम्पूर्ण हैं जिसके कारण स्वस्थ जीवन हैं जो रोग,लालसा एवम बुराई का नाश करता है जिस कारण जीवन समृध्द होता हैं . उस एक अनश्वर से प्रार्थना हैं कि वह हमारे सारे बन्धनों को काटकर हमें मोक्ष का द्वारा दिखाए .
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसार सारं भुजगेन्द्रहारम
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवन भवानीसहितं नमामि ..

अर्थात:

यह जो कपूर की तरह निर्मल एवम श्वेत हैं और करुणा एवम दया का रूप हैं सारा संसार इनमे ही निहित हैं जिसने सर्प को हार की तरह धारण किया हैं जो संसार के प्रत्येक कोने में मौजूद हैं जिनके ह्रदय में माँ भवानी का वास हैं ऐसे भगवान् शिव और माँ पार्वती को मेरा नमों नमह .

वन्दे देवम उमापतिमं सुरगुरुं वन्दे जगात्कारानाम,
वन्दे पन्नगभूषणं मृग्धरमं वन्दे पशुनां पतिम् .
वन्दे सूर्या शशांक वह्रींनयन वन्दे मुकुन्द प्रियम
वन्दे भक्तजनाच्क्ष्यम च वरदम् वन्दे शिवम् शंकरम् ..

अर्थात:

हे, आराध्य देव, उमा ( माँ भगवती के पति), समस्त संसार के गुरु, जिसके कारण जगत हैं, जिसके एक हाथ में हिरण हैं, जो पशुओं का भी स्वामी हैं , जिनके नेत्रों में सूर्य,चन्द्रमा,अग्नी और तारों का वास हैं,जिसे मुकुन्द प्रिय हैं जो भक्तो के जीवन दाता हैं जिसने समस्त ब्रह्माण का निर्माण किया ऐसे शिव शंकर को मेरा प्रणाम ..

श्री गुरुभ्यो नम:, हरि:ॐ, शम्भवे नम:
ॐनमोभगवते वासुदेवाय, नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय
महादेवाय त्र्यम्बकाय त्रिपुरान्ताकाय त्रिकालाग्निकालाय
कलाग्निरुद्राया नील्कंठाया मृत्युन्जायाया सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन्महादेवाया नम:

अर्थात :

हे गुरु देव, हे हरिहर भोले, शिव शंभू नमोनमन, तीनो रूपों के रूप श्री वासुदेव भगवान् शिव जिनके तीन नेत्रों में तीनो लोकों का वास हैं जिसमे जल, अग्नी, वायु का समावेश हैं जिसने कंठ में विष को धारण कर निल्कंठेशवर का नाम पाया, जिन्हें मृत्यु पर विजय प्राप्त हैं जो सम्पूर्ण संसार के कर्ता धर्ता हैं ऐसे महादेव को प्रणाम .

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Karnika
कर्णिका दीपावली की एडिटर हैं इनकी रूचि हिंदी भाषा में हैं| यह दीपावली के लिए बहुत से विषयों पर लिखती हैं | यह दीपावली की SEO एक्सपर्ट हैं,इनके प्रयासों के कारण दीपावली एक सफल हिंदी वेबसाइट बनी हैं

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